बुधवार, 31 मार्च 2021

पढ़ लिखकर शिक्षक बने

 पढ़े लिखे शिक्षक बने,अनपढ़ बने फकीर

ज्ञान नाम की चीज नहीं,देखे बैठ लकीर

काम चोर नेता बने,मेहनत कैस गरीब

ढोंग रचा चंदा वसूले,बने घर बैठे अमीर,


मेहनत कर अफसर बने, काहे बेचो अपना जमीर

दौलत बदले फर्ज बेच, काहे करो बनके अमीर

पढ़े लिखे शिक्षक बने,अनपढ़ बने फकीर

अपराध कर नेता बने,बिन गुरु बिन पिर,


अपराध छुपे तो भोग चढ़ाऊं,बनके दानी वीर

अंधे मन सुख मिले, जे राजी हो नाथ फकीर

आलस किए जट बढ़ी, देह पर गेरियो न ढंडो निर

माथे ऊपर राख रगड़, बनगयो नाथ फकीर,


पढ़े लिखे शिक्षक बने,अनपढ़ बने फकीर

पढ़े लिख्यां की मति मरी,यो बदलगो तकदीर

अंधा होके भोग चढ़ावे,खीर चढ़ावे नीर

पढ़े लिखे शिक्षक बने,अनपढ़ बने फकीर

मेहनत कर लुखो खाए, ढोंगी खाए खीर

ज्ञान नाम की चीज नहीं,देखे बैठ लकीर



14 अप्रैल बाबा साहेब dr.br.ambedker jyenti

 मनप्रशन खुशहाल चमन चहरे पर लाली आ रही है

मेरे बाबा साहेब की जयंती आ रही है

दलालों के लिए दलाली का अवसर सच्चे भीम सिपाहियो के लिए खुशियां आ रही है 

मनप्रशन खुशहाल चमन चहरे पर लाली आरही है

मेरे बाबा साहेब की जयंती आरही है

बेजान जिस्मो में भी अब तो जान सि आरही है दिल में उमंग लाखों लाख चहरों पर खुशियां छा रही है

मनप्रशन खुशहाल चमन चहरे पर लाली आरही है

मेरे बाबा साहेब की जयंती आरही है

जुमले बाजों के लिए जुमले बाजी का अवसर सियासत वालो के लिए सियासी अवसर ला रही है 

बाबा साहेब की संतानों के लिए आ रहा है ल्योहार समाज के ठेके दरों के लिए कमाई का अवसर लारही है

मनप्रशन खुशहाल चमन चहरे पर लाली आरही है

मेरे बाबा साहेब की जयंती आरही है

वोट बटोरने वाले बटोरेंगे वोट दिखावे के भीम दीवाने बनकर चढ़ा कर फुल मेरे बाबा साहेब के चरणो में और पहनाकर माला बड़ी स्टेजो पर झूठे बहुजन हितेसी लोगो की बाढ़ सी आ रही है

मनप्रशन खुशहाल चमन चहरे पर लाली आरही है

मेरे बाबा साहेब की जयंती आरही है

सच्चे भीम सिपाहियो के लिए खुशियां और सोए समाज को जगाने का अवसर ला रही है

कुछ लिखूं कुछ बोलूं कुछ गुनगुनाऊं मन मस्तिष्क में उमंग सी छारही है

मेरे दाता मेरे विधाता मेरे इश्वर मेरे अल्लाह में हु जिसका गुलाम मेरे बादशाह की जयंती आ रहि है

