में दस पन्द्रह दिनों से किसी काम से लुधियाना पंजाब गया हुआ था आज मुझे अपने काम से थोड़ी फुर्सत मिली तो सोचा इधर उधर घूम आता हूं में बाहर टहलने निकला ही था की मुझे एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति बाहर धूप में बैठे मिले तो मैने सोचा क्यों न इनसे कुछ बातचीत कर लेते है इनका भी टाईम पास होजाएगा और हमे भी कुछ सीखने को मिलेगा तो में उनके पास गया और प्रणाम किया और ओर वहा खड़ा होगया उन्होंने मुझसे पंजाबी भाषा में कुछ कहा लेकिन मुझे पंजाबी नहीं आती हे तो में कुछ समझा नहीं ओर मैने उनको बोला पिता तुल्य श्रीमान जी मुझे पंजाबी नहीं आती अगर आपको हिंदी आती हो तो क्या कह रहे थे हिंदी मुझे बताइए और फिर उन्होंने थोड़ा जोर से पंजाबी भाषा में फिर आवाज लगाई मैने सोचा इनको शायद हिंदी नहीं आती होगी तो पंजबी में कहा होगा की मुझे हिंदी नहीं आती ऐसा कुछ सोच कर में वाह से चलने लगा इतने में अंदर से एक बच्चा कुर्सी लेकर आया और बोला अंकल जी बैठ जाइए और में कुछ समझ नहीं पाया था की बच्चे हिंदी बोल रहे है और ये पंजाबी पे पंजाबी बोले जारहे है में फिर से चलने लगा तो उन्होंने मुझे फिर से आवाज लगाई और बोले बैठो बेटा ये कुर्सी आपके लिए ही मंगवाई है बेटा तुमने कहा आपको पंजाबी नहीं आती मै समझ गया था तुम बाहर से आए हो फिर उन्होंने मुझसे कहा बेटा तुम कहा के रहने वाले हों मैं कुछ देर कुछ नहीं बोला में सोच रहा था इन्हे पता ही था की मुझे हिंदी नहीं आती तो फिर इन्होंने इतनी देर तक मेरी बात का जवाब क्यों नहीं दिया में इस बारे में मान्यवर से पूछने ही वाला था की उन्होंने बोल ही दिया क्या सोच रहे हो बेटा यही की मैने आपकी बात का जवाब पहले क्यों नहीं दिया हिंदी में बेटा में देख रहा था आपका ध्येय कितना है और आप ये सोच कर की मुझे हिंदी समझ नहीं आती ओर आप मेरे बारेमे क्या बोलो में समझ गया था में किसी ऐसे इंसान के पास बैठा हूं जो कोई विद्वान है ज्ञानी है मुझे बहुत खुशी हुई और ओर मैने विचार किया क्यों न किसान आंदोलन पर ही चर्चा की जाए मैने बड़ी ही उत्सुकता से उनसे सवाल किया साहेब आपके लोग इस देश के लिए हमेसा ही कुर्बानियां देते आए है और अब फिर देश को पूंजी वाद से बचाने और देश के गरीब मजलूम परिवारों को बचाने के लिए महीनो से सड़को पे है मैने उनसे कहा मुझे बताए जब जब देश पे विपदा आई है पंज़ब के लोगो ने अपना सबकुछ देश के लिए कुर्बान किया है और अब भी किसान आंदोलन में योद्धा बनकर सामने आए है मैने कहा जब जब पंजाबी सड़को पर उतरे है वो जीतकर ही लोटे है क्या अबकी बार भी ऐसा ही होगा क्या सरकार को आखिर में किसानों के आगे झुकना ही पडेगा मेरी यह बात सुनकर उन्होंने कहा हां पंजाबी कभी भी किसी भी हालत में हो वो कभी हालातों से समझौता नहीं करते ओर वो अब भी समझौता नहीं करेंगे वो जीतकर ही वापस लौटेंगे
उनकी बात सुनकर मेरा मन भी खुश होगया और मैने उनसे एक ओर सवाल किया
साहेब बीजेपी की जब से सरकार बनी ह जबसे देश में अशांति और अराजकता ही फैली है अब तो देश के सभी जनता इस सरकार की तानाशही से परेशान सी हो गई ह
अब तो सरकार भी बदलनी निश्चित है आगे जनता अच्छी सरकार को चुनेगी और फिर देश में शांति और सुख समृद्धि आएगी
फिर उन्होंने मुझसे कहा कुछ नहीं होने वाला इस देश का ये पीछे आजादी से अबतक जिन परेसानियो को झेल रहा है आगे भी ऐसे ही झेलता रहेगा देश का किसान और जवान ऐसे ही कुर्बानियां देता रहेगा और नेता और अफसर मिलजुलकर ऐसे ही देश को लुटते रहे है और रहेंगे
मैने उनसे कहा ऐसा क्यों अब तो देश के सभी वर्ग और समूह शिक्षित होगया है वो सब समझते है अब ऐसा नहीं होने देंगे
