शुक्रवार, 22 जुलाई 2022

Love shayeri bewafa shayeri



Kuch din or intzar kro


 कुछ दिन और इंतजार करो मेरा ,में जरूर आऊंगा तुम्हारी नगरी तुम्हारे गांव में , मुझे बहुत याद आते है वो लम्हे जो हम साथ साथ गुजारा करते थे बैठे बैठे नीम की छांव में

में चाह कर भी नहीं रोक सकता खुदको न जाने कैसा नासा है तेरे गांव की उन हवाओं में 

कुछ दिन और इंतजार करो मेरा ,में जरूर आऊंगा तुम्हारी नगरी तुम्हारे गांव में



Bahut yad aate ho tum

बहुत याद आते हो तुम, तुम्हारी यादों के समंदर को चंद पन्हो में उतर पाना बड़ा मुस्कील है 

तुम बात बात पर कह देते हो भुला दिया हमको ,अरे पागल दिल में रहने वालों को भुला देना इतना आसान नहीं होता ,हमारा दिल तो तुम्हारी यादों का समंदर है और समंदर को सुखा पाना बड़ा मुस्किल है, उसीतरहा तुम्हारी यादों को मिटा पाना बड़ा मुस्कील है





Meri jindgi ke pnne

मेरी जिंदगी के हर पन्ने में कुद्रत ने शायद दर्द ही दर्द लिखा होगा 

लिखी होगी मेरी मौत की दास्तान भी दर्द भरी 

और मेरे अस्याने में भी घुटन लिखी होगी, यो तो चमन रहता अस्याना मेरा भी

तभी तो मेरी किस्मत में बेवफा सनम लिखी होगी





Hamse dill na lagana

हम से दिल ना लगाना ओ मुसाफिर हम बड़े बद किस्मत लोग हैं

हमे तो किस्मत ने इस कदर मारा है 

हम जिंदा तो है धरती पर मगर हमारी दर्द भरी दास्तान कुछ है ही ऐसी सुनोगे तो तुम भी यहीं कहोगे की तुम्हारे लिए यहां जीवन लोक नहीं बल्कि यहीं मृत्युलोक है

हम से दिल ना लगाना ओ मुसाफिर हम बड़े बद किस्मत लोग हैं




Kisi pe bhrosa na karna

किसी पे भरोसा न करना ए मेरे दोस्त आजकल सफेद चहरो के पीछे काले चहरे छिपे होते हैं

तुम समझ ते हो कमर के पीछे वाले हाथ में फूल छिपाते होंगे आजकल फूल नहीं खंजर छिपाते है लोग




Bedag jingi ke hajaro dag

में बेदाग था फिर भी नजाने क्यों मेरी जिंदगी के पन्नो में हजारों दाग लिखे इस जमाने ने 

में कुद्र्त का मारा उभर न सका फिर भी कोई कसर न छोड़ी इस जमाने ने मुझे सताने में


मेरी पीठ ना तको ए दुनिया वालो बेसख मुझे कतल कर दो

तुमने ही चोट पहुंचाई है मेरे नाजुक दिल को मुझे सब मालूम है

ये दिल के घाव है जो मरहम से भरे नहीं जाते, न बनो मेरे हमदर्द तुम ही चोट पहुंचाने वाले अरे तुम ही मुझे मरहम न दो

मेरी पीठ ना तको ए दुनिया वालो बेसख मुझे कतल कर दो




गुरुवार, 21 जुलाई 2022

Ek hakikat



                   एक हकीकत 


 कुछ हकीकत आंखो में छपी है कुछ जख्म सीने में चुभ ते चले जारहे है

खोज रहा हु में पल सुकून के समय ईमेंतहान पे ईमेतहान लिए जा रहा है

चाहत तो है मेरी, दर्द की दास्तान खुद दर्द लिखे, हालातों के बयान खुद हालत लिखे,

दस्तूर है जो दुनिया का एक आस लिए कदम से कदम जमाने से मिलाए जारहा हू

गीत नहीं कोई बिना साज के में बखूबी जानता हूं ,जमाना चाहता है में गाऊ सुनना चाहता हूं जमाने से में उसके गीत समय की नजाकत में चुपी में चूपी साधे जा रहा हूं

यो हरदम मोन रहना अच्छी बात नहीं ह दुनिया पागल समझने लगजाती है में अच्छे से जानता हूं 

