पढ़े लिखे शिक्षक बने,अनपढ़ बने फकीर
ज्ञान नाम की चीज नहीं,देखे बैठ लकीर
काम चोर नेता बने,मेहनत कैस गरीब
ढोंग रचा चंदा वसूले,बने घर बैठे अमीर,
मेहनत कर अफसर बने, काहे बेचो अपना जमीर
दौलत बदले फर्ज बेच, काहे करो बनके अमीर
पढ़े लिखे शिक्षक बने,अनपढ़ बने फकीर
अपराध कर नेता बने,बिन गुरु बिन पिर,
अपराध छुपे तो भोग चढ़ाऊं,बनके दानी वीर
अंधे मन सुख मिले, जे राजी हो नाथ फकीर
आलस किए जट बढ़ी, देह पर गेरियो न ढंडो निर
माथे ऊपर राख रगड़, बनगयो नाथ फकीर,
पढ़े लिखे शिक्षक बने,अनपढ़ बने फकीर
पढ़े लिख्यां की मति मरी,यो बदलगो तकदीर
अंधा होके भोग चढ़ावे,खीर चढ़ावे नीर
पढ़े लिखे शिक्षक बने,अनपढ़ बने फकीर
मेहनत कर लुखो खाए, ढोंगी खाए खीर
ज्ञान नाम की चीज नहीं,देखे बैठ लकीर