बुधवार, 24 मार्च 2021

शहीदों की कुर्बानी

 शहीदों के खून से किसी के सर ताज होगया

शहीदों के खून से किसी के सर ताज होगया

भूलसा गया जमाना उन्हें जिन्होंने दिया अपना लहू का एक एक कतरा इस जमी के लिए कटी जिंदगी जिनकी जेलों में जिनका अपने परिवार से मिलना तक दूसवार होगया

और सुनहरे अक्षरों में लिखे गए उनके नाम जो करते रहे मुखबिरी अग्रेजो की उमर भर आज उन्ही के सरताज होगया

जिन्होंने दी कुर्बानी आजादी ए वत्न के लिए उन्ही का नाम दुनिया की नजरो से गुमनाम होगया

शहिदाें के खून से किसी के सरताज होगया

दलाली करने वाले क्रांतिकारियों की बने हुक्मरान आजाद वतन के कोई सीएम कोई पीएम की कुर्सी पर सहनावाज होगया 

गोली खाने वालों के बक्शा नहीं गया कफन तक को हंसकर फांसी झूलने वाले भगत सिंह राजगुरु सुखदेव जैसे वीरों के सर आतंक वादी होने का इल्जाम होगया शहीदों के खून से किसी के सर ताज होगया

किसी को नज़र नहीं आई वीर जवानों की कुर्बानी आजद होते ही वतन गूंजने लगी आवाज बापु के चरखे से भारत आजाद होगया

शहीदों के खून से किसी के सर ताज होगया

छलनी होगया आजाद का सीना दुश्मन की गोलियों से मुखबिर तो फिर भी नहीं चूके कहने से की आजाद तो खुदही अपनी गोली का सीकर होगया

साहिदाें के खून से किसी के सर ताज होगया

रामरतन सुड्डा लिखता रहा गजल सहिदो के नाम ओर दुनिया की नजरो में लैला मजनू वाला प्यार होग्या

दो चार शेयर क्या लिखे में तो दुनिया की नजर में बदनाम होगया 

शहीदों के खून से किसी के सर ताज होगया

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