शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2024

Kisi ka jhukne n dena sis lachari me


किसी का झुकने न देना सीस लाचारी में

बेमानी का सीस उठने न देना

खून है तुम्हारी नसों में ईमान का 

इसे बेमानो से मिटने न देना 

बाहें तुम्हारी भी कमजोर नहीं आजमाकर देख

उठा लेना बेसख अस्तर शस्त्र रण भूमि में 

पुरखों का गौरव फुजदिलो की तलवारों से मिटने न देना

उठा है सीना तुम्हारे अपनो का नेकि पर चलकर 

कु कर्मों से इसे मिटने न देना

जब बात बन आए इजत पर बलिदान होना पड़े होजना

चमन इज्जत का संजोया है तुम्हरे पुरखों ने खून पसीना बहाकर

खुद मिट जाना पर इज्जत को कभी मिटने न देना

किसी का झुकने न देना सीस लाचारी में

बेमानी का सीस उठने न देना 

कमजोर का बनना सहारा मुस्किल हालातों में 

बलशाली की धौंस पनपने न देना

खून है तुम्हारी नसों में ईमान का 

इसे बेमानो से मिटने न देना 



                                      

     ✍️रामरतन सुड्डा

बुधवार, 25 अक्तूबर 2023

Bahujan akhir harijan kese bane बहुजानों को हरिजन क्यों कहा जाने लगा

 अरे ओ गाँधी के हरिजन बैठ जरा,

  तुझको तेरा भविष्य बताता हूँ,

    तेरे बच्चों के संग क्या होगा,

      उसकी तस्वीर दिखाता हूँ..!!

🥲🥲

जब रामराज्य के झंड़े होंगे,

  दो ही विकल्प बच जाएंगे,

    या तो तुम गुलामी कर लो,

     नहीं तो सिर धड़ काटे जाएंगे..!!

🥲🥲

औरत, बहन, बेटी तेरी, 

  भैया भैया चित्कारेगी,

    उनकी यही करुण पुकारे,

      बुद्ध भूमि को भी रुलायेंगी..!!

🥲🥲

शंबूक को गांधी के हरिजन, 

  तू याद जरा सा तो कर ले,

    रैदास को काटा था टुकड़ो में,

     उसे याद जरा अब तू कर ले..!!

🥲🥲

जब मानवता का खून बहा था,

  सर अटे पड़े थे नदी सरयू में,

    असंख्य बौद्ध भिक्खु काटे थे,

    मोर्यवंश की नींव हिली भारत में..!!

🥲🥲

मूलनिवासी नारी चीख रही थी,

  अपनी अस्मत बचाने को,

    क्या कोई ईश्वर आगे आया,

      उनकी आबरु अस्मत बचाने को..!!

🥲🥲

हर शुंगी जब बना दरिंदा,

  जिंदा जिस्मों को रौंद रहे थे,

    स्वर्ण लालच में वह अंधा था,

     असहाय वो खुद को देख रहे थे..!!

🥲🥲

अब गाँधी के हरिजन मैं तुमको,

  आज़ादी का रंग दिखाता हूँ,

    पूना पैक्ट के तुझको,

      वो भयानक हालात बताता हूँ..!!

🥲🥲

 गाँव गाँव मुनादी होने लगे थे,

  कि पूना पैक्ट वापिस ले लो,

    नही कत्ल तुम्हें होना होगा,

       बेशक हमसे यह लिखवा लो..!!

🥲🥲

गर तुमने वापिस नहीं लिय तो,

  सारे भीम समर्थक मारे जाएंगे,

    बहन बेटीयों की दशा सोच लो,

        यहां शुंगकाल पुनः दुहराऐगे..!!

🥲🥲

हजारों दलितो के कत्ल हुए,

  इस पूरी भारत धम्मभूमि में,

    मनुवादियों ने खंजर घोपे थे,

        हम भीम पुत्रो की छाती में..!!

🥲🥲

फूलन बागी क्यों बनी याद करो, 

    खैरांजली को मुड़कर देखो तुम,

     पटौदी सुनपेड़ का मंजर आँखों में,

        सोनभद्र,हथरस आगे ऐ बनाऐगे..!!

🥲🥲

नारायणपुर बाथे,मिर्चपुर बस्ती में,

  अनगिनत का कत्लेआम हुआ था,

      ढलती उम्र का बुजुर्ग ना छोड़ा,

        जन बच्चे तक आग में झौंका था..!!

🥲🥲

ऊरी के कोड़े याद नहीं रखता ,

    घुड़चड़ी से तुझे रोका जाता हैं,

        कितने एकल्वयों की हत्या होती,

         अपने ही घर में अछूत बन रहता हैं..!!

🥲🥲

मजलूम गाँव को छोड़ गए,

  अपनी ही जान बचाने को,

    क्या भारत में सविंधान नही था,

     उनकी जान सम्मान बचाने को..!!

🥲🥲

सुप्रीमकोर्ट था हाइकोर्ट था,

  ह्यूमन राइट क्या सोया था,

   एस.सी एसटी आयोग ने भी ,

    दलितो का विश्वास खोया था..!!

🥲🥲

ग़जव छलावा चल रहा देश में,

  रे गांधी के हरिजन क्या ज्ञान नही,

    जब भारत हिन्दू राष्ट्र बनेगाँ ,

       तुझे इसका तनिक एहसास नही..!!

🥲🥲

अब छोड़ गांधी भगवा चोला ,

  अब लौट धम्म पर आ मूरख,

    जब अस्तित्व तेरा मिट जाएगाँ,

       क्या उस दिन जागेगा पगले..!!

🥲🥲

मंदिर में लतियाऐं जाते हो,

   पाखंडीयों के फेर में फसते हो,

      चढ़ने का घोड़ी छोड़ दे इरादा,

🥲🥲

हमारा अंत सहारा हैं संविधान ,

  फिर मनुस्मृति से सताया जाएगाँ,

  अगर भारत भगवा हिंदु राष्ट्र बना,

     भीम संविधान खत्म हो जाएगा..!!

       

🇮🇳  जय भीम, जय संविधान 🇮🇳


नोट: -  *कम से कम 100 साथियों को आगे अवश्य प्रेरित प्रेषित करें

मंगलवार, 27 जून 2023

All india sedul cast fadesation

 1942 मे बाबासाहब अंबेडकर ने अपनी पार्टी ओल इंडिया शेडयूल कास्ट फेडरेशन का निशान हाथी रखा तब राजगोपालाचारी ने मजाक उडाते हुए कहा, बाबासाहब, आपने इतने बडे पशु का नाम क्यों रखा?


तब बाबासाहब ने बहोत ही सटीक जवाब दिया।


बाबासाहब ने कहा, मेरा समाज भी हाथी की तरह कदावर है लेकिन जैसे हाथी एकबार बैठ जाता है और वापस उठने का नाम नहीं लेता वैसे ही मेरा समाज भी बैठा हुआ है। लेकिन जैसे ही हाथी खडा हो जाता है अच्छे अच्छो को भागना पडता है।


उसी तरह आज मेरा समाज हाथी की तरह बैठा हुआ है लेकिन जिस दिन हाथी की तरह खडा हो गया अच्छे अच्छो को भागना पड़ेगा। जय भीम  जय संविधान 💙

रविवार, 25 जून 2023

दलित उत्पीड़न एक और बड़ा मामला

 शासन प्रशासन द्वारा शाजापुर में दलितों पर उत्पीड़न चरम पर!


करीब 100 से 150 लाठियां इन पर सिर्फ इसलिए चली क्योंकि यहां पिछले 8 सालों से भारत रत्न संविधान निर्माता,बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की भूमि (पार्क) के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

 

आज अगर इनके लिए संघर्ष नहीं किया तो कहीं ना कहीं हमारा एक भाई सामाजिक कामों से दूर और डिमोटिवेट हो जाएगा।


(23 जून से होगा धरना प्रदर्शन शुरू ग्राम अरनिया कला में इसमें प्रतिदिन प्रदेश भर से सामाजिक संगठन के लोग मिशनरी दिग्गज साथी लोग शामिल होकर न्याय के लिए आवाज बुलंद करेंगे।)


Jitendra Malviya जी और उनके तीन साथियों पर यह लाठी नहीं चलाई गई यह पूरे #बहुजन_समाज के मान सम्मान और स्वाभिमान पर चलाई गई।

😡😡😡😡


#पूरे_मामले_को_बारीकी_से_समझने_के_लिए_नीचे_पढ़े 

शाजापुर जिले के काला पीपल तहसील के ग्राम अरनिया कला में नवोदय विद्यालय के सामने अंबेडकर पार्क एवम मांगलिक भवन के लिय अम्बेडकर सेना सेवा समिति व समस्त अनूसूचित जाति के लोग  लगातार 2018 से शासन प्रशासन से मांग कर रहे थे  लेकिन ग्राम के लोगो द्वारा भूमी नही देने पर 15/08/2020 को बाबा साहब अम्बेडकर जी कि प्रतिमा बैठा दी गई थी लेकिन जिसको प्रशासन द्वारा जेसीबी चला कर हटवा दिया गया था हमे बोला गया था कि आपको एक माह में भूमि आवंटित कर देंगे लेकिन दो साल बाद भी जब भूमी आवंटित नही कि तो हम लोग ने एसडीएम साहब को भी आवेदन दिया जिसके बाद दिनांक 26/04/ 2023 कलेक्टर साहब

Collector Shajapur   अरनिया कलां आए  तब लोगों के सामने घोषणा की 3 हेक्टर जमीन में से 1 हेक्टर जमीन अंबेडकर पार्क के नाम पर दे दी जाएगी और उन्होंने एसडीएम व तहसीलदार साहब को आदेश दिया उसके 1 दिन बाद हम जब एसडीएम तहसीलदार जी के पास गए तो उन्होंने बोला की बोले बाद में आना करते हैं और लगातार डाल दे रहे लेकिन हम बार बार एसडीएम साहब से मिले लेकिन भूमि आवंटित नहीं की। परेशान होकर हम गांव की समिति वालो ने फैसला किया कि 1 हेक्टर जमीन में हम हमारे गांव से बाबा अम्बेडकर जी कि प्रतिमा लगाएंगे और दिनांक 12/06/2023 को शाम 6:00 बजे मे प्रतिमा की स्थापना की गई। असामाजिक तत्वों ने दुनिया देखे हो तो मैं रात को तोड़ देगा इसलिए हम चार लोग प्रतिमा के पास ही बिस्तर लगा कर सो गए ताकि कोई आसामाजिक तत्व बाबा साहब की प्रतिमा को कोई क्षति ना पहुंचाएं । उसी रात को  लगभग 2:00 बजे पुलिस प्रशासन फोर्स के साथ तहसीलदार जी के साथ आए ओर पुलिस ने आते हि सोए हुए थे में जितेंद्र मालवीय जगदीश मालवीय विक्रम मालवीय संतोष मालवीय पर लाठी चार्ज कर दी

