सोमवार, 27 अप्रैल 2020

प्यार मुहब्बत झूठे जज्बात


दोस्तो आज के ईसदोर मे ,ब्लात्कार ,हत्या ,जैसे मामले आम बात होगंइ है महन बेटीया असुरक्षित सी नजर आती है समाज मे कूछ दरीनंदो ने अपने हव्स की चाह को पूरा करने केलिए ना बहन को बक्सा है ओर ना बेटी को ओर बाबाओं संतो के रूप मे तो ईन हव्स के पुजारियों की कोई कमी नही रहगंई है आऐदीन कोई ना कोई दरीन्दा धीनोनी हरकत करते सामने आही जाता है ओर  कूछ पैसे वाले अमीर घराने के लोग ब्लात्कार ओर हर रोज नई नई लङकीयो को अपनी हव्स की सीकार बनाकर दर दर की ठोकरे खाने केलिए छोङ देने को अपनी सान समझते है ईसी पर आधारित कहानी है रीटा ओर स्वीटी की तो बने रहिए कहानी के अंत तक
रिटा एक गरीब से परिवार में पली बढी ओर सान सकल मे कसी परी से कम नही थी रीटा के घर परीवार को देखे ओर रिटा को देखे तो मानो कोएले की खान  के बीच हिरा नीकल आया हो रीटा जितनी सकल से प्यारी थी तो मन से भी उतनी नरम ओर सातं स्वभाव की थी उन दीनों की बात है रीटा ने स्कूली शिक्षा पूरी कर कॉलेज मे प्रवेस ही लीया था ओर ओर रमेस नाम  के लङके की नजर स्वीटी पर पङगंई रमेस दीखने मे सुन्दर ओर एकदम मासूम सा था रमेस ने स्वीटी को देखते ही मन मे विचार करलीया था स्वीटी को अपनी हव्स की सिकार बनाने का रमेस आर्थिक रूप से धनी परीवार से तालूक रखता था ईसिवजहा से फैसन ओर अपार धन खर्च ने मे कोई कसर नही छोड़ता ओर इसि अपार धन की एवज रमेस स्वीटी को अपनी सिकार बनाने की योजना रमेश ने परवान चढ़ा ली थी अभी कॉलेज  की कलाश शुरू हि हूई थी रमेश ने स्वीटी पर अपनी निगाहे गडाना शूरू कर दिया  था कॉलेज के कूछ ही दिनो में रमेश  ने स्वीटी से दोस्ती की गुहार लगाई स्वीटी ने रमेश की मासूमियत को देखेते हूए दोस्ती सवीकार कर ली वैसे तो कॉलेज में सभी दोस्त होते है इसीलिए स्वीटी ने भी रमेश को दोस्त बना लिया कुछ दिनों बाद रमेश ने स्वीटी कि गरीबी का हवाला देते हुए रमेश ने स्वीटी की आर्थिक सहयोग करने की गुहार लगाई स्वीटी आर्थिक रूप से कमजोर तो थी ही ओर यह सोचकर रमेश आपना दोस्त ह ओर मदद करना चाहता है ओर रमेश द्वारा दि गइ आर्थिक मदद को सवीकार कर लिया सायद स्वीटी नही जान पाइ की रमेश उसकी  आर्थिक मदद के बहाने उसके जिस्म की कीमत लगा रहा है स्वीटी के कॉलेज के दिन बितते गए ओर रमेश दिल में गलत नियत लिए हमदर्दी दिखाकर सवीटी को कूछ जरूरत का सामान देलाता रहता ओर स्वीटी रमेश की तीखी नजर ओर घटिया सोच को नही पहचान सकी और रमेश को अच्छा दोस्त मानतीं रही कुछ दिनों  बाद ही रमेश ने स्वीटी को प्यार का हवाला देकर शादी का वादा कर के प्यार के बडे बडे सपने दिखाने शुरू कर दिये स्वीटी भी रमेश की हमदर्दी ओर मासूम  शक्ल को देख कर सायद ये सोचने लगी थी कि अब