शनिवार, 27 फ़रवरी 2021

अंध भगतों का विकाश

 जब बात हो हक अधिकारों की साहेब क्यों चूपी साधे रहता है 

रोजगार नोकरी की बातो पे क्यों साहेब तुतलाता है

देश में फैली भ्रष्टाचारी साहेब को कुछ भी नज़र नहीं आता है 

चुप रहने की एवज में क्या साहेब की जेब में भी बड़ा कमीसन जाता है 

अंधभगति मे देखो तो विकास नज़र जो आता है अंध भगति से कोई बाहर जो निकले तो क्यों साहेब जी घबराता है 

सच लिखने सच बोलने वालों को साहेब जी क्यों देश द्रोही बतलाता है 

जब बात हो हक अधिकारों की साहेब क्यों चूपी साधे रहता है 

तर्क करे सवाल उठाए हर पढ़ा लिखा क्यों साहेब जी नहीं चाहता है 

नाम बदलना झूट बोलना रामरतन सुड्डा समझ नहीं क्या यही विकास कहलाता है 

साहेब तो अनपढ़ था फिर ये बड़ी बड़ी उच्च शिक्षा की डिग्रियां कहां से लाता है 

घर बठे डिग्री मिलती है इसी लिये तो साहेब सकुल कॉलेज नहीं बनवाता है अंधभगत हो जनता सारी बस मंदिर मूर्ति बनवाता है 

सासन चलाना तुम्हारे नहीं बसका साहेब तुम्हे बस चाय बेचना आता है 

क्या अच्छा शासक युवाओं से पकोड़े तलवता है 

जब बात हो हक अधिकारों की साहेब क्यों चूपी साधे रहता है 








शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021

जुर्म juram

 तुम जुर्म पे जुर्म किए जाओ हम सारा हिसाब चुकाएंगे

तुम जुर्म पे जुर्म किए जाओ हम सारा हिसाब चुकाए 
बहाकर अपने जिस्म का सारा लहू हम इंकलब भी लाएंगे

तुम लिखते जाओ झूठी स्याही से झूठे बोल हम खून से अपने संविधान ही लिखते जाएंगे

तुम बेच ते जाओ हर एक चीज हमारी हम नई दुबारा लाएंगे 

बहाकर अपना खून पसीना सहिदों के सपनों का भारत एक दिन हम बनाएंगे

तुम जुर्म पे जुर्म किए जाओ हम सारा हिसाब चुकाएंगे

तुम लिखते जाओ जुर्म स्याही से हम खून से अपने इंसाफ ही लिखते जाएंगे 

तुम मिटाते रहो इतिहास हमारा हम नया इतिहास बनाएंगे

तुम लाख धकेलो पीछे हमें हम फिर भी आगे पाएंगे 

अपने लहू के कतरे कतरे से इन्कलाब भी लेकर आएंगे

तुम कतल हमारा करवादो हम लेकर जन्म दुबारा आएंगे तुम मरवाओगे हमारी पीठ पे गोली हम सीने में पे गोली खाएंगे भारत देश हमारा है आखिर दम तक हम नारा यही लगाएंगे

तुम जुर्म पे जुर्म किए जाओ हम सारा हिसाब चुकाएंगे

आज तुम्हारा है साहेब कल हम अपना लेकर आयेंगे 

जो झूठा मक्कार हो शासन हम वो शासन भी पलट दिखाएंगे 

हम भारत के मूल निवासी बस यही बात दोहराएंगे देकर अपना लहू भारत भूमि को हम सविधान ही लिखते जाएंगे

तुम जुर्म पे जुर्म किए जाओ हम सारा हिसाब चुकाएंगे

तुम जातीवाद के नारे के संग में धर्म का ढोंग रचाओगे खतरे में धर्म बताकर के हमें आपस में लड़वाना चाहोगे 

