शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

वाह रे दुनिया आज का एक ऐसा व्यवहार हो गया

 

 आज की दुनिया का व्यवहार

वाह रे दुनिया आज का ये केसा व्यवहार हो गया
फेसबुक पर हजारों दोस्त और परिवार से मिलना दुश्वार हो गया
मैं करता रहा चैटिंग फेसबुक पर परिवार के संग टाइम बिताना भी दुश्वार हो गया
वाह रे दुनिया आज का ये केसा व्यवहार हो गया
अपनों से हो गई दुश्मनी और गैरों से दोस्ताना व्यवहार हो गया
वाह रे दुनिया आज का एक ऐसा व्यवहार हो गया
तरसती रहे मेरे अपने मेरी सुनने को आवाज मैं सुनाता रहा जमाने को, ये मैं कैसा कलाकार हो गया
वाह रे दुनिया आज का ये कैसा व्यवहार हो गया
लेता रहा गैरों की दुहाई और अपनों से तकरार हो गया
भूल गया मै मेरे अपनों को और गैरों पे एत्बार हो गया
वाह रे दुनिया आज का ये कैसा  व्यवहार हो गया
मिलता रहा गैरों के लिए समय मुझे और अपनों के लिए समय का ही अभाव हो गया
वाह रे दुनिया आज का यह कैसा व्यवहार हो गया
रामरतन सुड्डा लिख देता अफ़साने में भी मेरा गैरों पे विशवास और अपनों से अ विशवास हो गया
वाह रे दुनिया आज का यह कैसा व्यवहार हो गया
लिखता रहा ग़ज़ल में भी गैरों का मनोरंजन और अपनों के लिए सब बेकार हो गया
वाह रे दुनिया आज का यह कैसा व्यवहार हो गया
हस्ती रही दुनिया और मैं हंसाने वाला कलाकार हो गया
मेरे अपनों को देना सका एक छोटी सी मुस्कुराहट भी और मैं सोशल मीडिया का स्टार हो गया
वाह रे दुनिया आज का यह कैसा व्यवहार हो गया

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