चाहे करोड़ पति बनो या राजनेता पर अपनो को मत भूलो किसी के अहसान को मत भूलो
दो अक्षर क्या पढे मै तो ज्ञानी होगया अपनो को ही नहीं समझा मै तो अपनो से ही अन जाना होगया
दिखने लगे अपने भी बेगाने में जो पैसों से अंबानी होगया कभी तरसा था मै भी पानी को सब भुला दिया मैने अब तो पानी पानी होगया
दो अक्षर क्या पढे मै तो ज्ञानी होगया अपनो को ही नहीं समझा मै तो अपनो से ही अन जाना होगया
जानता हूं मेरी कामयाबी के पीछे बहाया था अपनो ने खून पसीनादो अक्षर क्या पढे मै तो ज्ञानी होगया अपनो को ही नहीं समझा मै तो अपनो से ही अन जाना होगया
मैं नहीं मानता अब किसी का एहसान अब जो मै राजनिति का दीवाना होगया
किसकी हिम्मत है जो जताए मुझ पे एहसान क्या उसे दिखते नहीं मेरे तेवर मै पैसे के दम पर ना इंसाफ और बेमानी होगया
दो अक्षर क्या पढे मै तो ज्ञानी होगया अपनो को ही नहीं समझा मै तो अपनो से ही अन जाना होगया
जिसका था कभी मुझे गरव आज उस समाज से ही बेगाना होगया
मुझे नहीं लगते वो अपने वो अपने ही मेरी नज़र में अपनो के ही गरो के जैसा घराना होगया
क्यों समझू किसी का एहसान मै जो पैसों से अंबानी होगया
रामरतन सुड्डा मत भूल कर्ज कर्ज होता है बेशक तू अंबानी या अंडानी होगया
टूट तो जाता होगा उनका भी कलेजा जिन्होंने इस परिवार और अखंडता के लिए कि थी बिना सपनों के मेहनत आज उन्हीं की चुगली का अदानी होगया
दो अक्षर क्या पढे मै तो ज्ञानी होगया अपनो को ही नहीं समझा मै तो अपनो से ही अन जाना होगया
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