तुम जितना हमें चाहोगे तोड़ना हम एक ही होते जाएंगे 

तुम जुर्म पे जुर्म किए जाओ हम सारा हिसाब चुकाएंगे

रामरतन सुड्डा जिस्म में जबतक सांसे है हम संविधान बचाते जाएंगे 

संविधान हमारी शान है साहेब हम इसकी रक्षा में बलिदान भी होते जाएंगे

हम भारत के मूलनिवासी जन जन को बतलाएंगे

तुम जुर्म पे जुर्म किए जाओ हम सारा हिसाब चुकाएंगे





मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

Mahngai महंगाई

 तुम क्या जानो महंगाई तुम्हे तो मांग कर खाना 

रहे तुम्हारी जेब जो खाली बस ग्रह दोष बतलाना है

महंगाई तो उनसे पूछो जिन्हे दो वक्त की रोटी खातिर पूरे दिन खून बहाना है

तुम क्या जानो महंगाई तुम्हे तो मांग कर खाना 

रहे तुम्हारी जेब जो खाली बस भूत प्रेत बतलाना है

फिश तुम्हारी फिक्ष नहीं तुम तो फिस बढ़ा दोगे पैदल तुम्हे क्यों जाना साहेब गाड़ी का रेट बतादो गे

तुम क्या जानो महंगाई तुम्हे तो मांग कर खाना 

उन से पूछो मंगाई जिन्हे गोबर कीच उठाना है सारा दिन ढो ढो कर के मेला साहेब बच्चो की भूख मिटाना है 

तुम क्या जानो महंगाई तुम्हे तो मांग कर खाना 

मेहनत तुम्हे नहीं करनी साहेब इसी मासूम जनता की जेब से चंदे के नाम से लाखों ठगते जाना है 

तुम क्या जानो महंगाई तुम्हे तो मांग कर खाना 

कभी आत्मा कभी भूत कभी खुद इश्वर नाराज बताना है किसी ओर की रोली चंदन से माथे में तिलक लगाना है हवन येज्ञ का ढोंग रचा लाखों का खर्च बताना हे 

तुम क्या जानो महंगाई तुम्हे तो मांग कर खाना 

महंगाई तो उनसे पूछो जिन्हे खेत में हल चलाना है 

दिन रात बहाकर खून पसीना जिन्हे निवाला खाना है 

मजदूर बाप को जवान बेटी का बियाह जिसे रचना सामाजिक कुरीतियों का सारा सामान जुटाना है  

तुम क्या जानो महंगाई तुम्हे तो मांग कर खाना 



सोमवार, 22 फ़रवरी 2021

Badhe patrol dizal ke dam

 पीट्रोल बढ़ा डिज़ल बढ़ा बढ़ा दाम हर एक निवाले का 

बढ़ती रहेगी महंगाई ये सासन है जुमले बजो का

चमचा यूथ तो चाट के जूते पेटको अपने भरले गा मेहनत कस मजदूर देश का भूख के मारे मरले गा 

नेताओं की सोच के माने क्या देश तरक्की करले गा 

पीट्रोल बढ़ा डिज़ल बढ़ा बढ़ा दाम हर एक निवाले का 

बढ़ती रहेगी महंगाई ये सासन है जुमले बजो का

अच्छे दिनों के सपने देखकर कितने तो स्वर्ग सिधार गए 

कुछ बचे हुए है उनको भी तंज महंगाई के मार रहे 

जुमले बाज कुछ बड़े बॉल बड़ी बेशर्मी से बोल रहे

कुछ अध्यादेश भी मासूम जनता पर जब्रजस्ती से थोप रहे बेशर्मी की हद तो देखो थूक के अपना चाट रहे बड़ी स्टेजो पर ये देखो सिना अपना नाप रहे 

विकाश नाम के बाजे के संग निजीकरण का सोंग बजा

कुछ पढ़े लिखे गए समझ चाल तो उन्हें देश दरोही करार मिला एक के बदले चार हुए फिर विरोध जताने निजीकरण का मेरे देश में इकठा जन सैलाब हुआ सरकारी आदेसो से फिर आंदोलन कारी अन दाता का लाठी डंडे ओर सरियों की बोछारों से सम्मान किया 

