मंगलवार, 27 अक्तूबर 2020

Murti pujan: मूर्ति पूजा

पत्थर पूजा

कैसे उभेरे देश मेरा यहां पत्थर पत्थर पूजे जाते है

मात पिता हो चाहे भूखे प्यासे यहां पत्थर की देवी के उपर पकवान परोसे जाते हैं
कैसे उभेरे देश मेरा यहां पत्थर पूजे जाते है
विद्यालय यहां हो खंडहर चाहे मंदिर मंदिर ऊंचे चाहते है
पत्थर पे चडता दूध यहां कई बेबस लाचार भूख से मारे जाते हैं
कैसे उभेरे देश मेरा यहां पत्थर पूजे जाते है
गरीबी ओर लाचारी से मरते है हर रोज मजलूम यहां पत्थर की मूर्तियों पे हीरो के हार चढ़ाए जाते है
कई हजारों झोपड़ पटियो में इंसान अंधेरे में झट पटाते है 
पत्थर की मूरत के आगे यहां पर असंख्य दीप जलाए जाते हैं
कैसे उभेरे देश मेरा यहां पत्थर पूजे जाते है
पढे लिखे नौजवान यहां पर कोसो पैदल जाते है पत्थर की मूरत से देखो रोजगार की आस लगाते हैं
जब तक होना पाते दर्शन पत्थर मूरत के वो अनपान नहीं खाते हैं
कैसे उभेरे देश मेरा यहां पत्थर पूजे जाते है
ढोंगी ओर पाखंडी बाबा ख़ूब ही ढोंग रचाते हैं दिनभर लेते दान दक्षिणा साम को होटल में जाकर बड़े सोक से दारू के संग मुर्गा तीतर खाते हैं
बड़े बड़े नेता अफसर भी इनको शिश झुकाते है इन झूठे मकारो से पुण्य की आस लगाते है भेजेंगे सीधा स्वर्ग चरणों में शीश झुकाते हैं
पत्थर की मूर्ति के आगे पशुओं का खून बहाते हैं देवी को खुश करने की एवज अनबोल पशु को, बलि चढ़ा ते हैं 
खुद को ईश्वर का रूप बताने वाले खुद कच्चा मांस चबाते है
कैसे उभेरे देश मेरा यहां पत्थर पूजे जाते है मूर्ति पूजामूर्ति पूजा 

                    लेखक :- रामरतन सुड्डा

सोमवार, 26 अक्तूबर 2020

Dasahara rawan dahan

 

