बुधवार, 23 दिसंबर 2020

Baris ka mosam

 आज फिर सावन आया है

आज फिर सावन आया है

भीगी भीगी पलकों पर आसा की किरणे लिया है

खेतों में रौनक गलियों में कीचड़ ही कीचड़ छाया है

आज फिर सावन आया है

भीगी भीगी पलकों पर आसा की किरणे लिया है

खेतों में रौनक गलियों में कीचड़ ही कीचड़ छाया है

आज फिर सावन आया है

बच्चो की उछल कूद के संग फूलों को महकाया है

खेतों में हरियाली के संग मन को फूलों की खुशबू की महक लाया है 

आज फिर सावन आया है

किसान ने थामे हल ओर जुए ओर बीजों को संवारा है

नीले गगन में आज फिर काले बदल घन घोर घटाओ

का साया है

आज फिर सावन आया है

बारिश की बूंदों के संग ठंडी हवाएं लाया है

कभी मूसलाधार पानी तो कभी फुआरी को बसाया है

आज फिर सावन आया है

सुनाई देने लगी खेतों में पखियो की च चाहटे कॉयेलो ने मधुर सुर गाया है

फूल खिलने लगी कालिया बगो मेंगुनगुनाया ने गुन गुनगुनाया हैं 

आज फिर सावन आया है




आज फिर सावन आया है

बच्चो की उछल कूद के संग फूलों को महकाया है

खेतों में हरियाली के संग मन को फूलों की खुशबू की महक लाया है 

आज फिर सावन आया है

किसान ने थामे हल ओर जुए ओर बीजों को संवारा है

नीले गगन में आज फिर काले बदल घन घोर घटाओ

का साया है

आज फिर सावन आया है

बारिश की बूंदों के संग ठंडी हवाएं लाया है

कभी मूसलाधार पानी तो कभी फुआरी को बसाया है

आज फिर सावन आया है

सुनाई देने लगी खेतों में पखियो की च  चाहटे कॉयेलो ने मधुर  सुर गाया है

फूल खिलने लगी कालिया बगो में भंवरो ने गुन गुनगुनाया हैं 

आज फिर सावन आया है



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