इस पागल पन में कुछ पल सुकून की सांसे छिपी है मेरी तलाश है में उन्हें खोजू  बस इसी आश में मेरी धड़कने बसी है

सेक लेते है लोग लासो की जलती चिंगारियो पे रोटी कल को आबाद करने के लिए, मुझे फिकर है आज की तभी तो मेरी तो खिचड़ी भी एक छोटी सी दिए की बत्ती पे पके जारही है

कुछ हकीकत आंखो में छपी है कुछ जख्म सीने में चुभ ते चले जारहे है


शुक्रवार, 27 मई 2022

Sakaratmak soch

 Sakaratmk soch

Jo duniya badl de

राजू बचपन से ही बोल ने में असमर्थ था ही राजू की उमर महज दस पंद्रह वर्ष होती है की राजू के सर से माता पिता का साया भी उठ जाता है याणी उमर में ही राजू फूट पाथ पर जिंदगी बिताने को मजबूर होजाता है राजू कुछ किसी को कुछ बोलकर बतलाकर अपने मन का बोझ हल्का करता तो भी कैसे वह बोलने में असमर्थ था इस वजह से राजू अपने दुखड़े किसी को सुनाता तो भी कैसे ,राजू के पास भीख मांगकर खानेके अलावा कोई रास्ता नही था वह हर रोज ऐसे स्थानपर जाकर हाथ में कटोरा लेकर बैठ जाता जहासे लोगो का आना जाना होता था राजू को कोई अपने घर का बचाखुचा खाना दे जाता तो कोई दो चार रुपए कभी कभार कोई खाना देजाता था तब तो राजू का पेट भर जाता मगर कभी कभार तो बस दो चार रुपए ही भीख मिलपाती भला दो चार रुपए से किसी का पेट केसे भरता दो चार रुपए का जो कुछ मिलता राजू वह खाकर पानी पीकर खुले आसमान के नीचे सो जाता गीता भी वहा पक्षियों को दाना और आवारा जानवरो को खाना देने हर रोज आती थी जहा राजू भीख मांगा करता था एक दिन गीता की नजर राजू पर पड़ी गीता समझ गई थी यह कोई बिखारी है

और वह राजू के पास गई और उसने राजू से बात कर कुछ पूछना चाहा मगर राजू तो बोलही नहीं पाता था राजू ने अपने हाथों से पेट की ओर इशारा करते हुए मुंह की ओर इशारा किया गीता समझ चुकी थी की यह बोल नहीं सकता और कुछ खाने के लिए मांग रहा है गीता ने वह खाना राजू के हाथों में थमा दिया जो खाना गीता हर रोज आवारा कुत्तों को खिलाती थी राजू ने वह खाना इस कदर खाना सुरु कर दिया मानो वह दस पंद्रह दिनों से भूखा हो अध पके खाने को इस कदर खाते राजू को देख गीता समझ चुकी थी की यह पिछले कुछ दिनों से भूखा है अगले दिन गीता जब पक्षियों के लिए दाना और आवारा जानवरो के लिए खाना लेकर गई तो गीता ने साथ में राजू को खिलाने के लिए अच्छा खाना भी बना लिया और जाकर राजू को खिला दिया गीता हर रोज राजू को खाना खिलाने लगी और राजू से बातें करने लगी राजू जैसे जैसे गीता बोलती वैसे वैसे इंशारों में जवाब देता ऐसे ही गीता को राजू को खाना खिलाते और बातें करते करते राजू के इशारे अच्छे से समझ में आने लगे थे एक दिन गीता ने राजू से कहा अगर तुम्हे कोई काम धंधा करने का अवसर मिले तो कैसा रहेगा राजू ने गीता के सवाल का जवाब बहुत खुश होकर इंशारो में दिया की वह कोई भी काम मिले तो राजी होकर करेगा और फिर अपनी जुबान की ओर इंसारा करते हुए निराश होकर कहता है वह बोल नहीं पाता तो उसे कोई काम पर रखने को राजी नहीं होता और वह किसी से कम पर रखने की कहे तो भी कैसे वह बोल नहीं सकता और उसकी सांकेतिक भाषा को कोई समझ नहीं पाता 

