खुशियां देना अ जिंदगी नए साल में मगर मेरा पेट भरे इसे ज्यादा दौलत न देना दौलत से मुझे नफरत सी होगई है
खुशियां छीन लेती है दौलत ,जो दौलतमंद बने उनकी घमडियों जैसी फिदरत सी होगई है
बेसक आधा निवाला दे दे ना मेरी नसीब में मगर कोई भूखा न सोए इस जग में भूख से तड़फ ते मासूम देख मेरी आंखे नम नम सी होगई है
खुशियां देना अ जिंदगी नए साल में मगर मेरा पेट भरे इसे ज्यादा दौलत न देना दौलत से मुझे नफरत सी होगई है
न देना मेरी नसीब में महल और शोहरत ,मगर सर पे बिन छत के जीवन किसी को नसीब न देना हर इंसान की नसीब में देना सरपे छत, फुटपाथ पर सोते मासूमों को देख मेरे सीने में चुभन सी होगई है
खुशियां देना अ जिंदगी नए साल में मगर मेरा पेट भरे इसे ज्यादा दौलत न देना दौलत से मुझे नफरत सी होगई है
हमे नहीं चाहिए सूट बूट वाली जिंदगी,
तेरी रहमतो के नीचे आधी दुनिया तन ढकने को कपड़े की खातिर भी बदनसीब सी होगई ह
जब देखा फटे कपड़ों में मासूमों को नज़रे शर्म से झुक सी गई है
खुशियां देना अ जिंदगी नए साल में मगर मेरा पेट भरे इसे ज्यादा दौलत न देना दौलत से मुझे नफरत सी होगई है
खुशियां छीन लेती है दौलत ,जो दौलतमंद बने उनकी घमडियों जैसी फिदरत सी होगई है
खुशियां देना अ जिंदगी नए साल में मगर मेरा पेट भरे इसे ज्यादा दौलत न देना दौलत से मुझे नफरत सी होगई है
लेखक:–रामरतन सुड्डा (Rk)
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