बुधवार, 19 फ़रवरी 2020

एक बाप ने अपनि बेटी की सादी मे ईतना धन दीया आप सपने मे भी नही सोच सकते


दहेज नही अभिसाप है यारो अब इसका बहिष्कार करो
जिसने पाला बेटी को ना  उस बाप पे अत्याचार करो 
बेटी दी है तुम्हे पाल पोसकर ना धन की अब आस करो 
बह रहे अॉसु बाबुल के ना उन अॉसुओ को नजर अंदाज करो
दहेज नही अभिसाप है यारो अब इसका बहिष्कार करो
जिस बाप ने पाला बेटी को ना उस बाप पे अत्याचार करो 
खुन पसीना बहा बहा कर जिस बेटी को पाला है 
लाड प्यार से रखी जिसे अब तु उसका रखवाला है 
चंद दोलत के लालच मे जुल्म जो तुने ढाला है 
कसमें खाई भुल गया रे जालीम तू कैसा रखवाला है
दहेज नही अभिसाप है यारो अब इसका बहिष्कार करो 
बेटी हुई  जूदा बाबुल से ये जखम नही सहपाया है 
चदं दोलत के लालच मे क्यु बेबस को रूलाया है
देखो रखो हाथ अपने सीने पर ओर दिल मे ये आभास करो
हंसते खिलते आंगन का देहेज लेकर ना नास करो 
कितना खुदगर्ज है रे तू जो बेबस को तडफाता है
बेटी को खुश रखने के बदले लाखों का मोल लगाता है
एक बेबस के अरमानो को लेकर दहेज मिटाता है।
रोता बिलखता सब देता है क्या कुछ बी है उसके अरमान नही
सब कुछ बीकवा कर ले लिया तूने क्या अब ओर उसके सन्तान नही
दहेज नही अभिसाप है यारो अब इसका बहिष्कार करो 
जिसने पाला बेटी को ना उस बाप पे अत्याचार करो



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