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गुरुवार, 23 सितंबर 2021
गुरुवार, 16 सितंबर 2021
Baba Saheb ambedkar
बाबा साहब डाँ अम्बेडकर का ऐतिहासिक भाषण आगरा 18 मार्च 1956
*#जनसमूह से -*
"पिछले तीस वर्षों से आप लोगों के राजनैतिक अधिकार के लिये मै संघर्ष कर रहा हूँ। मैने तुम्हें संसद और राज्यों की विधान सभाओं में सीटों का आरक्षण दिलवाया। मैंने तुम्हारे बच्चों की शिक्षा के लिये उचित प्रावधान करवाये। आज, हम प्रगित कर सकते है। अब यह तुम्हारा कर्त्तव्य है कि शैक्षणिक, आथिर्क और सामाजिक गैर बराबरी को दुर करने हेतु एक जुट होकर इस संघर्ष को जारी रखें। इस उद्देश्य हेतु तुम्हें हर प्रकार की कुर्बानियों के लिये तैयार रहना होगा, यहाँ तक कि खून बहाने के लिये भी।
*#नेताओ से-*
"यदि कोई तुम्हें अपने महल में बुलाता है तो स्वेच्छा से जाओ ।लेकिन अपनी झौपड़ी में आग लगाकर नहीं। यदि वह राजा किसी दिन आपसे झगडता है और आपको अपने महल से बाहर धकेल देता है ,उस समय तुम कहा जाओगे? यदि तुम अपने आपको बेचना चाहते हो तो बेचों लेकिन किसी भी तरह अपने संगठन को बरबाद करने की कीमत पर नहीं। मुझे दूसरों से कोई खतरा नहीं है, लेकिन मै अपने लोगों से ही खतरा महसूस कर रहा हूँ।
भूमिहीन_मजदूरों से
"मै गाँव में रहने वाले भूमिहीन मजदूरों के लिये काफी चिंतित हूँ। मै उनके लिये ज्यादा कुछ नहीं कर पाया हूँ। मै उनकी दुख तकलीफों को सहन नहीं कर पा रहा हूँ। उनकी तबाहियों का मुख्य कारण यह है कि उनके पास जमीन नहीं है। इसलिए वे अत्याचार और अपमान के शिकार होते हें, वे अपना उत्थान नहीं कर पायेंगे। मै इसके लिये संघर्ष करूंगा। यदि सरकार इस कार्य में कोई बाधा उत्पत्र करती है तो मै इन लोगों का नेतृत्व करूंगा और इनकी वैधानिक लड़ाई लडूँगा ।लेकिन किसी भी हालात में भूमिहीन लोगों को जमीन दिलवाने का प्रयास करूंगा।"
अपने_समर्थकों से
"बहुत जल्दी ही मै तथागत बुद्ध के धर्म को अंगीकार कर लूंगा। यह प्रगतिवादी धर्म है। यह समानता, स्वतंत्रता एवं बंधुत्व पर आधारित है। मै इस धर्म को बहुत सालों के प्रयासों के बाद खोज पाया हूँ। अब मै जल्दी ही बुद्धिस्ट बन जाऊंगा। तब एक अछूत के रूप में मै आपके बीच नहीं रह पाऊँगा लेकिन एक सच्चे बुद्धिस्ट के रूप में तुम लोगों के कल्याण के लिये संघर्ष जारी रखूंगा। मै तुम्हें अपने साथ बुद्धिस्ट बनने के लिये नहीं कहूंगा क्योंकि मै अंधभक्त नहीं चाहता । केवल वे लोग ही जिन्हें इस महान धर्म की शरण में आने की तमत्रा है, बौद्ध धर्म अंगीकार कर सकते है, जिससे वे इस धर्म में दंद विशवास साथ रहे और इसके आचरण का अनुसरण करें।"
बौद्ध_भिक्षुओं से
" बौद्ध धम्म महान धर्म है। इस धर्म संस्थापक तथागत बुद्ध ने इस धर्म का प्रसार किया और अपनी अच्छाईयो के कारण यह धर्म भारत के दुर -दुर एक एवं गली कूचो तक पहूंच सका ।लेकिन महान उत्कर्ष के बाद यह धर्म 1213 ई.विलुप्त हो गया। इसके कई कारण है। एक कारण यह भी है की बौद्ध भिक्षु विलासतापूर्ण एवं आरमतंलब जिदंगी जीने के आदी हो गये। धर्म प्रचार हेतु स्थान-स्थान पर जाने की बजाय उन्होंने विहारों में आराम करना शुरू कर दिया तथा रजबाडो की प्रशंसा में पुस्तकें लिखना शुरू कर दिया ।अब इस धर्म पुनस्थापना हेतु उन्हें कड़ी मेहनत करनी पडेगी। उन्हें दरवाजे-दरवाजे जाना पडेगा। मुझे समाज में बहुत कम भिक्षु दिखाई देते है इसलिये जन साधारण में से अच्छे लोगों को भी इस धर्म प्रसार हेतु आगे आना चाहिये। और इनके संस्कारों को ग्रहण करना चाहिये।"
शासकीय_कर्मचारियों से
"हमारे समाज में शिक्षा में कुछ प्रगति हुई है। शिक्षा प्राप्त करके कुछ लोग उच्च पदों पर पहूँच गये है। परन्तु इन पढ़े लिखे लोगों ने मुझे धोखा दिया है। मै आशा कर रहा था कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे समाज की सेवा करेंगे। किन्तु मै क्या देख रहा हूँ कि छोटे और बडे क्लर्कों कि एक भीड़ एकत्रित हो गई है, जो अपनी तौदे (पेट)भरने में व्यस्त है। वे जो शासकीय सेवाओं में नियोजित है, उनका कर्तव्य है कि उन्हें अपने वेतन का 20 वां भाग (5 प्रतिशत )स्वेच्छा से समाज सेवा के कार्य हेतु देना चाहिये। तब ही समाज प्रगति करेगा अन्यथा केवल एक ही परिवार का सुधार होगा। एक वह बालक जो गांव में शिक्षा प्राप्त करने जाता है।,संपूर्ण समाज की आशाये उस पर टिक जाती है। एक शिक्षित सामाजिक कार्यकर्ता उनके लिये वरदान साबित हो सकता है।"
