एक गांव में एक सेठ रहता था सेठ के एक लड़का था लड़का काम काज में एकदम कुशल था सेठ के पास एक मिठाई की दुकान थी बाप और बेटा मिलकर दुकान चलाते गांव में एक ही मिठाई की दुकान होने की वजह से सेठ गांव वालो से मनमर्जी के रेट वसूलता और दुकान से अच्छी खासी कमाई करता था कुछ समय बाद गावमे मिठाई की कई दुकानें होगई गांव की आबादी के लिहाज से मिठाई की दुकानें इतनी होगई थी की सेठ को पहले की अपेक्षा कमाई का चौथा हिंसा भी मुस्कील से मिल पाता सेठ अब जान चुका था अब यहां मिठाई की दुकान से उसका और उसके परिवार का गुजारा चलना मुस्किल है सेठ ने कम आमदनी के चलते दुकान जाना कुछ समय से बंद कर्दिया था अब दुकान का सारा काम काज सेठ का लड़का ही संभालता एक रोज हमेशा कतरा उसका बेटा सेठ के पास आया और बोला पाप दुकान में अब कोई काम नहीं रहा मजदूरी भी बना मुस्किल होगया है क्योना हम शहर में जाकर अपनी दुकान करे जिससे हमे पहले की तरहा अच्छी खासी आमदनी हो सेठ ने कहा कल ही में सहर जाकर दुकान की तसल्ली कर्ता हूं सेठ दूसरे दिन सहर जाता है और निराश उदास सा घर लौटता है घर पर आते ही घर वालो ने उदासी का कारण पूछा तो सेठ ने कहा सहर में दुकानों का किराया बहुत ज्यादा है और मिठाई का रेट बहुत कम सहर में हम उतनी कमाई नहीं करपाएंगे जितनी हम चाहते है कुछ दिनों बाद सेठ के पास किसी रिश्तेदार का फोन आया हाल चाल पूछा तो सेठ ने रिरासा जनक जवाब दिया रिश्ते दार ने कहा क्या बात ह निराश कसे हो दुकानदारी में मंदी चल रही है क्या तो सेठ ने सारी बात अपने रिश्तेदार को बताई सेठ के रिश्तेदार ने सेठ को इस बात का हवाला देते हुए की हमारे पास ही के गांव में कोई मिठाई की दुकान नहीं है यहां आकर दुकान कर लो और साम को यहां अपने घर आजाना सुबह खाना खाकर अपनी दुकान चले जाना जिससे आपको कोई परेशानी भी नहीं होगी यह सुन सेठ की जान में जान आई अगले दिन बिना देरी किए सेठ अपना सामन बंध कर अपने बेटे के साथ दूसरे गांव के लिए रवाना होगया सामको सेठ रिश्ते दार के घर पहुंचा चाय पानी पिया और बातचीत करने लगे सेठ को अपने रिश्तेदार से मिले दो तीन साल होगए थे दो तीन साल पहले जब सेठ यहां आया था तब रिश्तेदार के यहां कुछ खास दम नहीं था और अब लग्जरी गाड़ी बड़ा घर देख सेठ हका भका सा रह गया सेठ से अपने रिश्तेदार की तर्की का कारण पूछे बगैर रहा नहीं गया और सेठ ने पूछा अपने लड़के नोकरी लग गए या कोई दबा खजाना हाथ लग गया जो दो तीन सालों में ही इतना कुछ कर लिया रिश्तेदार ने जवाब दिया सब उपर वाले की कृपा है बड़ा बेटा शिव का भगत है और छोटा बेटा काली का सेठ ने आश्चर्य से पूछा भागती से इतना कुछ देदिया प्रभु ने रिश्तेदार ने कहा अब आपसे क्या छुपाना गांव वालो ने चंदा इकट्ठा कर दो मंदिर बनवा दिए शिव मंदिर बड़े बेटे के अंडर में आता है और काली मंदिर छोटे बेटे के मंदिर में हर रोज सोना चांदी और लाखो का नगद चढ़ावा आता है पंद्रह बीस हजार कोई धूप बत्ती नारियल बिक जाते है ये और चालीस पचास हजार का कोई हवन यज्ञ का काम आजाता है सब प्रभू की माया है बस इसी से होजाता है गुजारा
