रविवार, 23 फ़रवरी 2020

हवन यज्ञ करने के हजारों फाऐदे जिन्हे जानकर रहजाएगे आप हेरान

क्या है कोई योगी मेरे देश मे हवन यज्ञ जो करा सके
लाखों व्रत बताने वाला कोई ऐसा व्रत बता सके
रखने सेवों व्रत देश की भूख गरी बी मिटा सके
क्या है कोई योगी मेरे देश मे हवन यज्ञ जो कर सके।।
अशिक्षित ना रहे कोई मासूम ऐसा जतन बता सके
33 करोड़ बताने वाला एक भी देव दीखा सके
क्या है कोई योगी मेरे देश मे हवन यज्ञ जो करा सके।।
लुटती आबरू बहन बेटी की जो मार के मंत्र बचा सके
बारी विदेशी लुटेरों को जो करके हवन भगा सके
क्या है कोई योगी मेरे देश मे हवन यज्ञ जो करा सके।।
बहुत है लोग बीमार देश मे उनकी बीमारी मिटा सके
बॉडर पार दूसमन को जो मार के मंत्र भगा सके
क्या है कोई योगी मेरे देश मे हवन यज्ञ जो करा सके।।
हज़ारों लीटर घी जला हवन मे जो लाखों लीटर उपा सके
अपनी दिशा से हटा सूरज को जो दिशा बदल कर दिखा सके
क्या है कोई योगी मेरे देश मे हवन यज्ञ जो करा सके।।
बिन पानी बिन अन खाये भूख प्यास भग्त की मिटा सके
पत्थर मे प्राण डालने वाला मुर्दे को जीवित बना सके
क्या है कोई योगी मेरे देश मे हवन यज्ञ जो करा सके।।
भूख से मरते मासूमों की भूख प्यास जो मिटा सके
मार के मंत्र मेरे देश से भूख ग़रीबी मिटा सके
क्या है कोई योगी मेरे देश मे हवन यज्ञ जो करा सके।।


बुधवार, 19 फ़रवरी 2020

एक बाप ने अपनि बेटी की सादी मे ईतना धन दीया आप सपने मे भी नही सोच सकते


दहेज नही अभिसाप है यारो अब इसका बहिष्कार करो
जिसने पाला बेटी को ना  उस बाप पे अत्याचार करो 
बेटी दी है तुम्हे पाल पोसकर ना धन की अब आस करो 
बह रहे अॉसु बाबुल के ना उन अॉसुओ को नजर अंदाज करो
दहेज नही अभिसाप है यारो अब इसका बहिष्कार करो
जिस बाप ने पाला बेटी को ना उस बाप पे अत्याचार करो 
खुन पसीना बहा बहा कर जिस बेटी को पाला है 
लाड प्यार से रखी जिसे अब तु उसका रखवाला है 
चंद दोलत के लालच मे जुल्म जो तुने ढाला है 
कसमें खाई भुल गया रे जालीम तू कैसा रखवाला है
दहेज नही अभिसाप है यारो अब इसका बहिष्कार करो 
बेटी हुई  जूदा बाबुल से ये जखम नही सहपाया है 
चदं दोलत के लालच मे क्यु बेबस को रूलाया है
देखो रखो हाथ अपने सीने पर ओर दिल मे ये आभास करो
हंसते खिलते आंगन का देहेज लेकर ना नास करो 
कितना खुदगर्ज है रे तू जो बेबस को तडफाता है
बेटी को खुश रखने के बदले लाखों का मोल लगाता है
एक बेबस के अरमानो को लेकर दहेज मिटाता है।
रोता बिलखता सब देता है क्या कुछ बी है उसके अरमान नही
सब कुछ बीकवा कर ले लिया तूने क्या अब ओर उसके सन्तान नही
दहेज नही अभिसाप है यारो अब इसका बहिष्कार करो 
जिसने पाला बेटी को ना उस बाप पे अत्याचार करो


बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

कौन कहता है साहेब बेटियों मे हुनर नही होता है
इन्हें हुनर दिखाने का मौका ही कहा दिया जाता है
जन्म होते ही बेटी को या तो मार दिया जाता है
या बेटी के अधिकारों को दबा दिया जाता है
पढ़ना चाहती है लाड़ों भी मगर उन्हें पढ़ने कहा दिया जाता है
थामानी थी हाथो में किताबें मगर किताबें कहा बेटी के हाथों में
गोबर का टब थमा दिया जाता है
कौन कहता है साहेब बेटियों मे हुनर नही होता
 इन्हें मोका ही कहॉ दिया जाता है
पैदा ही नही होने देते साहेब इन्हें तो कोख मे ही मरवा दिया जाता है
कौन कहता है साहेब बेटियों में हुनर नही होता है
जिस जिस बाप ने बेटी को अपनाया है हर उस बेटी ने हुनर दिखाया है
मौका मिला पढ़ने का तो बेटी ने हुनर दिखाया है आईएस आईपीएस सीएम पीएम
बेटी ने बनकर दिखाया है कैसी भी हो हालत बेटी की प्रक्रति का विधान चलाया है
पली बढ़ी हो कही भी लाड़ों पर ग़ैरों को अपनाया है
बिछड़ के अपने मात पिता से घर ग़ैरों का चमन बनाया है
फिर देखो जालिमों ने क्यों बेटी को तड़फया है
विकास हुआ भ्रमाण्ड का यारों जब जब बेटी ने हुनर दिखाया है
रामरत्न सुडा लिखे यारों बेटी ने वंश चलाया है
कितनी भी हो विपदाएँ हँसके गले लगाया है लुटती रही पिटती रही है
साहेब लाड़ों ना दर्द किसी को सुनाया है
हतास नही हो मात पिता इसी वजह से हर दर्द को अपने सिने मे दफ़नाया है
कौन कहता है साहेब बेटियों मे हुनर नही होता है
दिखा पाए अपना हुनर लाड़ों ये मौका कहा मिल पाया है
जब जब मिला मौका लाड़ों को तब तब परचम लहराया है
सेना हो ,शिक्षा हो ,लाडो ने सिका जमाया है
जब मौका मिला बराबर का बेटी ने हुनर दिखाया है