मनप्रशन खुशहाल चमन चहरे पर लाली आरही है

मेरे बाबा साहेब की जयंती आरही है

मंगलवार, 30 मार्च 2021

सारा संसार दुखी क्यों

ना तुम सुखी,ना में सुखी सुखी ना जग में कोय

ना में सुखी ना तुम सुखी, सुखी ना जगमे कोय

में तो सुखी उसे मानू ,जो भर पेट भोजन कर 

नींद चेन की सोय,


लालच करे ना धन बढ़े,बुरा किए ना मान 

छीन झपट धनी हुए का, काहे का आदर मान,


धन बढ़े ना सुख मिले,मिले दिखावे का आदर मान

बोले कटु वचन अपमान मिले ,मिले मीठी वाणी से मान

मन शुद्ध वाणी को राखिए,नित बढ़े सम्मान,


बादाम खाएं ना अक्ल बढ़े, ठोकर खाए बढ़े ज्ञान

इज्जत किए इज्जत मिले,अपमान किए ना मान

मन में धीरज राखिए,ना पल में बड़ा कोई होए

ना में सुखी ना तुम सुखी, सुखी ना जगमे कोय,


घृणा तृष्णा छोड़िए,मन सुखी जा होय

जो लालच मन में रहे कोहे,तो सुख काहे का होय,


जलन और एशिया है दुखदाई,रहे कहेको मन में पाल

जरूरत से ज्यादा माया मिले,तो जाल दुखों का होय

रखे मन में धन की लालसा,तो सुख कहेका होये

ना में सुखी ना तुम सुखी, सुखी ना जग में कोय






Bhart ke rajnitik dall

 में दस पन्द्रह दिनों से किसी काम से लुधियाना पंजाब गया हुआ था आज मुझे अपने काम से थोड़ी फुर्सत मिली तो सोचा इधर उधर घूम आता हूं में बाहर टहलने निकला ही था की मुझे एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति बाहर धूप में बैठे मिले तो मैने सोचा क्यों न इनसे कुछ बातचीत कर लेते है इनका भी टाईम पास होजाएगा और हमे भी कुछ सीखने को मिलेगा तो में उनके पास गया और प्रणाम किया और ओर वहा खड़ा होगया उन्होंने मुझसे पंजाबी भाषा में कुछ कहा लेकिन मुझे पंजाबी नहीं आती हे तो में कुछ समझा नहीं ओर मैने उनको बोला पिता तुल्य श्रीमान जी मुझे पंजाबी नहीं आती अगर आपको हिंदी आती हो तो क्या कह रहे थे हिंदी मुझे बताइए और फिर उन्होंने थोड़ा जोर से पंजाबी भाषा में फिर आवाज लगाई मैने सोचा इनको शायद हिंदी नहीं आती होगी तो पंजबी में कहा होगा की मुझे हिंदी नहीं आती ऐसा कुछ सोच कर में वाह से चलने लगा इतने में अंदर से एक बच्चा कुर्सी लेकर आया और बोला अंकल जी बैठ जाइए और में कुछ समझ नहीं पाया था की बच्चे हिंदी बोल रहे है और ये पंजाबी पे पंजाबी बोले जारहे है में फिर से चलने लगा तो उन्होंने मुझे फिर से आवाज लगाई और बोले बैठो बेटा ये कुर्सी आपके लिए ही मंगवाई है बेटा तुमने कहा आपको पंजाबी नहीं आती मै समझ गया था तुम बाहर से आए हो फिर उन्होंने मुझसे कहा बेटा तुम कहा के रहने वाले हों मैं कुछ देर कुछ नहीं बोला में सोच रहा था इन्हे पता ही था की मुझे हिंदी नहीं आती तो फिर इन्होंने इतनी देर तक मेरी बात का जवाब क्यों नहीं दिया में इस बारे में मान्यवर से पूछने ही वाला था की उन्होंने बोल ही दिया क्या सोच रहे हो बेटा यही की मैने आपकी बात का जवाब पहले क्यों नहीं दिया हिंदी में बेटा में देख रहा था आपका ध्येय कितना है और आप ये सोच कर की मुझे हिंदी समझ नहीं आती ओर आप मेरे बारेमे क्या बोलो में समझ गया था में किसी ऐसे इंसान के पास बैठा हूं जो कोई विद्वान है ज्ञानी है मुझे बहुत खुशी हुई और ओर मैने विचार किया क्यों न किसान आंदोलन पर ही चर्चा की जाए मैने बड़ी ही उत्सुकता से उनसे सवाल किया साहेब आपके लोग इस देश के लिए हमेसा ही कुर्बानियां देते आए है और अब फिर देश को पूंजी वाद से बचाने और देश के गरीब मजलूम परिवारों को बचाने के लिए महीनो से सड़को पे है मैने उनसे कहा मुझे बताए जब जब देश पे विपदा आई है पंज़ब के लोगो ने अपना सबकुछ देश के लिए कुर्बान किया है और अब भी किसान आंदोलन में योद्धा बनकर सामने आए है मैने कहा जब जब पंजाबी सड़को पर उतरे है वो जीतकर ही लोटे है क्या अबकी बार भी ऐसा ही होगा क्या सरकार को आखिर में किसानों के आगे झुकना ही पडेगा मेरी यह बात सुनकर उन्होंने कहा हां पंजाबी कभी भी किसी भी हालत में हो वो कभी हालातों से समझौता नहीं करते ओर वो अब भी समझौता नहीं करेंगे वो जीतकर ही वापस लौटेंगे