ये सब सुनकर सेठ ने भी अपने दिमाग को दौड़ा लिया था और अगले ही दिन सेठ ने दुकान के लिए पास के गांव के लिए प्रस्थान किया सेठ मन में विचार कर रहा ओर बार बार इश्वर से प्रार्थना करते करते चल रहा था की जिस गांव में उसे दुकान करनी है उस गांव में कोई मंदिर ना हो ओर वो गांव वालो से कहकर रिश्तेदार की तरह चंदा एकत्र कर मंदिर बनवाकर पुजारी बने और बेटा दुकान चलाए जैसे ही सेठ ने गांव में प्रवेश किया सेठ फिर से निराश सा होगया सेठ की प्रार्थना से मंदिर तो धरती में समा नहीं सकते थे सेठ ने मन में विचार किया कोई बात नही मंदिर है तो क्या हुआ यहां दुकान तो नहीं है मिठाई की हम उसी से अच्छे खासे पैसे कमा लेंगे सेठ को एक दुकान मिली जिसके पास बड़ी सी बणी पड़ी हुई थी सेठ ने दुकान में मिठाई का काम शूरु किया और देखते ही देखते दुकान से अच्छी खासी कमाई होने लगी लेकिन सेठ का मन उस कमाई से कहा मानने वाला था सेठ को तो बिन मेहनत के लाखो की कमाई दिख रही थी कुछ दिन बीते ही थे की सेठ ने अपने दिमाग को फिर से दौड़ाया और मन में विचार किया अगर चंदे से मंदिर बनवाना चाहूं तो बन तो सकता है यहां इतने मंदिर है ये भी तो बने है फिर मन में सोचा अगर मंदिर बना भी दिया तो लोग यहां ज्यादा नहीं आयेंगे और चढ़ावा भी नहीं चढ़ाएंगे अगर में अपने खुद के पैसे से मंदिर बनवा दू तो लोग सोचेंगे भगवान का इसे पर्चा मिला होगा तभी इतनी रकम लगाकर मंदिर बनवा रहा है वोभि किसी दूसरे गांव का होकर जरूर यहां कोई चमत्कार हुआ होगा ये सोच लोग भी ज्यादा आयेंगे और चडावा भी खूब आएगा और कुछ ही दिनों में अपनी लगी रकम पूरी हो जाएगी और लाखो कमाएंगे पास ही अपनी मिठाई की दुकान से प्रसाद के लिए मिठाई खरीदेंगे तो डबल कमाई होगी अगले हि दिन सेठ ने अपने बेटे को सारी कहानी बताई और दोनो बाप बेटे ने गांव के लोगो की पंचायत बुलाकर एलान कर दिया की खुद भगवान ने उसे मदिर बनवाने को बोला है और इसमें मै किसी का चंदा नहीं लूंगा भगवान ने मेरे खुद के दस लाख रुपए से मंदिर बनवाने का आह्वान किया है ये सुन गांव वाले सोच में पड़ गए काफी सोच विचार के बाद गांव वालो ने मंजूरी दे दी और ये बात गांव में आग की तरह फेल गई की मिठाई वाले को भगवान के दर्शन हुए है और वो दस लाख लगाकर गांव में मंदिर बनवा रहा है वो भी किसी से चंदा लिए बगैर सेठ ने अगले ही दिन रास्ते के समीप दो चार ईंटे रखकर धुना लगाकर बैठ गया और देखते ही देखते गांव की महिला बूढ़े जवान बच्चे अपना अपना दुख दूर करवाने आने लगे और बिन मांगे ही कोई पैसे चढ़ा कर जाने लगा तो कोई जेवर मंदिर का काम शूरु हुआ और ओर आस पड़ोस के गांवों तक भी ये बात पहुंच गई कोई ईटो की ट्रॉली भरकर लाने लगा तो कोई सीमेंट करेसर देखते ही देखते सेठ का एक रुपया लगे बगैर ही आलीशान मंदिर बनकर तेंयार होगया और सेठ चोटी बढ़ा कर मंदिर में पुजारी बनकर बैठ गया मंदिर में लोगो की इतनी भीड़ आने लगी मानो कोई मेला लगा हो कुछ ही दिनों बाद लोग खुद ही अपने मन घड़त चमत्कार गिनाने लगे और चमत्कारी मंदिर के चर्चे दूर दूर तक फैल गए दूर दूर से लोग गाड़ी लेकर मंदिर में दर्शन के लिए आते ओर बड़े छोटे खूब बढ़ चढ़ कर चढ़ावा चढ़ाते कोई मंदिर में सेठ की दुकान से ही लेकर सवामनी लगता तो कोई किलो आधा किलो मिठाई प्रसाद के रूप में चढ़ता सेठ सामको मिठाई अलग अलग कर फिर से दुकान में भेज देता देखते ही देखते सेठ करोड़ो का मालिक होगया और गांव वाले ऐसे ही लुटते रहे
मंदिरों का निर्माण चतुर लोगों द्वारा बनाया गया वेवसाय है जिसमे बिना मेहनत के पीढ़ी दर पीढ़ी कमाई करते है कुछ लोग
आस्था दिल की रखो मंदिर में आस्था धन को वयर्थ करना ओर पाखंड वाद को बढ़ावा देना है
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