ना तुम सुखी,ना में सुखी सुखी ना जग में कोय
ना में सुखी ना तुम सुखी, सुखी ना जगमे कोय
में तो सुखी उसे मानू ,जो भर पेट भोजन कर
नींद चेन की सोय,
लालच करे ना धन बढ़े,बुरा किए ना मान
छीन झपट धनी हुए का, काहे का आदर मान,
धन बढ़े ना सुख मिले,मिले दिखावे का आदर मान
बोले कटु वचन अपमान मिले ,मिले मीठी वाणी से मान
मन शुद्ध वाणी को राखिए,नित बढ़े सम्मान,
बादाम खाएं ना अक्ल बढ़े, ठोकर खाए बढ़े ज्ञान
इज्जत किए इज्जत मिले,अपमान किए ना मान
मन में धीरज राखिए,ना पल में बड़ा कोई होए
ना में सुखी ना तुम सुखी, सुखी ना जगमे कोय,
घृणा तृष्णा छोड़िए,मन सुखी जा होय
जो लालच मन में रहे कोहे,तो सुख काहे का होय,
जलन और एशिया है दुखदाई,रहे कहेको मन में पाल
जरूरत से ज्यादा माया मिले,तो जाल दुखों का होय
रखे मन में धन की लालसा,तो सुख कहेका होये
ना में सुखी ना तुम सुखी, सुखी ना जग में कोय
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