नमन करो उस महामानव न जिस न था संविधान लिखा
डूबती किस्ती बहूजन की वो तार समन्दर पार गया
बहूजन कि आज़ादी ख़ातिर चार चार संतानें वार गया
नमन करो उस महामानव न जिस न था संविधान लिखा
दर दर ठोकर खाता बहूजन बना के वो सरताज गया
जाती वाद मै टूटया था भारत, आपस मैं सब जोड़ गया
नमन करो उस महामानव न जिस न था संविधान लिखा
नही धर्म कोई महान देश मैं सब धर्मों को समान किया
शोषित बहूत थी नारी देश में नारी को कर समान दिया
पढलिख कर बने महान नारी भी एसा प्रावधान किया
नमन करो उस महामानव न जिस न था संविधान लिखा
बाहर बैठ कर पढया करै था फिर भी सिम्बल ओफ नोलेज बना
बहुत सहे अपमान जात के फिर भी विश्वगुरु वो कहलाया
सोया बहूजन मेरे देशका करके संघर्ष वो जगा गया
नमन करो उस महामानव न जिस न था संविधान लिखा
पिनें को पानी ना मिला टेम पै फिर भी भारत रत्न वो कहलाया
बहुत किया अपमानित इन धर्म के ठेके दारों नें
हर वो उनका हक़ छिना था इन देश के गद्दारां नै
रामरत्तन सूडा ना भूलो साहेब के बलिदान न
जो देख्या सपना साहेब नै वो करो सपना साकार रै
थारा हक़ बचाने ख़ातिर सहगया बहूत अपमानां नै
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Please do not enter any spm link in comment box