बुधवार, 28 अप्रैल 2021

Hamsafar हमसफर

 हम निकले थे सफर के लिए अकेले ही

कुछ कदम चले ही थे की कुछ हमसफर मिलगये

सोचा दूर होगा अकेलापन एक ही मंजिल के दोस्त और हम सफर मिलगये खुशी से झूम उठा मन ऐसा लगा मोनो भरे रेगिस्तान में भी गुल ए चमन खिल गए

अकेले से चलना था मुश्किल दो कदम भी भीड़ में पता भी ना चला और हम कोसो पैदल चल गए

हंसी ठिठोली बातो ही बातो में पता भी ना चला कब उदय हुआ सूरज और कब उगा चांद हम चांदनी रात में तय लंबा सफर कर गये

भूल से गए एक पल के लिए भूख प्यास भी और दिल से दिल मिलते रहे 

भूल से गए थे उस पल सभी दुख दर्द जमाने भर के जब गैरो में भी नजर अपने आने लगे

आई मंजिल भी एक रोज हमारी सब अपनी अपनी पसंद के आस्याने चुनने लगे 

फिर अकेले से हिगये हम, जब बिखरने लगे सब यार पुराने और चंद दौलत पाने के लिए एक एक कर हमसे दूर जाने लगे

आंसू झलक आए आंखो से जब कहकर अलविदा हमसे हम पर दोस्ताना हक जमाने लगे

यही तक थी मंजिल एक हमारी ओर वो दूरी मंजिल की तलास हमे बतलाने लगे

हम निकले थे सफर के लिए अकेले ही

कुछ कदम चले ही थे की कुछ हमसफर मिलगये

मंगलवार, 27 अप्रैल 2021

Be vajha ki tarif



 हमारी तारीफ करो बेवजह ये हमारी खवाइस ही नहीं

तुम कहते हो तुम मिटा दोगे हमें, हमें इतनी आसानी से मिटा सको ये तुम्हारी ओकात ही नहीं 

हमारा खोफ खाए कोई ये खुआईस तो हमारी कभी थी ही नहीं

कोई हमे खोफ दिखाए और हम दुबक कर बैठ जाए ये हमारे खून में ही नही 

सच कहेंगे बेसकख अकेले हो या बड़ी महफिल हो कोई 

मरने से कोन डरता है डरकर जीने वाली तो हमारी नस्ल ही नही

तुम्हारी चाहत है तुम बुरा करो और हम देखते रहे तुम जुल्म पे जुल्म करो और हम सहते रहे, जुल्मी ना कहें जुल्मी को और तुम्हारी जाय जय कर करते रहे

हम विरोध करेंगे जुल्म का डटकर और हर जुल्म का हिसाब बियाज समेत लोटाएंगे किसी का कर्ज रखे अपने सर पे ये हमारे खून मे ही नही

तुम्हे मोका हमने दिया विश्वास किया तुमपे, कहते हो खुदको सुरमे

हरबार धोखों पे धोखे किए तुमने, कहते हो सीने पे वार करते हैं हम इतिहास गवाह है हरबार पीठ पे वार पे वार किए हैं तुमने

हम करेंगे सिनेपे वार याद रखना विश्वास दिलाकर पीठ पे वार करना हमारी आदत ही नहीं

तुमने अपना ही थूका चाटा है हरबार तुम्हें बतलाएंगे जरूर एक दिन ,जो थूका चटे अपना हमारी वो नस्ल ही नही


रविवार, 25 अप्रैल 2021

में नास्तिक क्यों हु

              ,,  में नास्तिक क्यों हु ,,

में नास्तिक हु मेरे नास्तिक होने से लोग मुझसे नफरत करने लगे

कई कहते पागल मुझे कई तो मुझे देख कर भी डरने लगे

किसी ने नही पूछना चाहा मुझसे की में नास्तिक क्यों हूं

बिन हकीकत जाने ही मुझे घंडी ओर काफिर कहने लगे

में दर्द लिए फिरता रहा अपने सीने में सबकुछ जानकर भी अनजान बनकर जीता रहा 

जिस भगवान के नाम से कलंकित हुए मेरे अपने और में भी अछूत बनकर जीता रहा 

दर दर खाता रहा ठोकरें उच्च जाति की ओर अंदर ही अंदर रोता रहा नफरत सी होने लगी मुझे उस ईश्वर के नाम सेही जो सब कुछ देखर भी जालिमों को हिमत देता रहा 

सुना था जब जब जुल्म हुए इस धरती पर उस जुल्म को मिटाने खुद ईश्वर ने अवतार लिए और इस धरती से खुद ईश्वर ही जुल्मों को मिटाता रहा

फिर होते रहे जुल्म मेरे अपने पे महज जाति के नाम से तब वो ईश्वर क्यों आंखे मूंदकर सोता रहा

नहीं आया वो अवतार लेकर मेरी अपनी बहिन बेटियो का नोचा जाता रहा जिस्म सदियों सदियों तक और सती के नाम से मेरी माताएं बहनों को ये जमाना जिंदा जलाता रहा

जाने ना दिया मंदिर मेरे अपनों को अपवित्रता का ढोंग रचा ये उच्च वर्ण सदियों तक ऊपर से पानी पिलाता रहा 

बेवजह हैं गरीब मजुलुमो को धर्म की आड़ में बेवजह कोई बलशाली कमजोर को सताता रहा देखता रहा सबकुछ तुम्हारा ईश्वर और अत्याचारी का लुप्त उठाता रहा

में नास्तिक हु मेरे नास्तिक होने से लोग मुझसे नफरत करने लगे

कई कहते पागल मुझे कई तो मुझे देख कर भी डरने लगे

किसी ने नही पूछना चाहा मुझसे की में नास्तिक क्यों हूं

बिन हकीकत जाने ही मुझे घंडी ओर काफिर कहने लगे

में दर्द लिए फिरता रहा अपने सीने में सबकुछ जानकर भी अनजान बनकर जीता रहा 

सीने में हजारों जख्म लिए फिरता रहा

शुक्रवार, 23 अप्रैल 2021

मानसिक गुलाम

 मानसिक स्वतंत्रता ही सच्ची आजादी है 

जिसका मन स्वतंत्र नहीं उसकी निश्चित ही बर्बादी होती है मानसिक गुलाम लोग गुलाम नस्ल को जन्म देते है उनके अंदर तर्क करने और गलत का विरोध करने की क्षमता नष्ट होजाती है और ऐसे लोगो के लिए सही और गलत का फैसला करना पहाड़ को चीरकर रास्ता निकालने जैसा मुस्किल होता है ऐसे लोगो को लाख कोसिसो के बाद भी गुलामी से आजाद नहीं किया जासकता इनके जीवन में आंख होते हुए भी सदेव सत्य की ओर अंधेरा होता है इन्हें सत्य कभी दिखाई नही देता और ये लोग सत्य को जानना भी नही चाहते    