गीता राजू के इंसारो को अच्छे से समझ गई थी की वह क्या कहना चाहता है गीता ने राजू को अपने पिताजी के होटल में काम करने की पेसकस की राजू ने हां में इशारा करते हुए गीता के साथ चलपडा गीता ने अपने पिताजी से राजू को अपने होटल में काम पर रखने के लिए राजी कर लिया और नए कपड़े नहला धुला कर अगले दिन काम पर भेज दिया राजू दिल लगाकर होटल में काम करने लगा साम को होटल से छूटी होते ही गीता राजू को अपने साथ घूमने लेजाती और सुबह गर्म पानी डाल देती राजू नहा धोकर होटल चला जाता ऐसे ही कई दिनों तक चला रहा एक दिन राजू और गीता हमेशा की तरह छूटी के बाद घूमे ने गए गीता ने इंशारा करते हुए राजू से पूछना चाहा की वह उससे मिलकर कैसा महसूस कर रहा है राजू अंगुली से गीता की ओर इंसारा करता है और फिर अगुली से अपनी ओर इंसारा करते हुए अपने हाथों को दिल की आकृति में जोड़ते हुए इंसारो में कहना चाहता है की तुमने उसे बहुत प्यार दिया और वह आपका अहसान मंद है

मगर गीता राजू के इंसारो का गलत मतलब निकाल लेती है गीता सोचती है की राजू ऐसे कह रहा है की वह उससे प्यार करता है

और गीता गुस्सा हो जाती है और राजू को खरी खोटी सुनने लगती है, राजू अपने हाथ ना में हिलाते हुए गीता को समझाने की कोशिश करता है की तुम गलत सोच रही हो मेरा मतलब कुछ और था मगर गीता के दिमाग में तो गुस्सा फूट रहा था वो राजू के इंसारो को कहा देख पाती और राजू को पीछे धकेल कर अपने घर चली जाती है और राजू को अपने होटल से निकाल देती है राजू एक बार फिर बेरोजगार और बेघर हो चुका था असे ही राजू फिर उसी दशा में मांग कर खाने को मजबूर होगया था कुछ दिनों बाद एक सड़क एक्सीडेंट में गीता ने अपनी दोनो आंखे खो दी थी एक दिन राजू सड़क किनारे रोटी की तलाश में बैठा होता है की वहा एक बड़ी सी कार आकार रुकती है और कार से आवाज आती है मैडम यहां एक बिखारी बैठा है क्या ये खाना उसे देदू फिर गाड़ी से एक महिला की आवाज आती है देदो गाड़ी की ड्राइवर सीट से एक नौजवान उतरता है और राजू के हाथ में कुछ खाने का सामान थमाते हुए फोन पर बात करने लगता है राजू झट से खाने का सामान खोलकर जल्दी जल्दी खाने लगता है इतने में गाड़ी के बीच की खिड़की का ब्लैक कांच खुलता है उसमे एक महिला बैठी होती है जो एक टक एक तरफ देख रही होती है कुछ समय के लिए तो राजू का ध्यान उस महिला की ओर नहीं जाता मगर कुछ समय बाद राजू गाड़ी के अंदर बैठी महिला को देखता है तो हका बका रह जाता है वह महिला कोई और नहीं गीता थी राजू झट से उठ खड़ा होता है और गीता के पास जाता है गीता गाड़ी में हाथों को इधर उधर घूमते हुए कुछ ढूंढ रही होती है राजू गीता के आंखो के आगे से हाथ घूमता है मगर गीता न पलक झपकाती है और न ही राजू की ओर देखती हे राजू समझ गया था की मेमसाब देख नही पा रही राजू झट से गीता के ड्राइवर के पास जाता है और गीता के बारे में पूछता है तो