रविवार, 4 अप्रैल 2021

गरीबों को इंसाफ क्यों नही मिलता?

 आज के इस दौर में गरीब मजलूम परिवारों को इन्साफ क्यों नहीं मिलता वो चाहे किसी धर्म जाति या वर्ग से हो क्यों प्रशासन गरीबों के साथ हुए अन्याय अत्याचारों पे मॉन रहता है क्यों कई कई दिनों तक धरना प्रदर्शन आंदोलन करने के बावजूद भी मुजरिम को गिरफदार करने में देरी होती है मुजरिम गिरफदार नहीं होपाते क्यों सिर्फ और सिर्फ गरीब दलित सोसित परिवारों की बहिन बेटियो का शोषण होता है क्यों गरीबों के मासूम बच्चे बीच चौराहे हेवानो द्वारा बेदर्दी बेसर्मी से पिटे जाते है क्यों  पुलिस द्वारा बर्बरता से आंदोलन कार्यों पर लाठी और सरिए चलाए जाते है आज के इस लेख में हम इसी विषय को गहनता से समझने की कोशिश करेंगे

दोस्तो अगर हम भविष्य को मजबूत बना चाहते है ऐसे असमिजिक कृत्यों से निजात पाना चाहते हैं तो हमे अपने अंदर सचाई को स्वीकारने और सच के साथ बिना किसी भए के डटकर विरोध करने की क्षमता को विकसित करना होगा हमे झूट और षड्यंत्र का खुलकर विरोध करना होगा इस विषय को बिना किसी जाति धर्म को देखे बिना किसी जाति धर्म का पक्ष किए सच्ची लगन से पूरा करना होगा

वो गडरिए और भेड़ये वाली कहानी तो आपने सुनी और पांचवी कक्षा में पढ़ी होगी 

मेरा जहा तक मानना ह आज पर्शासन और समाज के बीच वो भिड़ये और गडरिए वाली स्थिति पैदा करदी है 

जिससे सचाइ भी झूठ प्रतीत होती है 

समाज और प्रशासन के बीच ये स्थिति पैदा करने वाला कोई ओर नहीं ये समाज और इस समाज का नेतृत्व करने वाले दलाल चोला धारी नेता है

हमारे द्वारा चुने गए सताधारी दलाल नेता क्या करते है प्रशासन पर मिजरिमो को पड़ने गिरफ्दार करने के लिए प्रेसर नहीं बनाते बल्कि ये कहते है कुछ नहीं इस मुकदमे में हम राजीनामा करवा देंगे आप कुछ दिन इंतजार करो क्योंकि इन दलालों को वोट बटोरने केलिए ऐसे असामाजिक लोगोकी जरूरत होती है 

इसलिए लोग दिखावे के लिए पीड़ित पक्ष के साथ खड़े होते है और मुजरिम को बचाने केलिए प्रशासन के साथ अड़े होते है

ओर पुलिस और नागरिकों के बीच अविश्वास फैलने का काम करते है 

जो गरीब मजलूम परिवारों के इन्साफ की बोली लगाते है 

उनके इन्साफ और बहिन बेटियो के जिस्म को बेचकर खुद बड़ी बड़ी गाड़ियों में घूमकर शोषित परिवार में अपनी दहस्त कायम करते है ओर उसी शोषित सामाज से नॉट बटोरने वाले नोट और वोट  बटोरने वाले वोट ओर नॉट दोनो एक साथ बटोरते है  

मेरा जहा तक मानना ओर सोचना है इन दलाल चोला धारि नेताओ ने न सिर्फ समाज को बदनाम किया है बल्कि पुलिस और पूरे प्रशासन को समाज और समाज के लोगों के बीच बदनाम किया और पुलिस और नागरिकों के बीच अविश्वास फलाने का काम किया है और समाज में इन योद्धाओ की छवि को खराब किया है इन दलाल नेताओ ने समाज में पुलिस और कानून व्यवस्था को बिकाऊ साबित करने का काम किया है

जब तक समाज के लोग अपने बीच सराफ्त से दलाली करने वाले इन नकली झूठे पाखंडी स्वार्थी दलाल नेताओ  समाज का नेतृव करने वाले नेतृव करियों को नहीं समझे गा और अगर समझने के बाद भी इनका बहिस्कार नहीं करेगा इस समाज से ना ही अत्याचार रूके गा ओर ना ही इन्साफ मिले गा