ओर हमे बुरी तरह जानवर से भी बुरा बर्बरता पूर्वक पीटा गया जाति सूचक गंदी गंदी गालीया दी बाबा साहब अम्बेडकर जी को भी गाली दी बोले मादर चोदो कभी भगत सिंह कि प्रतिमा लगाई है।  ओर शासन प्रशासन जेसीबी लेकर आए थे जिससे बाबा साहब अम्बेडकर जी कि प्रतिमा पर चला कर प्रतिमा को खंडित कर दिया गया और  बोले अब लगाई तो जान से खत्म कर देंगे हमे पुलिस कि गाड़ी में बैठा कर थाना अवंतीपुर बड़ोदिया ले जा कर बंद कर दिया उसके बाद  151 की धारा लगा कर तहसील में  12 पेश कर तीनो को जेल भेज दिया गया।

वही दूसरे पक्ष 2हेक्टियर भूमि पर कब्जा कर के लाखो रुपए में प्लॉट बेच रहा है 12 दूकान बना दी वा 30*60 के 5 प्लॉट बेच दिया 7लाख में बेच दिए जिनकी कीमत लगभग 35लाख हो रही है  इतना बनने के बाद नया निर्माण कार्य 10 चौकी का  फाउंडेशन भर दिया वा टीन शेड डाल दिया गया हम लोग पहले से हि इन लोगो कि शिकायत कि थी ये लोग मकान पर मकान बनाए जा रहे है। लेकिन एसडीएम साहब तहसील दार साहब कलेक्टर साहब ने उन पर कोई कार्यवाही नहीं कि लेकिन हमने जब बाबा साहब अम्बेडकर जी कि प्रतिमा बैठा दी तब जा कर उन्होंने जो  नया निर्माण कार्य किया था वो तब तोड़ा ओर उन लोगो पर किसी भी प्रकार कि कानूनी कार्यवाही नही कि गई


शासकीय भूमि टोटल तीन हेक्टियर भूमि है जिसमे से उन्होंने सरस्वती स्कूल को बिल्डिंग व मैदान के लिय देना का बोल रहे एक हेक्टियर भूमि ओर एक हेक्टियर रीवानयू कि है एक हेक्टियर भूमि अम्बेडकर पार्क के लिय मांग कि है जो ये लोग देना नही चाह रहे है।


साथियों जितेंद्र मालवीय जी को एक प्राइवेट कंपनी में जॉब कर रहे थे उन्हें वहां से भी शिकायत करके निकलवा दिया है।


आज बात इन पर आई है ,,

कल आपकी बारी भी हो सकती है।।


 तो साथियों इनकी आवाज को बुलंद करें और 23 जून से अरनिया कला आसपास के क्षेत्र वासी जरूर पहुंचे


अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें

जितेंद्र मालवीय जी,अरनिया कला  8817703941

विक्की मालवीय जी, देवास 7869422243

अनील जाटव जी। , आष्टा 9479385956

शनिवार, 24 जून 2023

Ajak

 ✍️✍️✍️✍️✍️

व्यापार तथा उद्योग स्थापित करने के लिए अनुसूचित जाति जनजाति समुदाय के बेरोजगार युवाओं को रोजगार स्थापित कराने हेतु राज्य सरकार की नई पहल🌹🌹


 *डॉक्टर भीमराव अंबेडकर राजस्थान दलित आदिवासी उद्यम प्रोत्साहन योजना 2022* 

 के तहत राज्य में पहली बार एक ऐसी योजना आई है जिसमें दो लाभ ऋण उपयोगकर्ता को मिलेंगे ।

नंबर 1 = मूलधन में अनुदान जिसे परियोजना लागत का मार्जिन मनी अनुदान कहा जाता है 25% अधिकतम 2500000 रुपए तक।


नंबर दो= ब्याज अनुदान 9% तक


इसके साथ ही ₹1000000/= तक के ऋण पर किसी भी तरह की गारंटी शुल्क का भुगतान नहीं करना है।


और इसके बाद सीजीपीएमएसई के तहत राज्य सरकार द्वारा गारंटी शुल्क का भुगतान किया जाएगा।


इसके साथ ही औद्योगिक भूखंड आवंटन में 50% का अनुदान दिया जाएगा, यही नहीं आवंटित भूखंडों को खरीदने में अगर आप किस्तों में उसका भुगतान करते हैं तो आपको ब्याज में पूर्णरूपेण छूट दी जाएगी।


इसके साथ ही रीको औद्योगिक क्षेत्रों में भूखंड आवंटन में पूर्व में 5% का आरक्षण दिया गया था जिसे बढ़ाकर 6% कर दिया गया है अर्थात अगर 100 भूखंड रीको औद्योगिक क्षेत्रों में आवंटन होंगे तो उनमें 6 भूखंड sc-st समुदाय के लिए रिजर्व होंगे।


यह योजना राज्य सरकार के समग्र उद्योग के विकास में अनुसूचित जाति जनजाति की भागीदारी बढ़ाएगी।


आज दिनाँक 22-6-23 संपूर्ण राजस्थान में इन औद्योगिक मार्गदर्शन शिविरों का आयोजन जिला स्तर पर किया जा रहा है।

 चूरू जिले में यह आयोजन सनसिटी होटल रेल्वे स्टेशन के सामने,लोहिया कॉलेज के पूर्वी तरफ चूरू शहर में प्रातः 11:00 बजे से आयोजित किया जा रहा है।

 इच्छुक युवा बेरोजगार अथवा अपने रोजगार को बढ़ाने के लिए आप शिविर में उपस्थित हों, उसी समय आपका आवेदन पत्र तैयार करवाया जाएगा और पूर्व में जिन्होंने आवेदन कर रखा है, उनकी ऋण स्वीकृतियां जारी कर दी गई हैं, मार्जिन मनी की अनुदान स्वीकृतियां भी जारी कर दी गई हैं, और नहीं हुई है तो तत्काल मौके पर ही जारी कर दी जाएगी।


इस शिविर में जो युवा बेरोजगार अपना स्वयं का व्यापार करना चाहते हैं, अथवा अपने व्यापार को बढ़ाना चाहते हैं उन्हें ₹1000000 तक का ऋण स्वीकृत किया जाएगा और उस ऋण में उपरोक्त दोनों फायदों का अर्थात मार्जिन मनी अनुदान 25% तथा ब्याज अनुदान 9% दिया जाएगा।


अगर आप इच्छुक हैं या आप ऐसे किसी रिश्तेदार मिलने वाले या जान पहचान वाले जो रोजगार के इच्छुक हैं, *उद्यम स्थापित करने के इच्छुक हैं*

को जानते हैं, उन्हें बताएं और शिविर में लेकर आएं ताकि उन्हें पूरी जानकारी हो सके।



निवेदक

अजाक चूरू

Jaruri nhi bura dekhne vala har admi bura ho

 जरूरी नहीं हर बुरा दिखने वाला आदमी 

हकीकत में बुरा हो

लीलू बहुत ही गरीब आदमी था 

वह हर रोज हर किसी के सामने

कहता एक न एक दिन में बड़ा 

आदमी बनूंगा और बहुत पैसा 

कमाऊंगा और उन पैसों से दबे 

कुचले गरीब लोगों की मदद करूंगा 

ताकि गांव के सभी लोगों में अर्थी समानता

साथापित होसके

दिन रात मेहनत करते करते लीलू की 

किस्मत के सभी तले एक साथ खुले और 

बहुत अमीर आदमी बन गया 

गांव के गरीब दबे कुचले लोग लीलू से उधार

पैसे लेने आते लीलू से जो भी कोई पैसे उधार

मांगने आता लीलू मनमाने ब्याज की एधायेत 

पर पैसे देने की कहता वो कहते है न, मरता क्या न करता, 

कही और से पैसे न मिलने की वजह से लोग लीलू से ही 

पैसे उधार लेने को मजबूर थे 

लीलू अपने पैसों की एवज में गांव के लोगों के घर व जमीन गिरवी रखलेता और पैसे दे देता 

एक दिन लीलू का दोस्त श्याम लीलू से कहने लगा लीलू जब तुम

गरीब थे तो तुम्हारे कितने बुरे हालात थे ,तुम गरीबी के अभीसाप से अनजान नहीं हो फिर भी 

गरीब लोगों का इतना फायदा उठाते हो उनसे मन माना ब्याज वसूलते हो तुम तो कहते थे में समाज सुधारक बनूंगा समाज का भला करूंगा लीलू ये सब बोलना आसान है करना मुस्किल है 

आया है बड़ा समाज सुधारक तुम घमंडी होगये हो दौलत के नसे ने तुम्हे पापी बना दिया है

लीलू को गुस्सा आजता है और वह अपने दोस्त श्याम से कहता है

में जोभी कर रहा हु इस समाज के भले के लिए ही कर रहा हु 

श्याम मुझे ज्यादा ज्ञान देने की जरूरत नहीं है पैसा कमाना बड़ा मुस्कील है

देखते ही देखते गांव के सभी लोग लीलू के कर्ज तले दब चुके थे

जिस गांव के चोपाल पर बीस बीस लोग दिन भर बैठकर तास खेला करते थे आज उस गांव में महिला बचे और बूढ़े बुजुर्ग ही नजर सरहे थे गांव के सभी नौजवान अपना घर और जमीन बचाने के लिए बाहर शहरों में कमाने निकल चुके थे गांव में जिस भी गली से लीलू गुजरता महिलाए और बचे मन ही मन खूब गालियां देते 

समय बीत जाने के बाद गांव के लोग लीलू के लीलू से लिया उधर पैसा ब्याज सहित लौटाने और अपनी जमीन के कागज वापस लेने के लिए चोपाल पर इकट्ठे हुए

सभी कर्जदारों की कातर निगाहे लीलू को कोश रही थी और मन ही मन बहुत सारी गलियां देरही थी 

क्योंकि उनकी महीनो की खून पसीने से कमाई पूंजी लीलू के ब्याज में जारही थी 

लीलू गांव में पैसे वाला होने की वजह से कोई लीलू से सवाल जवाब नहीं करता ,लीलू के बैठने के लिए चारपाई रखी हुई थी गांव के सभी लोग नीचे बैठे हुए थे लीलू अपने मुनीम को आदेश देता है मुनीम जी जो जो भी अपने कर्जदार है उन्हे एक एक कर अपने पास बुलाओ और ब्याज सहित अपनी रकम वसूल करो मुनीम बही में देखकर जिसका भी नाम लेता वह आदमी अपना थैला लेकर दुखी मन से 

