कदर किसान की
हे किसानकिसान तुहि धरती का रखवाला है
तूने ही संवारा है धरती को
ओर तुहि सभी का पेट भरने वाला है
ना जाने क्यों ना समझे ये जमाना
हे किसान तूने ही ईश्वर का रूप सवारा है
भूखे पेट चलाए है हल तूने ओर खून पसीने
से अन का बनाया हर एक निवाला है
हे किसान किसान तुहि धरती का रखवाला है
कोई नहीं है तेरा तू है अकेला फिर भी तू ना हरा है
कभी ओलो की बोछरो से तो कभी सूखे की मरो से
तू गया हरबार मरा है
गरमी की लेप्टो में ओर सर्दी की रवानी में भी तूने
धरती मां को संवारा है
भूखा ना रहे कोई धरती मां की गोद में बस इसी आस से तूने हल ओर जुआ चलया है हर मुश्किल हालातों में भी तू खड़ा खेतमे पाया है
हे किसान किसान तुहि धरती का रखवाला है
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