गीता का ड्राइवर बता है की मेमसाब की एक सड़क हादसे में आंखों की रोशनी चालीगई हैं अगर कोई आंखे दान करे तो मेमसाब फिर से देख सकेंगी राजू गीता के डराइवर से कहता है तुम कल मेमसाब को होस्पिटकॉल लेकर आओ में मेमसाब को अपनी आंखे देना चाहता हूं और अगले ही दिन राजू अपनी दोनो आंखे गीता को दे देता है और किसी की मदद लेकर राजू उसी फुटपाथ के पास बने चबूतरे पर जाकर बैठ जाता है गीता को दोचार दिनों बाद हॉस्पिटल से छूटी मिलती है जब गीता की आंखों पर बंधी पट्टी खुलती है तो वह बहुत खुश होती है और अपने ड्राइवर से कहती है में फिर से देख पाती हु तो ड्राइवर कहता है मेमसाब अच्छा हुआ तुम्हे आंखे डोनेट करने वाला मिलगया नहीं तो पता नहीं आप कभी अपनी जिंदगी में फिर से देखपाती या नहीं गीता ने कहा मुझे उस इंसान से मिलना है जिसने मुझे आंखे दी है ने जिंदगी भर उसकी अहसान मंद रहूंगी जब हॉस्पिटल के स्टाफ से राजू के बारे में पूछा जाता है तो वे बताते है की आपको आंखे डोनेट करने वाले ने अपनी हमे कोई पहचान नहीं बताई वो अपनी सब पहचान गुप्त रखकर आंखे दान करने के दूसरे ही दिन यहां से चला गया उसकी दावा पानी का कुछ खर्चा बाकी है जिसके लिए उसने कहा है की उसके पास पैसे नहीं है पैसे मेमसाब से लेलेना गीता कुछ समझ नहीं पाती है और हॉस्पिटल का सारा हिसाब कर वहा से अपने घर चली जाती है एकदीन गीता वही पक्षियों का दाना देने गई जहा गीता पचपन से पक्षियों का दाना देने जय करती थी काफी दिनों बाद पक्षियों ने गीता को देखा तो वो भी चचाउठे पक्ष्यो को दाना डालकर वापस गाड़ी की ओर मुड़ी तो किसकी नजर राजू पर पड़ी गीता राजू के पास गई और गीता ने पूछा तुम तुम्हारी गंदी सोच की वजह से आज यहा दर दर की ठोकर खाने को मजबूर हुए हो अभी भी समय ह अपनी सोच को बदलो नहीं तो ऐसे ही फुटपाथ पर पड़े सड़ते रहोगे जिंदगीभर राजू गीता की आवाज को पहचान नहीं पाया गीता की आवाज एक्सीडेंट के बाद काफी बदल चुकी थी राजू आपने हाथों से टटोलते हुए हाथ आगे बढ़ता है तो राजू का हाथ गीता की बॉडी को टच होजाता है गीता राजू का हाथ अपने टच होते ही राजू को जोर से थपड़ मरती है और कहती कमीने तुम्हारी हिमत केसे हुई मुझे छूने की ओर अपनी गाड़ी की ओर बढ़ने लगती गाड़ी में बैठा गीता का ड्राइवर गाड़ी से उतरता है और देखता है मेमसाब किसके साथ गुस्सा होरही है जब गीता के ड्राइवर की नजर राजू पर पड़ती है तो राजू कहता है मेमसाब आप ने ये क्या किया आपने उस इनसान पर हाथ उठा लिया जिसने खुद की जिंदगी में अंधयारा कर आपकी जिंदगी में रोशनी कर दी गीता अचम्भित होती है और कहती है इसने मुझे गंदी नज़र से देखने और मुझे छूने की कोसीस की है यह सुन कर राजू कहता है मेमसाब वो देख नहीं पाता यहीं है वो लड़का जिसने तुम्हे आंखे देकर खुद अंधा होगया, गीता को बादमें बहुत पछतावा होता है और गीता राजू को गले लगाकर रोने लगती है  