एक एक आदमी का नाम बुलाता और ब्याज सहित उसके कर्ज को बतलाता 

गांव के गरीब लोग बड़े दुखी मन से उठ कर लीलू के पास जाते और खुश होकर लोट ते गांव के बाकी लोग समझ नहीं पा रहे थे की लोग मनमाने ब्याज की रकम लीलू को लोटा कर खुश होते आ रहे है

लीलू जो भी गांव का आदमी आता वो अपनी दी पूंजी लेकर ब्याज की रकम माफ कर कहता जो पूंजी आपके पास बची है आप उससे अपना रोजगार सुरू करना जिससे आपकी गरीबी हमेशा हमेशा के लिए आपका पीछा छोड़ दे धीरे धरे कर गांव के सभी लोगों के जमीन के कागज लीलू ने बिना ब्याज के ही लोटा दिए गांव वालों ने लीलू से पूछा लीलू जब तुम्हे ब्याज लेना ही नहीं था तो हमे ब्याज का खोफ क्यों दिया हमने दिन रात मेहनत की 

लीलू ने कहा तुम ब्याज के डर से दिन रात मेहनत कर सकते हो तो अपने बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए क्यों नहीं मेने तुम्हे ब्याज का खोफ इसी लिए दिखाया ताकि ब्याज के डर से तुम्हे कमाना पड़े और फिर तुम्हे कमाने में रुचि हो 

गांव वाले लीलू की बात को समझ कर मेहनती हिगाए और अब लीलू का गांव खुशाल है 

शुक्रवार, 22 जुलाई 2022

Love shayeri bewafa shayeri



Kuch din or intzar kro


 कुछ दिन और इंतजार करो मेरा ,में जरूर आऊंगा तुम्हारी नगरी तुम्हारे गांव में , मुझे बहुत याद आते है वो लम्हे जो हम साथ साथ गुजारा करते थे बैठे बैठे नीम की छांव में

में चाह कर भी नहीं रोक सकता खुदको न जाने कैसा नासा है तेरे गांव की उन हवाओं में 

कुछ दिन और इंतजार करो मेरा ,में जरूर आऊंगा तुम्हारी नगरी तुम्हारे गांव में



Bahut yad aate ho tum

बहुत याद आते हो तुम, तुम्हारी यादों के समंदर को चंद पन्हो में उतर पाना बड़ा मुस्कील है 

तुम बात बात पर कह देते हो भुला दिया हमको ,अरे पागल दिल में रहने वालों को भुला देना इतना आसान नहीं होता ,हमारा दिल तो तुम्हारी यादों का समंदर है और समंदर को सुखा पाना बड़ा मुस्किल है, उसीतरहा तुम्हारी यादों को मिटा पाना बड़ा मुस्कील है





Meri jindgi ke pnne

मेरी जिंदगी के हर पन्ने में कुद्रत ने शायद दर्द ही दर्द लिखा होगा 

लिखी होगी मेरी मौत की दास्तान भी दर्द भरी 

और मेरे अस्याने में भी घुटन लिखी होगी, यो तो चमन रहता अस्याना मेरा भी

तभी तो मेरी किस्मत में बेवफा सनम लिखी होगी





Hamse dill na lagana

हम से दिल ना लगाना ओ मुसाफिर हम बड़े बद किस्मत लोग हैं

हमे तो किस्मत ने इस कदर मारा है 

हम जिंदा तो है धरती पर मगर हमारी दर्द भरी दास्तान कुछ है ही ऐसी सुनोगे तो तुम भी यहीं कहोगे की तुम्हारे लिए यहां जीवन लोक नहीं बल्कि यहीं मृत्युलोक है

हम से दिल ना लगाना ओ मुसाफिर हम बड़े बद किस्मत लोग हैं




Kisi pe bhrosa na karna

किसी पे भरोसा न करना ए मेरे दोस्त आजकल सफेद चहरो के पीछे काले चहरे छिपे होते हैं

तुम समझ ते हो कमर के पीछे वाले हाथ में फूल छिपाते होंगे आजकल फूल नहीं खंजर छिपाते है लोग




Bedag jingi ke hajaro dag

में बेदाग था फिर भी नजाने क्यों मेरी जिंदगी के पन्नो में हजारों दाग लिखे इस जमाने ने 

में कुद्र्त का मारा उभर न सका फिर भी कोई कसर न छोड़ी इस जमाने ने मुझे सताने में


मेरी पीठ ना तको ए दुनिया वालो बेसख मुझे कतल कर दो

तुमने ही चोट पहुंचाई है मेरे नाजुक दिल को मुझे सब मालूम है

ये दिल के घाव है जो मरहम से भरे नहीं जाते, न बनो मेरे हमदर्द तुम ही चोट पहुंचाने वाले अरे तुम ही मुझे मरहम न दो

मेरी पीठ ना तको ए दुनिया वालो बेसख मुझे कतल कर दो




गुरुवार, 21 जुलाई 2022

Ek hakikat



                   एक हकीकत 


 कुछ हकीकत आंखो में छपी है कुछ जख्म सीने में चुभ ते चले जारहे है

खोज रहा हु में पल सुकून के समय ईमेंतहान पे ईमेतहान लिए जा रहा है

चाहत तो है मेरी, दर्द की दास्तान खुद दर्द लिखे, हालातों के बयान खुद हालत लिखे,

दस्तूर है जो दुनिया का एक आस लिए कदम से कदम जमाने से मिलाए जारहा हू

गीत नहीं कोई बिना साज के में बखूबी जानता हूं ,जमाना चाहता है में गाऊ सुनना चाहता हूं जमाने से में उसके गीत समय की नजाकत में चुपी में चूपी साधे जा रहा हूं

यो हरदम मोन रहना अच्छी बात नहीं ह दुनिया पागल समझने लगजाती है में अच्छे से जानता हूं 

इस पागल पन में कुछ पल सुकून की सांसे छिपी है मेरी तलाश है में उन्हें खोजू  बस इसी आश में मेरी धड़कने बसी है

सेक लेते है लोग लासो की जलती चिंगारियो पे रोटी कल को आबाद करने के लिए, मुझे फिकर है आज की तभी तो मेरी तो खिचड़ी भी एक छोटी सी दिए की बत्ती पे पके जारही है

कुछ हकीकत आंखो में छपी है कुछ जख्म सीने में चुभ ते चले जारहे है


शुक्रवार, 27 मई 2022

Sakaratmak soch

 Sakaratmk soch

Jo duniya badl de

राजू बचपन से ही बोल ने में असमर्थ था ही राजू की उमर महज दस पंद्रह वर्ष होती है की राजू के सर से माता पिता का साया भी उठ जाता है याणी उमर में ही राजू फूट पाथ पर जिंदगी बिताने को मजबूर होजाता है राजू कुछ किसी को कुछ बोलकर बतलाकर अपने मन का बोझ हल्का करता तो भी कैसे वह बोलने में असमर्थ था इस वजह से राजू अपने दुखड़े किसी को सुनाता तो भी कैसे ,राजू के पास भीख मांगकर खानेके अलावा कोई रास्ता नही था वह हर रोज ऐसे स्थानपर जाकर हाथ में कटोरा लेकर बैठ जाता जहासे लोगो का आना जाना होता था राजू को कोई अपने घर का बचाखुचा खाना दे जाता तो कोई दो चार रुपए कभी कभार कोई खाना देजाता था तब तो राजू का पेट भर जाता मगर कभी कभार तो बस दो चार रुपए ही भीख मिलपाती भला दो चार रुपए से किसी का पेट केसे भरता दो चार रुपए का जो कुछ मिलता राजू वह खाकर पानी पीकर खुले आसमान के नीचे सो जाता गीता भी वहा पक्षियों को दाना और आवारा जानवरो को खाना देने हर रोज आती थी जहा राजू भीख मांगा करता था एक दिन गीता की नजर राजू पर पड़ी गीता समझ गई थी यह कोई बिखारी है

और वह राजू के पास गई और उसने राजू से बात कर कुछ पूछना चाहा मगर राजू तो बोलही नहीं पाता था राजू ने अपने हाथों से पेट की ओर इशारा करते हुए मुंह की ओर इशारा किया गीता समझ चुकी थी की यह बोल नहीं सकता और कुछ खाने के लिए मांग रहा है गीता ने वह खाना राजू के हाथों में थमा दिया जो खाना गीता हर रोज आवारा कुत्तों को खिलाती थी राजू ने वह खाना इस कदर खाना सुरु कर दिया मानो वह दस पंद्रह दिनों से भूखा हो अध पके खाने को इस कदर खाते राजू को देख गीता समझ चुकी थी की यह पिछले कुछ दिनों से भूखा है अगले दिन गीता जब पक्षियों के लिए दाना और आवारा जानवरो के लिए खाना लेकर गई तो गीता ने साथ में राजू को खिलाने के लिए अच्छा खाना भी बना लिया और जाकर राजू को खिला दिया गीता हर रोज राजू को खाना खिलाने लगी और राजू से बातें करने लगी राजू जैसे जैसे गीता बोलती वैसे वैसे इंशारों में जवाब देता ऐसे ही गीता को राजू को खाना खिलाते और बातें करते करते राजू के इशारे अच्छे से समझ में आने लगे थे एक दिन गीता ने राजू से कहा अगर तुम्हे कोई काम धंधा करने का अवसर मिले तो कैसा रहेगा राजू ने गीता के सवाल का जवाब बहुत खुश होकर इंशारो में दिया की वह कोई भी काम मिले तो राजी होकर करेगा और फिर अपनी जुबान की ओर इंसारा करते हुए निराश होकर कहता है वह बोल नहीं पाता तो उसे कोई काम पर रखने को राजी नहीं होता और वह किसी से कम पर रखने की कहे तो भी कैसे वह बोल नहीं सकता और उसकी सांकेतिक भाषा को कोई समझ नहीं पाता 