जब समाज में हजारों दरिंदे जिंदा है तो अकेला रावण दहन क्यों

मै साम को खाने के बाद बाहर  टहलने निकला ही था कि मेरे घर के आगे से बहुत से लोगो की भीड़ निकली वो एक रैली सी थी लोग नारे बाजी करते आगे बढ़ रहे थे ओर बढ़ते ही जारहे थे फिर भी लोगों की कतारकतार खत्म नहीं हो रही थी शायद गांव के बच्चे बूढ़े ओर महिलाएं भी उस रैली का हिसा थी मैं नहीं समझ पाया था की आखिर आज गांव के लोग रैली किस बात की निकाल रहे हैं मैने एक दो व्यक्ति से पूछना चाहा को एकदम वृद्धा अवस्था अवस्था के थे लेकिन उनका जोस देखने में किसी जवान लड़के से कम नहीं था वो नारे बाजी में इतने वेस्त थे कि उन्होंने मुझे कुछ बताने कि वाजाय अपने साथ रैली में चलने को बोला और आगे बढ़ ने लगए मै भीड़ में उपस्थित लोगों का उत्साह देखकर मै सोचने लगा जरूर गांव के किसी होनहार वयेक्ती या बचे ने कोई ऐसा काम किया होगा जिस से गांव का नाम रोशन किया होगा उसी के सम्मान समारोह समारोह का आयोजन होगा तभी लोगों में इतना उत्साह ह में ऐसा ही कुछ सोच कर भीड़ के साथ चलने लगा भीड़ चलती चलती नारेबाजी करते करते गांव के चौपाल की ओर बढ़ने लगी गांव की पतली गलियों से निकलते निकलते भीड़ जाकर गांव के चौपाल पर जाकर इकठ्ठा होने लगी मैं भीड़ में सबसे पीछे ही पीछे था मै यह जानने को बहुत ही उत्सुक था कि आगे हो क्या रहा है मने भीड़ को चीरते हुए आगे बढ़ना सुरु किया आगे एक बहुत ही विशाल काए पुतला बनाया हुआ था ओर गांव के सभी लोग पुतले के चारो ओर इकठ्ठा थे मैं पुतले को देख मै समझ नहीं पाया था कि ये पुतला किसका है ओर ये सभी लोग इसके चारो और इकठ्ठा क्यों हो रहे हैं लोगों मै इतना उत्साह किस लिए ह मैने एक व्यक्ति से पास जाकर पूछा वो एक रिटायर्ड परेंसिप्ल थे उन्होंने मुझे बताया आज दशहरादशहरा ह ओर ये रावण का पुतला ह ओर गांव के सभी लोग रावण को जलाने की खुशी में ही इतने उतावले ह में ये सब सुनकर चौपाल पर बनी सीढ़ियों पर जाकर बैठ गया और एकटक देखने लगा देखते ही देखते धीरे धीरे एक एक कर सभी लोग खंडित होकर रधर उधर खिसकने लगे ओर चौपाल में मानो पांच सात वेयक्ती ओर बच्चे घूमते ओर एक ओर महिलाओं का बड़ा सा गुट नजर आरहा था मै फिर सोच में पड़ गया आखिर सभी लोग गए कहा कुछ समय बाद सभी लोग एक एक कर ईधर उधर से आने लगे उनकी चाल ओर हाव भाव से ऐसा लग रहा था मानो सभी लोग किसी ठेके या शराब की दुकान से होकर आए हो ओर शराब शराब के नसे में धुत हो कुछ लगो को देखकर तो साफ साफ नज़र आरहा था वो नसे में एकदम धुत थे देखते ही देखते भीड़ वापस बढ़ने लगी बच्चे उछल कूद करते नजर आरहे थे मानो बच्चो के मन में बस एक ही सवाल दौड़ रहा हो कब पुतले को आग लगाई जाए ओर कब पठाको की गड़ गड़ाहट सुनाई दे रावण के पुतले को आग लगने की पूरी तयारी होचुकी थी फिर से नारे बजी सुरु हुई लोग पटाखे ओर फुलझडियां जगाने लगे इसी बीच कुछ लूचे लफंगे लोगो की नजर गांव की बहन बेटियो की तरफ टिकी हुई थी आंखे नसे से चमक रही थी मानो वो लोग रावण रावण के पुतले को जलाने नहीं बल्कि गांव की बहन बेटियों को देखने आए हो मै सीढ़ियों पर बैठा बैठा सब देखरहा था में मन ही मन सोच रहा था ये लोग अपने अंदर के रावण को मिटा नहीं पाते तो रावण के पुतले को जलाने से क्या फायदा नसा जुआ शराब बहन बेटियो की तरफ बुरी नजर  इन सब आदतों से भरे इन इन्सानों से बुरा तो शायद रावण भी नहीं होगा फिर भी रावण के पुतले को जलाकर खुशी मना रहे हैं ये सब देख मुझे बहुत बुरा लग रहा था रावण को जलाने वाले लोगो की भीड़ में शामिल होना मूर्खता सी लग रहा था क्योंकि कुछ लोगो की नीयत साफ साफ नज़र आरही थी मानो वो कुछ लफंगी हरकत करने के इरादे से ही आए हो उन लोगों के अंदर का इंसान मानो मर चुका हो ओर साथ ही अंदर की इंसानियत भी, कोई अपने अंदर झांक कर नहीं देखता बल्कि दूसरे की बुराई सभी को दिख जाति है पता नहीं आज के लोगों की कैसी मानसिकतामानसिकता हो गई है सदियों पहले के रावण का पुतला हर वर्ष जलाया जाता है जिसका पता भी नहीं वो अच्छा था या बुरा कोई रावण था भी या नहीं अपितु खुद के अंदर की बुराई किसी को भी नजर नहीं आती कोई खुद को नहीं बदलना चाहता,
खुद को बदले बगैर पुतले बेसख कितने ही क्यों ना जलालो कोई फायदा नहीं
कुछ समय बाद पुतले को आग लगा दी गई ओर चरो ओर धुआं ही धुआं पटाखों की गड़ गड़ाहट के साथ ही लोग ईधर उधर भागते नजर आने लगे  शायद पटाखे फुटकर भीड़ में गिरने लगे थे इसी का फायदा उठाने की फिराक में कुछ लोग महिलाओं कि तरफ बढ़ने लगे ओर महिलाओं महिलाओं मै जाकर इस कदर गिर गए मनो उन्हें कुछ अपने बारे में पता ही नहीं हो वो कहा है मै शुरू से ही उन्हें देखरहा था उन्हें देख लगरहा था मानो वरसो से इस दिन का इंतजार कर रहे हो कब वो दिन आए ओर कब अंधेरे का फायदा उठाएं 

शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2020

Bhumi hin kisan

 


भारत देश की अर्थव्यवस्था में भारतीय किसानों का बहुत बड़ा योगदान रहा है भारत देश एक कृषि प्रधान देश ह ओर भारत की अर्थव्यवस्था का एक बहुत बड़ा हिंसा कृषि पर आधारित होने के बावजूद भी भारतीय किसानों की हालत दिनप्रती दिन बद से बातर होती जारही है देश के किसान देश ओर दुनिया का पेट भरते हुए भी खुदका पेट भरने में असक्षम हैं 

भारतीए किसानों में ज्यादातर किसान भूमि हिन ह येबात दिखने ओर सुनने में रोचक जरूर हैं कि भूमि के बिना कोई किसान किसान कैसे होसकता है मगर ये सच्चाई है भारत में बहुत से किसान भूमि हिनह ये वो किसान ह जो देश ओर दुनिया का पेट भरने के लिए दिन रात खेतो में मेहनत करते हैं 

भूमि हिन किसान या तो किसी जमींदार की कृषि योग्य भूमि को वार्सिक ठेके पर लेते हैं या भूमि मालिक को उपज का आधा हिंसा देने की एवज पर खेती करने केलिए भूमि लेते हैं 

अगर ये किसान किसी जमींदार की दस पांच बीघा जमीन ठेके पर लेते हैं उसमे अनाज होने या नाहोने से जमींदार का कोई वास्ता नहीं होता जमींदार जिस भी ऑस्त पर किसान को अपनी जमीन का जोभी हिंसा किसान को देता है उसी एवज की रकम बुआई से पहले ही किसान से लेलेता है उसके बाद बीज बुआई कीटनाशक या जो कोई भी अन्य खर्च होता है वो भी किसान को खुद अपनी जेब से देना होता है 

कुछ किसान ठेके की एवज की रकम नहीं जुटा पाते वो किसी जमींदार से खेती में उपज के संपूर्ण अनाज के आधे हिस्से को जमींदार को देने की एवज पर खेती लेकर खेती करते हैं इस आधे हिंसे के पर्वधन में बीज बुआई कीटनाशक का खर्च ओर मेहनत किसान करता है ओर भूमि मालिक बस इसलिए उपज का आधा हिंसा बतौर लेता है कि भूमि कागजी तौर पर उसके नाम होती है

मेहनत किसान करता है ओर जमींदार आराम से अपने घरों में बठा बैठा खाता है सिर्फ इसलिए कि सो दोसो पांच सौ हजार बीघा जमीन का मालिक है

जमींदार किसानों कि मेहनत की खाने से खुश नहीं होता बल्कि सरकार से भी अपनी भूमि के नाम से किसान क्रेडिट बतौर पैसे उठता है ओर समय पर बारिश ना होने या अन्य किसी प्राकृतिक आपदा की वजह से फसल में नुकसान हो जाने से सरकार से कर्ज माफी की अपील भी करता है ओर कर्ज माफी का फायदा भी उठता है जबकि भूमि मालिक भूमि पर ना तो कासत करता है ओर ना ही खर्च भूमि पर कासत ओर खर्च किसान करता है