उनकी बात सुनकर मेरा मन भी खुश होगया और मैने उनसे एक ओर सवाल किया 

साहेब बीजेपी की जब से सरकार बनी ह जबसे देश में अशांति और अराजकता ही फैली है अब तो देश के सभी जनता इस सरकार की तानाशही से परेशान सी हो गई ह

अब तो सरकार भी बदलनी निश्चित है आगे जनता अच्छी सरकार को चुनेगी और फिर देश में शांति और सुख समृद्धि आएगी 

फिर उन्होंने मुझसे कहा कुछ नहीं होने वाला इस देश का ये पीछे आजादी से अबतक जिन परेसानियो को झेल रहा है आगे भी ऐसे ही झेलता रहेगा देश का किसान और जवान ऐसे ही कुर्बानियां देता रहेगा और नेता और अफसर मिलजुलकर ऐसे ही देश को लुटते रहे है और रहेंगे 

मैने उनसे कहा ऐसा क्यों अब तो देश के सभी वर्ग और समूह शिक्षित होगया है वो सब समझते है अब ऐसा नहीं होने देंगे 

फिर उन्होंने कहा बेटा ऐसा कुछ नही होने वाला और नाही कोई जानता में बदलाव आया है इस देश में ऐसे इस किसान आंदोलन से कई गुना ज्यादा बड़े बड़े आंदोलन हुए है और होते रहेंगे पहले भी बहोत से वीर सपूतों ने इस मिटी की रक्षा करते करते इसी मिटी के कतरे कतरे में अपने लहू के कतरे कतरे को मिलाया है 

आज उसी के फल से हम अपने को स्वतंत्र महसूस कर रहे हे लेकिन उनके कफन को भी नहीं बक्शा इन नेताओं ने उनको भी बेचखाया 

फिर उन्होंने मुझसे कहा बेटा में आपको एक कहानी सुनाता हु ध्यान से सुनना

माने हां में सर हिलाया और उन्होंने बताना सुरु किया उन्होंने कहा किसी गांव में दो भाई रहते थे दोनो हमेशा आपस में लड़ते झगड़ ते और गांव वालो के सामने एक दूसरे की कमियां निकलते रहते गांव के कुछ लोग एक भाई की पक्ष में रहते ओर कुछ दूसरे की पक्ष में रहते दोनो हरबार सरपंच के चुनाव में सरपंच उम्मीदवार के रूप में खड़े होते एक योजना में एक भाई सरपंच बनता तो दूसरी योजना में दूसरा भाई

कहानी अभी सुरु ही किथि की मुझसे रहा नही गया और मैने उनसे पूछ लिया इस कहानी से हमारे देश के विकाश से क्या लेना देना है उन्होंने कहा आप सुनते रहिए इसी खानी में छिपा है अपने देश की बरबादी का कारण मैं समझ नहीं पाया था सरपंच के चुनाव ओर देश की अर्थ वयवस्था से क्या लेना देना है मैने फिर से उनसे कहा आप कहानी सुरु कीजिए

उन्होंने कहा हम कहा थे मैने कहा सरपंच वाले टॉपिक पे उन्हें हा तो ऐसे ही दोनो भाई बारी बारी सरपंच बन जाते ओर धन की खूब लूट मचाते एक भाई थोड़ा बहुत काम करवाता तो दूसरा भाई उसे तोड़कर उसे नया रूप देदेता ओर अपने छोटे भाई की कमियां और दोष गिना देता जनता सोचती ये अच्छा है ये गांव का सही विकाश करेगा ओर जब छोटा बड़े भाई की कमियां गिनता और बुराई कर्ता तो गांव के लोग सोचते ये सही ह ये सही काम करेगा ओर दूसरी योजना में दूसरे को चुन लेते दोनो गांव वालो की नजर में तो लड़ते झगड़ते रहते एक दूसरे के घोटाले गिनाते लेकिन कानून रूप से कोई कार्यवाही नहीं करते जब छोटा सरपंच बनता तो बड़े की फाइलें दबा देता ओर बड़ा सरपंच बनता तो छोटे की फाइलें दबा देता 

