खुशी से झूम उठी भारत मां जब वतन ऐ आजादी देखी
मां तूने ने गुलामी देखी कभी मुगलों कभी अंग्रेजो की सेतनी देखी
फुट फुट रोई तू जब निर्दोषों मारीजाती अपनी सन्नताने देखी
तू फुली नहीं समाई मां जब अपनी मिट्टी के वरों में मां आजादी की हुंकार जो देखी
नम्म हुई मा आंखे तेरी जब अपने लालों कि कुर्बानी देखी
खुशी से झूम उठी भारत मां जब वतन ऐ आजादी देखी
खुशी से कितनी झूमी होगी जब स्वतंत्र अपनी संताने देखी
आज फिर मां धरती रोई होगी जब सरकारों की नाकामी देखी इसी मिटी पे पले बढ़े इन नेताओं की बेसरमी देखी
मां धरती तू फली फूली ना गर्मी ना सर्दी देखी आज भारत मां फिर रोई होगी जब अपनी कोख लजाती देखी
खुशी से झूम उठी भारत मां जब वतन ऐ आजादी देखी
आज फुट फुट कर रोई होगी जब नेताओं की जुमले बाजी देखी
हे धरती मां सबका पेट भरा तूने चाहे पंडित हो या मूला काजी किसे दुबर नहीं थी तू सबपे नज़र थी एक जो रखी
आज फुट फुट क्यों रोई मां
इन धर्म के ठेके दरों ने आज तेरी संताने बाटी किसी को दिए तलवार बंदूके किसी के हाथ थमाई लाठी
खुशी से झूम उठी भारत मां जब वतन ऐ आजादी देखी
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