पत्थर को भगवान के रूप में स्वीकार कर धन और समय को बर्बाद कर सुख समृद्धि की कामना करना मानसिक गुलामी का जीता जागता उदाहरण है

मानसिक गुलाम लोग अपने जन्मे बच्चे का नाम भी सवेछा से नहीं रखपाते अपनी संतान का नाम रखने के लिए भी इन्हे दूसरे इंसान की जरूरत होती है इनकी नज़र में बड़े पेट और लंबी चोटी वाले लोगों की सरण में जाने से जीवन सफल होसकता है बुद्धिमान लोग जिन्हें पाखंडी कहते है मानसिक गुलाम उन्हें ही भगवान के अवतार के रूप में स्वीकार करते है और उन्ही की पूजा करते है यहां तक कि अपनी मेहनत के कमाए पैसौ को अपनी स्वेच्छा से खर्चने की बजाए किसी ढोंगी से लाभ हानि जानकर खर्च करते है 

मानसिक गुलाम लोगो की नजर में लंबी चोटी माथे पर तीन लकीर वाला हर आदमी संपूर्ण भ्रमांण्ड का ज्ञाता होता है और वह उसे संवर्ग नर्क में भेजने का हुनर रखता है और उसके आशीर्वाद मात्र से उसे बहुत लाभ हासिल होसक्ता है

जिसका मन गुलाम होता है उसकी देह भी गुलाम होजती है मानसिक गुलाम लोग बिन सलाखों के भी सलाखों में बंद कैदी की तरह जीवन जीते है 

उनकी नज़र में देह को कास्ट देने से ईश्वर खुस होते है और ये लोग महज पत्थर की बनी मूर्त का दर्शन करने के लिए कोसो पैदल चलकर जाते है

जबकि ऐसी असंख्य मूर्तियों के दर्शन अपने आसपास ही किसी शिल्पकार की दुकान पर आसानी से कर सकते है

ये लोग अपने को मानसिक गुलाम कभी स्वीकार नही करते बल्कि खुद को अपने धर्म के प्रति सजग और अपने ईश्वर के सच्चे भगत बताते है 

वोभी ऐसे भगत जो खुद के रहने के लिए भवन निर्माण में भी साथन का चयन खुद नहीं करपाते इन्हे अपने रहने को साथान चुनने के लिए भी किसी ज्योतिषी की जरूरत होती है 

ऐसे लोग मानसिक गुलाम होते है खुदको तर्क सिल बनाओ मानसिक गुलाम नहीं




शनिवार, 17 अप्रैल 2021

देश की जनता मुर्ख है

 देश की जनता मुर्ख है ये कहना गलत नहीं होगा क्योंकि देश में हालत दिन प्रतिदिन बद से बतर होते जारहे है चाहे वो मामला देश की अर्थव्यवस्था का हो या जनमानस में आपसी भाईचारे का या फिर देश में फले शोषण अत्याचार बलात्कार रिश्वतखोरी या देश विदेश में फैली महामारी का किसी भी मामलों में कोई गिरावट नहीं आरही

और देश की सरकार बार बार जनता पे एक्सप्रिमेट करने में जुटी है की देश की जनता और कितनी मुर्ख रहगई है, देश की जनता जितनी मुर्ख होगी देश को लुटा जाना उतना ही संभव होगा

पिछले साल 2020 में कोरॉना महामारी ने देश में अपनी जड़े जमाना शुरू किया तब भी देश के हालातों को ने देखते हुए सरकार ने जनता पे अपना एक्सप्रिमेट जारी रखा और सरकार के प्रति वफादार जनता ने कोरॉना को भगाने के लिए ताली थाली बजाकर बखूबी अपने मुर्ख होने का प्रमाण देश की bjp सरकार को देदिया सरकार ने देश व्यापी लॉकडाउन लगाया देश के परवासी मजदूरों को बिना अवगत कराए बिना उन्हें अपने घर तक पहुंचने के इंतजाम के लॉकडाऊन लगाने की वजह से भूख प्यास से और कोसो पैदल चलने की वजह से लाखो लोगों की जाने गई जिनमे बच्चे बूढ़े जवान और पैरेग्नेट महिलाए भी सामिल थी सरकार ने एकबार फिर एक एक्सपेरिमेंट किया और जानना चाहा देश की डूबती अर्थवेवस्था लाखो प्रवासी मजदूरों की जान जाने का देश की जनता को कितना दुख है ये जानने के लिए मोदीजी ने एक और एक्सप्रिमेट के रूप में घोषणा की की आज रात 12 बजे से घरों की सभी लाइटें बंद कर 5 मिनट के लिए मोबाइल फोन की फलेश लाइटें अपनी घरों की छतों पर चढ़कर जगाएं जिससे कोरॉना खत्म होजाएगा देश की जनता ने इस बार भी अपने मुर्ख होने का प्रमाण बखूबी दिया और भारतीय जनता पार्टी में खुशी की एक और लहर सी दौड़ आई भारतीय जनता पार्टी ने अपना लूट केसोट का धंधा बिना किसी भाए के सुरु किया और अपने कार्यकर्ताओ को राम मंदिर का चंदा वसूलने के लिए गांव गांव भेज दिया ये भी कोई राममंदिर का कार्य करवाने के लिए धन जमा करवाने के उदश्य से नहीं करवाया गया बल्कि ये भी एक एक्सपेरिमेंट था सरकार जानना चाहती थी की देश की जनता इतनी भयावह स्थिति से गुजरने के बाद हिस्पिटलो की मांग करती है या मंदिरों से ही खुश हैं इस बार भी देश की जनता ने वाह मोदीजी वाह कहते हुए राम मंदिर के निर्माण के लिए चंदा देने में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और अपने मुर्ख होने का प्रमाण भारतीय जनता पार्टी को बखूबी दिया आज फिर कोरॉना महामारी का दूसरे फेज ने देश में अपनी जड़े जमाना सुरु करदिया देश में हाहाकार मचा है कई स्टेटो में हिस्पिटलों में मरीजों के लिए बेड मिला मुश्किल होगया है और लासे जलाने और रखने के लिए जगह नहीं मिलरही देश का मीडिया दिलों जान लगाकर कवरेज कर रहा है कोरॉना से पीड़ित मरीजों को और असंख्य बिखरी पड़ी लासे देश की बीजेपी सरकार से सवाल करने की किसी के पास भी हिमत नहीं है कोई सरकार से पूछने को त्यार नहीं की आपने कोरॉना से निपटने के लिए आपने पिछले बारह महीने में क्या क्या इंतजाम किए कुछ इंतजाम किए भी या यों ही देश की जनता को मौत के मुंह में धकेल कर छोड़ दिया मरने के लिए

