बुधवार, 4 मार्च 2020

काशीराम जी का कारवा कहा तक पहूच पाया है



काशीराम जी तेरा कारवां पल पल है दम तोड़ रहा 
तुने दिखाई थी जो राही बहूजन है उसे छोड़ रहा
भुल गए बलिदान तेरा अब  पाखण्ड पिछे दोड रहा
तुने दिया था हाथी सबको अब हाथी बहुजन छोड़ रहा
कदे फ़ुल कदे हाथ कदे झाड़ू पिछे दोड रहा 
काशीराम जी तेरा कारवाँ पल पल है दम तोड़ रहा 
तुने दिखाई थी जो राही बहुजन है उसे छोड़ रहा
नही करता है बहूजन नेक कमाई पवे बोतल फोड़ रहा
तेरी दीखाई नही राह रही दारू के पिछे दोड रहा
नही करता मत सही युज ये चंद दोलत मे बेच राहा
काशीराम जी तेरा कारवाँ पल पल है दम तोड़ रहा
तुने दिखाई थी जो राही बहुजन है उसे छोड़ रहा
ले लेकर नाम तेरा साहेब जी चमचों का सिका दोड रहा
तुने खड़ा किया जो था कारवाँ चमचा यूथ अब तोड़ रहा
रामरत्न सुडा सुधरजा अब तो क्यों खुन पसीना साहेब का है बेचरहा
झूठी है अफ़वाह सारी कि बहूजन है अब चेत रहा
काशीराम जी तेरा कारवाँ पल पल है दम तोड़ रहा
तुने दिखाई थी जो राह बहुजन है उसे छोड़ रहा
तुने दी जो नीली  झंडी अब रंग है उसका बदल रहा
बहूजन तेरा पिछड़ गया कभी तिलक कभी तराज़ू
कभी तलवारें है चमका रहा
नही सँभाली कमान है अपनी वो मोल समाज का लगा रहा
काशीराम जी तेरा कारवाँ पल पल है दम तोड़ रहा
तुने दीखाई थी जो राही बहुजन है उसे छोड़ रहा

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