लाख कोशिश करो किसी गिरे हुए इंसान को उठाने की तुम नहीं उठा पावो गे, जबतक उसकी खुद नीयत नहीं होगी उठ जाने की
चाहे लाख निंदा करो इस जमाने की यहां आदत सी होगई है दुनिया को बार बार लाते खाने की
अंधे तो बिन आंखो के होते हैं यहां तो कमी ही नहीं दोदो आंखो आंखो वाले अंधो के भी होने की
लाख कोशिश करो किसी गिरे हुए इंसान को उठाने की तुम नहीं उठा पावो गे, जबतक उसकी खुद नीयत नहीं होगी उठ जाने की
बहुत गिरे इंसान इस जमाने में नीयत वाले फिर उठे फिर गिरे आखिर सफल होही गए उठजाने में
कुछ फिर भी नहीं उठ पाए जिन को कमी ना रही समाजसमाज के सहयोग पाने में
लाख कोशिश करो किसी गिरे हुए इंसानइंसान को उठाने की तुम नहीं उठा पावो गे, जबतक उसकी खुद नीयत नहीं होगी उठ जाने की
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