अभी भी साहेब चुनावी रैलियों में वेश्त है बिना मास्क के जुर्माना बढ़ा दिया गया है चुनाव आयोग को देश के हालात दिखाई नहीं देरहा स्कूल कॉलेजों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और साहेब रैलियों में भीड़ इकट्ठी केरवा केरवा कर अपना बहुमत दिखाने की कोशिश कररहे है उसपर कोई रोक टोक नहीं 

इसबार फिर साहिब देश की जनता की जान की परवाह ना करते हुए अपना एक्सप्रिमेट करने में जुटे है साहेब रैलियां करवाकर जानना चाहते है देश की जनता अपने स्वास्थ्य और देश पावर को लेकर कितनी जागरूक हैं इस बार भी रैलियों में भीड़ को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है देश की जनता अपने मुर्ख होने का प्रमाण देने केलिए अपनी जान की भी परवाह नहीं करती 

अभी भी समय है अपनी रक्षा खुद कर लो सता में बैठे भेड़ियों के ना ओलाद है ना परिवार और ना ही जमीर है जिससे इन्हे किसी की मौत से कोई फर्क पड़े 

शुक्रवार, 16 अप्रैल 2021

Corona sankat


 देश में कोरॉना वायरस के मामलों में दिनपर्ती दिन भारी उछाल आने वाले दिनों में देश पर भारी संकट आने के आसार

देश के कई हिस्सों में संपूर्ण लॉकडॉन लगाने की सरकार कर चुकी है पूरी तयारी आने वाले दिनों में लागसक्ता है देश व्यापी लॉकडाउन सरकार द्वारा नई सुरक्षा नीति लागू भीड़ भाड़ वाली जगहों पर मास्क और शोसल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखने के आदेश अगर कोरॉना के बढ़ते मामलों में कमी नहीं आई तो जल्द लागसकता है देश व्यापी लॉकडाउन महामारी के बढ़ते खतरे को देखते हुए परवासी मजदूरों का पालायेन होना शुरू परवसी मजदूरों की घर वापसी होना शुरू होचुकी है एक्सपर्ट की माने तो देश के हो सकते है पहले से बुरे हालात इस बार कोरॉना से संक्रमित लोगो में मरने वाले मरीजों की संख्या पहले की अपेक्षा ज्यादा बताई जारही है महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा कोरॉना पॉजिटिव मामले और कोरॉना से मरने वाले लोगो में भी देश के बाकी हिस्सों से महाराष्ट्र में ज्यादा संख्या होने के आंकड़े 

14 अप्रैल का मंजर


 जब देखा 14 अप्रैल का मंजर तो ऐसा लगा मानो बाबा साहेब की विचारधारा हर गांव शहर घर घर में पहुंच गई 

आज तो लगता है वो एक दिन की थी क्रांति और उसी साम पटाखे फुलझड़ीयो और केक के संग लि उस सेल्फी में सिमट गई

वो नारे वो जोश लगता है अब तो वो उमंग भी कहीं भटक गई

आज फिर डरा सहमा सा लगने लगा बहुजन मानो इसकी जान पौराणिक कथाओं में वर्णित पिंजरे में बंद किसी तोते में थी एक दिन पिजरे से आजाद हुआ तोता और फिर से उसकी डोर मनुवाद के हाथों में अटक गई

जब देखा 14 अप्रैल का मंजर तो ऐसा लगा मानो बाबा साहेब की विचारधारा हर गांव शहर घर घर में पहुंच गई 

दहल सा गया था मनु का वंश ऐसा लगा मानो बहुजन कॉम में तो अब शासक बनने की थी जो चिंगारी वो जंगल में लगी आग की तरह दहक गई 

आज फिर ऐसा लगा मानो एक दिन की थी वो गर्मी वो आग आज फिर वो चिंगारी में सिमट गई

कितनी पियारी थी वो एकता की तस्वीर लगता है आज फिर वो एकता की तस्वीर टुकड़े टुकड़ों में बदल गई

जब देखा 14 अप्रैल का मंजर तो ऐसा लगा मानो बाबा साहेब की विचारधारा हर गांव शहर घर घर में पहुंच गई 

एक है हम एक है लगे थे खूब नारे उस्दीन अब तो ऐसा लगता है वो एकता वाली विचार धारा भी कहीं भटक गई

फिर से खींच ने लगे टांगे एक दूजे की फिर वहीं जलन और नफरत सी पनप गई

आज तो लगता है वो एक दिन की थी क्रांति और उसी साम पटाखे फुलझड़ीयो और केक के संग लि उस सेल्फी में सिमट गई

जब देखा 14 अप्रैल का मंजर तो ऐसा लगा मानो बाबा साहेब की विचारधारा हर गांव शहर घर घर में पहुंच गई 





मंगलवार, 13 अप्रैल 2021

अजीब रस्मों रिवाज जमाने का

 क्या अजीब रस्मों रिवाज है इस जमाने का 

एक जिस्म एक लहू फिर भी हिंदू के जलाने और मुस्लिम के दफनाने का

क्या अजीब रस्मों रिवाज है इस जमाने का 

जीते जी पीला ना सके एक लोटा पानी जिसे, उसके मरने के बाद बाल्टी भर भर नहलाने का

जवान मरे तो मातम वृद्ध मरे तो खर्च के नाम ने मेवे मिठाई खाने का पहले मातम फिर खुसिया मानने का

