कैसे उभरे किसान देश का इसके अनाज की कीमत तो मिल मालिकों द्वारा रद्दी के भाव आंकी जाती है
उसी अनाज से बनी पांच रुपए की वस्तु की कीमत
,सो,रुपए वसूली जाती है
पशू पाले किसान ने दूध घी भी किसान उपाता है ,खरीदा नहीं जाता किसान से दूध तीस रुपए किलो और वही दुध
कंपनी के लेबल की थैलियों में पैक सो रुपए बेचा जाता है
कैसे उभरे किसान देशका इसके अनाज की कीमत तो मिल मालिकों द्वारा रद्दी के भाव आंकी जाती है
ले आती है सरकार किसान विरोधी कानून तो रातों रात
बेवजह के रेट वसूलती इन कंपनियों पे लगाम क्यों नही लगा पति है
शर्म नहीं आती इस सिस्टम को हम किसान के हितमे है बेसरमि से कसे कह जाते है
कैसे उभरे किसान देशका इसके अनाज की कीमत तो मिल मालिकों द्वारा रद्दी के भाव आंकी जाती है
दो रुपए से बनी दावा दो सो में बेची जाती है कुछ रिश्वत खाते डॉक्टर कुछ खादी खाती है छापे मारी के नामसे बड़ा कामिस्न खाकी भी लेआती है
महंगी दावा नहीं खरीद पाती गरीब जनता वो दर्द से मारी जाती है
कैसे उभरे किसान देशका इसके अनाज की कीमत तो मिल मालिकों द्वारा रद्दी के भाव आंकी जाती है
अच्छे दिन लाएंगे कहने वाले नेताओं को जरा भी शर्म नहीं आती है सरकार की उपलब्धि तो देखो बेसर्म ही होती जाति है
कैसे उभरे किसान देशका इसके अनाज की कीमत तो मिल मालिकों द्वारा रद्दी के भाव आंकी जाती है
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