शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

ग़ज़ल

 उठा जब नकाब उस काफिर के चहरे से तो च ह रा 

मेरा भी शर्मसार होगया 

कोई गैर नहीं था मेरी बरबादी का जीमेवार मेरे अपनो के  ही हाथो मेरा जिस्म तार तार होगया 

अब किसके लिए उठाऊ हथयार  ए गालिब मेरा अपना खून ही मुझे मिटाने को तैयार होगया

मैं सोचता रहा और बहती रही नदिया अश्कों की जब देखा इंसान ही इंसान का सीकर होगया

अब क्या दिखाना जख्म जमाने को जब जमाना ही खून का नहीं पैसे का दीदार होगया 

रामरतन सुड्डा मत बहा आंसू जमाना आंसुओ का नहीं मतलब का हकदार होगया

उठा जब नकाब उस काफिर के चहरे से तो च ह रा 

मेरा भी शर्मसार होगया 


सोमवार, 21 सितंबर 2020

Corona ka haha kar

कारोना से मचा हा हा कर जब corona लाखों की संख्या पर होगया

ये कैसा कॉरॉना का हा हा कार होगया देखते ही देखते भारत में भी कोरोना लाखों की संख्या पार होगया 
उजड़ गए हजारों बेकसूर गरीब घराने और डाक्टरों के लिए ये व्यापार होगया 
दवा तो नहीं इसकी कोई फिर भी नजने क्यों गया जब होस्पिटल कोई मरीज तो बिल लाखों के पार होगया
दिल टूट सा गया मेरा जब भारत में भी कोरोना लाखों की संख्या पार होगया 
किसी गरीब की जान चली गई बिना चेकप के किसी अमीर घराने का इलाज होगया
कल तक तो हंश खिल रहा था आसरा गरीब का भी नजाने कुछ ही पलों में कैसे मातम का हा हा क़ार होगया
ये कैसा कॉरॉना का हा हा कार होगया देखते ही देखते भारत में भी कोरोना लाखों की संख्या पार होगया 
होती थी खांसी जुखाम पहले भी जब देखा डॉक्टर ने तो नाजाने क्यों कोरॉना जैसा आसार होगया 
गया तो मैं भी था हाल पूछने किसी बेबस का जब पूछा किसी से तो एक पल के लिए हालात कुछ ठीक और कुछ ही पल में मौत का समाचार होगया
ये कैसा कॉरॉना का हा हा कार होगया देखते ही देखते भारत में भी कोरोना लाखों की संख्या पार होगया 
सोशल डिस्टेंस जुरी था पर एक गरीब को पेट की लगी जब आग तो सब बेकार होगया
सरकार ने तो खुल कर कहा था रहना अपने घरों में
खाली पेट देख अपने मासूम बच्चो को बाहर भी जाना जरूरी होगया 
जीना चता था वो भी पर ना जाने के कॉरोना का सीकर होगया गरीब हालातो के चलते तड़फ तड़फ के मरने को लाचार होगया
ये कैसा कॉरॉना का हा हा कार होगया देखते ही देखते भारत में भी कोरोना लाखों की संख्या पार होगया 
रोजगार होगया बंद सभी साहू करों को भी मुझसे तकरार होगया रामरतन सुड्डा प्रवासी था वो तभी तो कोसो पैदल चलने को मजबुर होगया
एक कांधे पर सामन और एक कंधे पर मासूम बच्चों का भार होगया
सोती रही सरकार चेन से और एक लाचार खाली पेट के चलते चलते मोत का सीकर होगया
ये कैसा कॉरॉना का हा हा कार होगया देखते ही देखते भारत में भी कोरोना लाखों की संख्या पार होगया 
दुखी तो वोभि बहुत हुआ होगा जब उसके मासूम बच्चों को रोटी का एक निवाला भी दुश्वार होगया देखा नहीं गया किसी ये मौत का मंजर तो कोई कोरोना का तो कोई खुद खुसी का सीकर होगया 
ये कैसा कॉरॉना का हा हा कार होगया देखते ही देखते भारत में भी कोरोना लाखों की संख्या पार होगया 
उमर तो नहीं थी उस मासूम की पैदल चलने की संसाधनों के अभाव में वो मासूम भी कोसो चलने को लाचार होगया
पारो में पड़ गए छाले ओर चला तो नहीं जाता होगा उससे पर बूढ़े और मासूम भी जिंदा रहने की जिदों जहद में और चलने को तैयार होगया
ये कैसा कॉरॉना का हा हा कार होगया देखते ही देखते भारत में भी कोरोना लाखों की संख्या पार होगया 



शनिवार, 19 सितंबर 2020

सोने की चिड़िया हो भारत

 