क्या अजीब रस्मों रिवाज है इस जमाने का 

फिर ते फिरे जहारो बेब्स नंगे बदन जिन्हे मिला ना कपड़ा तन ढकने का

अनजान भी चादर सूट उढ़ाने लगे जब समय आया उसे दफनाने का

क्या अजीब रस्मों रिवाज है इस जमाने का 

जब जिंदा था वो तब था दुनिया की नजर में सबसे बुरा इंसान वो 

जब जान नारही जिस्म में तो बताने लगे अब तो चल बसा कितना भला इंसान था वो 

क्या अजीब रस्मों रिवाज है इस जमाने का 

कुछ करना चाहा उसने भी पर जमाना बाज नहीं आया जलन में उसकी टांग खींचने और सही को गलत ठहराने में

मरते ही उसके कहने लगे कितना ज्ञानी आदमी था कुछ दिन और जिंदा रहता तो बहुत कुछ कर जाता इस जमाने में

अरे आदमी नही वो तो कोहिनूर था इस जमाने का

क्या अजीब रस्मों रिवाज है इस जमाने का 

एक जिस्म एक लहू फिर भी हिंदू के जलाने और मुस्लिम के दफनाने का


शुक्रवार, 9 अप्रैल 2021

अंध भगत

 बूढ़े मां बाप लगते है बोझ जिन्हे जिनकी नजरो में तो पत्थरों में जान होती है

जीते जी भी मृत से होजाते है वो मात पिता जिनकी अंध भगत संतान होती है

बाहर बिठा दिए जाते है मात पिता घर में बड़े बड़े पत्थर संजोए जाते है 

मां बाप भूखे प्यासे हो चाहे उनसे क्या अंध भगति में तो पथरों को पकवान खिलाए जाते है

जीते जी भी मृत से होजाते है वो मात पिता जिनकी अंध भगत संतान होती है

जिंदगी भर न दिया सुख से एक निवाला जिन्हे मरने के बाद ढेरो पकवान होते है

जीते जी नहला ना सके एक दिन भी बूढ़े मां बाप को मरने के बाद उन्ही के गंगा स्नान होते है 

बूढ़े मां बाप लगते है बोझ जिन्हे जिनकी नजरो में तो पथरो में जान होती है

जीते जी भी मृत से होजाते है वो मात पिता जिनकी अंध भगत संतान होती है

तरस जाते है बुढ़ापे में मां बाप एक लोटा पानी के लिए 

उनके मरते ही पैदल यात्रा पांचों धाम होती है

अब तो भेजना है उन्हे संवर्ग कभी पिंड दान तो कभी हवन यज्ञ करवाने में बिजी उनकी संतान होती है

जीते जी भी मृत से होजाते है वो मात पिता जिनकी अंध भगत संतान होती है

गुरुवार, 8 अप्रैल 2021

Fir lota corona

 देश विदेश में कोरोना का हा हा कार होगया 

लोट कर नहीं आया अपने घर हर वो गरीब जो कोरॉना का सिकार होगया

मुस्किल होगया जीना गरीबों का देश के नेताओं और सरकार के संग कोरॉना का दोस्ताना व्यवहार होगया

आज फिर से लॉकडाउन  जैसा आसार होगया जहा भी होने है चुनाव अभी वहा से सरकार से डरा सहमा कोरॉना फरार बाकी स्टेटो में कोरॉना बेशुमार होगया

देश विदेश में कोरोना का हा हा कार होगया 

मुस्किल होगया जीना आम आदमी का सरकार के पास तो अपनी नाकामी छुपाने का हथ्यार होगया

पिसती गई मासूम जनता नेता और सरकार के संग कोरॉना का दोस्ताना व्यवहार होगया

सुना था फरी में बाटेगी सरकार कोरॉना की दवा जब गए दवा  लगवाने तो डॉक्टर साहेब बोले पंचसो रुपए की है दवा पांच सौ देने पड़ेंगे  हमे तो सरकार का आहवान होगया

देश विदेश में कोरोना का हा हा कार होगया 

मास्क लगाओ शोसल डिस्टेंसिंग रखना आम आदमी के लिए सख्त आदेश और अमीरों के लिए मनमर्जी का आह्वान होगया

देश विदेश में कोरोना का हा हा कार होगया 


बुधवार, 7 अप्रैल 2021

किसान

 कैसे उभरे किसान देश का इसके अनाज की कीमत तो मिल मालिकों द्वारा रद्दी के भाव आंकी जाती है

उसी अनाज से बनी पांच रुपए की वस्तु की कीमत 

,सो,रुपए वसूली जाती है

पशू पाले किसान ने दूध घी भी किसान उपाता है ,खरीदा नहीं जाता किसान से दूध तीस रुपए किलो और वही दुध

कंपनी के लेबल की थैलियों में पैक सो रुपए बेचा जाता है

कैसे उभरे किसान देशका इसके अनाज की कीमत तो मिल मालिकों द्वारा रद्दी के भाव आंकी जाती है

ले आती है सरकार किसान विरोधी कानून तो रातों रात

बेवजह के रेट वसूलती इन कंपनियों पे लगाम क्यों नही लगा पति है

शर्म नहीं आती इस सिस्टम को हम किसान के हितमे है बेसरमि से कसे कह जाते है

कैसे उभरे किसान देशका इसके अनाज की कीमत तो मिल मालिकों द्वारा रद्दी के भाव आंकी जाती है

दो रुपए से बनी दावा दो सो में बेची जाती है कुछ रिश्वत खाते डॉक्टर कुछ खादी खाती है छापे मारी के नामसे बड़ा कामिस्न खाकी भी लेआती है

महंगी दावा नहीं खरीद पाती गरीब जनता वो दर्द से मारी जाती है

कैसे उभरे किसान देशका इसके अनाज की कीमत तो मिल मालिकों द्वारा रद्दी के भाव आंकी जाती है

अच्छे दिन लाएंगे कहने वाले नेताओं को जरा भी शर्म नहीं आती है सरकार की उपलब्धि तो देखो बेसर्म ही होती जाति है

कैसे उभरे किसान देशका इसके अनाज की कीमत तो मिल मालिकों द्वारा रद्दी के भाव आंकी जाती है



मंगलवार, 6 अप्रैल 2021

हिंदू मुस्लिम भाई भाई

 कैसे कहदे मुसलमानों को खालिस्तानी वतन में इनका भी हिस्सा है

आजादी की लड़ाई में कुर्बानियों हुए क्रांति कारियो में 

इनका भी किस्सा है

तिरंगा दिया मुसलमानों ने इन्कलाब भी मुस्लिम ने लिखा है

कैसे कहदे मुसलमानों को खालिस्तानी वतन में इनका भी हिस्सा है

मादरे वतन भारत की जय का नारा अजीम उल्लाह खान ने दिया था 

छुपा दिया दुनिया की नजरो में शेर खान अफरीदी ने भी देश की खातिर अपना पूरा जीवन जंजीरों में जिया था