ये किसान खेती पर आश्रित होते ह ओर खेती करने केलिए यातो सरकार से उचित बियाज पर या साहूकार से

मन मांगे बियाज़ पर रकम लेकर खेती करते हैं ओर समय पर बरसात या सिंचाई ना होपाने की वजह खेती में फसल अच्छी नहीं होने से कर्ज नहीं लौटा पाते ओर बीयाज के बोझ तले दब कर साहूकार के तानों ओर सरकार के नोटिसों से तंग आकर या तो आत्म हत्या करने पर मजबुर होजाते है या अपनी मानसिक स्थिति खो देते हैं

सरकार को ऐसे किसानों के बारे में कुछ सोचना चाहिए ओर भूमि हिन किसानों को भूमि देनी चाहिए क्योंकि ये कोई ज्यादा सोचने वाली बात नहीं है किसी घर में पांच सदस्य ह ओर सो दो सौ  बीघा जमीन का मिलिक है तो वो इतनी जमीन कि कासत नहीं कर पाता ऐसे भूमि मालिक या तो भूमि किसी किसान को ठेके पर या उपज के आधे  हिस्से की एवज पर दे देते है ऐसे में सरकार को किसी एसी योजना का गठन कर भूमि की कासत करने वाले किसान को अलॉट करदेना चाहिए ओर भूमि मालिक को सरकारी रेट पर किस्तों के द्वारा पैसे चुकाने का प्रावधान करना चाहिए जिससे बेवजह जमींदारों से पीस रहे भूमि हिन किसानों को बचाया जा सके ओर  देश में कोई भी किसान भूमिहीन ना रहपाए ओर सरकारी योजनाओं का उचित लाभ सही हकदार को मिल पाए

जिस से किसान आत्म हत्याएं कम हो 

 

मंगलवार, 20 अक्तूबर 2020

बलात्कार ओर अत्याचार



आज के इस दौर में बलात्कार महिला उत्पीड़न जैसे मामले दिन प्रति दिन बढ़ते जारहे है बलात्कार जैसी घटनाएं देश और दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है समाज के बहुत से लोग ऐसे मामलों में सरकार और सिस्टम को कोसने में कोई कसर नहीं छोड़ते ओर वहीं समाज के कुछ असामाजिक तत्व बिना कुछ भय के असामाजिक कृत्य करने में जरा भी नहीं हिचकिचाते हं ओर वो ऐसे कृत्य को अंजाम दे देते हैं जो संपूर्ण मानव जाति को शर्मसार करदेता है आज एक ओर मनुष्य जाती का एक बहुत बड़ा वर्ग इन घिनौने कृत्यों के खिलाफ आवाज उठा रहा है, और वहीं दूसरी ओर समाज के ही कुछ घिनौने लोग ऐसे मामलों को दबाने और मुजरिमों को बचाने की कोशिश में भी कोई कसर नहीं छोड़ ते सायद मुजरिमों को सजा दिलवाने ओर अत्याचार के खिलाफ लड़ने वालो से ,मुजरिमों को बचाने वाले लोग आर्थिक ओर राजनैतिक रूप से ज्यादा बलवान है सायद इसी वजहसे ही समाज में अत्याचार रुकने का नाम ही नहीं लेरहे ओर मुजरिम बिना किसी भय के जुर्म करते रहते हैं ऐसे में सवाल यह है बलात्कार अत्याचार जैसे  मामलों से निपटा कैसे जा सकता है ऐसे मामलों को खत्म  केसे जा सकता है सबसे पहले हमें किसी समस्या से निपटने के लिए उस समस्या के कारणों के बारे मे पूरी जानकारी का होना जरूरी है हम किसी भी समस्या को उसके कारणों की जानकारी के अभाव में खत्म नहीं कर सकते उस समस्या से निजात नहीं पा सकते हैं 