सोने की चिड़िया हो भारत भारत में सोना ही सोना

सोने की चिड़िया हो भारत के सपना सब ने देखा हैं
क्या कोई बतलाएगा जाति धर्म  से भी हटकर , हमने कभी भी बाहर झाक कर देखा हैं
सोने की चिड़िया हो भारत के सपना सब ने देखा है
क्या मैने तुमने  कुर्बानी दी बस सपना ही सपना देखा हैं बलिदान हो गए वीर जवान, क्या हमने कभी दील से उन की कुर्बानी का आभास भी करके देखा हैं
किसी की रोई माताएं बहने किसी के रोई हैं आज भी हम सोए  नींद चैन की, पहले भी हमने ने हमने नींद चैन की सोई हैं
मेरे देश के युवाओं मैं तूम हिंदू में मुस्लिम चाहे हो वो सिख इसाई हैं, जातिवादी धर्म के दंगों से हटकर देश के ईन किरदारो ने क्या कभी भी सोच भी और जगाई है
जाति धर्म पर लड़वा दो सबको मेरे देश के नेताओं ने  बस यहाँ तक सोच कमाई हैं
क्या कोई बतलाएगा  देश की खातिर शहीद हुए जवानो में ,क्या  हुआ शहीद एक भी नेता हैं
सोने की चिड़िया हो भारत यह सपना सब ने देखा हैं
तुम कांग्रेसी मूझे बीजेपी  प्यारी है जानता लड़ती रही आपस मे ईसी बिच ही नेताओ ने बस लूट कि बाजि मारी हैं
सोने की चिड़िया हो भारतीय सपना सब ने देखा  हैं
जाति धर्म के से भी हटकर कभी  हमने विचार भी करके देखा है
सोने की चिड़िया हो भारतीय सपना सभी ने देखा है

                       लेखक रामरतन सुड्डा





शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

वाह रे दुनिया आज का एक ऐसा व्यवहार हो गया

 

 आज की दुनिया का व्यवहार

वाह रे दुनिया आज का ये केसा व्यवहार हो गया
फेसबुक पर हजारों दोस्त और परिवार से मिलना दुश्वार हो गया
मैं करता रहा चैटिंग फेसबुक पर परिवार के संग टाइम बिताना भी दुश्वार हो गया
वाह रे दुनिया आज का ये केसा व्यवहार हो गया
अपनों से हो गई दुश्मनी और गैरों से दोस्ताना व्यवहार हो गया
वाह रे दुनिया आज का एक ऐसा व्यवहार हो गया
तरसती रहे मेरे अपने मेरी सुनने को आवाज मैं सुनाता रहा जमाने को, ये मैं कैसा कलाकार हो गया
वाह रे दुनिया आज का ये कैसा व्यवहार हो गया
लेता रहा गैरों की दुहाई और अपनों से तकरार हो गया
भूल गया मै मेरे अपनों को और गैरों पे एत्बार हो गया
वाह रे दुनिया आज का ये कैसा  व्यवहार हो गया
मिलता रहा गैरों के लिए समय मुझे और अपनों के लिए समय का ही अभाव हो गया
वाह रे दुनिया आज का यह कैसा व्यवहार हो गया
रामरतन सुड्डा लिख देता अफ़साने में भी मेरा गैरों पे विशवास और अपनों से अ विशवास हो गया
वाह रे दुनिया आज का यह कैसा व्यवहार हो गया
लिखता रहा ग़ज़ल में भी गैरों का मनोरंजन और अपनों के लिए सब बेकार हो गया
वाह रे दुनिया आज का यह कैसा व्यवहार हो गया
हस्ती रही दुनिया और मैं हंसाने वाला कलाकार हो गया
मेरे अपनों को देना सका एक छोटी सी मुस्कुराहट भी और मैं सोशल मीडिया का स्टार हो गया
वाह रे दुनिया आज का यह कैसा व्यवहार हो गया

गुरुवार, 17 सितंबर 2020

क्या भारत की अखंडता से धर्म ज्यादा बलवान होगया


मत लड़ो जाती और धर्म केलिए योही कूचले जाओ गे कभी सवृग तो कभी जिहाद के नाम से

जरा बता ओ जमाने भारत की अखंडता से क्या धर्म ज्यादा बलवान होगया

बहुत खून बहेगा ओ जमाने जब इन्कलाब कहने वालो में भी हिन्दू और मुसलमान होगया  

सुना तो था बिका है देश के नेताओं का ईमान जब देखी आग धर्म की मेरी नजर में बिका सबका ईमान होगया 

मेरे रोते टूटते दिल की ये आवाज़ तो सुन ओ जमाने और बता क्या भाई ही भाई की मौत का मोहताज होगया

जरा बता ओ जमाने भारत की अखंडता से क्या धर्म ज्यादा बलवान होगया 

सुना था ओ जमाने जब यूवा जाग जयेगा वो अनेकता में एकता को और मजबूत बनयेगा

पर ये नहीं पता था तेरा ये आजका यूवा ही जाती धर्म के लिए एकदुजे का दूस्मन हो जायेगा

जरा बता ओ जमाने भारत की अखंडता से क्या धर्म ज्यादा बलवान होगया

कोई पूछो इन धर्म के ठेकेदारों से जब इंसान ही इंसान का बना दिया दुश्मन तुम ने तो क्या ये धर्म कफ़न के रंग बतलाने काम आएगा 