गीता राजू के इंसारो को अच्छे से समझ गई थी की वह क्या कहना चाहता है गीता ने राजू को अपने पिताजी के होटल में काम करने की पेसकस की राजू ने हां में इशारा करते हुए गीता के साथ चलपडा गीता ने अपने पिताजी से राजू को अपने होटल में काम पर रखने के लिए राजी कर लिया और नए कपड़े नहला धुला कर अगले दिन काम पर भेज दिया राजू दिल लगाकर होटल में काम करने लगा साम को होटल से छूटी होते ही गीता राजू को अपने साथ घूमने लेजाती और सुबह गर्म पानी डाल देती राजू नहा धोकर होटल चला जाता ऐसे ही कई दिनों तक चला रहा एक दिन राजू और गीता हमेशा की तरह छूटी के बाद घूमे ने गए गीता ने इंशारा करते हुए राजू से पूछना चाहा की वह उससे मिलकर कैसा महसूस कर रहा है राजू अंगुली से गीता की ओर इंसारा करता है और फिर अगुली से अपनी ओर इंसारा करते हुए अपने हाथों को दिल की आकृति में जोड़ते हुए इंसारो में कहना चाहता है की तुमने उसे बहुत प्यार दिया और वह आपका अहसान मंद है

मगर गीता राजू के इंसारो का गलत मतलब निकाल लेती है गीता सोचती है की राजू ऐसे कह रहा है की वह उससे प्यार करता है

और गीता गुस्सा हो जाती है और राजू को खरी खोटी सुनने लगती है, राजू अपने हाथ ना में हिलाते हुए गीता को समझाने की कोशिश करता है की तुम गलत सोच रही हो मेरा मतलब कुछ और था मगर गीता के दिमाग में तो गुस्सा फूट रहा था वो राजू के इंसारो को कहा देख पाती और राजू को पीछे धकेल कर अपने घर चली जाती है और राजू को अपने होटल से निकाल देती है राजू एक बार फिर बेरोजगार और बेघर हो चुका था असे ही राजू फिर उसी दशा में मांग कर खाने को मजबूर होगया था कुछ दिनों बाद एक सड़क एक्सीडेंट में गीता ने अपनी दोनो आंखे खो दी थी एक दिन राजू सड़क किनारे रोटी की तलाश में बैठा होता है की वहा एक बड़ी सी कार आकार रुकती है और कार से आवाज आती है मैडम यहां एक बिखारी बैठा है क्या ये खाना उसे देदू फिर गाड़ी से एक महिला की आवाज आती है देदो गाड़ी की ड्राइवर सीट से एक नौजवान उतरता है और राजू के हाथ में कुछ खाने का सामान थमाते हुए फोन पर बात करने लगता है राजू झट से खाने का सामान खोलकर जल्दी जल्दी खाने लगता है इतने में गाड़ी के बीच की खिड़की का ब्लैक कांच खुलता है उसमे एक महिला बैठी होती है जो एक टक एक तरफ देख रही होती है कुछ समय के लिए तो राजू का ध्यान उस महिला की ओर नहीं जाता मगर कुछ समय बाद राजू गाड़ी के अंदर बैठी महिला को देखता है तो हका बका रह जाता है वह महिला कोई और नहीं गीता थी राजू झट से उठ खड़ा होता है और गीता के पास जाता है गीता गाड़ी में हाथों को इधर उधर घूमते हुए कुछ ढूंढ रही होती है राजू गीता के आंखो के आगे से हाथ घूमता है मगर गीता न पलक झपकाती है और न ही राजू की ओर देखती हे राजू समझ गया था की मेमसाब देख नही पा रही राजू झट से गीता के ड्राइवर के पास जाता है और गीता के बारे में पूछता है तो गीता का ड्राइवर बता है की मेमसाब की एक सड़क हादसे में आंखों की रोशनी चालीगई हैं अगर कोई आंखे दान करे तो मेमसाब फिर से देख सकेंगी राजू गीता के डराइवर से कहता है तुम कल मेमसाब को होस्पिटकॉल लेकर आओ में मेमसाब को अपनी आंखे देना चाहता हूं और अगले ही दिन राजू अपनी दोनो आंखे गीता को दे देता है और किसी की मदद लेकर राजू उसी फुटपाथ के पास बने चबूतरे पर जाकर बैठ जाता है गीता को दोचार दिनों बाद हॉस्पिटल से छूटी मिलती है जब गीता की आंखों पर बंधी पट्टी खुलती है तो वह बहुत खुश होती है और अपने ड्राइवर से कहती है में फिर से देख पाती हु तो ड्राइवर कहता है मेमसाब अच्छा हुआ तुम्हे आंखे डोनेट करने वाला मिलगया नहीं तो पता नहीं आप कभी अपनी जिंदगी में फिर से देखपाती या नहीं गीता ने कहा मुझे उस इंसान से मिलना है जिसने मुझे आंखे दी है ने जिंदगी भर उसकी अहसान मंद रहूंगी जब हॉस्पिटल के स्टाफ से राजू के बारे में पूछा जाता है तो वे बताते है की आपको आंखे डोनेट करने वाले ने अपनी हमे कोई पहचान नहीं बताई वो अपनी सब पहचान गुप्त रखकर आंखे दान करने के दूसरे ही दिन यहां से चला गया उसकी दावा पानी का कुछ खर्चा बाकी है जिसके लिए उसने कहा है की उसके पास पैसे नहीं है पैसे मेमसाब से लेलेना गीता कुछ समझ नहीं पाती है और हॉस्पिटल का सारा हिसाब कर वहा से अपने घर चली जाती है एकदीन गीता वही पक्षियों का दाना देने गई जहा गीता पचपन से पक्षियों का दाना देने जय करती थी काफी दिनों बाद पक्षियों ने गीता को देखा तो वो भी चचाउठे पक्ष्यो को दाना डालकर वापस गाड़ी की ओर मुड़ी तो किसकी नजर राजू पर पड़ी गीता राजू के पास गई और गीता ने पूछा तुम तुम्हारी गंदी सोच की वजह से आज यहा दर दर की ठोकर खाने को मजबूर हुए हो अभी भी समय ह अपनी सोच को बदलो नहीं तो ऐसे ही फुटपाथ पर पड़े सड़ते रहोगे जिंदगीभर राजू गीता की आवाज को पहचान नहीं पाया गीता की आवाज एक्सीडेंट के बाद काफी बदल चुकी थी राजू आपने हाथों से टटोलते हुए हाथ आगे बढ़ता है तो राजू का हाथ गीता की बॉडी को टच होजाता है गीता राजू का हाथ अपने टच होते ही राजू को जोर से थपड़ मरती है और कहती कमीने तुम्हारी हिमत केसे हुई मुझे छूने की ओर अपनी गाड़ी की ओर बढ़ने लगती गाड़ी में बैठा गीता का ड्राइवर गाड़ी से उतरता है और देखता है मेमसाब किसके साथ गुस्सा होरही है जब गीता के ड्राइवर की नजर राजू पर पड़ती है तो राजू कहता है मेमसाब आप ने ये क्या किया आपने उस इनसान पर हाथ उठा लिया जिसने खुद की जिंदगी में अंधयारा कर आपकी जिंदगी में रोशनी कर दी गीता अचम्भित होती है और कहती है इसने मुझे गंदी नज़र से देखने और मुझे छूने की कोसीस की है यह सुन कर राजू कहता है मेमसाब वो देख नहीं पाता यहीं है वो लड़का जिसने तुम्हे आंखे देकर खुद अंधा होगया, गीता को बादमें बहुत पछतावा होता है और गीता राजू को गले लगाकर रोने लगती है  

गुरुवार, 7 अप्रैल 2022

मिशन बेचने वाले mission bechne vale

 जय भीम का टैग लिए कुछ मिशन बेचने निकले है

सभा बुलाकर बहुजन की ये वोट बेचने निकले है

गुमराह कर बहुजन को ये नोट लूटने निकले है

जय भीम का टैग लिए कुछ मिशन बेचने निकले है

पुरखों की कुर्बानियों के ये कफन बेचने निकले है

कांसी राम जी भीम राव का वतन बेचने निकले है 

जय भीम का टैग लिए कुछ मिशन बेचने निकले है

वाणी में हुंकार लिए ये जमीर बेचने निकले है

एकमंच की बात जुबापर दिलसे हम को खंडित करने निकले है 

जय भीम का टैग लिए कुछ मिशन बेचने निकले है

दलितों की ये सभा बुलाकर वोट बेचने निकले है

मिशन डुबोकर बाबा साहेब का ये खुद चमकने निकले है

पतल चाटकर दुश्मन की ये नेता बनने निकले है

जय भीम का टैग लिए कुछ मिशन बेचने निकले है

दीपक जलाकर मंदिर में ये मिशन सिखाने निकले है

भोग लगाकर देवों को पाखंड मिटाने निकले है

जय भीम का टैग लिए कुछ मिशन बेचने निकले है

दलितों की ये सभा बुलाकर वोट बेचने निकले है


रविवार, 6 मार्च 2022

हम बहुजन हैं बहुजन ही हमारा धर्म होना चाइए क्यों पहचाने कोई हमे हिंदू से जिसने हमे कुछ नहीं दिया सिवाए यातनाओं के हम शुद्र थे शुद्र है शुद्र से ही हमे पहचाना जाना चाहिए हम बहुजन हैं बहुजन ही मेरा धर्म होना चाइए हिंदू तो आज भी करलेते नफरत हमसे, और आज भी ख्वाइश है हर हिंदू की शुद्र तो अछूत था और अछूत ही होना चाहिए डर लगता है अब उन धर्म के ठेकेदारों को सावेधनिक जंजीरों का तभी तो कहते है शुद्र भी तो हिंदू था और हिंदू ही होना चाहिए हम बहुजन हैं बहुजन ही हमारा धर्म होना चाइए हमें नहीं जाने दिया मंदिर में सालों साल तुमने कभी भगवान ने आकर नहीं कहा मंदिर में इन्हें भी आने देना चाहिए हम मंदिर में घुसे हैं संविधान की बदौलत हमारा मकसद पूजा का नहीं आत्म स्वाभिमानी होना चाहिए हम बहुजन हैं बहुजन ही हमारा धर्म होना चाइए रखा गया शिक्षा से वंचित हमे साक्षी तो भगवान को ही होना चाहिए वो नहीं है शिक्षा भी मिली हमे संविधान बदौलत संविधान तो हर बहुजन के घर में होना ही चाहिए पूज लेते भगवान को हम अगर हमे कुछ दिया होता अब तो पूजा बाबासाहेब की ही होनी चाहिए हम बहुजन हैं बहुजन ही हमारा धर्म होना चाइए

 हम बहुजन हैं बहुजन ही हमारा धर्म होना चाइए

क्यों पहचाने कोई हमे हिंदू से जिसने हमे कुछ नहीं दिया सिवाए यातनाओं के 

हम शुद्र थे शुद्र है शुद्र से ही हमे पहचाना जाना चाहिए

हम बहुजन हैं बहुजन ही मेरा धर्म होना चाइए

हिंदू तो आज भी करलेते नफरत हमसे, और आज भी ख्वाइश है हर हिंदू की शुद्र तो अछूत था और अछूत ही होना चाहिए