पीट्रोल बढ़ा डिज़ल बढ़ा बढ़ा दाम हर एक निवाले का 

बढ़ती रहेगी महंगाई ये सासन है जुमले बजो का

खालिस्तानी देश द्रोही नक्सल वादी नाजने फिर क्या क्या इन जुमले बाजोने किसानों को नाम दिया फिर भी पीछे नहीं हटे तो इस जुमले बाज सरकार ने बिजली पानी काट दिया रोड खोदकर किले रोप कर क्यों अन दाता को बीच चौराहे रोक दिया ओ बेशर्म सरकार क्यों तूने गला लोकतंत्र का घोट दिया रामरतन सुड्डा कसम ह तुझको जो चोरोको तूने वोट दिया मेरे देश के मजदूरों को महंगाई ने मार दिया

पीट्रोल बढ़ा डिज़ल बढ़ा बढ़ा दाम हर एक निवाले का 

बढ़ती रहेगी महंगाई ये सासन है जुमले बजो का



शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

इश्क़ महोबत शायरी

किसी की यादों ने रुला दिया

आज फिर किसी की यादों ने मुझे रुला दिया 

ग़म तो बहुत थे इस जिंदगी में लेकिन मैने सारे गमो को भुला दिया 

एक तेरे बिछड़ने के गमको ना भुला सका में 

ओर उसने मुझे खून के आंसू रुला दिया

में भी किसी से महॉबत करू

सोचा में भी किसी से महोबत करू 

पर मेरे दिल ने हर किसी को स्वीकारा नहीं

जिसे स्वीकारा इस दिल ने वो निकला किसी गैर का

फिर इस दिल ने सोचा कुदरत ने ही साएद हमारे लिए कोई दिलबर बनाया ही नहीं

दर्द भारी सायरी 

मर चुका था में पर दिल में एक प्यास अभी बाकी थी

जिसे पाने के लिए मैने कर दया था खुद को मौत के हवाले बस 

उस दिलबर से मेरी एक मुलाकात अभी बाकी थी

मिलने ना दिया जमाने ने मुझे मेरे जिस्म से वो भी निकल गई जो सांसे उसके इंतजार में अभी बाकी थी


खुदा ना करे किसी को प्यार में धोखा मिले

जिसे देख कर निकल जाए दो दीवानों की जाने 

ऐसा कोई तोफा मिले

या मालिक मेरी एक ही दुआ है तुमसे जिसके दिल में हो चुलू भर चाहत उसको चहतो का दरिया मिले




यो म्हारो राजस्थान



यो म्हारो राजस्थान है भाया

उंटरी चढ़ाई रो धोरा री घुमाई रो मजोई नरो है भया

चारो कनी रेगिस्थान ही रेगिस्थान यो म्हारो राजस्थान है भया

राजा महाराजा रि लड़ाई रो किलां रि बनावट रो इतिहास ही न्यारो है भया यो म्हारो राजस्थान है भया


घूमर र नाच रो सहनई रे वाध रो खिंचडी र स्वाद रो माजोई नयारो है भया यों म्हारो राजस्थान है भाया

बुढ़िया र ज्ञान रो इजत ओर मान रो बुजुर्गो र सम्मान रो रिवाज ई न्यारो है भया यो म्हारो राजस्थान है भया 

रोही में पाली रो खेत मई हालिरो रोब ही न्यारों है भया

यो म्हारो राजस्थान है भया 

चौपाल रि तासा गो पंचायत रि बाता रो कुस्ती रि लता रो

बुगुर्गा रि बात रो स्वाद ही न्यारॊ है भया

यो म्हारो राजस्थान है भया

धोरा रि रेत रो बाजरी र खेत रो मतिरिया रि लाप रो काकड्या रि छाप रो नज़ारो ई नयारो है भया

यो म्हारो राजस्थान है भाया

सावन रि बरसात रो खोखा र जांट रो फाल्गुन में होली रो

जीजा ओर साली रो प्रेम ही नयारो है भाया 

यो म्हारो राजस्थान है भाया

राखी प बहन ओर भाई रो लड़ाई में काकी ओर ताई रो बरात मे जमाई रो सरकारी स्कूल रि पढ़ाई रो रोब हि नयारो है भाया यो म्हारो राजस्थान है भाया