अंग्रेजो के सबसे बड़े अहोदेदार वायसराय का सरेआम कत्ल किया था क्यों गुमना उसका किस्सा है

कैसे कहदे मुसलमानों को खालिस्तानी वतन में इनका भी हिस्सा है

कसे भूल जाते हो दुनिया वालो सारे जहा से अच्छा हिंदुस्तान हमारा अलामा इकबाल ने लिखा था

भारत छोड़ो का नारा यूसुफ मेहर अली ने दिया था

वतन ए आजादी में लहू देकर आजादी लाने में इनका भी किस्सा है

कैसे कहदे मुसलमानों को खालिस्तानी वतन में इनका भी हिस्सा है

सोमवार, 5 अप्रैल 2021

खुफवाड़ा में आतंकी हमला

 छत्तीसगढ़ में नक्सली हमलों में शाहिद हुए वीरों को दिल की असीम गहराइयों से नमन और सलाम करता हूं

भारतिये सरकार निकम्मी और नाकाम लिखता हूं

उधर फोजी भाईयो की लासे दुखी मात पिता और भारतीय पूरी आवाम लिखता हूं

इस मिटी में पले बढ़े उस मिटी पे कुर्बान फोजी भाईयो भाईयो की जान लिखता हूं

इन शाहिद वीरों की जननी को अनगिनत सलाम लिखता हूं

तुम सुरमे थे सुरमे रहोगे लाखों दिलों की ये आवाज लिखता हूं 

शहिद फोजी भाईयो के चरणों में रामरतन सुड्डा का नतमस्तक प्रणाम लिखता हूं

छत्तीसगढ़ में नक्सली हमलों में शाहिद हुए वीरों को दिल की असीम गहराइयों से नमन और सलाम करता हूं

नेताओ के लिए अवसर बोट बटोरने का ओर उमड़ा जन सैलाब लिखता हूं 

बाकी हर भारतीयों की आंखों से निकले आसुओं का सैलाब लिखता हूं

मिटा दे हस्ती दुश्मन की हर भारतीए के शीनो में दहकती वो आग लिखता हूं

छत्तीसगढ़ में नक्सली हमलों में शाहिद हुए वीरों को दिल की असीम गहराइयों से नमन और सलाम करता हूं

भारतीयो सरकार निकम्मी और नाकाम लिखता हूं


आंदोलन

 जब जब जुल्म हुए समाज पे वो आंदोलनकारी कोन थे

इंसाफ दो हमे इंसाफ दो खून गर्म की देकर दुहाई स्टेजो 

बोले रहे बड़े बड़े जो बोल थे 

माला पहनकर नेतृत्व करने वाले वो नेतृत्व करी कोन थे

हर बार हुए समझौते वो क्यों समझोतो पर वो मॉन थे

जब जब जुल्म हुए समाज पे वो आंदोलन कारी कोन थे

लाठी चली पुलिस वालों की वो पीटने वाले कोन थे 

आगे बढ़ो आगे बढ़ो गाड़ी में बैठकर कहने वाले वो नेता और लीडर कोन थे

जब जब जुल्म हुए समाज पे वो आंदोलन कारी कोन थे

लाठी और गोली खाते खाते शाहिद हुए कई लाल छिप छिप कर भागने वाले वो फुजदिल कोन थे

कई बेबा हो गई बताए कई भाई खो दिये बहनों ने चंद पेसो में जमीर बेच कर वो चुपी साधे कोन थे

जब जब जुल्म हुए समाज पे वो आंदोलन कारी कोन थे

पेसो के बदले इंसाफ बेचा वो मॉल लगाने वाले कोन थे

हर बार हुए समझौते वो क्यों समझोतो पर वो मॉन थे

जमीर बेच कर चोला पहने वो चोलाधारी कोन थे

आगे बढ़ो आगे बढ़ो कहने वाले वो नेतृत्व करी कोन थे

जब जब जुल्म हुए समाज पर वो आंदोलनकारी कोन कोन थे

हर बार हुए समझौते वो क्यों समझोतो पर वो मॉन थे


रविवार, 4 अप्रैल 2021

गरीबों को इंसाफ क्यों नही मिलता?

 आज के इस दौर में गरीब मजलूम परिवारों को इन्साफ क्यों नहीं मिलता वो चाहे किसी धर्म जाति या वर्ग से हो क्यों प्रशासन गरीबों के साथ हुए अन्याय अत्याचारों पे मॉन रहता है क्यों कई कई दिनों तक धरना प्रदर्शन आंदोलन करने के बावजूद भी मुजरिम को गिरफदार करने में देरी होती है मुजरिम गिरफदार नहीं होपाते क्यों सिर्फ और सिर्फ गरीब दलित सोसित परिवारों की बहिन बेटियो का शोषण होता है क्यों गरीबों के मासूम बच्चे बीच चौराहे हेवानो द्वारा बेदर्दी बेसर्मी से पिटे जाते है क्यों  पुलिस द्वारा बर्बरता से आंदोलन कार्यों पर लाठी और सरिए चलाए जाते है आज के इस लेख में हम इसी विषय को गहनता से समझने की कोशिश करेंगे

दोस्तो अगर हम भविष्य को मजबूत बना चाहते है ऐसे असमिजिक कृत्यों से निजात पाना चाहते हैं तो हमे अपने अंदर सचाई को स्वीकारने और सच के साथ बिना किसी भए के डटकर विरोध करने की क्षमता को विकसित करना होगा हमे झूट और षड्यंत्र का खुलकर विरोध करना होगा इस विषय को बिना किसी जाति धर्म को देखे बिना किसी जाति धर्म का पक्ष किए सच्ची लगन से पूरा करना होगा

वो गडरिए और भेड़ये वाली कहानी तो आपने सुनी और पांचवी कक्षा में पढ़ी होगी 

मेरा जहा तक मानना ह आज पर्शासन और समाज के बीच वो भिड़ये और गडरिए वाली स्थिति पैदा करदी है 

जिससे सचाइ भी झूठ प्रतीत होती है 

समाज और प्रशासन के बीच ये स्थिति पैदा करने वाला कोई ओर नहीं ये समाज और इस समाज का नेतृत्व करने वाले दलाल चोला धारी नेता है

