यादें शायरी
अगर मिट पाती इस दिल से यादें तुम्हारी तो में भी कबका मिटा लेता
इस दिल ने चाहा है तुम्हे खुद से ज्यादा ये मत सोचो अभी तक अकेला क्यों हूं
कम्बक्त ये दिल ही नहीं माना वरना तुम्हारी तरह में भी किसी ओर को गले से लगा लेता
जिस्म की चाह शायरी
उन्हें प्यास थी जिस्म की हमे चाहत ऐ दिल की थी
बातो में तो खूब कहा था उस कम्बक्त ने
में सिर्फ तुम्हारा हूं
मिटी प्यास जब जिस्म की उन्हें तो कहने लगे जो करना हो करले कल तक तो था तुम्हारा आज मैं किसी ओर का सितारा हूं
प्यार सायरी
बड़ी मासूमियत से कहदेते है दुनिया वाले प्यार करना कोई गुनाह नहीं
जब गुनाह ही नहीं प्यार करना तो अ दुनिया वालो तुम क्यों करते हो दीवानों को जुदा इन बेगुनाहों को मिलाते क्यों नहीं
दिल टूटने पर शायरी
सुना है जमाने से दिल टूटता है तो आवाज नहीं होती
कभी किसी से परछाई नाराज नहीं होती
तो फिर क्यों तड़प तड़प कर रोने लगते हैं दो दीवाने जिनकी माहोबत जमाने को रास नहीं होती
शायर
शायर तो नहीं था में पर किसी की दिलगी ने बना दिया
इतना नाजुक तो नहीं था जिगरा मेरा जो रोने लगे जरा सी चोटों से
आज रोया हूं में, वो क्या जाने बिन घाव के ही उस जालिम ने मुझे अंदर से कितना चोटिल बना दिया
यादें शायरी
आज फिर किसी कियादों ने रुला दिया वो कहती थी मुझे समंदर तट पर लेचलो घूमने
अब खत भी कसे भेजू उस बेवफा को ओर कहूं आजा आज तेरी बेवफाई ने मेरे आंसुओ से समंदर बना दिया
दूरी पर शायरी
कैसे जीते होंगे वो लोग जो सालो साल अपनो से दूर रहते है
आज पता चला है मुझे भी ओ जमाने वो कितने मजबूर होते है
तुम तो कह देते हो मासूमियत से जो रहते हैं बाहर घर से वो एकदीन सफल जरूर होते है
क्या करना उस लाखों की दौलत का जिसके एक एक पाई में अपनो के आंसू ओर तन्हाई का दस्तूर होता ह
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