बाला जमाना
बदल गया है जमाना सारा ,अब भाईचारा नाकाम रहा
उबर रहे अब अत्याचारी ,प्यार जो अब बदनाम हुआ
इंसाफ तो है मुश्किल, अब जो इंसाफ ही गुलाम हुआ
बदल गया है जमाना सारा, अब भाईचारा नाकाम रहा
बहन और बेटी को क्या समझे कोई, हवस जो सर पे सवार हुआ
कौन मिटाए अत्याचार ,खुद अत्याचारी हुकमाराम हुआ
बदल गया है जमाना सारा, अब भाईचारा नाकाम रहा
दुश्मनी हो गई अपने अपनों से, मां का दूध बदनाम हुआ
भूल गए सब खून के रिश्ते,अब रिश्ते सब शर्मसार हुए
कैसे मिले इंसाफ किसी को, ना इंसाफ हुक्मरान हुआ
बदल गया है जमाना सारा ,अब भाईचारा नाकाम रहा
,,रामरतन सुड्डा,,