शुक्रवार, 27 मई 2022

Sakaratmak soch

 Sakaratmk soch

Jo duniya badl de

राजू बचपन से ही बोल ने में असमर्थ था ही राजू की उमर महज दस पंद्रह वर्ष होती है की राजू के सर से माता पिता का साया भी उठ जाता है याणी उमर में ही राजू फूट पाथ पर जिंदगी बिताने को मजबूर होजाता है राजू कुछ किसी को कुछ बोलकर बतलाकर अपने मन का बोझ हल्का करता तो भी कैसे वह बोलने में असमर्थ था इस वजह से राजू अपने दुखड़े किसी को सुनाता तो भी कैसे ,राजू के पास भीख मांगकर खानेके अलावा कोई रास्ता नही था वह हर रोज ऐसे स्थानपर जाकर हाथ में कटोरा लेकर बैठ जाता जहासे लोगो का आना जाना होता था राजू को कोई अपने घर का बचाखुचा खाना दे जाता तो कोई दो चार रुपए कभी कभार कोई खाना देजाता था तब तो राजू का पेट भर जाता मगर कभी कभार तो बस दो चार रुपए ही भीख मिलपाती भला दो चार रुपए से किसी का पेट केसे भरता दो चार रुपए का जो कुछ मिलता राजू वह खाकर पानी पीकर खुले आसमान के नीचे सो जाता गीता भी वहा पक्षियों को दाना और आवारा जानवरो को खाना देने हर रोज आती थी जहा राजू भीख मांगा करता था एक दिन गीता की नजर राजू पर पड़ी गीता समझ गई थी यह कोई बिखारी है

और वह राजू के पास गई और उसने राजू से बात कर कुछ पूछना चाहा मगर राजू तो बोलही नहीं पाता था राजू ने अपने हाथों से पेट की ओर इशारा करते हुए मुंह की ओर इशारा किया गीता समझ चुकी थी की यह बोल नहीं सकता और कुछ खाने के लिए मांग रहा है गीता ने वह खाना राजू के हाथों में थमा दिया जो खाना गीता हर रोज आवारा कुत्तों को खिलाती थी राजू ने वह खाना इस कदर खाना सुरु कर दिया मानो वह दस पंद्रह दिनों से भूखा हो अध पके खाने को इस कदर खाते राजू को देख गीता समझ चुकी थी की यह पिछले कुछ दिनों से भूखा है अगले दिन गीता जब पक्षियों के लिए दाना और आवारा जानवरो के लिए खाना लेकर गई तो गीता ने साथ में राजू को खिलाने के लिए अच्छा खाना भी बना लिया और जाकर राजू को खिला दिया गीता हर रोज राजू को खाना खिलाने लगी और राजू से बातें करने लगी राजू जैसे जैसे गीता बोलती वैसे वैसे इंशारों में जवाब देता ऐसे ही गीता को राजू को खाना खिलाते और बातें करते करते राजू के इशारे अच्छे से समझ में आने लगे थे एक दिन गीता ने राजू से कहा अगर तुम्हे कोई काम धंधा करने का अवसर मिले तो कैसा रहेगा राजू ने गीता के सवाल का जवाब बहुत खुश होकर इंशारो में दिया की वह कोई भी काम मिले तो राजी होकर करेगा और फिर अपनी जुबान की ओर इंसारा करते हुए निराश होकर कहता है वह बोल नहीं पाता तो उसे कोई काम पर रखने को राजी नहीं होता और वह किसी से कम पर रखने की कहे तो भी कैसे वह बोल नहीं सकता और उसकी सांकेतिक भाषा को कोई समझ नहीं पाता 

गीता राजू के इंसारो को अच्छे से समझ गई थी की वह क्या कहना चाहता है गीता ने राजू को अपने पिताजी के होटल में काम करने की पेसकस की राजू ने हां में इशारा करते हुए गीता के साथ चलपडा गीता ने अपने पिताजी से राजू को अपने होटल में काम पर रखने के लिए राजी कर लिया और नए कपड़े नहला धुला कर अगले दिन काम पर भेज दिया राजू दिल लगाकर होटल में काम करने लगा साम को होटल से छूटी होते ही गीता राजू को अपने साथ घूमने लेजाती और सुबह गर्म पानी डाल देती राजू नहा धोकर होटल चला जाता ऐसे ही कई दिनों तक चला रहा एक दिन राजू और गीता हमेशा की तरह छूटी के बाद घूमे ने गए गीता ने इंशारा करते हुए राजू से पूछना चाहा की वह उससे मिलकर कैसा महसूस कर रहा है राजू अंगुली से गीता की ओर इंसारा करता है और फिर अगुली से अपनी ओर इंसारा करते हुए अपने हाथों को दिल की आकृति में जोड़ते हुए इंसारो में कहना चाहता है की तुमने उसे बहुत प्यार दिया और वह आपका अहसान मंद है

मगर गीता राजू के इंसारो का गलत मतलब निकाल लेती है गीता सोचती है की राजू ऐसे कह रहा है की वह उससे प्यार करता है

