शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

बेटी और बेटे को शिक्षा में भेदभाव ने करें

 सविधान में स्वतंत्र बेटी जुबा में बेटी स्वतंत्र है, ये तो मैने भी हर बार सुना है ना बेटा बेटी में  अंतर है

पुरुष प्रधान इस भारत भूमि पे क्या सच में बेटी स्वतंत्र है। 

बेटे के जन्म पे खुशियां बेटी के जन्म पे फिर ये दुःख जैसा क्यों आलम है, 

बेटे का होता दसोठन छुछक फिर बेटी का क्यों नहीं, दसोठन होता है बेटा पढ़े विदेशों में फिर क्यों में बेटी का पढ़ना लिखना फिर क्यों बस गांव गुहांड तक होता है ,

बेटा होता है पिता की संपति का  उतराधिकारी पिता की संपत्ति में बेटी का हक क्यों नहीं होता है कहते तो हो बेटा बेटी एक समान फिर ये अंतर कैसा है 

पुरुष प्रधान इस भारत भूमि पे क्या सच में बेटी स्वतंत्र है। 

बेटा करे काम काज सब मनमर्जी से बेटी के सर फिर क्यों का काम घरों का थोपा जाता है 

बेटे के बियाह में बांटी खुशियां बेटी के बियाह में फिर क्यों ममता रोती है

पुरुष प्रधान इस भारत भूमि पे क्या सच में बेटी स्वतंत्र है। 

बेटा घूमे फिरे ओढ़े पहने मन मर्जी से फिर बहु के ऊपर सबपाबंदी होती है दिन भर घर में बहु देश में घुंघट ओढ़े रहती है

बेटा बेटी एक समान तो फिर ये रस्में क्या कैसी है, समाज ने सारी रस्मों रिवाजे बेटी के सर थोपी है,बेटा बेटी एक समान फिर ये विडंबना कैसी है

पिंजरे में बंद पंछी की तरह कैद क्यों बेटी रहती है सच तो ये है बेटी तो बस जुबा पे स्वतंत्र रहती है, बेटा बेटी में रखते हो फर्कबेटा बेटी एक समान झूठा सब ये मंत्र है

पुरुष प्रधान इस भारत भूमि पे क्या सच में बेटी स्वतंत्र है। 



सोमवार, 12 जुलाई 2021

Julmi जुल्मी

 जुल्मी बनो जुल्मी मिटाने को, याफिर कातिल बनो कातिल मिटाने को या फिर हुंकार भरो सोई सरकार जगाने को

पुलिस प्रशासन तो सोया है और सरकारें नहीं चाहती है जुल्मी और जुल्म मिटाने को

एक दूजे की आवाज बनो जुल्म और अत्याचार मिटाने को

या फिर रहो त्यार सब बारी बारी जुल्मी के हाथों खुदको बली चढ़ाने को

जुल्मी बनो जुल्मी मिटाने को, याफिर कातिल बनो कातिल मिटाने को फिर हुंकार भरो सोई सरकार जगाने को

आज हुआ है कत्ल गैर कोई कल को तुम ना होजाओ 

बनो ताकत एक दूजे की पीड़ित को इंसाफ दिलाने को

इन्सान है हम अब जाति धर्म की तोड़ो दीवारें फर्ज ए इन्सान निभाने को रहो त्यार सब मर मिटने को जुल्मों जात मिटाने को

जुल्मी बनो जुल्मी मिटाने को, याफिर कातिल बनो कातिल मिटाने को

जुल्मी की जाती जुल्म होती है होता है धर्म ए जुल्म बढ़ाने का 

फिर तुम गर्व कैसे करते हो हत्यारों को सेर सुरमा अपनी जाति का बतलाने को

जुल्मी बनो जुल्मी मिटाने को, याफिर कातिल बनो कातिल मिटाने को फिर हुंकार भरो सोई सरकार जगाने को

                             




Love shayeri bewafa shayeri dard bhri shayeri lavitaye kahaniya motivsnal or samajik stori

Kisi ka jhukne n dena sis lachari me

किसी का झुकने न देना सीस लाचारी में बेमानी का सीस उठने न देना खून है तुम्हारी नसों में ईमान का  इसे बेमानो से मिटने न देना  बाहें तुम्हारी भ...