मंगलवार, 18 फ़रवरी 2020

आख़ीर क्यों गुंज रहा है भारत जय भीम के नारों से

दोस्तों आजकल हम सुनते है हर जग्ह या यूँ कहें पूरे भारत मे बस एक ही लहर एक आवाज़ बड़े ज़ोरों से  हमें सुनने को मिलती है “ जय भीम जय भीम जय भारत ’’अम्बेडकर मिसन आख़ीर है क्या यै अम्बेडकर मिसन हर चेहरे को सोचने पर मजबूर कर देनेवाला ये शब्द जब कानों मे सूनाई देता जय भीम जय भीम ओर हमारे माथे पर लकीरें आजाति है की आख़ीर क्यों पढ़े लिखे  युआ  नीला झण्डा लेकर जय भीम के नाम पे अपना सब कुछ लूटाने को तैयार होजाते है या यूँ कहें वो इस नीले झण्डे तले अपने प्राणो को न्यौछावर कर देना चाहते है एक पढ़ा लिखा यूआ आख़ीर क्यों इस जय भीम के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर देना चाहता है ।यह बहुत ही चिंतनीय विषय है ओर इस जय भीम अम्बेडकर मीसन को समझना अोर जानना हर इन्सान को ज़रूरी है ,आख़ीर क्यों इन कुछ सालों मे देश का भाग्य विधाता कहलाया जाने वाला युआ वर्ग माताएँ बहने ओर यहांतक की बच्चे भी जय भीम जय भीम करते नज़र आ रहे है क्या देश अंधकार या यू कहें देश बर्बादी की ओर जारहा है ,जी नही आज का युआ माताएँ बहने ओर बच्चे शिक्षा की ओर अगर सर है ओर मेरे देश ओर समाज का बहुत बड़ा वर्ग अपने हक़ ओर अधिकारो को जान गया है और यह भी जान गया है की यह सब किसकी बदौलत है इसके पीछे खुन पसीना बहाने वाला कोन है ,और अपने देश के पवित्र ग्रंथ भारतीय संविधान के सम्मान मे तत्पर खड़ा है इसी वजह से पूरा भारत वंश उस महान सक्सयत के नारों यानि जय भीम जय भारत के नाम से गूँज रहा है दोस्तों यह वो नाम है जिसने भारत की सम्पूर्ण नारी व बहुजन समाज मे जन्मे तमाम नागरिकों को सम्मानता पूर्वक जिने ओर एक समान शिक्षा का अधिकार दिया भारत को धर्म निरपेक्ष संविधान ओर  देस मे समता समानता ओर भाईचारा बनाए रखने कि प्रेरणा दी भारत को समता मुलक बनाने मे अपना पुरा जीवन समर्पित कर दिया यहाँ तक की अपने चार चार बच्चों को क़ुर्बान कर दिया वो है डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर जिनका नाम आज देश का हर पढ़ा लिखा युआ हो बच्चा हो महिला हो बुजुर्ग बड़े ही सम्मान से लेता है ओर गर्व महसूस करता है आज समाज कि सूत्र धार कही जाने वाली महिलाओं मे से कुछ महिलाएँ ओर पूरूष बाबा साहेब पर अभद्र टिप्पणियां करते है ओर अपने आपको शक्षित बताते हैं मेरे ख़्याल से उन्हें शिक्षित कहना उचित नहीं होगा जो लोग एक एसे योद्धा जिसे भारत भाग्य विधाता कहा जाता है जिन्होंने भारत माता केलिए निस्वार्थ भावना से अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिया उस भारत भाग्य विधाता पुजनिय बाबा साहेब के बारेमें अभद्र बोलरहे हो  एसी महीलाऐं या पुरूष पढ़े लिखे हो सकते है पर शिक्षीत नहीं इन्हें शिक्षीत  न कहकर पढ़े लिखे कहना उचित होगा क्यों की एक दूसरी तिसरी कॉलांस मे पढ़ने वाला बच्चा पढ़ लिख रहा है पर वह शिक्षीत नहीं है मेरे ख़्याल से ऐसे लोग जो बाबा साहेब पर ग़लत शब्दो का इस्तेमाल करते है वो या तो किसी पाखण्डी साजिस मे उलझे हुए है या वो १९४७ से पहले की परीस्थियो से अनजान है भारत को शान्ति प्रिय विश्व गुरू एक एसा देस जिसमें कोइ बेरोज़गार न हो कोइ बच्चा भूख से ना मरे कीसी असाहाय का शोषण ना हो किसी अबला की आबरू ना लूटी जाए जिसमें सम्पूर्ण नारी अपने आपको सुरक्षित महसूस करे जिसमें मजहब से पहले इन्सानियत विद्धयमान हो ऐसे भारत का निर्माण करने ओर प्रत्यक नागरिक को प्रेरित कर एक एसा भारत जिसमें ना कोई जाति मायने रखती हो ओर ना ही कोई धर्म मायने रखता हो सब इन्सान खुशहाल रहे  ‘यह है अम्बेडकर मिसन, जो विश्व केलिए प्रेरणा बने ,
मेरे शब्दों से कीसी की भावनाओं को ठेस पहुँची हो तो माफ़ी चाहता हू बल्कि यह सच्चाई है  जय भीम जय भारत  निला सलाम
दोस्तों पोस्ट अच्छी लगी हो और पोस्ट पानें केलिए शेयर व फ़ोलो ज़रूर करें धन्यवाद 🙏
                                                                                                 रामरत्न सुड्डा 

