किसान तेरी मेहनत को सैल्यूट ये भारत करता है
तेरा खून पसीना ही तो पेट देश का भरता है
कोई पूछो इन पूंजीपतियो से क्या नोटों से पेट कभी भी भरता है
खाकर के अन किसान का ओ पैसे वाले क्यों नामक हरामि करता है
चन्द दौलत के लालच में क्यों हिटलर जैसे शासन की क्यों पक्ष तू डटकर करता है
अब तो सोच किसान की जो खुद भूखा सोस्कर के भी पेट देश का भरता है
किसान तेरी मेहनत को सैल्यूट ये भारत करता है
तेरा खून पसीना ही तो पेट देश का भरता है
विपदा आई अन दाता पर तू चेन से कैसे सोता है
तेरा यो किसान देश का दिल्ली बोडर पे खून के आंसू रोता है
हक़ अपने पे लड़ने वाला क्या देश देशद्रोही होता है
क्या वहीं है असली देश प्रेमी जो मेरे देश के नेताओं की अंद गुलामी करता है
रामरतन सुड्डा क्यों जरासा भी आभास तुम्हे ना होता है
सोच समझ इन पाखंडियों को क्यों अंधभक्ति में रहता है
किसान तेरी मेहनत को सैल्यूट ये भारत करता है
तेरा खून पसीना ही तो पेट देश का भरता है
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