या फिर बनवा देगा चिता या जनाजे की रस्में  बतलाएगा

रामरतन सुड्डा मत लड़ो जाती और धर्म के लिए तुम यू ही लड़ते रहे जाती और धर्म के लिए तभी तो भारत आज बेरोजगार होगया

जाती धर्म के दंगो से ही नेताओं कि कुर्सी का श्रंगार होगया इन्हे क्या लेना हिन्दू मरे या मुसलमान इन नेताओ

केलिए तो जाती धर्म हार ओर जीत का आधार होगया

जरा बता ओ जमाने भारत की अखंडता से क्या धर्म ज्यादा बलवान होगया 


बुधवार, 16 सितंबर 2020

मै तो अम्बाणि होगया


चाहे करोड़ पति बनो या राजनेता पर अपनो को मत भूलो किसी के अहसान को मत भूलो

दो अक्षर क्या पढे मै तो ज्ञानी होगया अपनो को ही नहीं समझा मै तो अपनो से ही अन जाना होगया 
दिखने लगे अपने भी बेगाने में जो पैसों से अंबानी होगया कभी तरसा था मै भी पानी को सब भुला दिया मैने अब तो पानी पानी होगया
दो अक्षर क्या पढे मै तो ज्ञानी होगया अपनो को ही नहीं समझा मै तो अपनो से ही अन जाना होगया
जानता हूं मेरी कामयाबी के पीछे बहाया था अपनो ने खून पसीना
मैं नहीं मानता अब किसी का एहसान अब जो मै राजनिति का दीवाना होगया
किसकी हिम्मत है जो जताए मुझ पे एहसान क्या उसे दिखते नहीं मेरे तेवर मै पैसे के दम पर ना इंसाफ और बेमानी होगया
दो अक्षर क्या पढे मै तो ज्ञानी होगया अपनो को ही नहीं समझा मै तो अपनो से ही अन जाना होगया
जिसका था कभी मुझे गरव आज उस समाज से ही बेगाना होगया
मुझे नहीं लगते वो अपने वो अपने ही मेरी नज़र में अपनो के ही  गरो के जैसा घराना होगया
क्यों समझू किसी का एहसान मै जो पैसों से अंबानी होगया
रामरतन सुड्डा मत भूल कर्ज कर्ज होता है बेशक तू अंबानी या अंडानी होगया
टूट तो जाता होगा उनका भी कलेजा जिन्होंने इस परिवार और अखंडता के लिए कि थी बिना सपनों के मेहनत आज उन्हीं की चुगली का अदानी होगया
दो अक्षर क्या पढे मै तो ज्ञानी होगया अपनो को ही नहीं समझा मै तो अपनो से ही अन जाना होगया


मंगलवार, 15 सितंबर 2020

ज्ञानी हू में


देश के पूंजी पतियों की हकीकत मेरी एक रचना देश के गरीब और लचारो के नाम

जब दिखता है कोई गरीब  इस जमाने में 
तो दुख में भी हो लेता हूं 
दिखावे कीलिए बोल देता हूं मैं सहयोगी हू तेरा
पर साहेब सहयोग कहा देता हूं
विचार में भी बड़े रखता हूं  साहेब तभी तो जब मिले 
कोई असहाय तो कमा के खाने की बोल देताहू 
जब मांगे मुझसे कोई रोजगार करने को सहयोग 
तो सहयोग कहा देता हूं
छोड़ो मांगकर खाना और खाओ कमाकर मेरे विचार
बड़े ह तभी तो ये सलाह देता हूं
जब दिखता ह कोई गरीब इस जमाने में 
तो दुखी में भी हिलेता हूं
क्या होगी उसकी मजबूरी मुझे इस से क्या 
मैं तो ज्ञानी हू साहेब तभी तो हर किसी बेबस को ज्ञान 
देजाता हूं 
जब दिखता ह कोई गरीब  इस जमाने में 
तो दुखी में भी हो लेता हूं 
कोई नहीं चाहता किसी के आगे हाथ फैलाना पर मुझे इससे क्या मैं तो समृद्ध हू पैसे से
मैं किसी की लाचारी कहा समझ पाता हूं
जब दिखता ह कोई गरीब  इस जमाने में 
तो दुख में भी होलेता हूं 
मैं जाता हूं मंदिर पुण्य कमाने और खूब मेवे मिठाई 
चढ़ता हूं जब कोई मांग ले भूखा रोटी मैं भूखे को रोटी कहा खिलता हू
मुझे तो पत्थर में दिखता है भगवान,में तो ज्ञानी हू साहेब 
तभी तो हर लाचार को कमा के खाने की कह देता हूं
जब दिखता ह कोई गरीब  इस जमाने में 
तो दुख में भी हॉलेता हूं 
रामरतन सुड्डा कवि नहीं हूं मै होता है दर्द मुझे  किसी की बेबसी का मै हूं खुद बेबस 
कुछ और तो नहीं मेरे पास इस जमाने को देने केलिए मेरे 
बस अपनी रचना देदेता हूं
जब दिखता ह कोई गरीब  इस जमाने में 
तो दुख में भी  हॉलेता हूं

