अगर मेहनत कठिन परिश्रम कर खाने वाले महान समझे जाते इस जमाने में तो गधा और खचरो का घोड़ों से ज्यादा मान होता
आज मांगकर खाने वाले गिने जाते है बड़ी जातियों में
ओर छीन कर खाने वालों का भुजाबलि नाम ना होता
जो करते है छल कपट उनका साहूकारों में नाम नहोता
अगर मेहनत कठिन परिश्रम कर खाने वाले महान समझे जाते इस जमाने में तो गधा और खचरो का घोड़ों से ज्यादा मान होता
मेहनत करते है गरीब मजदूर यहां उनका कभी अपमान ना होता
जो करते है मेहनत दिनरात आज उस किसान का सड़को पे यों अपमान ना होता
अगर मेहनत कठिन परिश्रम कर खाने वाले महान समझे जाते इस जमाने में तो गधा और खचरो का घोड़ों से ज्यादा मान होता
दिन रात खून पसीना बहाने वाले समझे जाते अगर महान इस जमाने में तो इन गरीब मजलूम जातियों का टीका अछूत नाम ना होता
अगर मेहनत कठिन परिश्रम कर खाने वाले महान समझे जाते इस जमाने में तो गधा और खचरो का घोड़ों से ज्यादा मान होता
चोटी बढ़ा तिलक लगाकर दिन रात झूठ और पाखंड फैलाने वाले इन संघयो का कभी सम्मान ना होता
दिन रात मेहनत करने वाले मजदूरों का यों सरेआम अपमान ना होता
अगर मेहनत कठिन परिश्रम खाने वाले महान समझे जाते इस जमाने में तो गधा और खचरो का घोड़ों से ज्यादा मान होता
झूठ और नफरत फैलाते इन नेताओं के सर साफ छवि का ताज ना होता
काश मेहनत करने वाले चुने जाते नेता भी तो बेरोजगारी का कही नाम ना होता
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