हमारे द्वारा चुने गए सताधारी दलाल नेता क्या करते है प्रशासन पर मिजरिमो को पड़ने गिरफ्दार करने के लिए प्रेसर नहीं बनाते बल्कि ये कहते है कुछ नहीं इस मुकदमे में हम राजीनामा करवा देंगे आप कुछ दिन इंतजार करो क्योंकि इन दलालों को वोट बटोरने केलिए ऐसे असामाजिक लोगोकी जरूरत होती है 

इसलिए लोग दिखावे के लिए पीड़ित पक्ष के साथ खड़े होते है और मुजरिम को बचाने केलिए प्रशासन के साथ अड़े होते है

ओर पुलिस और नागरिकों के बीच अविश्वास फैलने का काम करते है 

जो गरीब मजलूम परिवारों के इन्साफ की बोली लगाते है 

उनके इन्साफ और बहिन बेटियो के जिस्म को बेचकर खुद बड़ी बड़ी गाड़ियों में घूमकर शोषित परिवार में अपनी दहस्त कायम करते है ओर उसी शोषित सामाज से नॉट बटोरने वाले नोट और वोट  बटोरने वाले वोट ओर नॉट दोनो एक साथ बटोरते है  

मेरा जहा तक मानना ओर सोचना है इन दलाल चोला धारि नेताओ ने न सिर्फ समाज को बदनाम किया है बल्कि पुलिस और पूरे प्रशासन को समाज और समाज के लोगों के बीच बदनाम किया और पुलिस और नागरिकों के बीच अविश्वास फलाने का काम किया है और समाज में इन योद्धाओ की छवि को खराब किया है इन दलाल नेताओ ने समाज में पुलिस और कानून व्यवस्था को बिकाऊ साबित करने का काम किया है

जब तक समाज के लोग अपने बीच सराफ्त से दलाली करने वाले इन नकली झूठे पाखंडी स्वार्थी दलाल नेताओ  समाज का नेतृव करने वाले नेतृव करियों को नहीं समझे गा और अगर समझने के बाद भी इनका बहिस्कार नहीं करेगा इस समाज से ना ही अत्याचार रूके गा ओर ना ही इन्साफ मिले गा

आज हर दिन हर घंटे अकबार टीवी शोसल मीडिया में ऐसे शोषण और अत्याचार के केस हम सुनते और देखते है जिनपर कानूनी कार्यवाही भी होती है कुछ मामलों में प्रशासन पूर्ण शक्ति और निस्पक्षता से एक्शन लेता है लेकिन अंजाम क्या होता है आखिर में या तो गवाह  खरीद लिए जाते है या खुद शोषितो को खरीद लिए जाते है और राजीनाम करवा दिया जाता है 

अगर कोई अपने जमीर का मोल स्वीकार नहीं करता  तो शोषित के पास मुकदमों में खर्च करने के लिए धन नहीं होता और कुछ दिन मुकदमा चलने के बाद मुकदमा बंद कर दिया जाता है 

ये समाज और इस समाज के नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए दो चार दिन पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाने समाज को पुलिस और सरकार के खिलाफ भड़काने के सिवा पीड़ित की न ही आर्थिक मदद करते है और न ही राजनेतिक

कानून में उन्हें झूठे मुकदमे होने का करार देदिया जाता है

ओर यही वो वजह है जो प्रशासन को रोके रखती है 

ओर इन्ही दलालों की दलाली ने सामाज में कानून को धंधा बनाकर रख दिया है और इस धंधे में सबसे ज्यादा लाभ हासिल करने वाले जो होते है वो होते है अपने आपको समाज का लीडर कहने वाले चोला धारी नेता

हमारे देश में हर रोज हजारों मुकदमे होते है और हजारों 

मुकदमों में 10%मुकदमे भी अंजाम तक नहीं पहुंच पाते

ओर इस का कारण है हमारे समाज में रहते इन नेता और बड़ी बड़ी मूछो वाले चौधरी क्योंकि आज हमारे समाज में इन दलालों के सर पे बंधे कपड़े की कीमत किसी बहिन बेटी के तार तार हुए जिस्म किसी मां के लाल, किसी बहिन के भाई, किसी बाप के बाटे, की जान  से ज्यादा कीमत होती है

जब जब जुल्मी को उसके जुल्मों की सजा होने वाली होती है ये लोग पीड़ित परिवार के चरणो में अपने सर पे बंधे कपड़े को रखकर माफी मांग ते है गिड़गिड़ाते है और कहते है हमारा मान रखो और गांव गुहांड आस पड़ोस के दो चार दलाल और इकट्ठा होकर उस दलाल की दलाली में हां में हां भरते हैं ओर कहते है आपके चरणों में पगड़ी रखदी अब तो रहम करो वो पगड़ी जो किसी के खून से रंगी है उसपे रहम लेकिन इस समाज में किसी की जिंदगी से ज्यादा उस दलाल के सर पे बंधे कपड़े को महत्व दिया जाता है इस लिए इन्साफ इन्साफ नहीं धंधा है और ये वही दलाल नेता होते है जो किसी के खून से अपनी राजनीतिक रोटियां सकते है क्योंकि इन्हें पता होता है कुछ नहीं होगा दो चार महीने केश चलने के बाद पगड़ी गैर माफी मांग लेंगे ऐसा ही होता है

ओर बदनाम करते है पुलिस को मेरी नज़र में ना पुलिस बुरी है और नाही कानून बुरे है ये दलाल और खुद समाज जो बार बार इन दलालों की दलाली का सीकर होता है और होता रहता है

पुलिस प्रशासन में नोकरी करने वाले कोई आसमान से नहीं टपकते वो भी किसी बहिन के भाई है किसी मां के बेटे है किसी परिवार का हिस्सा है 

दर्द उन्हें भी होता है जब कोई समाज में अत्याचार शोषण होता है किसी बहिन का जिस्म नोचा जाता है और उन्हें बेवजह बदनाम किया जाता है

देश की न्यायपालिका पर भरोसा रख कर बिना समझोता किए जिस दिन 100 मे से अगर 90 मुकदमे भी दोसी को सजा दिलाने तक पहुंचने लग गए उस दिन से ही ना तो आपको धरने की जरूरत पड़ेगी और नहीं आंदोलन की प्रशासन खुमखुद निस्पक्ष कार्यवाही करने लगजाएगा


शनिवार, 3 अप्रैल 2021

गीता और कुरान

 क्या रखा है यारो गीता और कुरान में 

दिल खोल संविधान पढ़ो गुर मिलेंगे आत्मरक्षा और स्वाभिमान के

क्या कहा गीता ने लिखा क्या कुरान में इंसान इंसान में भेद किया भ्रांति फलाई आवाम में