फॉफ्लया र साग रो बाजरी र रोट रो चावल ओर भात रो अठे तो करेज ई नयरो है भया 

यो म्हारो राजस्थान है भाया

लेखक - रामरतन सुड्डा





गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021

अंध भगति की राग

 ना रोटी ना कपड़ा बिन छत के मकान है 

अंड भुनागतो के लिए तो मोदी जी फिर भी भगवान है 

लूट कसोट का तोड़ नहीं महंगाई की गाड़ी फूल रफ्तार से दौड़ रही 

जय हो मोदी जय हो मोदी वह री गोबर भगतो तुम्हारा भी तोड़ नहीं

पिट्रोल डीजल के दाम आसमान छुरहे है किसान सड़कों पे सोरहे है कोई सुनने वाला नहीं 

जय हो मोदी जय हो मोदी वाह री गोबर भगतो तुम्हारा भी तोड़ नहीं

मोब्लिचिंग रुकी नहीं बलात्कारियों की कमी नहीं बेटी देश में सुखी नहीं गरीब देश का रो रहा है पुलिस प्रशासन नींद चेन कि सो रहा है 

जय हो मोदी जय हो मोदी वाहरे गोबर भगतो तुम्हारा भी तोड़ नहीं

आम जन को रोजगार नहीं पूंजी पतियों की मुठ्ठी में सरकार रही 

सरकारी कंपनियों को बेचे जा रहे हे पूंजीपति विदेश भागे जारहे है उनपर कोई रोक नहीं अर्थ वेवास्था डूब रही उसका कोई खौफ नहीं महंगाई की गाड़ी के रास्ते मोड़ नहीं

जय हो मोदी जय हो मोदी वाह री गोबर भगतो तुम्हारा भी तोड़ नहीं

अपने हक की मांग करने वाले देशद्रोही कहे जारहे है

मोदी मोदी कहने वाले देश प्रेमी होए जारहे है

जुबा पे लोकतंत्र की दुहाई है कोई गलत को गलत कहे तो निश्चित ही पिटाई है बेरोजगारी बढ़ाई है जहाजों में चढ़ाई है विदेशो में घुमाई है तानासाही आई है फिर भी मोदी जी की दुहाई है 

वाहरी गोबर भगतो तुम्हार बी तोड़ नहीं

महंगाई देश हित में जरूरी है मजदूर किसान की आत्महत्याएं महंगाई के रास्ते मजबूरी है अच्छे दिन आने में अभी कई सालों की दूरी है भूख गरीबी पर अभी ध्यान नहीं अच्छे दिनों में दूरी है बस अब तो देश हित में निजीकरण जरूरी है देश हित में अबकी बार दुबारा मोदी बहुत जरूरी है मोदी लाओ देश बचाओ इसमें कोई झोड नहीं

जय हो मोदी जय हो मोदी वाह रि गोबर भगतो तुम्हारा भी तोड़ नहीं


बुधवार, 17 फ़रवरी 2021

अंध भगत

 में अंध भगत बोल रहा हूं 

चाहे लाख बुरा हो मेरी गवाही में  

में तो मेरी नज़रों सेअच्छा ही तोल रहा हूं

में अंध भगत बोल रहा हूं 

में चुप रहता हूं हत्याओं पे में सोष्ण आत्या चारो पे भी

कहा बोल रहा हूं 

में अंध भगत बोल रहा हूं 

मैने देखा है मेरे नेता को जुर्म करते फिर भी में किसी के सामने कहा मुंह खोल रहा हूं

में अंध भगत बोल रहा हूं 

लोग करते है मेरे नेता की लाख बुराई बुरे है भी तो क्या हुआ में तो अंड भगत हूं में तो उन्हें अच्छा ही तोल रहा हूं