गुरुवार, 7 अप्रैल 2022

मिशन बेचने वाले mission bechne vale

 जय भीम का टैग लिए कुछ मिशन बेचने निकले है

सभा बुलाकर बहुजन की ये वोट बेचने निकले है

गुमराह कर बहुजन को ये नोट लूटने निकले है

जय भीम का टैग लिए कुछ मिशन बेचने निकले है

पुरखों की कुर्बानियों के ये कफन बेचने निकले है

कांसी राम जी भीम राव का वतन बेचने निकले है 

जय भीम का टैग लिए कुछ मिशन बेचने निकले है

वाणी में हुंकार लिए ये जमीर बेचने निकले है

एकमंच की बात जुबापर दिलसे हम को खंडित करने निकले है 

जय भीम का टैग लिए कुछ मिशन बेचने निकले है

दलितों की ये सभा बुलाकर वोट बेचने निकले है

मिशन डुबोकर बाबा साहेब का ये खुद चमकने निकले है

पतल चाटकर दुश्मन की ये नेता बनने निकले है

जय भीम का टैग लिए कुछ मिशन बेचने निकले है

दीपक जलाकर मंदिर में ये मिशन सिखाने निकले है

भोग लगाकर देवों को पाखंड मिटाने निकले है

जय भीम का टैग लिए कुछ मिशन बेचने निकले है

दलितों की ये सभा बुलाकर वोट बेचने निकले है


रविवार, 6 मार्च 2022

हम बहुजन हैं बहुजन ही हमारा धर्म होना चाइए क्यों पहचाने कोई हमे हिंदू से जिसने हमे कुछ नहीं दिया सिवाए यातनाओं के हम शुद्र थे शुद्र है शुद्र से ही हमे पहचाना जाना चाहिए हम बहुजन हैं बहुजन ही मेरा धर्म होना चाइए हिंदू तो आज भी करलेते नफरत हमसे, और आज भी ख्वाइश है हर हिंदू की शुद्र तो अछूत था और अछूत ही होना चाहिए डर लगता है अब उन धर्म के ठेकेदारों को सावेधनिक जंजीरों का तभी तो कहते है शुद्र भी तो हिंदू था और हिंदू ही होना चाहिए हम बहुजन हैं बहुजन ही हमारा धर्म होना चाइए हमें नहीं जाने दिया मंदिर में सालों साल तुमने कभी भगवान ने आकर नहीं कहा मंदिर में इन्हें भी आने देना चाहिए हम मंदिर में घुसे हैं संविधान की बदौलत हमारा मकसद पूजा का नहीं आत्म स्वाभिमानी होना चाहिए हम बहुजन हैं बहुजन ही हमारा धर्म होना चाइए रखा गया शिक्षा से वंचित हमे साक्षी तो भगवान को ही होना चाहिए वो नहीं है शिक्षा भी मिली हमे संविधान बदौलत संविधान तो हर बहुजन के घर में होना ही चाहिए पूज लेते भगवान को हम अगर हमे कुछ दिया होता अब तो पूजा बाबासाहेब की ही होनी चाहिए हम बहुजन हैं बहुजन ही हमारा धर्म होना चाइए

 हम बहुजन हैं बहुजन ही हमारा धर्म होना चाइए

क्यों पहचाने कोई हमे हिंदू से जिसने हमे कुछ नहीं दिया सिवाए यातनाओं के 

हम शुद्र थे शुद्र है शुद्र से ही हमे पहचाना जाना चाहिए

हम बहुजन हैं बहुजन ही मेरा धर्म होना चाइए

हिंदू तो आज भी करलेते नफरत हमसे, और आज भी ख्वाइश है हर हिंदू की शुद्र तो अछूत था और अछूत ही होना चाहिए

डर लगता है अब उन धर्म के ठेकेदारों को सावेधनिक जंजीरों का तभी तो कहते है शुद्र भी तो हिंदू था और हिंदू ही होना चाहिए

हम बहुजन हैं बहुजन ही हमारा धर्म होना चाइए

हमें नहीं जाने दिया मंदिर में सालों साल तुमने कभी भगवान ने आकर नहीं कहा मंदिर में इन्हें भी आने देना चाहिए

हम मंदिर में घुसे हैं संविधान की बदौलत हमारा मकसद पूजा का नहीं आत्म स्वाभिमानी होना चाहिए

हम बहुजन हैं बहुजन ही हमारा धर्म होना चाइए

रखा गया शिक्षा से वंचित हमे साक्षी तो भगवान को ही होना चाहिए वो नहीं है

शिक्षा भी मिली हमे संविधान बदौलत संविधान तो हर बहुजन के घर में होना ही चाहिए 

पूज लेते भगवान को हम अगर हमे कुछ दिया होता अब तो पूजा बाबासाहेब की ही होनी चाहिए

हम बहुजन हैं बहुजन ही हमारा धर्म होना चाइए



शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2022

कन्या दान के नहीं कन्या महान के समर्थक

बेटी फेको मत बेटी अपनाओ

मत फेको बेटी को बेटी तेरे घर को आबाद करने आई है मां
दुनिया की चक्का चौंध से भ्रमित होकर न सोचो की बेटी तुम्हे बर्बाद करने आई ह मां
इतिहास खोल और देख क्या कभी अपने आंगन की गरिमा किसी बेटी ने मिटाई है मां
मत फेको बेटी को बेटी तेरे घर को आबाद करने आई है मां
अपने बेटों की बरबादी के किस्सों को क्यों बेटी के सर लगती है मां
तुमने मिटाकर बेटी को बेटों की करतूतें छुपाई है मां 
बलात्कार किया बेटों ने हर बार बेटी का क्या कभी बेटी किसी के बेटे के बलात्कार की गुनहगार पाई है मां
बलात्कारी बेटों को दी पनाह तुमने बेगुनाह बेटी को बार बार ठुकराई है मां
बेटी पलती रही मिट्टी की गोद में तेरे आंचल की छाव बेटों ने पाई है मां
मत फेको बेटी को बेटी तेरे घर को आबाद करने आई है मां
बेटों ने दुदकारा है अपने माबाप को दौलत की खातिर ,
दौलत की खातिर बेटी ने कब आंख दिखाई है मां
मत समझ बेटी को बोझ एक न एक दिन चली जायेगी पराया घर बसाने 
बेटी धूप नहीं परछाई ह मां
मत फेको बेटी को बेटी तेरे घर को आबाद करने आई है मां
                                     रामरतन सुड्डा 🖊️