सभी दिलों के मत भेद मिटा लिखा इंसाफ संविधान में

अत्याचार मिटाने का हर लिखा लेख संविधान में

क्या रखा है यारो गीता और कुरान में 

धर्म ग्रंथो ने दिल तोड़े दिल जोड़े है संविधान ने

अत्याचारी जुल्मियो के रुख मोड़े हैं संविधान ने

क्या रखा है यारो गीता और कुरान में 

दिल खोल संविधान पढ़ो गुर मिलेंगे आत्मरक्षा और स्वाभिमान के

दोषी के लिए सजा लिखी निर्दोष का सम्मान है संविधान में इंसान में इंसानियत फूंक दे ऐसे मंत्र है संविधान में 

हर इंसान बराबर समझे कोई भेद नहीं हिंदू मुस्लिम या कोई जाति विशेष आवाम में 

हर भारतीय एक बराबर भारतीय संविधान में

क्या रखा है यारो गीता और कुरान में 

दिल खोल संविधान पढ़ो गुर मिलेंगे आत्मरक्षा और स्वाभिमान के




शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

मंदिरो का निर्माण किसने ओर क्यों कवाये

 एक गांव में एक सेठ रहता था सेठ के एक लड़का था लड़का काम काज में एकदम कुशल था सेठ के पास एक मिठाई की दुकान थी बाप और बेटा मिलकर दुकान चलाते गांव में एक ही मिठाई की दुकान होने की वजह से सेठ गांव वालो से मनमर्जी के रेट वसूलता और दुकान से अच्छी खासी कमाई करता था कुछ समय बाद गावमे मिठाई की कई दुकानें होगई गांव की आबादी के लिहाज से मिठाई की दुकानें इतनी होगई थी की सेठ को पहले की अपेक्षा कमाई का चौथा हिंसा भी मुस्कील से मिल पाता सेठ अब जान चुका था अब यहां मिठाई की दुकान से उसका और उसके परिवार का गुजारा चलना मुस्किल है सेठ ने कम आमदनी के चलते दुकान जाना कुछ समय से बंद कर्दिया था अब दुकान का सारा काम काज सेठ का लड़का ही संभालता एक रोज हमेशा कतरा उसका बेटा सेठ के पास आया और बोला पाप दुकान में अब कोई काम नहीं रहा मजदूरी भी बना मुस्किल होगया है क्योना हम शहर में जाकर अपनी दुकान करे जिससे हमे पहले की तरहा अच्छी खासी आमदनी हो सेठ ने कहा कल ही में सहर जाकर दुकान की तसल्ली कर्ता हूं सेठ दूसरे दिन सहर जाता है और निराश उदास सा घर लौटता है घर पर आते ही घर वालो ने उदासी का कारण पूछा तो सेठ ने कहा सहर में दुकानों का किराया बहुत ज्यादा है और मिठाई का रेट बहुत कम सहर में हम उतनी कमाई नहीं करपाएंगे जितनी हम चाहते है कुछ दिनों बाद सेठ के पास किसी रिश्तेदार का फोन आया हाल चाल पूछा तो सेठ ने रिरासा जनक जवाब दिया रिश्ते दार ने कहा क्या बात ह निराश कसे हो दुकानदारी में मंदी चल रही है क्या तो सेठ ने सारी बात अपने रिश्तेदार को बताई सेठ के रिश्तेदार ने सेठ को इस बात का हवाला देते हुए की हमारे पास ही के गांव में कोई मिठाई की दुकान नहीं है यहां आकर दुकान कर लो और साम को यहां अपने घर आजाना सुबह खाना खाकर अपनी दुकान चले जाना जिससे आपको कोई परेशानी भी नहीं होगी यह सुन सेठ की जान में जान आई अगले दिन बिना देरी किए सेठ अपना सामन बंध कर अपने बेटे के साथ दूसरे गांव के लिए रवाना होगया सामको सेठ रिश्ते दार के घर पहुंचा चाय पानी पिया और बातचीत करने लगे सेठ को अपने रिश्तेदार से मिले दो तीन साल होगए थे दो तीन साल पहले जब सेठ यहां आया था तब रिश्तेदार के यहां कुछ खास दम नहीं था और अब लग्जरी गाड़ी बड़ा घर देख सेठ हका भका सा रह गया सेठ से अपने रिश्तेदार की तर्की का कारण पूछे बगैर रहा नहीं गया और सेठ ने पूछा अपने लड़के नोकरी लग गए या कोई दबा खजाना हाथ लग गया जो दो तीन सालों में ही इतना कुछ कर लिया रिश्तेदार ने जवाब दिया सब उपर वाले की कृपा है बड़ा बेटा शिव का भगत है और छोटा बेटा काली का सेठ ने आश्चर्य से पूछा भागती से इतना कुछ देदिया प्रभु ने रिश्तेदार ने कहा अब आपसे क्या छुपाना गांव वालो ने चंदा इकट्ठा कर दो मंदिर बनवा दिए शिव मंदिर बड़े बेटे के अंडर में आता है और काली मंदिर छोटे बेटे के मंदिर में हर रोज सोना चांदी और लाखो का नगद चढ़ावा आता है पंद्रह बीस हजार कोई धूप बत्ती नारियल बिक जाते है ये और चालीस पचास हजार का कोई हवन यज्ञ का काम आजाता है सब प्रभू की माया है बस इसी से होजाता है गुजारा