सबसे पहले हमें ये जानना जरूरी है कि बलात्कार जैसी घटनाएं आखिर होती क्यों है, क्या बलात्कार सिर्फ महिलाओं का होता है या फिर होता है पुरुषों का भी, मेरे ख्याल से बलात्कार महिला ओर पुरुष दोनों का हीं होता है। महिला बलात्कार उजागर होजाता हैं और पुरुषों का उजागर होने की बजाए सामाजिक लिहाज से पुरुष दबाना ज्यादा महफूज समझते हैं या अपने आप दब जाता है 

बलात्कार को आप कहा तक समझ ते है क्या आप महिलाओं के साथ जब्रजस्ती करने अस्लिलता जैसे घिनौने कृत्य करने मात्र को बलात्कार समझते हैं तो आपका ये सोचना मेरे ख्याल से गलत है किसी भी मानव जाति को उसकी इच्छा के खिलाफ जब्रजस्ती से अमान्य प्रकार जैसे डरा धमाका कर या किसी मंद बुद्धि इंसान या नाबालिक को बहला फुसलाकर आर्थिक या किसी अन्य प्रकार का लोभ लालच देकर कोई भी काम करवाना मेरा जहां तक मानना है वों भी किसी बलात्कार से कम नहीं हैं और ऐसे मामलों के महिला तो सीकर होती ही है और कुछ हद तक पुरुष भी सिकार होते हैं  

ऐसे मामलों मै महिलाओं के साथ साथ पुरुष भी सीकर होते हैं ऐसे में महिलाओं पे हुए अत्याचार को महिला बलात्कार ओर मेरे ख्याल से पुरुषों पर हुए अत्याचार को पुरुष बलात्कार कहने में कोई संका नहीं होनी चाहिए

अगर समाज से बलात्कार जैसी घिनौनी करतूतों को कोई देश वाकई मिटाना चाहता है तो समाज के प्रत्येक व्यक्ति को पीड़ित पक्ष के साथ खड़ा होना चाहिए ओर दरिंदगी करने वाले इन्सान को कठोर से कठोर सजा दिलवाने का प्रयास करना चाहिए लेकिन पीड़ित पक्ष के साथ तभी खड़ा होना चाहिए जिसमें आपको सच्चाई नजर आती हो या जो भी परिवार किसी दरिंदे कि दरिंदगी का या किसी अन्य अपराधिक गतिविधि का सीकर हुआ हो उसकी पूरी जानकारी आपको हो ओर आपको पाता हो मामला कहा तक सही है ऐसा नहीं हो कोई भी निर्दोष व्यक्ति किसी भी जाल सांजी का सीकर होजाए ओर समाज उसे नीच समझने लगे या उसे अपमानित करे 

अगर समाज से नीच हरकत अत्याचार ,,,मिटाना है तो समाज के लोगों को  में नीच हरकत करने वालो का समाज से बायकॉट करना चाहिए ओर साथ में जुर्म करने वाले लोगों का साथ देने वाले या यू कहा जाए मुजरिमों को बचाने का प्रयास करने वाले लोगों का भी समाज से बायकॉट करना चाहिए 

बलात्कार जैसी घटनाओं में कुछ मामले प्रेम प्रसंग से भी जुड़े होते हैं कई मामलों में दो प्यार करने वाले प्रेमी जोड़े में आपसी मन मुटाव के चलते या फिर किसी अन्य लोभ लालच की नीयत से आपस में नफ़रत होजाने से महिला पक्ष द्वारा बलात्कार जैसा आरोप लगादिया जाता है ऐसे में कसूर महिला ओर पुरुष दोनों का ही होता है ओर सजा पुरुष को भुगतनी पड़ती हैं लेकिन ऐसे मामले बहुत कम ही देखने को मिलते हैं आज के दौर की देखें तो कुछ हद तक ऐसा होना संभविक है 

ऐसे मामले जो पहले प्रेम प्रसंग ओर बाद में बलात्कार जैसे घिनौने अपराध में तब्दील करदिए जाते हैं ऐसे मामलों से निपटने के लिए सरकार को कोई एसी वेबसाइट या ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च करना चाहिए जिसमें किसी भी  प्रेमी जोड़े के बयान ओर बायो डाटा रखा जा सके जिसमें कोई ऐसा वीडियो किलप जिसमें दोनों की सहमति जैसा कुछ रिकॉर्ड किया हुआ हो 