रविवार, 13 सितंबर 2020

आपसी झगड़े हो कैसे करें कम



अगर आप के परिवार या पति पत्नी के बीच रहता है चिड़चड़ा पन या होते है आपसी झगड़े तो घबराए नहीं बस करें खुद में कुछ आसान से बदलाव


पारिवारिक झगड़े ,पति पतिनी के बीच हाथापाई आजके इस दौर में आम बात है अक्षर ग्रामीण क्षेत्र में एसी घटनाएं आम बात है आज के इस दौर में सिक्षा की भी कोई कमी नहीं है समाज में ज्यादातर लोग पढे लिखे हैं फिर भी इस की क्या वजह है कि पारिवारिक चिड चिडाहट कम क्यों नहीं होरहि है इसका मुख्य कारण क्या है
अब सवाल ये है हमें क्या करना चाहिए जिससे सामाजिक और पारिवारिक मन मुटाव को कम किया जासके 
दोस्तो आजकी इस भागदौड़ भरी जिंदगी में अपने परिवार और समाज को देने केलिए किसी के पास टाइम नहीं है सभी पैसे कमाने की दौड़  में आगे रहना चाहते  हैं इस बीच बच्चों की को प्राथमिक पाठ सला कमजोर पड़ती जारही ह ऐसे में बच्चों को सामाजिक ज्ञान पूरा नहीं मिल पाता सामाजिक ज्ञान के अभाव की वजह से बड़े छोटे का आदर अनादर होने लगा है 
और यही कारण है पारिवारिक मन मुटाव का अगर आप अपने घर पवार और समाज में साॕती स्थापित करना चाहते हैं तो अपने परिवार के साथ ज्यादा टाइम बिताए
अपने गुस्से को काबू में रखे और सामने वाले को कुछ कहे और दूरौं को बी बोलने का मौका दे अगर आपको सामने वाले की बात गलत लगे झूठी लगे तो उसे झगड़े नहीं  एकबार उस बात पर विचार करे होसक्ता है उसकी बात सही हो आपको उसके बारे में पूरी जनकरी ना हो बिना जानकारी के कोई भी विवाद ना करे अगर आप जानकारी के अभाव में वाद विवाद करेंगे तो आप किसीभी बात की सुलझ नहीं कर पाएंगे उल्टा आपको समाज के लोग जिद्दी  स्वभाव का समझ ने लगेंगे 
आप समाज में अपनी अलग पहचान कायेम करना चाहते हैं तो आप बात बात पे बिना जरूरत के बोलने से बचे होस्के तो ज्यादा तर चूप ही रहे आपको बोलने की जरूरत महसूस हो या सामने वाला आपकी राय लेना चाहे तो पूरे ध्यान से पूरी समझ से अपने विचार रखें
किसी भी सामाजिक झगड़े को बात चित से सुलझाने का प्रयास करें बदमाश किसम के लोगों से दूरी बनाकर रखे और बदमाशी करने से बचें और बदमाश लोगों के संपर्क से दूर रहे आपसे कोइ गलती हो जाऐ तो उसे छूपाने के लिए हजारो झूठ बोलने की बजाए अपनी गलति को स्विकारने कि हिम्त जूटाए अपने घर ओर समाज से अपनि गलति को सूधारने की अपिल करे | बड़े बूजरगो के साथ बातचीत करने का होसके उतना ज्यादा समय निकले बड़े बुजरगों की बात काटने की बजाए उनकी बातें ध्यान पूर्वक सुने और अपने नॉलेज को बढ़ाए
अगर आप का जीवन साथी यानी आपकी पत्नी  चीड़ चिड़े सवभव की ह और आप उस वजह से काफी परेशान रहते हैं अपने आपको मानसिक रूप से असवस्थ  सा महसूस करते तो आपको अपनी दिनचर्या में कूछ अहम  बदलाव करे 
ज्यादा तर लोग महिलाओं को सिर्फ सरिरिक सुख भोग की वस्तु समझते है और यही सोच पारिवारिक ग्रह क्लेश को जन्म देती है दोस्तो वो एक दौर था जो बीत गया जब महिलाएं अनपड होती थी और वो आपकी सभी यातनाएं बिना कुछ कहे सहती रहती थी आज के दौर की महिलाएं पढ़ी लिखी है और वोभी सामाजिक विकास में अपना योगदान देना चाहती है कुछ महिलाओं कातो वर्तमान में सामाजिक विकाश में मर्दों से ज्यादा योगदान रहा ह और हकीकत भी यही ह सामाजिक विकास महिलाओं पर ही टिका हुआ ह
ऐसे में महिलाओं को भी अपनी बात रखने और अपनी काबिलियत्ता साबित करने का मौका दें
अगर आप की आदत भी अपनी पत्नी से देह सुख भोगने केबाद मुंह फेर लेने की है तो आपको अपनी आदत में सुधार करना चाहिए अपनी पत्नी के साथ बातचीत करने का टाइम निकाले उससे बातचीत करें हो सके तो अपने लेनदेन और कार्य करने के बारे में विचार विमर्श करते रहे  ऐसा करने से वो अपने आप को हिन महसूस नहीं करेगी और मानसिक उपसे स्वस्थ रहेगी 
अगर आपकी पत्नी मानसिक रूप से स्वस्थ होगी तो वो आपसे पियार से पेश आएगी जिससे आपको गरह सुख मिलेगा और जन धन का लाभ भी मिलेगा 
दोस्तो यह रचना आपको  कैसी लगी कॉमेंट कर हमें जरूर बताएं