डर लगता है अब उन धर्म के ठेकेदारों को सावेधनिक जंजीरों का तभी तो कहते है शुद्र भी तो हिंदू था और हिंदू ही होना चाहिए

हम बहुजन हैं बहुजन ही हमारा धर्म होना चाइए

हमें नहीं जाने दिया मंदिर में सालों साल तुमने कभी भगवान ने आकर नहीं कहा मंदिर में इन्हें भी आने देना चाहिए

हम मंदिर में घुसे हैं संविधान की बदौलत हमारा मकसद पूजा का नहीं आत्म स्वाभिमानी होना चाहिए

हम बहुजन हैं बहुजन ही हमारा धर्म होना चाइए

रखा गया शिक्षा से वंचित हमे साक्षी तो भगवान को ही होना चाहिए वो नहीं है

शिक्षा भी मिली हमे संविधान बदौलत संविधान तो हर बहुजन के घर में होना ही चाहिए 

पूज लेते भगवान को हम अगर हमे कुछ दिया होता अब तो पूजा बाबासाहेब की ही होनी चाहिए

हम बहुजन हैं बहुजन ही हमारा धर्म होना चाइए



शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2022

कन्या दान के नहीं कन्या महान के समर्थक

बेटी फेको मत बेटी अपनाओ

मत फेको बेटी को बेटी तेरे घर को आबाद करने आई है मां
दुनिया की चक्का चौंध से भ्रमित होकर न सोचो की बेटी तुम्हे बर्बाद करने आई ह मां
इतिहास खोल और देख क्या कभी अपने आंगन की गरिमा किसी बेटी ने मिटाई है मां
मत फेको बेटी को बेटी तेरे घर को आबाद करने आई है मां
अपने बेटों की बरबादी के किस्सों को क्यों बेटी के सर लगती है मां
तुमने मिटाकर बेटी को बेटों की करतूतें छुपाई है मां 
बलात्कार किया बेटों ने हर बार बेटी का क्या कभी बेटी किसी के बेटे के बलात्कार की गुनहगार पाई है मां
बलात्कारी बेटों को दी पनाह तुमने बेगुनाह बेटी को बार बार ठुकराई है मां
बेटी पलती रही मिट्टी की गोद में तेरे आंचल की छाव बेटों ने पाई है मां
मत फेको बेटी को बेटी तेरे घर को आबाद करने आई है मां
बेटों ने दुदकारा है अपने माबाप को दौलत की खातिर ,
दौलत की खातिर बेटी ने कब आंख दिखाई है मां
मत समझ बेटी को बोझ एक न एक दिन चली जायेगी पराया घर बसाने 
बेटी धूप नहीं परछाई ह मां
मत फेको बेटी को बेटी तेरे घर को आबाद करने आई है मां
                                     रामरतन सुड्डा 🖊️




सोमवार, 7 फ़रवरी 2022

Tariph ke hakdar h modi ji तारीफ के हकदार है मोदीजी

 तारीफ के हकदार है मोदी इनके सर तारीफों के ताज पहना दो

हमे चाहिए बस मोदी मोदी भूख गरीबी बेरोजगारी सब कुछ भुला दो

तारीफ के हकदार है मोदी जी इनके सर तारीफों के ताज पहना दो

बिक रही है सरकारी संपतिया साहेब के राज में हमने कुछ नहीं देखा महंगाई कॉरोना के की आड़ छुपा दो 

जोरों से हर हर मोदी घर घर मोदी की जय जय कार लेगा दो

तारीफ के हकदार है मोदी इनके सर तारीफों के ताज पहना दो

शिक्षा गई रोजगार गया बुखे पेट किलकार उठा दो सब दुख दूर होंगे तुम्हारे आसमान भी थर थर कांप उठे जय श्री राम के नारे लगा दो

तारीफ के हकदार है मोदी इनके सर तारीफों के ताज पहना दो

विकाश की कोई बात न हो ऐसा अभियान चलादो 

फिरभी कोई पूछे तो पाकिस्तान जिमेवार बतलादो

फिर भी कोई ना भटके तो हिंदू मुसलमान करदो

तारीफ के हकदार है मोदी इनके सर तारीफों के ताज पहना दो।          

रविवार, 6 फ़रवरी 2022

Chunavi mudde

जाती वाद मिटाती है सरकारें बस चुनावी दोरो में

कोई फर्क नहीं रहा देश में नेता अफसर चोरों में

सता हथ्याली जाती ह यहां मजहबी आग के सोलो में

चोर भी नेता बनते हैं अंध भागती के टोलो में

जाती वाद मिटाती है सरकारें बस चुनावी दोरो में

साहिदों की क्रुबानियों का लगा मोल बाजारों में

लासो पर सेकी रोटियां बेशर्म सरकारों ने

जाती वाद मिटाती है सरकारें बस चुनावी दोरो में

पाकिस्तान का मुद्दा पुराना मुद्दा नया बनाना है

खुद खाकी को भ्ष्ठ बना जुटे सुरक्षा अभियान में

अनपढ़ ढोंगी नेता बने कमियां निकाले संविधान में

जाती वाद मिटाती है सरकारें बस चुनावी दोरो में

कोई फर्क नहीं रहा देश में नेता अफसर चोरों में

जनता ने कोई कसर न छोड़ी बार बार लाते खाने में

देश हित की खातिर जनता जान की बाजी लगाती रहती है

एक थाली के चट्टे बटो को बदल कर सत्ता डोर थमाने में

कोई फर्क नहीं रहा देश में नेता अफसर चोरों में

              लेखक :–रामरतन सुड्डा





बुधवार, 26 जनवरी 2022

Good night good morning shayeri

गुडमॉर्निंग से शुरू और गुड नाईट पे खत्म होजाती है हर बात हमारी
यों ही सपने देखते देखते गुजर जाती है हर रात हमारी
रोज तन्हाइयों में सोचा करते है जी भरके मुलाकात करू मेरे अपने प्यारे चाहने वालो से  
कमबख्त जिन्दगी ह ही इतनी उलझन भरी 
यों ही वक्त गुजर जाता है जिंदगी के राशुल निभाते निभाते और वही गुडमॉर्निंग से शुरू और गुडनाईट पे खत्म होजती है हर बात हमारी
                             Good morning

शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

Naw yer spesal

 खुशियां देना अ जिंदगी नए साल में मगर मेरा पेट भरे इसे ज्यादा दौलत न देना दौलत से मुझे नफरत सी होगई है

खुशियां छीन लेती है दौलत ,जो दौलतमंद बने उनकी घमडियों जैसी फिदरत सी होगई है

बेसक आधा निवाला दे दे ना मेरी नसीब में मगर कोई भूखा न सोए इस जग में भूख से तड़फ ते मासूम देख मेरी आंखे नम नम सी होगई है

खुशियां देना अ जिंदगी नए साल में मगर मेरा पेट भरे इसे ज्यादा दौलत न देना दौलत से मुझे नफरत सी होगई है 

न देना मेरी नसीब में महल और शोहरत ,मगर सर पे बिन छत के जीवन किसी को नसीब न देना हर इंसान की नसीब में देना सरपे छत, फुटपाथ पर सोते मासूमों को देख मेरे सीने में चुभन सी होगई है

खुशियां देना अ जिंदगी नए साल में मगर मेरा पेट भरे इसे ज्यादा दौलत न देना दौलत से मुझे नफरत सी होगई है

हमे नहीं चाहिए सूट बूट वाली जिंदगी,

तेरी रहमतो के नीचे आधी दुनिया तन ढकने को कपड़े की खातिर भी बदनसीब सी होगई ह

जब देखा फटे कपड़ों में मासूमों को नज़रे शर्म से झुक सी गई है

खुशियां देना अ जिंदगी नए साल में मगर मेरा पेट भरे इसे ज्यादा दौलत न देना दौलत से मुझे नफरत सी होगई है

खुशियां छीन लेती है दौलत ,जो दौलतमंद बने उनकी घमडियों जैसी फिदरत सी होगई है

खुशियां देना अ जिंदगी नए साल में मगर मेरा पेट भरे इसे ज्यादा दौलत न देना दौलत से मुझे नफरत सी होगई है

              

                              लेखक:–रामरतन सुड्डा (Rk)

सोमवार, 6 दिसंबर 2021

Kisan lekhk

गुनगुनाता रहता था में दिनभर मगर कुछ लिख ना सका पेट की आग ने हाथो में कलम की जगह खेती के औजार थमा रखे थे भोर होते ही जाना खेतो में कमाने और सूरज ढलने पर घर लुटने की ड्यूटी लगा रखी थी गुनगुनाता रहता था में दिनभर मगर कुछ लिख ना सका पेट की आग ने हाथो में कलम की जगह खाती के औजार थमा रखे थे दिनभर सोचता रहता था में भी सामको घर जाकर सारे अरमान लिखूंगा अपने जीवन की हर दास्तान लिखूंगा मगर लिखता केसे मेरी देह में थकान समा रखी थी गुनगुनाता रहता था में दिनभर मगर कुछ लिख ना सका पेट की आग ने हाथो में कलम की जगह खेती के ओजर थमा रखे थे दिन भर खेतो में मेहनत करते करते थका हरा साम को घर जाकर कुछ लिख भी नही पता और सो भी नही पता था रात भर कही पकी पकाई फसल बर्बाद ना होजाए मेरी बस यही चिंता सताए रहती थी गुनगुनाता रहता था में दिनभर मगर कुछ लिख ना सका पेट की आग ने हाथो में कलम की जगह द्रांति थमा रखी थी नींद आने ही वाली थी मुझे थके हरे को की सपने में फसल कहने लगती सो मत मुझे सवार में तुम्हे कुछ देना चाहती हू अगर तू सोजाएगा तो तेरी आसाए फिर से धरती पे बिखर जायेंगी जिस दाने दाने को तरता रहता ह तू साल भर मुझे जल्दी जल्दी सवार और भरलेजा बोरियो में अगर तूने देर की तो तेरी अनाज की बोरी फिर दाना दाना होकर धरती में सिमट जाएगी तेरी आंखे फिर दाने दाने को तरस जायेंगी जिस कलम से तू लिखना चाहता ह अपने अरमान उसी उसी कलम से तेरे सर कर्ज की लकीरें लिखी जाएगी गुनगुनाता रहता था में दिनभर मगर कुछ लिख ना सका पेट की आग ने हाथो में कलम की जगह खेती के औजार थमा रखे थे ramratan sudda lekhak 