उसका इस गरीबी से हमेशा-हमेशा के लिए पिछा छूट जायेगा ओर रमेश उसे हमेशा खुश रखेगा और रमेश के यहाँ पढ लिख कर एक  ना एक दिन म भी बडी ऑफिसर बन जाऊँगी कूछ दिन बीते ही थे की रमेश ने स्वीटी के सामने अपने मन की इच्छा रख दी तो स्वीटी ने शादी से पहले अपने आपको रमेश के हवाले करने से इन्कार कर दीया तो रमेश ने जल्द ही सादी करने का वादा कर स्वीटी को अपनी हव्स की सिकार बना लीया दीन बीतते गए और रमेश अपनी मनकी चाही स्वीटी से करता रहा रमेश के साथ स्वीटी के कूछ दीन बीते ही थे की स्वीटी की तबीयत मे चीङ चीङा हट सा रहने लगा था सायद रमेश को सक हो चूका था की स्वीटी  प्रेग्नेंट होचुकी है ओर अब रमेश स्वीटी से दूरी बनाने लगा कूछ दिनों बाद स्वीटी को उलटी होना सूरू होगया स्वीटी को डोक्टर को दीखाया तो ङोक्टर ने स्वीटी को प्रेगनेंट बताया ओर यह सून रमेश का सक यकीन मे बदल गया ओर ङोक्टर को ये बात स्वीटी को न बताने की कहकर ङोक्टर के रूम से बाहर चलागया स्वीटी ने ङोक्टर से पूछा तो ङोक्टर ने सब सच सच बतादीया सायद ङोक्टर रमेश की नियत को जान चूका था ओर स्वीटी से न बताकर स्वीटी का गूनहगार गार नही बनना चाहता था दो-चार दिनों बाद स्वीटी रमेश से मिली ओर खू द को पेट से होने की बात कही ओर जल्द ही सादी करलेने को कहा तो रमेश ने अपने दिल की सारी खरी खोटि कह सुनाई ओर स्वीटी को विश्वास हीन होने की कहकर किनारा करने की सोची तो स्वीटी ने अपनी कोख मे पल रहे बच्चे का हवाला देते हुए कहा ईस तुम्हारे खून की तो प्रवाह करो ईसे तो दर दर की ठोकरे खाने के लिए मत छोडो तो रमेश ने कहदीया ईसे गिरा दो ये मेरा खून है मै कैसे यकीन करू तूम सादी से पहले मेरे साथ सब कूछ कर सक्ति हो तो तो मै कैसे भरोसा करू किसी ओर के साथ नही कर सक्ति यहै सब कहकर रमेश वहा से चला गया ओर स्वीटी अपने चरित्र पर लगे दाग को सह ना सकी ओर अंतमे फांसी का फंदा गलाकर अपनी ओर पेट मे पलरहे मासूम की जीवन लीला को वही सेमेटलिया

यह स्टोरी  पूर्ण रूप से काल्पनिक है ओर यह स्टोरी ईस उद्देश्य से बनाई गई है कोई बहन बेटी एसे कीसी जाल की सिकार ना हो ओर कोइ कीसी बहन बेटी के ज्जबातो से बस अपने जिस्म की प्यास बुझाने केलिए घिनोना खेल ना खेले स्टोरी अच्छी लगी हो तो हमे कमेंट कर प्रोत्साहित जरूर करें, धन्यवाद ,



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Please do not enter any spm link in comment box

Love shayeri bewafa shayeri dard bhri shayeri lavitaye kahaniya motivsnal or samajik stori

Kisi ka jhukne n dena sis lachari me

किसी का झुकने न देना सीस लाचारी में बेमानी का सीस उठने न देना खून है तुम्हारी नसों में ईमान का  इसे बेमानो से मिटने न देना  बाहें तुम्हारी भ...