बुधवार, 16 सितंबर 2020

मै तो अम्बाणि होगया


चाहे करोड़ पति बनो या राजनेता पर अपनो को मत भूलो किसी के अहसान को मत भूलो

दो अक्षर क्या पढे मै तो ज्ञानी होगया अपनो को ही नहीं समझा मै तो अपनो से ही अन जाना होगया 
दिखने लगे अपने भी बेगाने में जो पैसों से अंबानी होगया कभी तरसा था मै भी पानी को सब भुला दिया मैने अब तो पानी पानी होगया
दो अक्षर क्या पढे मै तो ज्ञानी होगया अपनो को ही नहीं समझा मै तो अपनो से ही अन जाना होगया
जानता हूं मेरी कामयाबी के पीछे बहाया था अपनो ने खून पसीना
मैं नहीं मानता अब किसी का एहसान अब जो मै राजनिति का दीवाना होगया
किसकी हिम्मत है जो जताए मुझ पे एहसान क्या उसे दिखते नहीं मेरे तेवर मै पैसे के दम पर ना इंसाफ और बेमानी होगया
दो अक्षर क्या पढे मै तो ज्ञानी होगया अपनो को ही नहीं समझा मै तो अपनो से ही अन जाना होगया
जिसका था कभी मुझे गरव आज उस समाज से ही बेगाना होगया
मुझे नहीं लगते वो अपने वो अपने ही मेरी नज़र में अपनो के ही  गरो के जैसा घराना होगया
क्यों समझू किसी का एहसान मै जो पैसों से अंबानी होगया
रामरतन सुड्डा मत भूल कर्ज कर्ज होता है बेशक तू अंबानी या अंडानी होगया
टूट तो जाता होगा उनका भी कलेजा जिन्होंने इस परिवार और अखंडता के लिए कि थी बिना सपनों के मेहनत आज उन्हीं की चुगली का अदानी होगया
दो अक्षर क्या पढे मै तो ज्ञानी होगया अपनो को ही नहीं समझा मै तो अपनो से ही अन जाना होगया


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