आज हर दिन हर घंटे अकबार टीवी शोसल मीडिया में ऐसे शोषण और अत्याचार के केस हम सुनते और देखते है जिनपर कानूनी कार्यवाही भी होती है कुछ मामलों में प्रशासन पूर्ण शक्ति और निस्पक्षता से एक्शन लेता है लेकिन अंजाम क्या होता है आखिर में या तो गवाह  खरीद लिए जाते है या खुद शोषितो को खरीद लिए जाते है और राजीनाम करवा दिया जाता है 

अगर कोई अपने जमीर का मोल स्वीकार नहीं करता  तो शोषित के पास मुकदमों में खर्च करने के लिए धन नहीं होता और कुछ दिन मुकदमा चलने के बाद मुकदमा बंद कर दिया जाता है 

ये समाज और इस समाज के नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए दो चार दिन पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाने समाज को पुलिस और सरकार के खिलाफ भड़काने के सिवा पीड़ित की न ही आर्थिक मदद करते है और न ही राजनेतिक

कानून में उन्हें झूठे मुकदमे होने का करार देदिया जाता है

ओर यही वो वजह है जो प्रशासन को रोके रखती है 

ओर इन्ही दलालों की दलाली ने सामाज में कानून को धंधा बनाकर रख दिया है और इस धंधे में सबसे ज्यादा लाभ हासिल करने वाले जो होते है वो होते है अपने आपको समाज का लीडर कहने वाले चोला धारी नेता

हमारे देश में हर रोज हजारों मुकदमे होते है और हजारों 

मुकदमों में 10%मुकदमे भी अंजाम तक नहीं पहुंच पाते

ओर इस का कारण है हमारे समाज में रहते इन नेता और बड़ी बड़ी मूछो वाले चौधरी क्योंकि आज हमारे समाज में इन दलालों के सर पे बंधे कपड़े की कीमत किसी बहिन बेटी के तार तार हुए जिस्म किसी मां के लाल, किसी बहिन के भाई, किसी बाप के बाटे, की जान  से ज्यादा कीमत होती है

जब जब जुल्मी को उसके जुल्मों की सजा होने वाली होती है ये लोग पीड़ित परिवार के चरणो में अपने सर पे बंधे कपड़े को रखकर माफी मांग ते है गिड़गिड़ाते है और कहते है हमारा मान रखो और गांव गुहांड आस पड़ोस के दो चार दलाल और इकट्ठा होकर उस दलाल की दलाली में हां में हां भरते हैं ओर कहते है आपके चरणों में पगड़ी रखदी अब तो रहम करो वो पगड़ी जो किसी के खून से रंगी है उसपे रहम लेकिन इस समाज में किसी की जिंदगी से ज्यादा उस दलाल के सर पे बंधे कपड़े को महत्व दिया जाता है इस लिए इन्साफ इन्साफ नहीं धंधा है और ये वही दलाल नेता होते है जो किसी के खून से अपनी राजनीतिक रोटियां सकते है क्योंकि इन्हें पता होता है कुछ नहीं होगा दो चार महीने केश चलने के बाद पगड़ी गैर माफी मांग लेंगे ऐसा ही होता है

ओर बदनाम करते है पुलिस को मेरी नज़र में ना पुलिस बुरी है और नाही कानून बुरे है ये दलाल और खुद समाज जो बार बार इन दलालों की दलाली का सीकर होता है और होता रहता है

पुलिस प्रशासन में नोकरी करने वाले कोई आसमान से नहीं टपकते वो भी किसी बहिन के भाई है किसी मां के बेटे है किसी परिवार का हिस्सा है 

दर्द उन्हें भी होता है जब कोई समाज में अत्याचार शोषण होता है किसी बहिन का जिस्म नोचा जाता है और उन्हें बेवजह बदनाम किया जाता है

देश की न्यायपालिका पर भरोसा रख कर बिना समझोता किए जिस दिन 100 मे से अगर 90 मुकदमे भी दोसी को सजा दिलाने तक पहुंचने लग गए उस दिन से ही ना तो आपको धरने की जरूरत पड़ेगी और नहीं आंदोलन की प्रशासन खुमखुद निस्पक्ष कार्यवाही करने लगजाएगा


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