ओर बारी बारी सता का सुख भोगते रहते कई सालो तक ऐसा ही चलता रहा एक दौर ऐसा आया किसी ने दोनो भाईयो के सामने चुनाव लडने का विचार किया तो दोनो भाईयो तक बात पहुंची तो रात में दोनो ने बाठकर विचार किया अगर कोई तीसरा सरपंच बना तो हमारे सारे राज खुल जायेंगे और हमे जेल की हवा खानी पड़ेगी तो दोनो ने विचार किया किसी भी हालत में इसे चुनाव से रोकना होगा ये विचार कर पहले तो दोनो भाईयो ने उसे धन का लोभ देकर खरीदना चाहा लेकिन वो नहीं माना फिर दोनो ने विचार किया क्यों ना तुम मुझपर घोटाले का मुकदमा करदो और जसे ही कार्यवाही होगी तुम मुकदमा वापस लेलेना गांव के लोगो को कसे पता चलेगा मुकदमा चल रहा ह या नहीं मुकदमे की खबर अकबार में छपे गी टीवी पे चले गी तो लोगो का आप पे भरोसा होगा ओर फिर से आप ही सरपंच बनो गै फिर हमे अपने घोटाले छुपाने केलिए 5 साल मिलजाएंगे फिर हम सब कारनामे छुपा देंगे और ऐसा ही हुआ छोटा सरपंच फिर बन गया 

माने उनसे कहा इस कहानी से में कुछ भी नही समझा आप कहना क्या चाहते हो फिर उन्होंने कहा तुम कितने नादान हो ना समझ हो बेटा जसे उस गांव के सरपंच कर रहे थे वैसे ही हमारे देश के दोनो सता धारी दल कर रहे हे देश की जनता के सामने तो ड्रामा करते है पर आपस में दोनो एक ही है अगर एक ना होते तो हमारे देश के वरिष्ठ नेताओं मै से आधे जेल ही हवा खा रहे होते में सबकुछ समझ चुका था की श्रीमान जी इस कहानी से मुझे क्या समझना चाहते है 

आप क्या समझे हमे कॉमेंट कर जरूर बताएं 

सोमवार, 29 मार्च 2021

भगवान में आस्था सही या गलत

 अगर कोई भगवान(देवता)किसी इंसान को उसके अस्तित्व को नकारने या उसकी पूजा पाठ नकरने पर उसमे आस्था न रखने पर किसी को कोई नुकसान पहुंचाए तो उसे भगवान(देवता) नहीं मेरे ख्याल से उसे तानाशाह कहना उचित होगा ओर किसी भी इंसान के लिए किसी तानाशाह की गुलामी और यातनाएं सहकर सो साल जीवन जीने की अपक्षा की बजाए मेरे ख्याल से उस तानाशाह की बगावत कर संघर्ष मय जीवन के कुछ पल जीना ही उन सो सलो से हजारों गुना ज्यादा बेहतर सिद्ध होंगे 

आस्था एक अंध गुलामी है जो इंसान को अपनी अदृश्य चार दिवारी के अंदर बंधक बनाकर रखती है और उस चारदीवारी को फांदना बड़े जिगर वाले भगतसिंह और बाबासाहेब डॉक्टर अंबेडकर जैसे महान विद्वानों का काम हैं फुजदिलो का नहीं

आस्तिक इंसान अंदर से कमजोर होते है उनके अंदर महज कल्पनाओं की बगावत करने का भी दम नहीं होता है 

क्योंकि आस्था एक काल्पनिक विचार है और भगवान का नाम उस काल्पनिक दुनिया का द्वार है

अगर पूजा पाठ किसी इश्वर की भगति करने से अगर कष्टों का निवारण संभव है तो 99%लोग आस्तिक है चाहे वो किसी भी धर्म और समुदाय से हो वो अपने कुल के अनुरूप आस्था रखते है वोभी सच्चे दिल ओर लग्न से तो फिर 99.99%लोग दुखी क्यों 

सभी के जीवन में सुख चैन अमन और शांति क्यों नहीं 

इसे भगवान का लेख या भवन की करणी कहकर टालना उचित नहीं होगा ओर अगर आप इस दुख के कारण को भगवान का लेख या करणी कहकर टालते हो तो आपको मेरी नीचे लिखी बातों का जवाब देना होगा अगर कोई महज12 महीने की बच्ची के दुष्कर्म का सीकर होना किसी मासूम को पैदा होते ही गटर का नसीब होना नादान उम्र में ही किसी मासूम बच्चे का किसी हादसे या गंभीर बीमारी का सीकर होना किसी मासूमों के पैदा होते ही उनके सर से माता पिता का साया छीन जाना किसी बूढ़े मां पाप की आंखो के सामने उनका इकलौता सहारा छीन जाना भी तो फिर उसी इश्वर का लेख होगा अगर ये सब उस सर्वशक्तिमान ईश्वर के लिखे लेख से ही होता है