सामाजीक वीकास कब ओर कैसे


आप भी रहना चाहते हैं अपने परिवार और समाज के साथ मिलजुल कर रहना ,और करना चाहते हैं समाज का नेत्रत्व तो  ईसे जरुर पढे 

जैसा की आप सभी जानते हैं एक से अधिक व्यक्ति मिलकर परिवार का निर्माण करते है और अनेकों परिवारों के मीलनेसे ही समाज का निर्माण होता है और एक से अधिक यानी अनेकों समाज मिलकर राज्य और  और देश का निर्माण करते हैं और अनेकों देश मिलकर विश्व का निर्माण करते ह तभी जाकर होपता है देश और दुनिया का संपूर्ण  विकाश

ऐसे में सभी इंसानों का आपस में मिलजुलकर रहना जरूरी है अकेले मानव का संपूर्ण विकास होपाना असंभव सा है 
आज के इस दौर में समाज और परिवार आपस में दूरी बनाता जारहा है इस से देश और समाज का सामाजिक, आर्थिक,राजनैतिक,  यहां तक मानसिक विकास पर भी विपरीत परभ्व पड़ता जराहा है
ऐसे में सवाल ये है समाज और परिवार को एक जुट कर विकास की अच्छी रफ्तार कसे दीजाए 

समाज के विखंडन का मुख्य कारण है आर्थिक और सांस्कृतिक असमानता और समाज में फैली कुरीतीयां |ऐसे में समाज में आर्थिक समानता कैसे स्थापित की जा सकती हैं क्योंकि आर्थिक असमानता के चलते ही घर और समाज में सामाजिक दूरी बनती जारही है
अगर हमें घर और समाज में आपसी प्रेम स्थापित कर समाज को एक सूत्र में बांधना हैं तो हमें सबसे पहले समाज में व्याप्त कुरीतियों को मिटाना होगा जैसे दान दहेज, झाड़ फूंक ,टोना टोटका, मूर्ति पूजा,श्राद्ध मृत्यु भोज जैसी  कुर्तियों को खत्म कर समाज में आर्थिक समानता साथपित करनी होगी 
अगर आप बहुत ही गरीब ह तो आपको अपने दिमाग से अपनी गरीबी का ख्याल हमेशा हमेशा केलिए निकालना होगा 
क्योंकि गरीबी आपको मानसिक रूप से कमजोर बनाती है जिसके बार बार विचार से आप अपना आर्थिक विकास करपाने में सफल नहीं होसकते
क्योंकि गरीबी के बार बार विचार से आप खुद को कमजोर महसूस करनेलगते है और ऐसे में आप खुद को मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं रख पाएंगे ऐसा होने की वजह से आप यातो किसी की गुलामी स्वीकार करेंगे या चमचा बन जाएंगें इस स्थिति में आप शोस्ण के सीकर होस्कते हैं
अगर आप आर्थिक रूपसे समाज के बाकी लोगों से ज्यादा मजबूत ह और आप समाज का नेतृत्व कर समाज को एकजुट करना चाहते है तो आप को पैसे का घमंड नहीं करना चाहिए और समाज का नेतृत्व पैसे के दम पर करने की सोचने की वजाए अपने परबल विचारो से करने के बारेमे  सोचना चाहिए क्योंकि पैसे के बल पर आर्थिक रूप से कमजोर समाज पर किया गया नेतृत्व अस्थाई होगा एसेमे आप ज्यादा समय तक नेतृत्व नहीं करसकते क्योंकि जैसे ही समाज में आर्थिक समानता स्थापित होगी तो समाज आपके नेतृत्व को ठुकरा देगा और आपके खिलाफ बगावत करनी शुरू कर देगा क्योंकि पैसे के बलपर आप समाज का निष्पक्ष नेतृत्व नहीं करपाएंगे पैसे का घमंड आपको वैचारिक रूप से कमजोर बना देगा और आपकी सोच समाज पर जुर्म करने की होसक्ती हैं आप अपनी हजारों गलतियों को नजर अंदाज कर समाज की जरासी गलती को माफ करने की बजाए समाज पर गुसा करोगे  ऐसे में समाज आपसे मन से नफ़रत करने लगाएगा और एक ना एक दिन समाज आपको नेतृत्व कारी समझने  की वजाए सोश्ण करी समझ ने लग जाए गा ऐसे में आप समाज को नेतृत्व विहीन बना सकते हैं 
अगर एसा हौता हैं तो, समाज आने वाले सम्य मे किसी का भी नेत्रत्व स्विकार नही करेगा|ओर एक नेत्रत्व विहीन 
समाज कभी विकास नही करपाता ओर वह समाज आपसी लडाई ,झगडा मार काट के अलावा कूछ नही करपाता 