और गीता गुस्सा हो जाती है और राजू को खरी खोटी सुनने लगती है, राजू अपने हाथ ना में हिलाते हुए गीता को समझाने की कोशिश करता है की तुम गलत सोच रही हो मेरा मतलब कुछ और था मगर गीता के दिमाग में तो गुस्सा फूट रहा था वो राजू के इंसारो को कहा देख पाती और राजू को पीछे धकेल कर अपने घर चली जाती है और राजू को अपने होटल से निकाल देती है राजू एक बार फिर बेरोजगार और बेघर हो चुका था असे ही राजू फिर उसी दशा में मांग कर खाने को मजबूर होगया था कुछ दिनों बाद एक सड़क एक्सीडेंट में गीता ने अपनी दोनो आंखे खो दी थी एक दिन राजू सड़क किनारे रोटी की तलाश में बैठा होता है की वहा एक बड़ी सी कार आकार रुकती है और कार से आवाज आती है मैडम यहां एक बिखारी बैठा है क्या ये खाना उसे देदू फिर गाड़ी से एक महिला की आवाज आती है देदो गाड़ी की ड्राइवर सीट से एक नौजवान उतरता है और राजू के हाथ में कुछ खाने का सामान थमाते हुए फोन पर बात करने लगता है राजू झट से खाने का सामान खोलकर जल्दी जल्दी खाने लगता है इतने में गाड़ी के बीच की खिड़की का ब्लैक कांच खुलता है उसमे एक महिला बैठी होती है जो एक टक एक तरफ देख रही होती है कुछ समय के लिए तो राजू का ध्यान उस महिला की ओर नहीं जाता मगर कुछ समय बाद राजू गाड़ी के अंदर बैठी महिला को देखता है तो हका बका रह जाता है वह महिला कोई और नहीं गीता थी राजू झट से उठ खड़ा होता है और गीता के पास जाता है गीता गाड़ी में हाथों को इधर उधर घूमते हुए कुछ ढूंढ रही होती है राजू गीता के आंखो के आगे से हाथ घूमता है मगर गीता न पलक झपकाती है और न ही राजू की ओर देखती हे राजू समझ गया था की मेमसाब देख नही पा रही राजू झट से गीता के ड्राइवर के पास जाता है और गीता के बारे में पूछता है तो गीता का ड्राइवर बता है की मेमसाब की एक सड़क हादसे में आंखों की रोशनी चालीगई हैं अगर कोई आंखे दान करे तो मेमसाब फिर से देख सकेंगी राजू गीता के डराइवर से कहता है तुम कल मेमसाब को होस्पिटकॉल लेकर आओ में मेमसाब को अपनी आंखे देना चाहता हूं और अगले ही दिन राजू अपनी दोनो आंखे गीता को दे देता है और किसी की मदद लेकर राजू उसी फुटपाथ के पास बने चबूतरे पर जाकर बैठ जाता है गीता को दोचार दिनों बाद हॉस्पिटल से छूटी मिलती है जब गीता की आंखों पर बंधी पट्टी खुलती है तो वह बहुत खुश होती है और अपने ड्राइवर से कहती है में फिर से देख पाती हु तो ड्राइवर कहता है मेमसाब अच्छा हुआ तुम्हे आंखे डोनेट करने वाला मिलगया नहीं तो पता नहीं आप कभी अपनी जिंदगी में फिर से देखपाती या नहीं गीता ने कहा मुझे उस इंसान से मिलना है जिसने मुझे आंखे दी है ने जिंदगी भर उसकी अहसान मंद रहूंगी जब हॉस्पिटल के स्टाफ से राजू के बारे में पूछा जाता है तो वे बताते है की आपको आंखे डोनेट करने वाले ने अपनी हमे कोई पहचान नहीं बताई वो अपनी सब पहचान गुप्त रखकर आंखे दान करने के दूसरे ही दिन यहां से चला गया उसकी दावा पानी का कुछ खर्चा बाकी है जिसके लिए उसने कहा है की उसके पास पैसे नहीं है पैसे मेमसाब से लेलेना गीता कुछ समझ नहीं पाती है और हॉस्पिटल का सारा हिसाब कर वहा से अपने घर चली जाती है एकदीन गीता वही पक्षियों का दाना देने गई जहा गीता पचपन से पक्षियों का दाना देने जय करती थी काफी दिनों बाद पक्षियों ने गीता को देखा तो वो भी चचाउठे पक्ष्यो को दाना डालकर वापस गाड़ी की ओर मुड़ी तो किसकी नजर राजू पर पड़ी गीता राजू के पास गई और गीता ने पूछा तुम तुम्हारी गंदी सोच की वजह से आज यहा दर दर की ठोकर खाने को मजबूर हुए हो अभी भी समय ह अपनी सोच को बदलो नहीं तो ऐसे ही फुटपाथ पर पड़े सड़ते रहोगे जिंदगीभर राजू गीता की आवाज को पहचान नहीं पाया गीता की आवाज एक्सीडेंट के बाद काफी बदल चुकी थी राजू आपने हाथों से टटोलते हुए हाथ आगे बढ़ता है तो राजू का हाथ गीता की बॉडी को टच होजाता है गीता राजू का हाथ अपने टच होते ही राजू को जोर से थपड़ मरती है और कहती कमीने तुम्हारी हिमत केसे हुई मुझे छूने की ओर अपनी गाड़ी की ओर बढ़ने लगती गाड़ी में बैठा गीता का ड्राइवर गाड़ी से उतरता है और देखता है मेमसाब किसके साथ गुस्सा होरही है जब गीता के ड्राइवर की नजर राजू पर पड़ती है तो राजू कहता है मेमसाब आप ने ये क्या किया आपने उस इनसान पर हाथ उठा लिया जिसने खुद की जिंदगी में अंधयारा कर आपकी जिंदगी में रोशनी कर दी गीता अचम्भित होती है और कहती है इसने मुझे गंदी नज़र से देखने और मुझे छूने की कोसीस की है यह सुन कर राजू कहता है मेमसाब वो देख नहीं पाता यहीं है वो लड़का जिसने तुम्हे आंखे देकर खुद अंधा होगया, गीता को बादमें बहुत पछतावा होता है और गीता राजू को गले लगाकर रोने लगती है  

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