ओर अगर सभी इंसानों उसी विधाता के लेख के अनुसार ही जीवन मिलता है और उसी की लिखी विधि अनुरूप ही सभी को चलना है तो एक चोर को किसी इंसान द्वारा चोरी की सजा देना तो इश्वर का अपमान होगा 

एक डॉक्टर द्वारा किसी बीमार चोटिल इंसान का सही इलाज कर उसे मरने से बचा लेना किसी साइंटिस्ट द्वारा किसी बीमारी का इलाज खोजकर उस बीमारी को खत्म करना भी इश्वर के लेख के साथ खिलवाड़ करना होगा अगर आपके धर्म ग्रंथो को सही माने तो सबसे ज्यादा तो पाप के भागी तो डॉक्टर और वैज्ञानिक होगे जो उस विधाता के लेख को बदले की पुरजोर कोशिश करते है अब आप इस बात को ये कहकर सही साबित करना उचित नहीं होगा की खुद इश्वर ने ही डॉक्टर को इस कार्य के लिए बनाया है विधि में खुद विधाता ने उसके लिए ये कार्य लिखा है तो आपको नीचे लिखे इस तथ्य का भी जवाब देना होगा

एक सीकारी किसी निर्दोष अनबोल जीव को मारकर खाता है तो आप और आपका भगवान उससे संवर्ग और नर्क का चयन नहीं कर सकते क्योंकि आपके धर्म ग्रंथो के अनुसार सभी इंसानों की किस्मत और कार्य सब विधाता का लेख है जिसके लिए विधाता ने जो लिख दिया उसे वैसा ही आचरण करना पड़ेगा तो आपका सर्वशक्तिमान ईश्वर उसे किसी जुर्म का दोषी कसे ठहराएगा उन सभी गलत कामों का दोषी सवये तुम्हारा इश्वर है क्योंकि एक अपराधी के जीवन में अपराध खुद तुम्हारे इश्वर ने लिखे है किसी मंदिर में हुए किसी ओरत या बच्ची के बलात्कार का जिम्मेवार खुद तुम्हारा इश्वर है और मंदिर के स्थान का लेखन तुम्हारे इश्वर ने किया है वो भी किसी मासूम की जिंदगी से खेलने के लिए किसी आह्वान को सारण देने के लिए सभी इंसानों के कर्म तुम्हारे उसी सर्वशक्तिमान ईश्वर ने लिखे है

ओर आपका सर्वशक्तिमान ईश्वर ही संसार के सभी दुखों और अपराधो का कारण है 

ओर एक अपराधी की पूजा अर्चना करना मूर्खता है




रविवार, 28 मार्च 2021

Holika dahan

 क्या अजीब किसा है होली के जलाने का 

दूसरे दिन गुलाल पटाखे और रंग पिचकारी चलाने का

बिन पुतले के झाड़ लकड़ी के आग लगाने का 

नादान पेड़ को काटकर सुखी लकड़ी के बीच सजाने का

आग लगाकर लकड़ियों के ढेर को पहले मारा किसी पेड़ के बचे को फिर आग की लपटों से बचाने का

क्या अजीब किसा है होली के जलाने का

इकट्ठा कर ढेर लकड़ियों का होलिका नाम बताने का 

नादान पेड़ को काट कर प्रहलाद नाम जताने का

गोबर के बनाकर उबले छोटे होली नाम सजाने का

क्या अजीब किसा है होली के जलाने का

पहले पूजा फिर रंग दूजा क्रोध से आग लगाने का बुरे को जलाना जायेज है पर ये रिवाज कैसा पहले पूजन कर फिर आग लगाने का

क्या अजीब किसा है होली के जलाने का

बच्चे तो देखे है अक्षर मात पिता के अनुरूप ही आचरण करते प्रहलाद का तो किस्सा ही अजीब ह नासमझ उम्र में भी ईश्वर के अस्तित्व को लेकर अपने ही पता के सामने बगावत पर उतर आने का

क्या अजीब किसा है होली के जलाने का

शनिवार, 27 मार्च 2021

तारीफ ए हुसन

 हुस्न की तारीफ ना कर ओ मुसाफिर तारीफ के हकदार अच्छे विचार होते है

अक्षर बिकते देखे है हुस्न मैने बीच बाजारों में जिनके साफ चहरे और चरित्र पर हजारों दाग होते है

हुस्न की तारीफ ना कर ओ मुसाफिर तारीफ के हकदार अच्छे विचार होते है

हुस्न वाले करते देखे है मैने मुजरे महफिलो में अच्छे विचारों वाले हुक्मरान होते है