शुक्रवार, 11 सितंबर 2020

डॉक्टर अम्बेडकर ने ओबीसी के लिए क्यकिया


डॉक्टर अम्बेडकर ने ओबीसी के लिए जो संगृश किया सायेद। आप नहीं जानते 




डक्टर बाबा साहेब अम्बेडकर ना होते तो शायद आज obc भी नहीं होती भारत सरकार ओबीसी की पहचान करने को भी नहीं थी तयार ऐसे में ओबीसी की नहीं होपाती पहचान बाबा साहेब ने सरकार से ओबीसी आयोग बनाने की सिफरिश की तो सरकार ओबीसी की पहचान आयोग बनाने के लिए राजी नहीं हुई तो बाबा साहेब ने  10अक्टूबर1951 को केंद्रीय मंत्री मंडल से अस्थिपा देदिया था ताकि सरकार पर दबाव बनाकर ओबीसी आयोग कागठन कर करवाया जासके  बाबासाहेब के भार्शक पयासों से धारा 340 को भारतीय संविधान में लागू किया गया धारा 340 संविधान लागू होने के बारह महीने के भीतर ओबीसी आयोग गठन कर ने का अधिकार देती है तब जाकर ओबीसी की पाचन की जासकी ओबीसी आयोग ने ओबीसी को पिछड़ी जातियों में काउंट किया तब जाकर ओबीसी को भी बाबासाहेब आरक्षण से जोड़कर ओबीसी को विकास की दर में आगे लेकर आए ओबीसी जानती भी नहीं बाबासाहेब को और बाबा साहेब ने ओबीसी के लिए कानून मंत्री पद से अस्थीपा तक देदिया था अगर बाबासाहेब ना होते तो ओबीसी एसेही धूल के बराबर होती 

बुधवार, 9 सितंबर 2020

महात्मा गोतम बुद्ध और उनका धम्म

बाकी धर्मो से बोद्घ धम्म सर्वसरेस्ट क्यों क्या है बौद्ध धम्म में खास जानिए इस लेखमे 


बौद्ध धम्म एक वैज्ञानिक पद्धति पर आधारि पर आधारित धम्म  हैं इसमें सभी जीव जगत के प्रति करुणा मेत्री  समानता और सवेछा से जीने का अधिकार है किसी जीव का अधिकार छीनना अपराध ह चाहे वो इंसान हो या पशु,  स्त्री हो या पुरुष बौद्ध धम्म में आत्मा परमात्मा भूत प्रेत टोना टोटका पूजा पाठ व्रत उपवास जैसी कोई भी धारणा नहीं है ,बुद्ध आत्मा परमात्मा को नकारता है ,और भगवान या किसी  एसी अदृश्य स्कती जो बिना परीसर्म के पूजा अर्चना मात्र से आपको सुख प्रदान करने का दावा करे तो बौद्ध धम्म उसे कतई सविकर नहीं करता, बौद्ध धम्म में इंसान को जन्म देने वाले माता पिता से बड़ा किसी भगवान का दर्जा नहीं है यहां तक की सव्ये महात्मा बुद्ध खुद को भगवान नहीं बताते ,बौद्ध धम्म में माता पिता से बढ़ कर किसी का स्थान नहीं है बौद्ध धम्म  मूर्ति पूजा, पिंड दान, श्राद्ध ,स्वर्ग, नरक ,पुनर जन्म, जैसे अंध विश्वास को नकारता है और बौद्ध धम्म में पाखंड और अंध विश्वास केलिए कोई स्थान नहीं है   वाजहा है जो बौद्ध धम्म को सर्वसरेठ बनता है

बेरोजगारी


बे

रोजगार युवाओं के दर्द भरे बॉल 

सुनो गौर से यूवा ओ तुम्हे राज की बात बताता हूं 
अंध भक्तो की अंध भक्ति ती के मीठे राग सुनता हूं 
नेताओं की जुमले बजी के झूठे बॉल सुनता हूं

 
सुनो गौर से यूूवा ओ तुम्हे राज की बात बताता हूं 
खाने को ह दना नहीं मै ताली थाली और ढोल बजवता हूं 
देश की हालत नजर ना आये मै हींदू मुस्लिम करवाता हूं
रोजगार की ना तुम मांग करो मै मंदिर मूरत बनवाता हूं


सुनो गौर से यूवा ओ तुम्हे राज की बात बताता हूं 
अब उतर उतर के सड़कों पे रोजगार हो जोतुम मांग रहे 
रोजगार का तो ह बजट नहीं चलो दलित और स्वर्ण करवाता हूं
फिरभी तुम ना भटको तो मुद्दा ,आरक्षण का लताहू 