में अंध भगत बोल रहा हूं 

भूखा हूं तो क्या हुआ में मेरी पार्टी का झंडा तो थम रहा हूं

मुझे पता है मेरे नेता चोर है पर में उन्हें कब चोर बोल रहा हूं 

में अंध भगत बोल रहा हूं 

मेरे नेता को बलात्कारियों का सरगना कहने वालों तुम मूर्ख हो जो किसी की कही सुनकर भी कितना बोल रहे हो मैने तो देखा है नेता को कुकर्म करते पर में कहा कुछ बोल रहा हूं

में अंध भगत बोल रहा हूं 

तुम कहते हो झूठे वादे करते हैं तुम्हारे नेता मेरी नज़रों से देखो हर वादे पर खरे उतरते है मेरे नेता झूट कहा बोल रहा हूं 

में अंध भगत बोल रहा हूं 

सोमवार, 15 फ़रवरी 2021

क्या वाकई में भूत प्रेत होते है

 क्या इस संसार में हमारे बीच भूत प्रेत बुरी आत्माएं मौजूद है या ये हमारी कल्पना है वहम है 

हमारा दिलो दिमाग़ हमेशा इस विषयमें हरबार विचार करता है क्या इस धरती पर आत्मा (भूत प्रेत)वाकई में है या फिर हमारा वहम हैं क्या भगवान होता है या नहीं क्या कोई अदृश्य सकती मुश्किल समय में हमारी मदद करती है क्या कोई आत्मा भूत प्रेत हमे नुकसान पहुंचा सकते है 

आज इस लेख में हम इस विषयपर चर्चा करेंगे ओर सबसे पहले हम अपनी तर्क सक्ती सोच ओर बुद्धि से इस पहेली को सुलझाने की कोशिश करेंगे 

में भूत प्रेत के वजूद को नकारता हूं मेरा मानना है कि इस धरती पर भूत प्रेत जैसी कोई अदृश्य सक्ती नहीं है जो हमे कोई नुकसान पहुंचा सके

अगर हम इस विषयमें गहनता से सोचने ओर समझने कि कोशिश करे तो हम कुछ हद तक इस पहेली को सुलझा सकते है लेकिन पूर्ण रूप से नहीं 

मेरा पहला सवाल आपसे अगर किसी जिंदा इंसान के दोनों हाथ पैर काट दिए जाए तो क्या वो इंसान चलफिर सकता है या किसी इंसान को चोट पहुंचा सकता है आपका मानना होगा नहीं 

लेकिन मेरा मानना है वो फिर भी किसी इंसान को चोट पहुंचाने ओर इधर उधर जा पाने में सक्षम होगा 

आज के इस दौर में इतनी अत्याधुनिक मसिने है जिनकी सहायता से वो इंसान पहले वाले तथ्य को पूरा कर सकता है फिर वो चाहे किसी दूसरे इंसान की मदद से या अत्याधुनिक मसीनो की मदद से 

लेकिन वो इंसान किसी ऐसी अदृश्य शक्ति से नहीं जो हमें ना ही दिखाई लेती हो ओर नाही हमें उसका घटना से पहले कोई एहसास होता हो 

मेरा दूसरा सवाल आपसे ये है क्या एक पागल व्यक्ति बदले कि भावना से अपने दिमाग से कोई प्लानिग कर किसी दूसरे इंसान चाहे वो उसका दुश्मन हो या कोई निर्दोष वायक्ती को मारने की या कोई अन्य नुकसान पहुंचाने की सोच सकता है या वो इस घटना को अंजाम देसक्ता है आपका जवाब होगा नहीं 

ओर मेरा भी जवाब होगा नहीं क्योंकि अगर किसी व्यक्ति का दिमाग सही होगा तो वो पागल नहीं हो सकता ओर अगर किसी व्यक्ति का दिमाग खराब होगा तो वो कोई योजना(नीति)नहीं बना सकता इसका मतलब दिमागी रूप से कमजोर (पागल)इंसान ऐसा नहीं कर सकता जो इस तथ्य में दिया गया है