सोमवार, 7 फ़रवरी 2022

Tariph ke hakdar h modi ji तारीफ के हकदार है मोदीजी

 तारीफ के हकदार है मोदी इनके सर तारीफों के ताज पहना दो

हमे चाहिए बस मोदी मोदी भूख गरीबी बेरोजगारी सब कुछ भुला दो

तारीफ के हकदार है मोदी जी इनके सर तारीफों के ताज पहना दो

बिक रही है सरकारी संपतिया साहेब के राज में हमने कुछ नहीं देखा महंगाई कॉरोना के की आड़ छुपा दो 

जोरों से हर हर मोदी घर घर मोदी की जय जय कार लेगा दो

तारीफ के हकदार है मोदी इनके सर तारीफों के ताज पहना दो

शिक्षा गई रोजगार गया बुखे पेट किलकार उठा दो सब दुख दूर होंगे तुम्हारे आसमान भी थर थर कांप उठे जय श्री राम के नारे लगा दो

तारीफ के हकदार है मोदी इनके सर तारीफों के ताज पहना दो

विकाश की कोई बात न हो ऐसा अभियान चलादो 

फिरभी कोई पूछे तो पाकिस्तान जिमेवार बतलादो

फिर भी कोई ना भटके तो हिंदू मुसलमान करदो

तारीफ के हकदार है मोदी इनके सर तारीफों के ताज पहना दो।          

रविवार, 6 फ़रवरी 2022

Chunavi mudde

जाती वाद मिटाती है सरकारें बस चुनावी दोरो में

कोई फर्क नहीं रहा देश में नेता अफसर चोरों में

सता हथ्याली जाती ह यहां मजहबी आग के सोलो में

चोर भी नेता बनते हैं अंध भागती के टोलो में

जाती वाद मिटाती है सरकारें बस चुनावी दोरो में

साहिदों की क्रुबानियों का लगा मोल बाजारों में

लासो पर सेकी रोटियां बेशर्म सरकारों ने

जाती वाद मिटाती है सरकारें बस चुनावी दोरो में

पाकिस्तान का मुद्दा पुराना मुद्दा नया बनाना है

खुद खाकी को भ्ष्ठ बना जुटे सुरक्षा अभियान में

अनपढ़ ढोंगी नेता बने कमियां निकाले संविधान में

जाती वाद मिटाती है सरकारें बस चुनावी दोरो में

कोई फर्क नहीं रहा देश में नेता अफसर चोरों में

जनता ने कोई कसर न छोड़ी बार बार लाते खाने में

देश हित की खातिर जनता जान की बाजी लगाती रहती है

एक थाली के चट्टे बटो को बदल कर सत्ता डोर थमाने में

कोई फर्क नहीं रहा देश में नेता अफसर चोरों में

              लेखक :–रामरतन सुड्डा





बुधवार, 26 जनवरी 2022

Good night good morning shayeri

गुडमॉर्निंग से शुरू और गुड नाईट पे खत्म होजाती है हर बात हमारी
यों ही सपने देखते देखते गुजर जाती है हर रात हमारी
रोज तन्हाइयों में सोचा करते है जी भरके मुलाकात करू मेरे अपने प्यारे चाहने वालो से  
कमबख्त जिन्दगी ह ही इतनी उलझन भरी 
यों ही वक्त गुजर जाता है जिंदगी के राशुल निभाते निभाते और वही गुडमॉर्निंग से शुरू और गुडनाईट पे खत्म होजती है हर बात हमारी
                             Good morning

Love shayeri bewafa shayeri dard bhri shayeri lavitaye kahaniya motivsnal or samajik stori

Kisi ka jhukne n dena sis lachari me

किसी का झुकने न देना सीस लाचारी में बेमानी का सीस उठने न देना खून है तुम्हारी नसों में ईमान का  इसे बेमानो से मिटने न देना  बाहें तुम्हारी भ...