हुस्न की तारीफ ना कर ओ मुसाफिर तारीफ के हकदार अच्छे विचार होते है

नोच लिए जाते है हुस्न वाले के हुस्न चंद पेसो की आड़ में वो हरगिज नहीं नोचे जाते जिनके विचारों में फोलाद होते है

हुस्न की तारीफ ना कर ओ मुसाफिर तारीफ के हकदार अच्छे विचार होते है

तुम तो कहते हो जला देते है हम सामने वाले को अपने हुस्न की आग से 

सुन ओ पागल हुस्न के जलाए भी वही जलते है जिनके कपड़े साफ और चरित्र में हजारों दाग होते है

उन्हें तो आग के सोले भी नहीं जलापते जिनके विचार सुथरे और साफ होते है

हुस्न की तारीफ ना कर ओ मुसाफिर तारीफ के हकदार अच्छे विचार होते है

अंत तो होना ह एक दिन सभी का बिना हुस्न वाले भी होंगे खाक एक दिन और हुसन वाले भी खाक होते हैं

हुस्न की तारीफ ना कर ओ मुसाफिर तारीफ के हकदार अच्छे विचार होते है

शुक्रवार, 26 मार्च 2021

बिकाऊ वोट

 बिक जाते है वोट मेरे देश में महज कुछ सपनो में

बाटेंगे मोदी जी पंद्रह पंद्रह लाख रुपए दे दिये वोट मोदी को झूठे इन जुमले में

बिक जाते है वोट मेरे देश में महज कुछ सपनो में

बिक रहा है देश तुम देखते रहो अच्छे दिन आज फिर सपनों में 

मोदी जी थमा रहे है देश पूरा दो चार मित्र प्यारे अपनो में

ईवीएम का ढोल बजाओ झंडा लेकर हाथो में सुबहा फिर ताली बजाने आजाना यहां तो कानून तक लगा दिए जाते है घोर अंधेरी रातों में

बिक जाते है वोट मेरे देश में महज कुछ सपनो में

विकाश नहीं विकाश नहीं कोई कमी तो ना रही आवाज से आवाज मिलाने में लुटिया तो डुबसी गई अब क्या फायदा चीखने और चिलाने में

बिक जाते है मेरे देश में वोट महज कुछ सपनो में

विकाश देखना हो तो बंद करदो देखना जमी और गरीब घरों के आस्यानो में बस देखो टीवी पढ़ो अखबार बाकी इंतजार करो साहेब के स्टेज पर आनें में विकाश ही विकाश है साहेब के बोलने चीखने और चिलाने में

बिक जाते है मेरे देश में वोट महज कुछ सपनो में

टिकरी सिंधु जाकर देखो किसान मिलेंगे सड़को पे खुला सोच आवास मिलेंगे ट्रैक्टर ट्रॉली ट्रको में

बिक जाते है मेरे देश में वोट महज कुछ सपनो में

गुरुवार, 25 मार्च 2021

भागसिंह

 में लिखूं कलम से अपनी भगतसिंह और साथ में इन्कलाब लिखूं

दिल करता है आज लिखदु फुज दिल्ली वतन वालो की ओर नेताओं की तानासाही भी सरेआम लिखूं

में लिखूं कलम से अपनी भगतसिंह और साथ में इन्कलाब लिखूं

लिखूं कुर्बानी वीर जवानों की ओर दुःखी भगतसिंह की आवाम लिखूं

लिखदू खून से रंगी नेताओ की कुर्सी और इस कुर्सी को पाने की खातिर करवाए इन नेताओ ने दंगे उन दंगो में बिखरे खून और निर्दोष बिखरी लाखो लाश लिखूं

में लिखूं कलम से अपनी भगतसिंह और साथ में इन्कलाब लिखूं

इस्तेमाल होते गंदी राजनीति में वीर जवान तुम समझो तो सही या फिर पुलवाम नाम लिखूं लिखदू टुकड़े टुकड़ों में पड़ी फोजियो की लासे एक साजिश या फिर आतंकवादी हमलों के नाम लिखूं

में लिखूं कलम से अपनी भगतसिंह और साथ में इन्कलाब लिखूं

लिखूं नेताओ की तानासही ओर लोकतंत्र का अपमान लिखूं 

लिखदू बिकाऊ मीडिया याफिर पतल चाट पत्रकारों के नाम लिखूं

में लिखदू इंसाफ ऐ भगतसिंह या नाएंसाफ सरकार लिखूं

में लिखूं कलम से अपनी भगतसिंह और साथ में इन्कलाब लिखूं।                     

                              