सुनो गौर से यूवा ओ तुम्हे राज की बात बताता हूं 
फिर भी चाहिए रोजगार तो चलो पकोड़े तलवाता हूं
अब तो छोड़ो रोजगार मांगना नहीं तो डंडे पुलिस से मरवाता हूं
घर में दुबक कर बेठो गे दोचार झूठे केस चलवाता हूं 
फिर भी चाहिए रोजगार तो मैं लॉकडाउन लगवाता हूं

सुनो गौर से यूवा ओ तुम्हे राज की बात बताता हूं 
अंध भक्तो की अंध भगिती के मीठे राग सुनता हूं 
नेताओं की जुमले बजी के झूठे बॉल सुनता हूं
अच्छे दिन आने के सपने फिर से तुम्हे दिखता हूं
बडी बडी स्टेजो पे तुम्हे धासू फेक सुनता हूं
खोल के छाती यूवा ओ तुम्हे छपन इंच दिख लाता हूं 
रोजगार का  तुम करोगे क्या में राफेल जहाज मंगवाता हूं

सुनो गोरसे यूवा ओ तुम्हे राज की बात बता हूं
नेताओं की सोच तुम्हे में लिख के लेख सुनता हू 
रामरतन सुड्डा दर्द तेरा में जन जन तक पहुंचता हूं



मंगलवार, 8 सितंबर 2020

क्या भारत में एसी एस्टी ओबीसी के आरक्षण को समाप्त करदेना चाहिए

क्या भारत में एसी एसटी ओबीसी के आरक्षण को वर्तमान समय में समाप्त करदेना चाहिए


भारत में सदियों से प्रताड़ित एसी एस्टी ओबीसी को बाकी सब के समान लेने के लिए भारत सरकार ने विशेष आरक्षण की वेवस्था की गई ताकि भारत को समता मूलक बनाया जासके देश के सभी वर्गो में आर्थिक समानता साथापित कर भारत को विकास की अच्छी रफदार दी जास्के देश में आरक्षण की बुनियाद एसी एस्टी ओबीसी को सक्षम बनाने के लिए कुछ समय के लिए रखी गई थी आजादी से आजतक भारत। सरकार देश में आर्थिक समानता लाने में विफल रही और इसी वजह से  भारत की अथॆवेवस्था मजबूती की बजाए डूबती जारही है क्योंकि आज भी देश का एक बहुत बड़ा वर्ग बेरोजगार ह देस्का पढ़ा लिखा यूआ बेरोजगारी की मार से रोटी केलिए बोहताज है क्या ऐसे हालत में देश से आरक्षण की वेवास्था को खत्म करदेना चाहिए अगर इन हालातो में आरक्षण को खत्म करदिया गया तो देश का एक बहुत बड़ा वर्ग  एसी एस्टी ओबीसी फ़िर से पिछड़ जाएगा और देश के हालात वर्तमान से भी बुरे होजाएंगे क्यों की आजभी देश में एसी एस्टी ओबीसी के पास संसाधनों का अभाव ह और आर्थिक रूप से कमजोर ह इस वजह से पढ़ाई लिखाई के उच्च कोटि के संसाधनों तक पहुंच पाना मुश्किल ह इस लिए सरकार को पहले आर्थिक समानत स्थापित कर  फिर आरक्षण को समाप्त करना चाहिए 

सोमवार, 7 सितंबर 2020

दलित हीन्दु धर्म छोडकर क्यो बन रहे बोद्घ

 

दलित समाज हिन्दू धर्म छोड कर क्यो बन रहा बोद्ध हिन्दू धर्म पर आने वाला है भारी संकट जानिये क्या ह ?

दलित समाज के लोग धिरे धिरे हिन्दू धर्म छोडकर बोद्ध धम अपनाता जारहा है ईसकि क्या वजह है  हिन्दू और बोद्ध मे आखिर एसा क्या अन्तर है जो धर्म परिवर्तन का सिलसिला बढता हि जारहा है ऐसे मे हिन्दू धर्म पर भविष्य मे पोप्यूलेसन का भारी फेरबदल आता नजर आरहा है  एसे हालातो मे एकबार जरूर सोचिए क्या होगा अगर हिन्दू धर्म का एक बहूत बड़ा वर्ग यानी बहूजनसमाज बोद्ध बन गया तो ?हिन्दू धर्म टूटकर छोटा होधजाए गा अगर हिन्दू धर्म के आका हिन्दू धर्म को ईसि तरहा विसाल बनाए रखना चाहते हैं तो हिन्दू धर्म मे जहर घोल रही जातिय ओर वर्ण व्यवस्था को पूर्ण रूपसे नष्ट कर सभी के लिए समानता कि राह खोलनि होगि  क्योंकि जतपात छुआछूत ओर अधंविश्वास ही बड़ी बिमारी है जिससे हतास होकर ही बहूजन समाज हिन्दू से बूद्ध कि ओर जारहा है ईसका यही करण है कि बूद्ध सभी प्राणी यो को एक समान बनाता है चाहे  वो जान्वर हो या महीला  पुरूष बुद्ध के धम मे पाखण्ड ओर अधं विश्वास के लिए कोई स्थान नही है बूद्ध भूत प्रेत आतमा प्रमात्मा टोना टोटका पूजा पाठ को नकारता है यह एक वैग्यानिक पद्ति पर आधारीत धम्म है जो विज्ञान को महत्व देता है 

