पत्थर पूजा
कैसे उभेरे देश मेरा यहां पत्थर पत्थर पूजे जाते है
मात पिता हो चाहे भूखे प्यासे यहां पत्थर की देवी के उपर पकवान परोसे जाते हैं
कैसे उभेरे देश मेरा यहां पत्थर पूजे जाते है
विद्यालय यहां हो खंडहर चाहे मंदिर मंदिर ऊंचे चाहते है
पत्थर पे चडता दूध यहां कई बेबस लाचार भूख से मारे जाते हैं
कैसे उभेरे देश मेरा यहां पत्थर पूजे जाते है
गरीबी ओर लाचारी से मरते है हर रोज मजलूम यहां पत्थर की मूर्तियों पे हीरो के हार चढ़ाए जाते है
कई हजारों झोपड़ पटियो में इंसान अंधेरे में झट पटाते है
पत्थर की मूरत के आगे यहां पर असंख्य दीप जलाए जाते हैं
कैसे उभेरे देश मेरा यहां पत्थर पूजे जाते है
पढे लिखे नौजवान यहां पर कोसो पैदल जाते है पत्थर की मूरत से देखो रोजगार की आस लगाते हैं
जब तक होना पाते दर्शन पत्थर मूरत के वो अनपान नहीं खाते हैं
कैसे उभेरे देश मेरा यहां पत्थर पूजे जाते है
ढोंगी ओर पाखंडी बाबा ख़ूब ही ढोंग रचाते हैं दिनभर लेते दान दक्षिणा साम को होटल में जाकर बड़े सोक से दारू के संग मुर्गा तीतर खाते हैं
बड़े बड़े नेता अफसर भी इनको शिश झुकाते है इन झूठे मकारो से पुण्य की आस लगाते है भेजेंगे सीधा स्वर्ग चरणों में शीश झुकाते हैं
पत्थर की मूर्ति के आगे पशुओं का खून बहाते हैं देवी को खुश करने की एवज अनबोल पशु को, बलि चढ़ा ते हैं
खुद को ईश्वर का रूप बताने वाले खुद कच्चा मांस चबाते है
कैसे उभेरे देश मेरा यहां पत्थर पूजे जाते है मूर्ति पूजामूर्ति पूजा
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