गुरुवार, 4 नवंबर 2021

पिता के आंसू pita ke ansu

 जब दो बेटे अलग अलग होते है तो पिता की अरदास

में भी ,खुशी,खुसी,से जी लेता अपनी  जिंदगी अगर हरदम तुम दोनो का रहना साथ साथ होता था
बीच भंवर में फश सा गया हु में, ना इस पार जा सकता और ना ही उसपार जा सकता था
बड़ी खुशी से इस भवर को चीर देता अगर तुम दोनो का एक दूजे में विश्वास होता
में भी ,खुशी,खुसी,से जी लेता अपनी  जिंदगी अगर हरदम तुम दोनो का रहना साथ साथ होता था
कितना खिला खिला सा लगता था तब वो आंगन जब पूरा परिवार साथ साथ होता था
आज दीवार खड़ी करदी तुमने एक ही आंगन में ,बस एक छोटी सी बात पर ,याद करो वो बचपना जब एक दूजे केबिना रह नही पाते थे मेरा भी तुम्हारे बिना रह पाना सजा ए मौत सा होता था,
लाख लड़ते झगड़ते रहते थे तुम मगर सामको खाना पीना साथ साथ होता था
में भी ,खुशी,खुसी, जी लेता  जिंदगी अगर हरदम तुम्हारा मेरा  साथ होता
आज दौलत और शोहरत के नसे में भुला दिया तुमने सब कुछ जब चोट लगती एक को और दर्द का एहसास दोनो को साथ साथ होता था
में भी ,खुशी,खुसी,से जी लेता अपनी  जिंदगी अगर हरदम तुम दोनो का रहना साथ साथ होता था

गुरुवार, 28 अक्तूबर 2021

Badl gaya h jamana sara

       बाला जमाना

बदल गया है जमाना सारा ,अब भाईचारा नाकाम रहा

उबर रहे अब अत्याचारी ,प्यार जो अब बदनाम हुआ

इंसाफ तो है मुश्किल, अब जो इंसाफ ही गुलाम हुआ

बदल गया है जमाना सारा, अब भाईचारा नाकाम रहा

बहन और बेटी को क्या समझे कोई, हवस जो सर पे सवार हुआ

कौन मिटाए अत्याचार ,खुद अत्याचारी हुकमाराम हुआ

बदल गया है जमाना सारा, अब भाईचारा नाकाम रहा

दुश्मनी हो गई अपने अपनों से, मां का दूध बदनाम हुआ

भूल गए सब खून के रिश्ते,अब रिश्ते सब शर्मसार हुए

कैसे मिले इंसाफ किसी को, ना इंसाफ हुक्मरान हुआ

 बदल गया है जमाना सारा ,अब भाईचारा नाकाम रहा


                          ,,रामरतन सुड्डा,,

गुरुवार, 16 सितंबर 2021

Baba Saheb ambedkar

 बाबा साहब डाँ अम्बेडकर का ऐतिहासिक भाषण आगरा 18 मार्च 1956


*#जनसमूह से -*

"पिछले तीस वर्षों से आप लोगों के राजनैतिक अधिकार के लिये मै संघर्ष कर रहा हूँ। मैने तुम्हें संसद और राज्यों की विधान सभाओं में सीटों का आरक्षण दिलवाया। मैंने तुम्हारे बच्चों की शिक्षा के लिये उचित प्रावधान करवाये। आज, हम प्रगित कर सकते है। अब यह तुम्हारा कर्त्तव्य है कि शैक्षणिक, आथिर्क और सामाजिक गैर बराबरी को दुर करने हेतु एक जुट होकर इस संघर्ष को जारी रखें। इस उद्देश्य हेतु तुम्हें हर प्रकार की कुर्बानियों के लिये तैयार रहना होगा, यहाँ तक कि खून बहाने के लिये भी।


*#नेताओ से-*

"यदि कोई तुम्हें अपने महल में बुलाता है तो स्वेच्छा से जाओ ।लेकिन अपनी झौपड़ी में आग लगाकर नहीं। यदि वह राजा किसी दिन आपसे झगडता है और आपको अपने महल से बाहर धकेल देता है ,उस समय तुम कहा जाओगे? यदि तुम अपने आपको बेचना चाहते हो तो बेचों लेकिन किसी भी तरह अपने संगठन को बरबाद करने की कीमत पर नहीं। मुझे दूसरों से कोई खतरा नहीं है, लेकिन मै अपने लोगों से ही खतरा महसूस कर रहा हूँ।


भूमिहीन_मजदूरों से 

"मै गाँव में रहने वाले भूमिहीन मजदूरों के लिये काफी चिंतित हूँ। मै उनके लिये ज्यादा कुछ नहीं कर पाया हूँ। मै उनकी दुख तकलीफों को सहन नहीं कर पा रहा हूँ। उनकी तबाहियों का मुख्य कारण यह है कि उनके पास जमीन नहीं है। इसलिए वे अत्याचार और अपमान के शिकार होते हें, वे अपना उत्थान नहीं कर पायेंगे। मै इसके लिये संघर्ष करूंगा। यदि सरकार इस कार्य में कोई बाधा उत्पत्र करती है तो मै इन लोगों का नेतृत्व करूंगा और इनकी वैधानिक लड़ाई लडूँगा ।लेकिन किसी भी हालात में भूमिहीन लोगों को जमीन दिलवाने का प्रयास करूंगा।"


अपने_समर्थकों से

"बहुत जल्दी ही मै तथागत बुद्ध के धर्म को अंगीकार कर लूंगा। यह प्रगतिवादी धर्म है। यह समानता, स्वतंत्रता एवं बंधुत्व पर आधारित है। मै इस धर्म को बहुत सालों के प्रयासों के बाद खोज पाया हूँ। अब मै जल्दी ही बुद्धिस्ट बन जाऊंगा। तब एक अछूत के रूप में मै आपके बीच नहीं रह पाऊँगा लेकिन एक सच्चे बुद्धिस्ट के रूप में तुम लोगों के कल्याण के लिये संघर्ष जारी रखूंगा। मै तुम्हें अपने साथ बुद्धिस्ट बनने के लिये नहीं कहूंगा क्योंकि मै अंधभक्त नहीं चाहता । केवल वे लोग ही जिन्हें इस महान धर्म की शरण में आने की तमत्रा है, बौद्ध धर्म अंगीकार कर सकते है, जिससे वे इस धर्म में दंद विशवास साथ रहे और इसके आचरण का अनुसरण करें।"


बौद्ध_भिक्षुओं से


" बौद्ध धम्म महान धर्म है। इस धर्म संस्थापक तथागत बुद्ध ने इस धर्म का प्रसार किया और अपनी अच्छाईयो के कारण यह धर्म भारत के दुर -दुर एक एवं गली कूचो तक पहूंच सका ।लेकिन महान उत्कर्ष के बाद यह धर्म 1213 ई.विलुप्त हो गया। इसके कई कारण है। एक कारण यह भी है की बौद्ध भिक्षु विलासतापूर्ण एवं आरमतंलब जिदंगी जीने के आदी हो गये। धर्म प्रचार हेतु स्थान-स्थान पर जाने की बजाय उन्होंने विहारों में आराम करना शुरू कर दिया तथा रजबाडो की प्रशंसा में पुस्तकें लिखना शुरू कर दिया ।अब इस धर्म पुनस्थापना हेतु उन्हें कड़ी मेहनत करनी पडेगी। उन्हें दरवाजे-दरवाजे जाना पडेगा। मुझे समाज में बहुत कम भिक्षु दिखाई देते है इसलिये जन साधारण में से अच्छे लोगों को भी इस धर्म प्रसार हेतु आगे आना चाहिये। और इनके संस्कारों को ग्रहण करना चाहिये।"


शासकीय_कर्मचारियों से

"हमारे समाज में शिक्षा में कुछ प्रगति हुई है। शिक्षा प्राप्त करके कुछ लोग उच्च पदों पर पहूँच गये है। परन्तु इन पढ़े लिखे लोगों ने मुझे धोखा दिया है। मै आशा कर रहा था कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे समाज की सेवा करेंगे। किन्तु मै क्या देख रहा हूँ कि छोटे और बडे क्लर्कों कि एक भीड़ एकत्रित हो गई है, जो अपनी तौदे (पेट)भरने में व्यस्त है। वे जो शासकीय सेवाओं में नियोजित है, उनका कर्तव्य है कि उन्हें अपने वेतन का 20 वां भाग (5 प्रतिशत )स्वेच्छा से समाज सेवा के कार्य हेतु देना चाहिये। तब ही समाज प्रगति करेगा अन्यथा केवल एक ही परिवार का सुधार होगा। एक वह बालक जो गांव में शिक्षा प्राप्त करने जाता है।,संपूर्ण समाज की आशाये उस पर टिक जाती है। एक शिक्षित सामाजिक कार्यकर्ता उनके लिये वरदान साबित हो सकता है।"


छात्र_एवं_युवाओं से

"मेरी छात्रों से अपील है की शिक्षा प्राप्त करने के बाद किसी प्रकार कि क्लर्की करने के बजाय उसे अपने गांव की अथवा आस-पास के लोगों की सेवा करना चाहिये। जिससे अज्ञानता से उत्पन्न शोषण एवं अन्याय को रोका जा सके। आपका उत्थान समाज के उत्थान में ही निहित है।"


*"आज मेरी स्थिति एक बड़े खंभे की तरह है, जो विशाल टेंटों को संभाल रही है। मै उस समय के लिये चिंतित हूँ कि जब यह खंभा अपनी जगह पर नहीं रहेगा। मेरा स्वास्थ ठीक नहीं रहता है। मै नहीं जानता, कि मै कब आप लोगों के बीच से चला जाऊँ। मै किसी एक ऐसे नवयुवक को नहीं ढूंढ पा रहा हूँ, जो इन करोड़ों असहाय और निराश लोगों के हितों की रक्षा करें। यदि कोई नौजवान इस जिम्मेदारी को लेने के लिये आगे आता है, तो मै चैन से मर सकूंगा।"*

   जयभीम, जयभारत

Mahobbat shayeri

आखिर किस से करे महोब्बत

 महोब्बत करना कोई गुनाह नहीं ये तो खुदा का दिया अनमोल तोहफा है 

मगरमहोब्बत करें तो आखिर करें किस्से आज के इस दौर में हुस्न वालो के लिए मोहब्बत तो बस जिस्म फिरौती का मोका है

कैसे खिले गुल महोब्बत में

कैसे खिले गुल महोब्बतों में महोब्बते भी तो दिलों से नहीं जिस्मों से होने लगीं हैं कोन देखता है दिल का 