मैने ये तथ्य इस लिए रखा की अगर किसी इंसान के शरीर को पूर्ण रूप से नस्ट कर दिया जाए तो वो कैसे किसी को नुकसान पहुंचा सकता है अगर जीवित सरीर का कोई एक अंग काम करना बंद करदे तो इंसान किसी सवस्त इंसान की अपेक्षा सकती में कमजोर सिद्ध होगा तो मरने के बाद पूरा शरीर ही मिटी के समान होता है फिर वो किसी को क्या नुकसान पहुंचा पाएगा अगर हम इस तथ्य पर गहन विचार करे तो हम कुछ हद तक ये समझ सकते है कि अगर आत्मा या कोई भूत प्रत बुरी आत्मा जैसी कोई चीज होती भी ह तो हमे उससे डरने की कोई जरूरत नहीं होगी क्योंकि वो हमारा कोई नुकसान नहीं कर सकती

रविवार, 7 फ़रवरी 2021

जीवन परिवर्तन

    ""मेरी पहलनई दिशा""


अगर आप जीवन में कुछ करना चाहते है तो खुद को प्रकृति ओर समाज के हर मुश्किल हालातों से जूझ ना सीखना होगा 

ये समाज सोषण ओर आत्याचारियों का भरा पड़ा है यहां हर बेबस ओर लाचार लोगो का सोषण होता रहता है जिस तरह एक मछवारा मछली पकड़ने के लिए मछली को मांस का टुकड़ा दिखाकर उसे अपने जाल में फसा लेता है वो भी बड़ी ही मासूमियत से,उसी तरह आपको भी लुटा जाना संभव है कुछ आंखे दिखाकर लूटेंगे तुमको तो कोई आंखे लड़ा कर तो कोई आपके हमदर्द बनकर लूटेंगे तो कोई सरेआम दुश्मन बनकर

आप को ये जानना ओर समझना जरूरी है इन लुटेरों से कैसे बचा जाए ओर कैसे इनकी पहचान होगी 

मेरा मानना है सरेआम दुश्मन बनकर लूटने वालो से हमदर्द बनकर लूटने वाले ज्यादा घातक होते है शायद सबसे ज्यादा दर्द (पीड़ा)भी हमे तब होती है जब कोई अपना बनकर हमरा सोषण करे(हमसे धोखा करे) फिर चाहे वो सोषण (देहिक हो या आर्थिक )मैने सरेआम दुश्मन बनकर लूटने वाले को कुछ हद तक कम घातक कहा है इसका कारण मैने ये माना है इसमें आपको अपनी शक्ति प्रदर्शन का अवसर मिलता है जिसमें हार ओर जीत एक टॉस वाले सिके के समान होती है जीत आपकी भी सकती है ओर आपके प्रतिद्वंदी की की भी ओर पहले तथ्य में जीत छल कपट ओर आपसे धोखा करने वाले की निश्चित है

अगर आपके दिलो दिमाग़ में अपना लक्ष्य लोहे की रोड के समान है जिसे हथोड़े की चोट से तोड़ा मोड़ा या नया आकर तो दिया जासकता है लेकिन उसके वजूद को ख़तम नहीं किया जसाक्ता तो आपको अपने दैनिक जीवन में कुछ बदलाव जरूर करने चाहिए जिससे आप अपने उन सोषणकरी यो से बच सके उन्हें पहचान सके जो आपके जज्बातों से खेलकर आपका सोषण करने का हुनर रखते है

मेरे ख्याल से आपको सादा जीवन अपनाना चाहिए वो भी ऐसा जिससे लोग आपको कमजोर ओर लाचार समझने लगे 

मैने ऐसा क्यों कहा मेरा जहातक मानना है ऐसा करने से आप उन लोगो से पर्दा आसानी से हटा सकते है जो कल आपके सफल होजाने के बाद आपके हमदर्द बनेंगे ओर आपसे आर्थिक लाभ हासिल करेंगे 

