जब जब जुल्म हुए समाज पे वो आंदोलनकारी कोन थे
इंसाफ दो हमे इंसाफ दो खून गर्म की देकर दुहाई स्टेजो
बोले रहे बड़े बड़े जो बोल थे
माला पहनकर नेतृत्व करने वाले वो नेतृत्व करी कोन थे
हर बार हुए समझौते वो क्यों समझोतो पर वो मॉन थे
जब जब जुल्म हुए समाज पे वो आंदोलन कारी कोन थे
लाठी चली पुलिस वालों की वो पीटने वाले कोन थे
आगे बढ़ो आगे बढ़ो गाड़ी में बैठकर कहने वाले वो नेता और लीडर कोन थे
जब जब जुल्म हुए समाज पे वो आंदोलन कारी कोन थे
लाठी और गोली खाते खाते शाहिद हुए कई लाल छिप छिप कर भागने वाले वो फुजदिल कोन थे
कई बेबा हो गई बताए कई भाई खो दिये बहनों ने चंद पेसो में जमीर बेच कर वो चुपी साधे कोन थे
जब जब जुल्म हुए समाज पे वो आंदोलन कारी कोन थे
पेसो के बदले इंसाफ बेचा वो मॉल लगाने वाले कोन थे
हर बार हुए समझौते वो क्यों समझोतो पर वो मॉन थे
जमीर बेच कर चोला पहने वो चोलाधारी कोन थे
आगे बढ़ो आगे बढ़ो कहने वाले वो नेतृत्व करी कोन थे
जब जब जुल्म हुए समाज पर वो आंदोलनकारी कोन कोन थे
हर बार हुए समझौते वो क्यों समझोतो पर वो मॉन थे
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