छात्र_एवं_युवाओं से
"मेरी छात्रों से अपील है की शिक्षा प्राप्त करने के बाद किसी प्रकार कि क्लर्की करने के बजाय उसे अपने गांव की अथवा आस-पास के लोगों की सेवा करना चाहिये। जिससे अज्ञानता से उत्पन्न शोषण एवं अन्याय को रोका जा सके। आपका उत्थान समाज के उत्थान में ही निहित है।"
*"आज मेरी स्थिति एक बड़े खंभे की तरह है, जो विशाल टेंटों को संभाल रही है। मै उस समय के लिये चिंतित हूँ कि जब यह खंभा अपनी जगह पर नहीं रहेगा। मेरा स्वास्थ ठीक नहीं रहता है। मै नहीं जानता, कि मै कब आप लोगों के बीच से चला जाऊँ। मै किसी एक ऐसे नवयुवक को नहीं ढूंढ पा रहा हूँ, जो इन करोड़ों असहाय और निराश लोगों के हितों की रक्षा करें। यदि कोई नौजवान इस जिम्मेदारी को लेने के लिये आगे आता है, तो मै चैन से मर सकूंगा।"*
जयभीम, जयभारत
Mahobbat shayeri
आखिर किस से करे महोब्बत
महोब्बत करना कोई गुनाह नहीं ये तो खुदा का दिया अनमोल तोहफा है
मगरमहोब्बत करें तो आखिर करें किस्से आज के इस दौर में हुस्न वालो के लिए मोहब्बत तो बस जिस्म फिरौती का मोका है
कैसे खिले गुल महोब्बत में
कैसे खिले गुल महोब्बतों में महोब्बते भी तो दिलों से नहीं जिस्मों से होने लगीं हैं कोन देखता है दिल का
अच्छा या बुरा अब जो महोब्बत हुस्न देखकर होने लगी है,
कैसे खिले गुल महोब्बतों में महोब्बते भी तो दिलों से नहीं जिस्मों से होने लगीं हैं
मंगलवार, 7 सितंबर 2021
Majhhabi ladai
मत जलाओ इस धरती को मजहबी आग में सबकुछ बर्बाद होजाए गा
आज दिखता है तुम्हे जो जख्म छोटा सा वो एक ना एक दिन नासूर होजाएगा
आज तुम्हे जो उकसाते है मजहबी लड़ाई के लिए वो कलको
भाग जायेंगे विदेशों में और तुम्हारा यहां जीना दुबर और दुश्वार होजाएगा
मत जलाओ इस धरती को मजहबी आग में सबकुछ बर्बाद होजाए गा
शनिवार, 4 सितंबर 2021
Gaon me rahne wala ko kya kehte hain
हमने नहीं देखा समंदर हम तो बहती नदी और नालों में नहाने वाले है
हम क्या जाने तुम्हारे शहरों के चोचले हम तो शहरों से दूर गांवों में रहने वाले है
तुम्हें पसंद है छोटी कुर्ती वाले पहनावे हमें शर्म आती है इनसे, अरे हम तो धोती कुर्ता पहनावे वाले है
हमने नहीं देखा समंदर हम तो बहती नदी और नालों में नहाने वाले है
हम क्या जाने पिज्जा बर्गर हम तो खेतो में बैठकर लुखी सुखी खाने वाले है
तुम तो हो अन्न खरीद कर खाने वाले हम तो अन्न उगने वाले है
अरे हम क्या जाने महल और बंगलो की रौनक हम तो सिर्फ बनाने वाले है
तुम्हारे महल तुम्हे ही मुबारक हम तो प्यार से झुगी झोपड़ियों में रहने वाले है
हमने नहीं देखा समंदर हम तो बहती नदी और नालों में नहाने वाले है
तुम्हे लत है अकेले खाने की हम तो मिलबांट कर खाने वाले है
हमे तुम्हारे शहरों की चकाचौंध अच्छी नहीं लगती हम तो गांवों के रहने वाले है
हमने नहीं देखा समंदर हम तो बहती नदी और नालों में नहाने वाले है।
लेखक:–रामरतन सुड्डा
Love shayeri bewafa shayeri dard bhri shayeri lavitaye kahaniya motivsnal or samajik stori
Kisi ka jhukne n dena sis lachari me
किसी का झुकने न देना सीस लाचारी में बेमानी का सीस उठने न देना खून है तुम्हारी नसों में ईमान का इसे बेमानो से मिटने न देना बाहें तुम्हारी भ...
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Lutere लुटेरे सुना है होते है काली पोशाक के पीछे काले चहरे काली पोशाक में चोर लुटेरे होते है आज देखे है मैने सफेद पोशाक में भी काले चहरे...
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अगर मेहनत कठिन परिश्रम कर खाने वाले महान समझे जाते इस जमाने में तो गधा और खचरो का घोड़ों से ज्यादा मान होता आज मांगकर खाने वाले गिने जाते ...
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अरे ओ गाँधी के हरिजन बैठ जरा, तुझको तेरा भविष्य बताता हूँ, तेरे बच्चों के संग क्या होगा, उसकी तस्वीर दिखाता हूँ..!! 🥲🥲 जब राम...