आप जिस निंद्न्य हालात में रहेंगे तो वेलोग जो आपके हमदर्द नहीं है या यों कहें सवार्थ के हितेसी हैं वो लोग आपकी मजाक उड़ाएंगे आपकी बेजती करेंगे आपकी चुगली करेंगे वो भी आपके सामने मगर आपको एक बात ध्यान में रखनी होगी अपनी सफ़लता का ढिंढोरा पीटे बिना सब सुनते रहना होगा जबतक आप सफल नहीं हो जाते, नहीं तो आप अपने ओर पराए को पहचान पाने में असफल रहोगे, आपके हमदर्द आपका कभी मजाक नहीं बनाएंगे आपका सहयोग करेंगे जैसा उनसे होगा ओर आपकी ब्येजती करने वालो का आपके साथ डटकर विरोध भी करेंगे 

इस विषयपर मेरे दो मत है ऐसा नहीं है कि आपका इन मुस्किल हालातों लोगो की बुरी भली सुनने वालों में आपके साथ खड़ा होने वाला आपका सच्चा हीतेसी है 

इस विषयपर आपको ओर गहन चिंतन मंथन की जरूरत है आपको उस इंसान पर चोक्स नज़र रखनी चाहिए होसक्ता है वो इंसान किसी निजी स्वार्थ से भी आपके साथ खड़ा हो ओर अपना स्वार्थ पूरा होने के बाद उसकी वजह से आपको ओर भी शर्मिंदा होना पड़े , इस विषयपर आप को उस इंसान को पूरी बुद्धिमता से आजमाना चाहिए क्या पता उसकी नज़र आपके जिस्म या आपके परिवार की किसी बहिन बेटी के जिस्म पर हो 

आपका सच्चा हितेसि वहीं होगा जो आपकी इज्जत से खेलने की नीयत के बगैर मुश्किल से मुश्किल हालातों में भी आपके साथ खड़ा रहेगा जहां तक मेरा मानना है कुछ लोग जिस्म की चाह या यों कहें अपने हवस कि प्यास बुझाने के लिए आपका हमदर्द बनकर आपको आर्थिक मदद या वैचारिक रूप से आपके दिल में जगह बनाकर आपके जज्बातों से खेलने में कोई संकोच नहीं करते, ओर अपने चाह पूरी होने के बाद वो आप से इतनी नफरत करने लगते है मानो आपसे कोई जाति दुश्मनी हो आपकी सफलता तभी पूर्ण रूप से सफलता होगी जब आप किसी सोषणकारी के सोषण नीति को समझने में कामयाब होजाओ गे 

अगर आप पढ़ाई लिखाई में अपने आप को किसी ओर इंसान से कमजोर समझते है तो में इस बात को नकारता हूं क्योंकि गीमाग कुछ हद तक सभी इंसानों का समान ही होता है हा कुछ इंसानों में तर्क सकती अपने आप विक्सित होजाती है अपितु कुछ इंसानों को अपनी कठिन मेहनत से दिमाग को विकसित करना होता है पर मेरे ख्याल से ऐसा होना असम्भव है कि कोसिसो के बाद भी आपका दिमाग़ सामान्य रूप से ही काम करता रहे हां अगर आप की जिस कार्य में रुचि नहीं है आप उस कार्य को करने के लिए भृष्क प्रयास करते है तो आप उस इंसान के मुकाबले कुछ हद तक कामयाबी के रास्ते पीछे रहोगे जो इंसान अपनी रुचि के अनुसार परिश्रम (मेहनत) करता है अथार्थ जो अपनी रुचि के अनुरूप ही काम करने की ओर अग्रसर होता है