वाट्सएप फेसबुक अकाउंट लिंक किया जा सकता हो ताकि प्रेम प्रसंग जैसे मामलों को कोई बलात्कार जैसे जघन्य अपराध में तब्दील ना करसके 

ये पोर्टल ऐसा होना चाहिए जिसकी जानकारी गोपन्य रखी कसकती हो ओर एकबार बायो डाटा डालने केबाद बायो डेटा डालने वाले के पास बायो डेटा डिलीट करने केलिए कुछ ही घंटो समय हो उसकेबाद डिलीट नहीं किया जा सकता हो 

ओर सरकार पुलिस आदि भी उस वेब पर किसी व्यक्ति के बायो डेटा को तभी देख सकती हो जब उस व्यक्ति का कोई केस उनके पास आया हो ऐसा करने से प्रशासन जब चाहे तब हर अपराधी की कोई भी आइडी को उस वेब में जरूरी हो डालकर किसी भी केस को समझने में आसानी कर सकती है


 

मंगलवार, 13 अक्तूबर 2020

गरीबी

 

मजबूरी क्या होती है साहेब उन लोगों से पूछिये, जो दिन रात खून पसीना बाहा बाहा कर भी सिर्फ दो वक्त की रोटी जुटा पाते हैं।।

मजबूरी क्या होती है साहेब उन लोगों से पूछिये, जो दिन रात खून पसीना बाहा बाहा कर भी सिर्फ दो वक्त की रोटी जुटा पाते हैं।।

उनके बच्चे क्या जाने शानो शौकत से रहना साहेब जो पैदा होते ही जमीन पर लिटा कर अपने मासूमों को कमाने दोवक्त की रोटी सड़कों पे निकल जाते हैं

होते हैं लाले पेट भरने के जिन लोगो को वो भला कैसे अपने बच्चों को पढ़ा लिखा पाते है

मजबूरी क्या होती है साहेब उन लोगों से पूछिये, जो दिन रात खून पसीना बाहा बाहा कर भी सिर्फ दो वक्त की रोटी जुटा पाते हैं।।

कह देते हैं अमीर घराने के लोग आरक्षण खत्म करदो जो मिलती है सुख सुविधा तुम लोगो को वो गरीब गहराने के बच्चो को कहा मिल पाती हैं

वो पढ़ ते है जलाकर लालटेन उन्हें महंगी कोचिंग कहा मिल पाती हैं

मजबूरी क्या होती है साहेब उन लोगों से पूछिये, जो दिन रात खून पसीना बाहा बाहा कर भी सिर्फ दो वक्त की रोटी जुटा पाते हैं।।

सरकारें भी होती हैं वोट लेने तक उनकी हिमाती वोट लेने के बाद क्या कोई सुविधा उन तक पहुंचाती हैं

जो मिलती हैं अमीरों को सरकारी सुविधा क्या कभी गरिबो को मिल पाती है

बदलते होंगे देश के अमीर लोगों के हालात सरकारों के सहयोग से गरीबों के मासूम बच्चे तो आज भी रोटी कपड़ा और मकान को तरस जाते हैं

होते हैं अरमान उनके भी कुछ बड़ा करने के पर उनके तो सपने तक भूखे पेट की वजह टूट जाते हैं

मजबूरी क्या होती है साहेब उन लोगों से पूछिये, जो दिन रात खून पसीना बाहा बाहा कर भी सिर्फ दो वक्त की रोटी जुटा पाते हैं।।



Love shayeri bewafa shayeri dard bhri shayeri lavitaye kahaniya motivsnal or samajik stori

Kisi ka jhukne n dena sis lachari me

किसी का झुकने न देना सीस लाचारी में बेमानी का सीस उठने न देना खून है तुम्हारी नसों में ईमान का  इसे बेमानो से मिटने न देना  बाहें तुम्हारी भ...