फिर उन्होंने कहा बेटा ऐसा कुछ नही होने वाला और नाही कोई जानता में बदलाव आया है इस देश में ऐसे इस किसान आंदोलन से कई गुना ज्यादा बड़े बड़े आंदोलन हुए है और होते रहेंगे पहले भी बहोत से वीर सपूतों ने इस मिटी की रक्षा करते करते इसी मिटी के कतरे कतरे में अपने लहू के कतरे कतरे को मिलाया है
आज उसी के फल से हम अपने को स्वतंत्र महसूस कर रहे हे लेकिन उनके कफन को भी नहीं बक्शा इन नेताओं ने उनको भी बेचखाया
फिर उन्होंने मुझसे कहा बेटा में आपको एक कहानी सुनाता हु ध्यान से सुनना
माने हां में सर हिलाया और उन्होंने बताना सुरु किया उन्होंने कहा किसी गांव में दो भाई रहते थे दोनो हमेशा आपस में लड़ते झगड़ ते और गांव वालो के सामने एक दूसरे की कमियां निकलते रहते गांव के कुछ लोग एक भाई की पक्ष में रहते ओर कुछ दूसरे की पक्ष में रहते दोनो हरबार सरपंच के चुनाव में सरपंच उम्मीदवार के रूप में खड़े होते एक योजना में एक भाई सरपंच बनता तो दूसरी योजना में दूसरा भाई
कहानी अभी सुरु ही किथि की मुझसे रहा नही गया और मैने उनसे पूछ लिया इस कहानी से हमारे देश के विकाश से क्या लेना देना है उन्होंने कहा आप सुनते रहिए इसी खानी में छिपा है अपने देश की बरबादी का कारण मैं समझ नहीं पाया था सरपंच के चुनाव ओर देश की अर्थ वयवस्था से क्या लेना देना है मैने फिर से उनसे कहा आप कहानी सुरु कीजिए
उन्होंने कहा हम कहा थे मैने कहा सरपंच वाले टॉपिक पे उन्हें हा तो ऐसे ही दोनो भाई बारी बारी सरपंच बन जाते ओर धन की खूब लूट मचाते एक भाई थोड़ा बहुत काम करवाता तो दूसरा भाई उसे तोड़कर उसे नया रूप देदेता ओर अपने छोटे भाई की कमियां और दोष गिना देता जनता सोचती ये अच्छा है ये गांव का सही विकाश करेगा ओर जब छोटा बड़े भाई की कमियां गिनता और बुराई कर्ता तो गांव के लोग सोचते ये सही ह ये सही काम करेगा ओर दूसरी योजना में दूसरे को चुन लेते दोनो गांव वालो की नजर में तो लड़ते झगड़ते रहते एक दूसरे के घोटाले गिनाते लेकिन कानून रूप से कोई कार्यवाही नहीं करते जब छोटा सरपंच बनता तो बड़े की फाइलें दबा देता ओर बड़ा सरपंच बनता तो छोटे की फाइलें दबा देता
ओर बारी बारी सता का सुख भोगते रहते कई सालो तक ऐसा ही चलता रहा एक दौर ऐसा आया किसी ने दोनो भाईयो के सामने चुनाव लडने का विचार किया तो दोनो भाईयो तक बात पहुंची तो रात में दोनो ने बाठकर विचार किया अगर कोई तीसरा सरपंच बना तो हमारे सारे राज खुल जायेंगे और हमे जेल की हवा खानी पड़ेगी तो दोनो ने विचार किया किसी भी हालत में इसे चुनाव से रोकना होगा ये विचार कर पहले तो दोनो भाईयो ने उसे धन का लोभ देकर खरीदना चाहा लेकिन वो नहीं माना फिर दोनो ने विचार किया क्यों ना तुम मुझपर घोटाले का मुकदमा करदो और जसे ही कार्यवाही होगी तुम मुकदमा वापस लेलेना गांव के लोगो को कसे पता चलेगा मुकदमा चल रहा ह या नहीं मुकदमे की खबर अकबार में छपे गी टीवी पे चले गी तो लोगो का आप पे भरोसा होगा ओर फिर से आप ही सरपंच बनो गै फिर हमे अपने घोटाले छुपाने केलिए 5 साल मिलजाएंगे फिर हम सब कारनामे छुपा देंगे और ऐसा ही हुआ छोटा सरपंच फिर बन गया
माने उनसे कहा इस कहानी से में कुछ भी नही समझा आप कहना क्या चाहते हो फिर उन्होंने कहा तुम कितने नादान हो ना समझ हो बेटा जसे उस गांव के सरपंच कर रहे थे वैसे ही हमारे देश के दोनो सता धारी दल कर रहे हे देश की जनता के सामने तो ड्रामा करते है पर आपस में दोनो एक ही है अगर एक ना होते तो हमारे देश के वरिष्ठ नेताओं मै से आधे जेल ही हवा खा रहे होते में सबकुछ समझ चुका था की श्रीमान जी इस कहानी से मुझे क्या समझना चाहते है
आप क्या समझे हमे कॉमेंट कर जरूर बताएं
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