हमने नहीं देखा समंदर हम तो बहती नदी और नालों में नहाने वाले है
हम क्या जाने तुम्हारे शहरों के चोचले हम तो शहरों से दूर गांवों में रहने वाले है
तुम्हें पसंद है छोटी कुर्ती वाले पहनावे हमें शर्म आती है इनसे, अरे हम तो धोती कुर्ता पहनावे वाले है
हमने नहीं देखा समंदर हम तो बहती नदी और नालों में नहाने वाले है
हम क्या जाने पिज्जा बर्गर हम तो खेतो में बैठकर लुखी सुखी खाने वाले है
तुम तो हो अन्न खरीद कर खाने वाले हम तो अन्न उगने वाले है
अरे हम क्या जाने महल और बंगलो की रौनक हम तो सिर्फ बनाने वाले है
तुम्हारे महल तुम्हे ही मुबारक हम तो प्यार से झुगी झोपड़ियों में रहने वाले है
हमने नहीं देखा समंदर हम तो बहती नदी और नालों में नहाने वाले है
तुम्हे लत है अकेले खाने की हम तो मिलबांट कर खाने वाले है
हमे तुम्हारे शहरों की चकाचौंध अच्छी नहीं लगती हम तो गांवों के रहने वाले है
हमने नहीं देखा समंदर हम तो बहती नदी और नालों में नहाने वाले है।
लेखक:–रामरतन सुड्डा
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