बुधवार, 23 जून 2021

मुर्दा दिल इन्सान। Murda dill Insan

मुर्दों के घर में जिंदो का कोई काम नहीं होता

 मुर्दों के घर में जिंदो का कोई काम नहीं होता

सोए हुए समाज में जागे हुए लोगों का मान नहीं होता

अक्षर वही होते है किसी गैर के शोषण और धो:खे के सीकार 

जिनको गैरो पे ऐतबार और अपनो पे ऐतबार नहीं होता 

मुर्दों के घर में जिंदो का कोई काम नहीं होता

सोए हुए समाज में जागे हुए लोगों का मान नहीं होता

नोचे जाते है उन्ही के जिस्म प्यार मोहब्त की आड़ में जिन्हे अपनी कॉम और पूर्वजों पे स्वाभिमान नहीं होता 

अक्षर बलशाली भी समझने लगते हैं खुदको कमजोर जिनको अपने इतिहास का ज्ञान नहीं होता 

जीते हुए भी मुर्दों के समान होते हैं वोलोग जिनको अपने महापुरशो की कुर्बानी पे स्वाभिमान नहीं होता है

मुर्दों के घर में जिंदो का कोई काम नहीं होता

सोए हुए समाज में जागे हुए लोगों का मान नहीं होता

बेसख बटोरी हो दौलत करोड़ों में वो फिर भी सर उठा कर नहीं जी सकते जिनको अपने हक अधिकार और इतिहास का ज्ञान नहीं होता

वो लोग ही चाटा करते है गैरो के तलवे जिनको अपनी कॉम पे स्वाभिमान नहीं होता

मुर्दों के घर में जिंदो का कोई काम नहीं होता

सोए हुए समाज में जागे हुए लोगों का मान नहीं होता

अक्षर वही लोग करते है समाज की दलाली जिनकी नसों में बहुजन कॉम खून नहीं होता 

वो लोग बेचा करते है अपने वोट को कोड़ियो में जिन्हे अपनी कॉम को शासक बनाने का जुनून नहीं होता

मुर्दों के घर में जिंदो का कोई काम नहीं होता

सोए हुए समाज में जागे हुए लोगों का मान नहीं होता

                    

                                               लेखक:–रामरतन सुड्डा







कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Please do not enter any spm link in comment box

Love shayeri bewafa shayeri dard bhri shayeri lavitaye kahaniya motivsnal or samajik stori

Kisi ka jhukne n dena sis lachari me

किसी का झुकने न देना सीस लाचारी में बेमानी का सीस उठने न देना खून है तुम्हारी नसों में ईमान का  इसे बेमानो से मिटने न देना  बाहें तुम्हारी भ...