दोलत मंद एहसान फरामोसो के जूते तले तू
यों ही कूचला जाऐगा
जो करना इन्साफ ना करना जाने ऊन लोगों से क्या इन्साफ तू पाऐ गा
तकदीर भरोसे रे इन्सान तू कुछ भी नहीं कर पाए गा
ना थामी तो कलम हाथमे तूम कैसे शिक्षित बन पाए गा
पढे लिखे बीन रे इन्सान बस ग्वार ही कहलायेगा
अग्यान वंस रे इन्सान तूम लाचार ही रहजायेगा
पाखंडियों के पाखंड मे तुम उलझे ही रहजाओगे
अंध विश्वास के घोर जाल मे योहीं पीसते जाओगे
दिन रात खून पसीना बहा ते बहाते दोलतमंद की रोटी का तू एक दीन नीवाला बन जाऐगा
रहकर तू तकदीर भरोसे कुछ भी नहीं कर पाए गा बेबसी ओर लाचारी के बल योही कूचला जाऐगा
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