ये सब सुनकर सेठ ने भी अपने दिमाग को दौड़ा लिया था और अगले ही दिन सेठ ने दुकान के लिए पास के गांव के लिए प्रस्थान किया सेठ मन में विचार कर रहा ओर बार बार इश्वर से प्रार्थना करते करते चल रहा था की जिस गांव में उसे दुकान करनी है उस गांव में कोई मंदिर ना हो ओर वो गांव वालो से कहकर रिश्तेदार की तरह चंदा एकत्र कर मंदिर बनवाकर पुजारी बने और बेटा दुकान चलाए जैसे ही सेठ ने गांव में प्रवेश किया सेठ फिर से निराश सा होगया सेठ की प्रार्थना से मंदिर तो धरती में समा नहीं सकते थे सेठ ने मन में विचार किया कोई बात नही मंदिर है तो क्या हुआ यहां दुकान तो नहीं है मिठाई की हम उसी से अच्छे खासे पैसे कमा लेंगे सेठ को एक दुकान मिली जिसके पास बड़ी सी बणी पड़ी हुई थी सेठ ने दुकान में मिठाई का काम शूरु किया और देखते ही देखते दुकान से अच्छी खासी कमाई होने लगी लेकिन सेठ का मन उस कमाई से कहा मानने वाला था सेठ को तो बिन मेहनत के लाखो की कमाई दिख रही थी कुछ दिन बीते ही थे की सेठ ने अपने दिमाग को फिर से दौड़ाया और मन में विचार किया अगर चंदे से मंदिर बनवाना चाहूं तो बन तो सकता है यहां इतने मंदिर है ये भी तो बने है फिर मन में सोचा अगर मंदिर बना भी दिया तो लोग यहां ज्यादा नहीं आयेंगे और चढ़ावा भी नहीं चढ़ाएंगे अगर में अपने खुद के पैसे से मंदिर बनवा दू तो लोग सोचेंगे भगवान का इसे पर्चा मिला होगा तभी इतनी रकम लगाकर मंदिर बनवा रहा है वोभि किसी दूसरे गांव का होकर जरूर यहां कोई चमत्कार हुआ होगा ये सोच लोग भी ज्यादा आयेंगे और चडावा भी खूब आएगा और कुछ ही दिनों में अपनी लगी रकम पूरी हो जाएगी और लाखो कमाएंगे पास ही अपनी मिठाई की दुकान से प्रसाद के लिए मिठाई खरीदेंगे तो डबल कमाई होगी अगले हि दिन सेठ ने अपने बेटे को सारी कहानी बताई और दोनो बाप बेटे ने गांव के लोगो की पंचायत बुलाकर एलान कर दिया की खुद भगवान ने उसे मदिर बनवाने को बोला है और इसमें मै किसी का चंदा नहीं लूंगा भगवान ने मेरे खुद के दस लाख रुपए से मंदिर बनवाने का आह्वान किया है ये सुन गांव वाले सोच में पड़ गए काफी सोच विचार के बाद गांव वालो ने मंजूरी दे दी और ये बात गांव में आग की तरह फेल गई की मिठाई वाले को भगवान के दर्शन हुए है और वो दस लाख लगाकर  गांव में मंदिर बनवा रहा है वो भी किसी से चंदा लिए बगैर सेठ ने अगले ही दिन रास्ते के समीप दो चार ईंटे रखकर धुना लगाकर बैठ गया और देखते ही देखते गांव की महिला बूढ़े जवान बच्चे अपना अपना दुख दूर करवाने आने लगे और बिन मांगे ही कोई पैसे चढ़ा कर जाने लगा तो कोई जेवर मंदिर का काम शूरु हुआ और ओर आस पड़ोस के गांवों तक भी ये बात पहुंच गई कोई ईटो की ट्रॉली भरकर लाने लगा तो कोई सीमेंट करेसर देखते ही देखते सेठ का एक रुपया लगे बगैर ही आलीशान मंदिर बनकर तेंयार होगया और सेठ चोटी बढ़ा कर मंदिर में पुजारी बनकर बैठ गया मंदिर में लोगो की इतनी भीड़ आने लगी मानो कोई मेला लगा हो कुछ ही दिनों बाद लोग खुद ही अपने मन घड़त चमत्कार गिनाने लगे और चमत्कारी मंदिर के चर्चे दूर दूर तक फैल गए दूर दूर से लोग गाड़ी लेकर मंदिर में दर्शन के लिए आते ओर बड़े छोटे खूब बढ़ चढ़ कर चढ़ावा चढ़ाते कोई मंदिर में सेठ की दुकान से ही लेकर सवामनी लगता तो कोई किलो आधा किलो मिठाई प्रसाद के रूप में चढ़ता सेठ सामको मिठाई अलग अलग कर फिर से दुकान में भेज देता देखते ही देखते सेठ करोड़ो का मालिक होगया और गांव वाले ऐसे ही लुटते रहे

मंदिरों का निर्माण चतुर लोगों द्वारा बनाया गया वेवसाय है जिसमे बिना मेहनत के पीढ़ी दर पीढ़ी कमाई करते है कुछ लोग 

आस्था दिल की रखो मंदिर में आस्था धन को वयर्थ करना ओर पाखंड वाद को बढ़ावा देना है

गुरुवार, 1 अप्रैल 2021

देश की बहिन। बेटियों को मेरा संदेश

 सुनो देश की बहन ओर बेटियो बस एक बात सदा याद रखियो

आज जय भीम जय भीम बोलो तो इस जय भीम का मान रखियो

हर कदम तुम धरियो फूंक फूंक कर मात पिता और समाज की इज्जत तुम सदा अपने सर ताज राखियो

सुनो देश की बहन ओर बेटियो बस एक बात सदा याद रखियो

पढ़ो लिखो तुम बढ़ ओर चढ़कर इधर उधर ना कदे ताकियो

सुनो देश की बहन ओर बेटियो बस एक बात सदा याद राखियों

आज जय भीम जय भीम बोलो तो इस जय भीम का मान रखियो

स्वतंत्र जीवन देन भीम की इस भीमराव न याद राखिय

ब्याही जाओ जहीं कहि भी सास ससुर का मान राखियो

निडर बनके जियो सदा जुल्मी से तुम कदे ना डरियो

जुल्म ढाए जब जुल्मी तुम पर तलवारों से परहेज ना करियो 

सुनो देश की बहन ओर बेटियो बस एक बात सदा याद राखियो

जो पड़े जरूरत लड़ने की तो फूलन देवी याद राखियो

छली कपटी दुनिया सारी हाथियार तुम अपने हाथ राखियो

सुनो देश की बहन ओर बेटियो बस एक बात सदा याद रखियो

आज जय भीम जय भीम बोलो तो इस जय भीम का मान राखियो

मात पिता की इज्जत का दिल में सदा तुम ख्याल राखियो

आए गए बूढ़े बड़े का सदा मान और सम्मान राखियो

आज जय भीम जय भीम बोलो तो इस जय भीम का मान राखियो


Love shayeri bewafa shayeri dard bhri shayeri lavitaye kahaniya motivsnal or samajik stori

Kisi ka jhukne n dena sis lachari me

किसी का झुकने न देना सीस लाचारी में बेमानी का सीस उठने न देना खून है तुम्हारी नसों में ईमान का  इसे बेमानो से मिटने न देना  बाहें तुम्हारी भ...