बुधवार, 24 मार्च 2021

शहीदों की कुर्बानी

 शहीदों के खून से किसी के सर ताज होगया

शहीदों के खून से किसी के सर ताज होगया

भूलसा गया जमाना उन्हें जिन्होंने दिया अपना लहू का एक एक कतरा इस जमी के लिए कटी जिंदगी जिनकी जेलों में जिनका अपने परिवार से मिलना तक दूसवार होगया

और सुनहरे अक्षरों में लिखे गए उनके नाम जो करते रहे मुखबिरी अग्रेजो की उमर भर आज उन्ही के सरताज होगया

जिन्होंने दी कुर्बानी आजादी ए वत्न के लिए उन्ही का नाम दुनिया की नजरो से गुमनाम होगया

शहिदाें के खून से किसी के सरताज होगया

दलाली करने वाले क्रांतिकारियों की बने हुक्मरान आजाद वतन के कोई सीएम कोई पीएम की कुर्सी पर सहनावाज होगया 

गोली खाने वालों के बक्शा नहीं गया कफन तक को हंसकर फांसी झूलने वाले भगत सिंह राजगुरु सुखदेव जैसे वीरों के सर आतंक वादी होने का इल्जाम होगया शहीदों के खून से किसी के सर ताज होगया

किसी को नज़र नहीं आई वीर जवानों की कुर्बानी आजद होते ही वतन गूंजने लगी आवाज बापु के चरखे से भारत आजाद होगया

शहीदों के खून से किसी के सर ताज होगया

छलनी होगया आजाद का सीना दुश्मन की गोलियों से मुखबिर तो फिर भी नहीं चूके कहने से की आजाद तो खुदही अपनी गोली का सीकर होगया

साहिदाें के खून से किसी के सर ताज होगया

रामरतन सुड्डा लिखता रहा गजल सहिदो के नाम ओर दुनिया की नजरो में लैला मजनू वाला प्यार होग्या

दो चार शेयर क्या लिखे में तो दुनिया की नजर में बदनाम होगया 

शहीदों के खून से किसी के सर ताज होगया

रविवार, 14 मार्च 2021

मेहनत करने वालो का मान

 अगर मेहनत कठिन परिश्रम कर खाने वाले महान समझे जाते इस जमाने में तो गधा और खचरो का घोड़ों से ज्यादा मान होता 

आज मांगकर खाने वाले गिने जाते है बड़ी जातियों में 

ओर छीन कर खाने वालों का भुजाबलि नाम ना होता

जो करते है छल कपट उनका साहूकारों में नाम नहोता

अगर मेहनत कठिन परिश्रम कर खाने वाले महान समझे जाते इस जमाने में तो गधा और खचरो का घोड़ों से ज्यादा मान होता 

मेहनत करते है गरीब मजदूर यहां उनका कभी अपमान ना होता 

जो करते है  मेहनत दिनरात आज उस किसान का सड़को पे यों अपमान ना होता

अगर मेहनत कठिन परिश्रम कर खाने वाले महान समझे जाते इस जमाने में तो गधा और खचरो का घोड़ों से ज्यादा मान होता 

दिन रात खून पसीना बहाने वाले समझे जाते अगर महान इस जमाने में तो इन गरीब मजलूम जातियों का टीका अछूत नाम ना होता

अगर मेहनत कठिन परिश्रम  कर खाने वाले महान समझे जाते इस जमाने में तो गधा और खचरो का घोड़ों से ज्यादा मान होता 

चोटी बढ़ा तिलक लगाकर दिन रात झूठ और पाखंड फैलाने वाले इन संघयो का कभी सम्मान ना होता 

दिन रात मेहनत करने वाले मजदूरों का यों सरेआम अपमान ना होता

अगर मेहनत कठिन  परिश्रम  खाने वाले महान समझे जाते इस जमाने में तो गधा और खचरो का घोड़ों से ज्यादा मान होता 