सोमवार, 17 फ़रवरी 2020

गरीबी प्राक्रतिक या अ प्राक्रतिक मेरे शब्दों मे


दोस्तों क्या ग़रीबी प्राकृतिक या हम ख़ुद अज्ञानता वंस या जान बूझकर निमंत्रण दे कर ग़रीब होजाते ह मेरे ख़्याल से ग़रीबी प्राक्रतिक ओर अप्राक्रतिक दोनों तरह की होती है यानी नादानी या यूॉ कहें कुछ ऐसे वैसे क्रत्यो को अंजाम देकर ग़रीब हो जाना अप्राकृतिक गरीब होना होता है दोस्तों आप और हम हर रोज़ या एक दो दीन या महीने में ऐसी कोई सूचना टीवी अख़बार या सोसल साईटों के माध्यम से पड़ते और देखते ओर सुनते है
ऐसी ख़बरें जिसमें होता है एक ग़रीब आदमी अमीर होगया ओर एक अमीर आदमी ग़रीब होगया या अपनी आम भाषा में  अक्सर एसा सुनने को मिलता है की यार वोतो अमीर आदमी था अब ग़रीब होगया उसने जूऐ में सबलुटा दीया या कीसी ग़ैर क़ानूनी क्रत्य करने से धन लूटादीया यह सब काम निमंत्रण देकर ग़रीबी बुलाने जैसा ही है
मेरे ख़्याल से तो प्राक्रतिक ग़रीब वह व्यक्ति ह जो जन्मजात गूलाम यानी जिसके पूर्वज उसके जन्म से पहले ही दास गूलाम या बन्दवा मज़दूरी जैसे पेसे में अपना जीवनवेतित करते आरहे हैं या कोई ऐसा व्यक्ति जो जन्म से पागल हो अपाहिज हे ऐसे व्यक्ति प्राक्रतिक ग़रीब की स्रेणि में आते है
कुछेक अपने हुनर तेज दिमाग ओर अपार संघ्रषो से ग़रीबी को पीछे छोड देते ह या यूंकहें ग़रीबी को मातदेकर अमीर होजाते ऐसे लोगोको मैं प्रक्रति को हराने वालों कि स्रेणि में रखता हुँ
हमारे आसपास ऐसे व्यक्ति भी नज़र आजातेह जिनकेपास अपारधन व सम्पति विधमान होति ह ओर उस धनको एकत्रित करने मे उनका कोई योगदान भी नहीं होता ऐसे लोगों को ईस अपार सम्पत्ति का घमण्ड  होता ह घमण्ड सायद इसलिय होता ह क्योंकि ऐसे लोग कभी संव्य के अन्दर झाँककर नहीं देखते ओर ईसधन को जुटाने में इनकी कोई मेहनत नहीं होति सायद ईसी बजह से ज़्यादातर लोग बिना मेहनत से मीलें उसधन को ज़्यादा समयतक ना तो सुरक्षित रख पाते ह ओर नाहीं सही इस्तेमाल करपाते है ओर आख़ीर में अप्राक्रतिक ग़रीब होजाते ह
मेरे ख़्याल से मेहनत ओर ईमानदारी से कमाया हुआ धन ही ज़्यादा समय तक टीकपाता है अन्यथा नहीं प्राक्रतिक ग़रीबी को लग्न ओर मेहनत से मिटाया जा सकता है ऐसी ग़रीबी जो निच क्रमों असामाजिक क्रत्यों द्वारा अपनाई या यूं कहे न्योता देकर बुलाई हुई ग़रीबी यानि अप्राक्रतिक ग़रीबी को नहीं
दोस्तो यह मेरा पहला लेख है कैसा लगा आपको बताइएगा ज़रूर  अगर आपको मेरा लेख पसंद आए तो जल्द ही दूसरा लेख आपके लिय अप्लोड करदुंगा  धन्यवाद 🙏
                                                  लेखक रामरतन सूडा
                                                 


Love shayeri bewafa shayeri dard bhri shayeri lavitaye kahaniya motivsnal or samajik stori

Kisi ka jhukne n dena sis lachari me

किसी का झुकने न देना सीस लाचारी में बेमानी का सीस उठने न देना खून है तुम्हारी नसों में ईमान का  इसे बेमानो से मिटने न देना  बाहें तुम्हारी भ...