जिस खेत की हो कमजोर बाड उस खेत की फसल कदे पकती नही
जिस घर का हो मुखिया आलसी उस घर की ईज्जत बच सकती नही
पढ्या लीखा हो मोन जहा ओर अण पढ के हो बोल वहा ज्ञान की गंगा बही नही
जिस खेत की हो कमजोर बाड उस खेत की फसल कदे पकी नही
बडे बुजूर्गो का होता हो जहॉ सम्मान नही वहॉ शिक्षा का होता मान नही
जहा बच्चा बोले बडो से अकड कर मानो संसकारो का उस घर मे होता ज्ञान नही
जो करता हो चुगली जारी बेईमानी वो बच्चा होता नादान नही
जो बहु झॉके घर दुजे का तो उसे अपनी ईज्जत का होता है स्वाभीमान नही
मर्द जो ताके ओरत दुजी उसे मर्द की होती है पहचान नही
जो बेटी बोले बोल बेहुदे उस बेटी पे करो विश्वास नही
जिस खेत की हो कमजोर बाड उस खेत की फसल कदे पकी नही
जो नार ईतराए मर्द पराया उस नार का करो एतवार नही
जो भाइ हडपले धन माइका उसे भाई कहण का हक नही
जो बाप करे दुभॉत जाए त उस त उस से बडा कोई अन्याय नही
जो मात पिता पै जुलम करे हो पापी ऐसी सन्तान नही
रामरत्तन सुडा लीखे कवीताइ तेरा भी है धर्म यही
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