अच्छा या बुरा अब जो महोब्बत हुस्न देखकर होने लगी है, 

कैसे खिले गुल महोब्बतों में महोब्बते भी तो दिलों से नहीं जिस्मों से होने लगीं हैं

मंगलवार, 7 सितंबर 2021

Majhhabi ladai

 मत जलाओ इस धरती को मजहबी आग में सबकुछ बर्बाद होजाए गा 

आज दिखता है तुम्हे जो जख्म छोटा सा वो एक ना एक दिन नासूर होजाएगा

आज तुम्हे जो उकसाते है मजहबी लड़ाई के लिए वो कलको

भाग जायेंगे विदेशों में और तुम्हारा यहां जीना दुबर और दुश्वार होजाएगा

मत जलाओ इस धरती को मजहबी आग में सबकुछ बर्बाद होजाए गा 


शनिवार, 4 सितंबर 2021

Gaon me rahne wala ko kya kehte hain

 हमने नहीं देखा समंदर हम तो बहती नदी और नालों में नहाने वाले है

हम क्या जाने तुम्हारे शहरों के चोचले हम तो शहरों से दूर गांवों में रहने वाले है

तुम्हें पसंद है छोटी कुर्ती वाले पहनावे हमें शर्म आती है इनसे, अरे हम तो धोती कुर्ता पहनावे वाले है

हमने नहीं देखा समंदर हम तो बहती नदी और नालों में नहाने वाले है

हम क्या जाने पिज्जा बर्गर हम तो खेतो में बैठकर लुखी सुखी खाने वाले है

तुम तो हो अन्न खरीद कर खाने वाले हम तो अन्न उगने वाले है

अरे हम क्या जाने महल और बंगलो की रौनक हम तो सिर्फ बनाने वाले है

तुम्हारे महल तुम्हे ही मुबारक हम तो प्यार से झुगी झोपड़ियों में रहने वाले है

हमने नहीं देखा समंदर हम तो बहती नदी और नालों में नहाने वाले है

तुम्हे लत है अकेले खाने की हम तो मिलबांट कर खाने वाले है

हमे तुम्हारे शहरों की चकाचौंध अच्छी नहीं लगती हम तो गांवों के रहने वाले है

हमने नहीं देखा समंदर हम तो बहती नदी और नालों में नहाने वाले है।                    

                              लेखक:–रामरतन सुड्डा

गुरुवार, 26 अगस्त 2021

Dard Bhari Shayari | 65+BEST दर्द भरी शायरी 2021

    दर्द मिला होता महोब्बत में हमे

        
दर्द मिला होता सच्ची महोब्बत में हमे तो कोई सिकाएत नहीं थी या खुदा तुम से ,
मगर झूठ के पासिंदों ने सताया है हमे, हमसे बेवफाई की हमने दिल लगाया था जिनसे, 
और उन्ही ने बेवफा कहकर ठुकराया है हमे

 दिल का दर्द क्या लिखुं

दिल का दर्द क्या लिखूं मेरे अल्फाज ये गवाही देने से इन्कार करते है

वो किसी और के होने जारहे है जिन्हे हम खुदसे ज्यादा प्यार करते है

   प्यार में दिलो जां लूटा देता

लूटा देता में अपना दिलो जां तुम पे अगर तुमने 

मेरे आई लव यू का जवाब यू लव मि से दिया होता 

तुम्हारी हर खुआइस पूरी करता ओ सनम 

अगर तुमने जरासा सब्र भी किया होता


हमने हर लम्हा इंतजार किया उनका

उनकी खुआईस ही नहीं थी मेरा इंतजार मिटाने की

मेरी चाहत थी उन्हें हर खुशी दू

मगर उनकी तो खुइस ही थी हमे तड़फाने की



शनिवार, 21 अगस्त 2021

Raksha Bandhan 2021: रक्षाबंधन

 क्या सच में बंधवाकर एक धागा रक्षा के नाम का बहिन से भाई द्वारा बहन की रक्षा का पर्ण निभाया जाता है

रक्षा बंधन राखी के धागे को सालों साल दोहराया जाता है

नजाने फिर भी क्यों इस देश में बेटी को कभी कोख में तो कभी बीच चौराहे लूटकर इज्जत आबरू मरवाया जाता है

क्या सच में बंधवाकर एक धागा रक्षा के नाम का बहिन से भाई द्वारा बहन की रक्षा का पर्ण निभाया जाता है

रक्षा मिलती है बहन बेटियों को सविधान से क्या कभी बहन बेटियों को संविधान भी सिखाया जाता है

या फिर राखी के धागे की आड़ में बहन बेटियों को किया जाता है गुमराह और उनके हक अधिकारों को इसी राखी की आड़ में छुपाया जाता है

क्या सच में बंधवाकर एक धागा रक्षा के नाम का बहिन से भाई द्वारा बहन की रक्षा का पर्ण निभाया जाता है

या फिर देकर कुछ पैसे बहन को रक्षा के फर्ज को बस चंद पैसों तक निभाया जाता है

क्या सच में बंधवाकर एक धागा रक्षा के नाम का बहिन से भाई द्वारा बहन की रक्षा का पर्ण निभाया जाता है

शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

बेटी और बेटे को शिक्षा में भेदभाव ने करें

 सविधान में स्वतंत्र बेटी जुबा में बेटी स्वतंत्र है, ये तो मैने भी हर बार सुना है ना बेटा बेटी में  अंतर है

पुरुष प्रधान इस भारत भूमि पे क्या सच में बेटी स्वतंत्र है। 

बेटे के जन्म पे खुशियां बेटी के जन्म पे फिर ये दुःख जैसा क्यों आलम है, 

बेटे का होता दसोठन छुछक फिर बेटी का क्यों नहीं, दसोठन होता है बेटा पढ़े विदेशों में फिर क्यों में बेटी का पढ़ना लिखना फिर क्यों बस गांव गुहांड तक होता है ,

बेटा होता है पिता की संपति का  उतराधिकारी पिता की संपत्ति में बेटी का हक क्यों नहीं होता है कहते तो हो बेटा बेटी एक समान फिर ये अंतर कैसा है 

पुरुष प्रधान इस भारत भूमि पे क्या सच में बेटी स्वतंत्र है। 

बेटा करे काम काज सब मनमर्जी से बेटी के सर फिर क्यों का काम घरों का थोपा जाता है 

बेटे के बियाह में बांटी खुशियां बेटी के बियाह में फिर क्यों ममता रोती है

पुरुष प्रधान इस भारत भूमि पे क्या सच में बेटी स्वतंत्र है। 

बेटा घूमे फिरे ओढ़े पहने मन मर्जी से फिर बहु के ऊपर सबपाबंदी होती है दिन भर घर में बहु देश में घुंघट ओढ़े रहती है

बेटा बेटी एक समान तो फिर ये रस्में क्या कैसी है, समाज ने सारी रस्मों रिवाजे बेटी के सर थोपी है,बेटा बेटी एक समान फिर ये विडंबना कैसी है

पिंजरे में बंद पंछी की तरह कैद क्यों बेटी रहती है सच तो ये है बेटी तो बस जुबा पे स्वतंत्र रहती है, बेटा बेटी में रखते हो फर्कबेटा बेटी एक समान झूठा सब ये मंत्र है

पुरुष प्रधान इस भारत भूमि पे क्या सच में बेटी स्वतंत्र है। 



सोमवार, 12 जुलाई 2021

Julmi जुल्मी

 जुल्मी बनो जुल्मी मिटाने को, याफिर कातिल बनो कातिल मिटाने को या फिर हुंकार भरो सोई सरकार जगाने को

पुलिस प्रशासन तो सोया है और सरकारें नहीं चाहती है जुल्मी और जुल्म मिटाने को

एक दूजे की आवाज बनो जुल्म और अत्याचार मिटाने को

या फिर रहो त्यार सब बारी बारी जुल्मी के हाथों खुदको बली चढ़ाने को

जुल्मी बनो जुल्मी मिटाने को, याफिर कातिल बनो कातिल मिटाने को फिर हुंकार भरो सोई सरकार जगाने को

आज हुआ है कत्ल गैर कोई कल को तुम ना होजाओ 

बनो ताकत एक दूजे की पीड़ित को इंसाफ दिलाने को

इन्सान है हम अब जाति धर्म की तोड़ो दीवारें फर्ज ए इन्सान निभाने को रहो त्यार सब मर मिटने को जुल्मों जात मिटाने को

जुल्मी बनो जुल्मी मिटाने को, याफिर कातिल बनो कातिल मिटाने को

जुल्मी की जाती जुल्म होती है होता है धर्म ए जुल्म बढ़ाने का 

फिर तुम गर्व कैसे करते हो हत्यारों को सेर सुरमा अपनी जाति का बतलाने को

जुल्मी बनो जुल्मी मिटाने को, याफिर कातिल बनो कातिल मिटाने को फिर हुंकार भरो सोई सरकार जगाने को

                             




बुधवार, 23 जून 2021

मुर्दा दिल इन्सान। Murda dill Insan

मुर्दों के घर में जिंदो का कोई काम नहीं होता

 मुर्दों के घर में जिंदो का कोई काम नहीं होता

सोए हुए समाज में जागे हुए लोगों का मान नहीं होता

अक्षर वही होते है किसी गैर के शोषण और धो:खे के सीकार 

जिनको गैरो पे ऐतबार और अपनो पे ऐतबार नहीं होता 

मुर्दों के घर में जिंदो का कोई काम नहीं होता

सोए हुए समाज में जागे हुए लोगों का मान नहीं होता

नोचे जाते है उन्ही के जिस्म प्यार मोहब्त की आड़ में जिन्हे अपनी कॉम और पूर्वजों पे स्वाभिमान नहीं होता 

अक्षर बलशाली भी समझने लगते हैं खुदको कमजोर जिनको अपने इतिहास का ज्ञान नहीं होता 

जीते हुए भी मुर्दों के समान होते हैं वोलोग जिनको अपने महापुरशो की कुर्बानी पे स्वाभिमान नहीं होता है

मुर्दों के घर में जिंदो का कोई काम नहीं होता

सोए हुए समाज में जागे हुए लोगों का मान नहीं होता

बेसख बटोरी हो दौलत करोड़ों में वो फिर भी सर उठा कर नहीं जी सकते जिनको अपने हक अधिकार और इतिहास का ज्ञान नहीं होता

