किसी का झुकने न देना सीस लाचारी में
बेमानी का सीस उठने न देना
खून है तुम्हारी नसों में ईमान का
इसे बेमानो से मिटने न देना
बाहें तुम्हारी भी कमजोर नहीं आजमाकर देख
उठा लेना बेसख अस्तर शस्त्र रण भूमि में
पुरखों का गौरव फुजदिलो की तलवारों से मिटने न देना
उठा है सीना तुम्हारे अपनो का नेकि पर चलकर
कु कर्मों से इसे मिटने न देना
जब बात बन आए इजत पर बलिदान होना पड़े होजना
चमन इज्जत का संजोया है तुम्हरे पुरखों ने खून पसीना बहाकर
खुद मिट जाना पर इज्जत को कभी मिटने न देना
किसी का झुकने न देना सीस लाचारी में
बेमानी का सीस उठने न देना
कमजोर का बनना सहारा मुस्किल हालातों में
बलशाली की धौंस पनपने न देना
खून है तुम्हारी नसों में ईमान का
इसे बेमानो से मिटने न देना
✍️रामरतन सुड्डा
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