मेरे ख्याल से सभी इंसानों को समान कार्य में सफलता के समान अवसर मिलते हे कुछ इंसानों को ज्यादा अवसर इसलिए मिलते क्योंकि उनकी रुचि ओर मेहनत अनेकों कार्यों में लगी होती है एक विशेष कार्य में रुचि रखने वाले इंसान की अपेक्षा अनेकों कार्यों में समान रुचि ओर कठिन मेहनत करने वाले लोगों को सफलता के ज्यादा अवसर मिलते है इसका कारण ये है एक रोजगार समाप्त होसकता है अनेकों रोजगार एक ही समय में(एकसाथ) समाप्त होने की संभावना, ना ,के बराबर होती है जैसे रेडियो बनाने वाली कंपनी के पास आज रोजगार के कम अवसर है ओर मोबाइल फोन कंप्यूटर लैपटॉप बनाने वाली कंपनी के पास रोजगार के ज्यादा अवसर होंगे, लेकिन रेडियो बनाने वाली कंपनी अगर अपनी तकनीक को ओर नए तरीके से विकसित करने को अग्रसर हो तो वो अपने रोजगार के अवसर बचा सक्ती है, ठीक इसी तरह अनेकों कार्य करने में रुचि रखने वाले के पास सफलता के ज्यादा अवसर होते है अगर आपको लगता है आप जिस दिशा में बढ़ रहे है जिस दिशा में रोजगार के कम अवसर हे तो आपको अपना रास्ता बदल लेना चाहिए लेकिन आपको रास्ता ऐसा चुनना चाहिए जिससे अवसर मिलने की संभावना होने पर पहले वाली मंजिल तक पहुंचने में भी कोई दिक्कत ना हो अर्थात आप जिस कार्य में मेहनत कर चुके है उसे पूर्ण रूप से छोड़ देना मूर्खता होगी आपको उसमें भी कामयाबी के अवसर खोजते रहना चाहिए 

जिस तरह एक सफल किसान अपने खेत में कम अनाज उगने पर भी अपने खेत को नए सिरे से बिजने में कम विश्वास रखता है इसमें किसान का मानना है क्या पता नया उगे यही यानी जो ह उसे खोकर ज्यादा पाने कि उम्मीद रखने में किसान विश्वास नहीं रखता

कुछ इंसानों के साथ प्रकृति ने धोखा जरूर किया है पर सभी इंसानों के साथ नहीं में इस लिस्ट में अनलोगों को सामिल करता हूं जो जन्म जात अंधे गूंगे बहरे या पागल(मंद बुद्धि) के होते हैं या कुछ कारणवश बाद में सरिर से अपने महत्वपूर्ण अंगो को खो देते है 

इनमे भी दर्ड निश्चय वाले लोग किसी के सहारे जीवन जीने की अपेक्षा ना रखते हुए खुद को इस काबिल बना लेते है जिससे वे अपने परिवार ओर खुद की जरूरतों को पूरा कर सके 


ये लेख आपको कैसा लगा हमे कॉमेंट कर जरूर बताए ताकि हम आज को कल से बेहतर बना सके


लेखक - रामरतन सुड्डा




शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2021

किसान आंदोलन

 


किसान तेरी मेहनत को सैल्यूट ये भारत करता है

तेरा खून पसीना ही तो पेट देश का भरता है

कोई पूछो इन पूंजीपतियो से क्या नोटों से पेट कभी भी भरता है 

खाकर के अन किसान का ओ पैसे वाले क्यों नामक हरामि करता है 

चन्द दौलत के लालच में क्यों हिटलर जैसे शासन की क्यों पक्ष तू डटकर करता है

अब तो सोच किसान की जो खुद भूखा सोस्कर के भी पेट देश का भरता है

किसान तेरी मेहनत को सैल्यूट ये भारत करता है

तेरा खून पसीना ही तो पेट देश का भरता है

विपदा आई अन दाता पर तू चेन से कैसे सोता है 

तेरा यो किसान देश का दिल्ली बोडर पे खून के आंसू रोता है

हक़ अपने पे लड़ने वाला क्या देश देशद्रोही होता है 

क्या वहीं है असली देश प्रेमी जो मेरे देश के नेताओं की अंद गुलामी करता है

रामरतन सुड्डा क्यों जरासा भी आभास तुम्हे ना होता है

सोच समझ इन पाखंडियों को क्यों अंधभक्ति में रहता है

किसान तेरी मेहनत को सैल्यूट ये भारत करता है

तेरा खून पसीना ही तो पेट देश का भरता है


Love shayeri bewafa shayeri dard bhri shayeri lavitaye kahaniya motivsnal or samajik stori

Kisi ka jhukne n dena sis lachari me

किसी का झुकने न देना सीस लाचारी में बेमानी का सीस उठने न देना खून है तुम्हारी नसों में ईमान का  इसे बेमानो से मिटने न देना  बाहें तुम्हारी भ...