ये आज का भारत है साहेब
यहां पियोरीटी की नहीं कंपनी कंपनी के नाम की कीमत होती है
खरदी जाति है यहां महंगे भाव में कंपनी से पैक सुंदर कटो की अनाज महंगे दामों में किसान के खेत में तो वहीं अनाज कोड़ी
के भाव होता है
ये आज का भारत है साहेब
यहां बिकता है किसान के खेत में आलू 5 रुपए किलो
वहीं आलू कंपनी के गोडावण में 50 रुपए किलो होता है
अन फल सब्जी पैदा करने वाला सोता है यहां झोपड़ियों
में कुर्सी पर बैठ ऑर्डर देने वाला मिल मालिक महलो में होता है
ये आज का भारत है साहेब
यहां पियोरीटी की नहीं कंपनी के नाम की कीमत होती है
यहां बिक जाति है सुंदर थैली में पैक दाले 500 रुपए किलो के भाव वहीं किसान के खेत में मूंग चना 20 रुपए में भी महंगा होता है
खरीदी नहीं जाती किसान कि सरसो कोड़ी में वहीं मिल में त्यार तेल 10,15 हजार के भाव होता है
ये आज का भारत है साहेब
यहां पियोरीटी की नहीं कंपनी के नाम की कीमत होती है
लेते समय काट लेता है सुनार भी नगीनों का वजन देते समय वहीं नगीना भी सोने के भाव होता है
ये आज का भारत है साहेब
यहां पियोरीटी की नहीं कंपनी के नाम की कीमत होती है
खरदी जाति है यहां महंगे भाव में कंपनी से पैक सुंदर कटो की अनाज महंगे दामों में किसान के खेत में तो वहीं अनाज कोड़ी कोड़ी के भाव होता
ये आज का भारत है साहेब
यहां बिकता है किसान के खेत में आलू 5 रुपए किलो
वहीं आलू कंपनी के गोडावण में 50 रुपए किलो होता
अन फल सब्जी पैदा करने वाला सोता है यहां झोपड़ियों
में कुर्सी पर बैठ ऑर्डर देने वाला मिल मालिक महलो में होता
ये आज का भारत है साहेब
यहां पियोरीटी की नहीं कंपनी के नाम की कीमत होती है
यहां बिक जाति है सुंदर थैली में पैक दाले 500 रुपए किलो के भाव वहीं किसान के खेत में मूंग चना 20 रुपए में भी महंगा होता
खड़ी नहीं जाती किसान कि सरसो कोड़ी में वहीं मिल में त्यार तेल 10,15 हजार के मोल होता है
ये आज का भारत है साहेब
यहां पियोरीटी की नहीं कंपनी के नाम की कीमत होती है
लेते समय काट लेता है सुनार भी नगीनों का वजन
देते समय वहीं नगीना भी सोने के भाव होता
ये आज का भारत है साहेब
यहां पियोरीटी की नहीं कंपनी के नाम की कीमत कीमत होती है है है हैहै है
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