आज के भारत की हकीकत जानकर आप रहजयेगे हरान


 
भारत के आजके हलात जानकर आप रहजाओगे हेरान  हालात एसे ही बनेरहे तो भारत को भूगतना पड़ सकता है जान माल का  है भारी नुकसान 

भारत कि अर्थ व्यवस्था पहले ही दम तोड चूकि है रूपए की कीमत दीन प्रतिदिन गिरती जारही है ओर साथ ही भारत की अखण्डता पर भी खतरा मडरा रहा है देश का पढा लिखा यूआ बेरोजगारी की मार से मरेजारहा है ओर सड़कों पर उतर आया है' जाति धर्म के दगेॕ रूकने का नाम ही नहिलेरहे एक कोम दूसरी कोम कि दूसमन होती जारही है  सरकारे मदिर मूर्ति बनाने मे लगि हूइ है एसेमे भारत विकास कि दोड मे पिछे होता जारहा है देस की जन्ता हिन्दू मुसलिम करने मे खूस है 

भारत सरकार ने pubg सहीत 118एप किए बैन

भारत सरकार ने pubg सहित 118 चिनी एप कीए बैन भारत सरकार को भूगतना पड़ सक्ता है भारी नूक्सान 

दोसतो भारत सरकार ने pubg  सहीत 118 चाइनीज एप्लिकेशनो को बैन करदीया है अगर भारत ने pubg. जैसा यानी pubg को टक्कर देने वाला कोई नया एप लोॕच नही कीया तो भारत सरकार को भारी नूक्सान होसक्ता है क्यो कि भारत में pubg का क्रेज यूआओ मे ईतना ज्यादा हो चूका है 100 मेसे 90 यूआ pubg  लवर है कइ तो pubg के ईतने आदी होगए ह मानो उनके लिए pubg  कोई गेम नही नसा हो एसे मे  pubg लवर अपनी मानसिक स्थिति  खोदेने से लेकर आत्म हत्या हार्ट अटेक जैसी घटनाओ के सिकार होकते है एसे हालात मे भारत सरकार  को देसमे यूओ भारी खामियाजा भूगतना पड़ सकता है

रविवार, 6 सितंबर 2020

हम है भगत सिंह के चाहने वाले ओर भारत माता की रक्षा हमारा कर्म ओर यही हमारा धर्म हैं



ʼʼहम हैं चाहने वाले सहीदे आजम भगत सिंह केʼʼ 
हमे इस से ज्यादा हैं किसी पे एतबार नहीं हमे चलना होगा 
उसकी राही पे 
क्योंकि झुठे नारों से कभी आता इन्कलाब नही कैसे भूला दोगे 
उसकी कुर्बानी को उसकी कुर्बानी से पहले था वतन हमारा 
आजाद नहीस
जीस चीज का हौ कोई अस्तित्व नही उसे हमे नकार नास होगा
भगत सिंह ने चाहा था पाखंड मुक्त भारत अगर हकीकत में 
चाहते हो भगत सिंह को तो पाखंड वाद मिटाना होगा 
वो था सच्चा नास्तिक भगत के चाहने वालो तूम्हे भी नास्तिक 
बन जाना हो गा 
बनकर सचे देश परेमी पाखंड वाद मिटाना होगा तूमहो सच्चे 
भगत प्रेमी तूम्हे मान्वता धर्म अपनाना होगा तूम हो नास्तिक 
ओर कहदो मै हूँ नास्तिक किसी अद्रसय सक्ति के होने को
स्वीकारना मेरे बस की बात नही जो ऐक नास्तिक का कूछ 
बीगाडदे मेरे खयाल से ये  पाखंड की ओकात नही हा 
मूझे किसी अद्रश्य शक्ति के होने का है विश्वास नही जो चलते 
है किसी दैवीय शक्ति के विश्वास पर शायद उन्हें खूद के होने 
का भी एहसास नही

मेरी अस्था है भारत माता ओर ईसकी रक्षा करना ह मेरा धर्म
मेरे माता पिता से बड़ा कोई ओर भग्वान नही 

Love shayeri bewafa shayeri dard bhri shayeri lavitaye kahaniya motivsnal or samajik stori

Kisi ka jhukne n dena sis lachari me

किसी का झुकने न देना सीस लाचारी में बेमानी का सीस उठने न देना खून है तुम्हारी नसों में ईमान का  इसे बेमानो से मिटने न देना  बाहें तुम्हारी भ...