झूठ और नफरत फैलाते इन नेताओं के सर साफ छवि का ताज ना होता

 काश मेहनत करने वाले चुने जाते नेता भी तो बेरोजगारी का कही नाम ना होता

गुरुवार, 11 मार्च 2021

Shayeri ya

 यादें शायरी

अगर मिट पाती इस दिल से यादें तुम्हारी तो में भी कबका मिटा लेता 

इस दिल ने चाहा है तुम्हे खुद से ज्यादा ये मत सोचो अभी तक अकेला क्यों हूं 

कम्बक्त ये दिल ही नहीं माना वरना तुम्हारी तरह में भी किसी ओर को गले से लगा लेता

 जिस्म की चाह शायरी

उन्हें प्यास थी जिस्म की हमे चाहत ऐ दिल की थी

बातो में तो खूब कहा था उस कम्बक्त ने 

में सिर्फ तुम्हारा हूं

मिटी प्यास जब जिस्म की उन्हें तो कहने लगे जो करना हो करले कल तक तो था तुम्हारा आज मैं किसी ओर का सितारा हूं

प्यार सायरी

बड़ी मासूमियत से कहदेते है दुनिया वाले प्यार करना कोई गुनाह नहीं 

जब गुनाह ही नहीं प्यार करना तो अ दुनिया वालो तुम क्यों करते हो दीवानों को जुदा इन बेगुनाहों को मिलाते क्यों नहीं

दिल टूटने पर शायरी

सुना है जमाने से दिल टूटता है तो आवाज नहीं होती

कभी किसी से परछाई नाराज नहीं होती 

तो फिर क्यों तड़प तड़प कर रोने लगते हैं दो दीवाने जिनकी माहोबत जमाने को रास नहीं होती

शायर 

शायर तो नहीं था में पर किसी की दिलगी ने बना दिया

इतना नाजुक तो नहीं था जिगरा मेरा जो रोने लगे जरा सी चोटों से 

आज रोया हूं में, वो क्या जाने बिन घाव के ही उस जालिम ने मुझे अंदर से कितना चोटिल बना दिया

यादें शायरी

आज फिर किसी कियादों ने रुला दिया वो कहती थी मुझे समंदर तट पर लेचलो घूमने 

अब खत भी कसे भेजू उस बेवफा को ओर कहूं आजा आज तेरी बेवफाई ने मेरे आंसुओ से समंदर बना दिया

दूरी पर शायरी

कैसे जीते होंगे वो लोग जो सालो साल अपनो से दूर रहते है 

आज पता चला है मुझे भी ओ जमाने वो कितने मजबूर होते है

तुम तो कह देते हो मासूमियत से जो रहते हैं बाहर घर से वो एकदीन सफल जरूर होते है

क्या करना उस लाखों की दौलत का जिसके एक एक पाई में अपनो के आंसू ओर तन्हाई का दस्तूर होता ह






सोमवार, 8 मार्च 2021

#साहिदों की कुर्बानी।#sahidon ki kurbani

 खुशी से झूम उठी भारत मां जब वतन ऐ आजादी देखी

मां तूने ने गुलामी देखी कभी मुगलों कभी अंग्रेजो की सेतनी देखी 

फुट फुट रोई तू जब निर्दोषों मारीजाती अपनी सन्नताने देखी

तू फुली नहीं समाई मां जब अपनी मिट्टी के वरों में मां आजादी की हुंकार जो देखी

नम्म हुई मा आंखे तेरी जब अपने लालों कि कुर्बानी देखी

खुशी से झूम उठी भारत मां जब वतन ऐ आजादी देखी

खुशी से कितनी झूमी होगी जब स्वतंत्र अपनी संताने देखी 

आज फिर मां धरती रोई होगी जब सरकारों की नाकामी देखी इसी मिटी पे पले बढ़े इन नेताओं की बेसरमी देखी

मां धरती तू फली फूली ना गर्मी ना सर्दी देखी आज भारत मां फिर रोई होगी जब अपनी कोख लजाती देखी

खुशी से झूम उठी भारत मां जब वतन ऐ आजादी देखी

आज फुट फुट कर रोई होगी जब नेताओं की जुमले बाजी देखी 

हे धरती मां सबका पेट भरा तूने चाहे पंडित हो या मूला काजी किसे दुबर नहीं थी तू सबपे नज़र थी एक जो रखी

आज फुट फुट क्यों रोई मां 

इन धर्म के ठेके दरों ने आज तेरी संताने बाटी किसी को दिए तलवार बंदूके किसी के हाथ थमाई लाठी

खुशी से झूम उठी भारत मां जब वतन ऐ आजादी देखी


Love shayeri bewafa shayeri dard bhri shayeri lavitaye kahaniya motivsnal or samajik stori

Kisi ka jhukne n dena sis lachari me

किसी का झुकने न देना सीस लाचारी में बेमानी का सीस उठने न देना खून है तुम्हारी नसों में ईमान का  इसे बेमानो से मिटने न देना  बाहें तुम्हारी भ...