गुरुवार, 21 जुलाई 2022

Ek hakikat



                   एक हकीकत 


 कुछ हकीकत आंखो में छपी है कुछ जख्म सीने में चुभ ते चले जारहे है

खोज रहा हु में पल सुकून के समय ईमेंतहान पे ईमेतहान लिए जा रहा है

चाहत तो है मेरी, दर्द की दास्तान खुद दर्द लिखे, हालातों के बयान खुद हालत लिखे,

दस्तूर है जो दुनिया का एक आस लिए कदम से कदम जमाने से मिलाए जारहा हू

गीत नहीं कोई बिना साज के में बखूबी जानता हूं ,जमाना चाहता है में गाऊ सुनना चाहता हूं जमाने से में उसके गीत समय की नजाकत में चुपी में चूपी साधे जा रहा हूं

यो हरदम मोन रहना अच्छी बात नहीं ह दुनिया पागल समझने लगजाती है में अच्छे से जानता हूं 

इस पागल पन में कुछ पल सुकून की सांसे छिपी है मेरी तलाश है में उन्हें खोजू  बस इसी आश में मेरी धड़कने बसी है

सेक लेते है लोग लासो की जलती चिंगारियो पे रोटी कल को आबाद करने के लिए, मुझे फिकर है आज की तभी तो मेरी तो खिचड़ी भी एक छोटी सी दिए की बत्ती पे पके जारही है

कुछ हकीकत आंखो में छपी है कुछ जख्म सीने में चुभ ते चले जारहे है


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Love shayeri bewafa shayeri dard bhri shayeri lavitaye kahaniya motivsnal or samajik stori

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