जरूरी नहीं हर बुरा दिखने वाला आदमी
हकीकत में बुरा हो
लीलू बहुत ही गरीब आदमी था
वह हर रोज हर किसी के सामने
कहता एक न एक दिन में बड़ा
आदमी बनूंगा और बहुत पैसा
कमाऊंगा और उन पैसों से दबे
कुचले गरीब लोगों की मदद करूंगा
ताकि गांव के सभी लोगों में अर्थी समानता
साथापित होसके
दिन रात मेहनत करते करते लीलू की
किस्मत के सभी तले एक साथ खुले और
बहुत अमीर आदमी बन गया
गांव के गरीब दबे कुचले लोग लीलू से उधार
पैसे लेने आते लीलू से जो भी कोई पैसे उधार
मांगने आता लीलू मनमाने ब्याज की एधायेत
पर पैसे देने की कहता वो कहते है न, मरता क्या न करता,
कही और से पैसे न मिलने की वजह से लोग लीलू से ही
पैसे उधार लेने को मजबूर थे
लीलू अपने पैसों की एवज में गांव के लोगों के घर व जमीन गिरवी रखलेता और पैसे दे देता
एक दिन लीलू का दोस्त श्याम लीलू से कहने लगा लीलू जब तुम
गरीब थे तो तुम्हारे कितने बुरे हालात थे ,तुम गरीबी के अभीसाप से अनजान नहीं हो फिर भी
गरीब लोगों का इतना फायदा उठाते हो उनसे मन माना ब्याज वसूलते हो तुम तो कहते थे में समाज सुधारक बनूंगा समाज का भला करूंगा लीलू ये सब बोलना आसान है करना मुस्किल है
आया है बड़ा समाज सुधारक तुम घमंडी होगये हो दौलत के नसे ने तुम्हे पापी बना दिया है
लीलू को गुस्सा आजता है और वह अपने दोस्त श्याम से कहता है
में जोभी कर रहा हु इस समाज के भले के लिए ही कर रहा हु
श्याम मुझे ज्यादा ज्ञान देने की जरूरत नहीं है पैसा कमाना बड़ा मुस्कील है
देखते ही देखते गांव के सभी लोग लीलू के कर्ज तले दब चुके थे
जिस गांव के चोपाल पर बीस बीस लोग दिन भर बैठकर तास खेला करते थे आज उस गांव में महिला बचे और बूढ़े बुजुर्ग ही नजर सरहे थे गांव के सभी नौजवान अपना घर और जमीन बचाने के लिए बाहर शहरों में कमाने निकल चुके थे गांव में जिस भी गली से लीलू गुजरता महिलाए और बचे मन ही मन खूब गालियां देते
समय बीत जाने के बाद गांव के लोग लीलू के लीलू से लिया उधर पैसा ब्याज सहित लौटाने और अपनी जमीन के कागज वापस लेने के लिए चोपाल पर इकट्ठे हुए
सभी कर्जदारों की कातर निगाहे लीलू को कोश रही थी और मन ही मन बहुत सारी गलियां देरही थी
क्योंकि उनकी महीनो की खून पसीने से कमाई पूंजी लीलू के ब्याज में जारही थी
लीलू गांव में पैसे वाला होने की वजह से कोई लीलू से सवाल जवाब नहीं करता ,लीलू के बैठने के लिए चारपाई रखी हुई थी गांव के सभी लोग नीचे बैठे हुए थे लीलू अपने मुनीम को आदेश देता है मुनीम जी जो जो भी अपने कर्जदार है उन्हे एक एक कर अपने पास बुलाओ और ब्याज सहित अपनी रकम वसूल करो मुनीम बही में देखकर जिसका भी नाम लेता वह आदमी अपना थैला लेकर दुखी मन से
एक एक आदमी का नाम बुलाता और ब्याज सहित उसके कर्ज को बतलाता
गांव के गरीब लोग बड़े दुखी मन से उठ कर लीलू के पास जाते और खुश होकर लोट ते गांव के बाकी लोग समझ नहीं पा रहे थे की लोग मनमाने ब्याज की रकम लीलू को लोटा कर खुश होते आ रहे है
लीलू जो भी गांव का आदमी आता वो अपनी दी पूंजी लेकर ब्याज की रकम माफ कर कहता जो पूंजी आपके पास बची है आप उससे अपना रोजगार सुरू करना जिससे आपकी गरीबी हमेशा हमेशा के लिए आपका पीछा छोड़ दे धीरे धरे कर गांव के सभी लोगों के जमीन के कागज लीलू ने बिना ब्याज के ही लोटा दिए गांव वालों ने लीलू से पूछा लीलू जब तुम्हे ब्याज लेना ही नहीं था तो हमे ब्याज का खोफ क्यों दिया हमने दिन रात मेहनत की
लीलू ने कहा तुम ब्याज के डर से दिन रात मेहनत कर सकते हो तो अपने बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए क्यों नहीं मेने तुम्हे ब्याज का खोफ इसी लिए दिखाया ताकि ब्याज के डर से तुम्हे कमाना पड़े और फिर तुम्हे कमाने में रुचि हो
गांव वाले लीलू की बात को समझ कर मेहनती हिगाए और अब लीलू का गांव खुशाल है