वो लोग ही चाटा करते है गैरो के तलवे जिनको अपनी कॉम पे स्वाभिमान नहीं होता

मुर्दों के घर में जिंदो का कोई काम नहीं होता

सोए हुए समाज में जागे हुए लोगों का मान नहीं होता

अक्षर वही लोग करते है समाज की दलाली जिनकी नसों में बहुजन कॉम खून नहीं होता 

वो लोग बेचा करते है अपने वोट को कोड़ियो में जिन्हे अपनी कॉम को शासक बनाने का जुनून नहीं होता

मुर्दों के घर में जिंदो का कोई काम नहीं होता

सोए हुए समाज में जागे हुए लोगों का मान नहीं होता

                    

                                               लेखक:–रामरतन सुड्डा







रविवार, 20 जून 2021

Ambedkar vadi


 हम अम्बेडकर वादी हैं साहेब

हम अम्बेडकर वादी हैं साहेब

हम युद्ध की नहीं बुद्ध की बात करते हैं

खुशाल चमन हो हर प्राणी बस यहीं फरयाद करते हैं

जब बात हो शील करुणा मैत्री की तो बुद्ध को

बात हो हक अधिकार दिलाने की ओर शोषण अत्याचार मिटाने की तो बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर को याद करते हैं

हम अम्बेडकर वादी हैं साहेब

हम युद्ध की नहीं बुद्ध की बात करते हैं

हम नहीं चाहते हथियार उठान और ना ही हत्यारों की बात करते हैं हम हैं कलम की चाह रखने वाले और कलम से ही अपनी आवाज लिखते है

हम अम्बेडकर वादी हैं साहेब

हम युद्ध की नहीं बुद्ध की बात करते हैं

शांत चित्त बुद्धि से बलशाली प्यार और भाई चारे का मंत्र रखते हैं

जब बात हो हक अधिकारों की तो मरना मिटना है मंजूर हमे 

रण भूमि में कभी नहीं हम पीछे हटते हैं वीर योद्धा है कॉम हमारी हम कायरता को इनकार करते है

हम अम्बेडकर वादी हैं साहेब

हम युद्ध की नहीं बुद्ध की बात करते हैं

खुशाल चमन हो हर प्राणी बस यहीं फरयाद करते हैं



शुक्रवार, 4 जून 2021

Bhart ma ke chor

 नेता अफसर और मंत्री भारत में डेरा चोरों का खुद बाड़ खेत को खाए तो क्या करे भरोसा गैरो का

धन दौलत सब लूट पाट कर काम सफाई देने का ओछी सोच और बोल बड़े भारत में डेरा चोरों का

माइक थमा दो हाथो में फिर सुनो विकाश इन चोरों का 

हजारों योजनाएं तुम्हे गिनाय विकाश देश में जीरो का

सूट बूट और गाड़ी बंगला रोल रखेंगे हीरो का 

मीठी बोली बात खोखली, है हुनर जो इनको जुमलो का

कला धन लायेंगे कहकर भारत का कॉस उजाड़ दिया लाखों बेब्स मजबूरों को मौत के घाट उतार दिया

यारे प्यारे मित्रो का करोड़ो कर्जा माफ किया बेब्स और लाचारो से रोटी पानी और दवाई 

जिंदा रहने की एवज में लाखो लाख का टैक्स वसूल किया, 

सदियों तक ना भूलेंगे साहेब तुमको, तुम गुनहगार हो असंख्य नरसंघरो का

असंख्य जाने ली है तुमने तुम गुनहगार हो बेब्स और लचारो का

तुम्हे कातिल शब्द से नवाजें साहेब या फिर कहदे सरदार जुल्मी और गुनहगारों का 

याफिर तुमको कहे बादशाह मोत के सौदा गारो का

नेता अफसर और मंत्री भारत में डेरा चोरों का खुद बाड़ खेत को खाए तो क्या करे भरोसा गैरो का

खुद अपने ही रहे लूट वत्न को, फिर क्या कोसना गैरो का 

शेरों का वात्न था देश ये भारत और रहे वत्न ये शेरों का आवाज उठाओ करो खात्मा भारत भूमि से चारो का

नेता अफसर और मंत्री भारत में डेरा चोरों का खुद बाड़ खेत को खाए तो क्या करे भरोसा गैरो का

                                    


                                  लेखक:–रामरतन सुड्डा





बिकी गरिमा पत्रकारों की biki garima patrkaro ki

 बिकी हुई है मेरे देश में गरिमा पत्र करो की

झूठ दलाली से चलती रोजी टीवी और अखबारों की

कंकड़ को पहाड़ बताने में इन्हे कोई शर्म नहीं आती है

ईमान बेच लिया माइक कैमरा ये बेशर्मी बतलाती है

बेशर्मी की हद तो देखो सच पे पर्दा डाल, देश में झूठी 

न्यूज चलाते हैं शर्म लाज नहीं रही है इनको जूते चप्पल

खाने की

बिकी हुई है मेरे देश में गरिमा पत्र करो की

झूठ दलाली से चलती रोजी टीवी और अखबारों की

पत्ल चाटे करो गुलामी नेता और सरकारों की 

देश की जनता जाए भाड़ में रिश्वत खाए देश के गद्दारों की

बिकी हुई है मेरे देश में गरिमा पत्र करो की

झूठ दलाली से चलती रोजी टीवी और अखबारों की

कमी नहीं टीवी पे देखो न्यूजएंकर और चाटूकारों की

करें बड़ाई ढोंग रचाकर फुजदिल और मकारो की

सच छिपाए झूठ दिखाए, ये झूठ मूठ के विकाश गिनाते

हर बार छिपाते देखो लोगो नाकामी सरकारों की

बिकी हुई है मेरे देश में गरिमा पत्र करो की

झूठ दलाली से चलती रोजी टीवी और अखबारों की

Youtub और फेसबुक था जरिया सच दिखलाने का आम आदमी की आवाज को जान जन तक पहुंचाने का 

इस पे भी अब कब्जा करके चली हुकूमत दलालों की

बिकी हुई है मेरे देश में गरिमा पत्र करो की

झूठ दलाली से चलती रोजी टीवी और अखबारों की








रविवार, 23 मई 2021

राजस्थान में कोरॉना की 3 लहर ने रखे अपने कदम 21 जून तक बढ़ा लॉकडॉन

 राजस्थान में कोरॉना की दूसरी लहर थमने का नाम ही नही लेरही की होगया है तीसरी लहर का आगाज 



राजस्थान में कोरॉना महामारी की तीसरी लहर कदम रख चुकी हैं कोना की तीसरी लहर ने राजस्थान में कदम रखते ही डूंगरपुर में 512 बचो को अपनी चपेट में भी लेचुकी है 

दुगरपुर में मिले है 512 बच्चे कोरॉना पॉजिटिव और इस खतरे को नज़र अंदाज़ ना करते हुए सरकार ने लिए है कुछ अहम फैसले अब 24 तारीख को नहीं खुलेगा लॉकडॉन

कोरॉना महामारी के बढ़ते खतरे को देखते हुए राजस्थान सरकार ने लिया है लॉकडॉन बढ़ाने का फैसला 21 जून तक लॉकडॉन बड़ा दिया गया है

कोरॉना महामारी की तीसरी लहर बड़े बूढ़े जवानों के साथ ही बच्चो में भी बढ़ रहा संक्रमण 

सरकार की गाइड लाइन्स का पालन करे अपने घरों में रहे और सुरक्षित रहे ये पोस्ट आपको जरूरी लगे तो अपने परिचित लोगो में भी सहयेर करें

अपने और अपने परिवार का ध्यान रखें लॉकडॉन का पालन करे 

और कामना करे हम सब मिलकर कोरॉना महामारी को जल्द से जल्द से जल्द हरा सके 

                                      धन्यवाद

कोरॉना देवी की देश भर में होरही पूजा

भारत से जल्द होगा कोरॉना जड़ से खत्म देश भर में होरही कोरॉना देवी की पूजा



पाखंड और अंध विश्वास ने भारत में की हद पार कुछ दिनों पहले एक वीडियो वायरल होरहा था जिसमे कुछ साधु संत कोरॉना को खीर पूड़ी चढ़ा कर उसे सांत रहने की गुहार लगा रहे थे और अब अंध भगति का एक और वीडियो वायरल होरहा है जिसने तो अंध विश्वास की हद ही पार करदी अभी कॉरोना को देवीय रूप दे दिया गया है और मंदिर भी बनवाया गया है मंदिर बनवाने पूजा करने तक ही सीमित नहीं रही बात कोरॉना महामारी को ही दे दिया देवीय रूप कई महिलाओं ने वर्त भी रखे और कोरॉना की पूजा भी कीगई 

पूजा और वर्त इस लिए रखे गए की कोरॉना लोगो की जान ना ले बल्कि डॉक्टरों और सेंटिस्ट तो पहले ही कह चुके है कोरॉना से बचाव के लिए नियमित पोस्टिक आहार ले खुद को खाली पेट बिलकुल ना रखें


Corona देवी की पूजा की दूसरी फाइल फोटो

बल्कि यहां तो सबकुछ उल्टा होरहा है लोग कोरॉना महामारी को अपने देश से भगाने के लिए वर्त(उपवास) रख रहे है

जिसपर सरकार और प्रशासन की कोई ध्यान नहीं उल्टा मीडिया भी इसे सराहनीय काम बताकर बढ़ चढ़ कर अपने न्यूज चैनलों पर दिखा रहा है 

और मानो ऐसे चर्चा कर रहा है जसे देश में कोई बहुत ही बहादुरी का काम हिरहा हो

खुद मीडिया ही अपने और अपने देश के नागरिकों के मूर्खता के परमाण देरहे है

अभी भारत वासी कोरॉना को खत्म करने के लिए कोरॉना देवी की पूजा कर रहे है 

बिहार से आए है ज्यादा संख्या में वीडियो और फोटो क्लिप कोरॉना देवी की पूजा के कुछ कुछ वीडियो और फोटोज भारत के सभी हिस्सों से आने सुरु होगय है

Modi ji fir roye krona se hui moto par



 मोदी जी ने फिर की रोने की एक्टिंग

साहेब जी मत ढोंग रचाओ ना करो एक्टिंग रोने की

तुम्हे नहीं है परवाह कोई बेबसों के मरने की

तुम्हे सताए चिंता साहेब बस घोटाले करने की

अगर जरा भी तुम्हे परवाह होती गरीब मजदूर परिवारों की

ऑक्सीजन ना बिक रही होती दो दो लाख हजारों की

यो लासो के ढेर ना लगते ना सांसे थमती बेबस और लचारों की

मंदिर मूर्त से ध्यान हटाकर अगर जरासा ध्यान किया होता 

अस्पताल और चिकित्सा सेवा सुधारों पे, 

यों ना लासे बहती दिखती नदी और गंदे नालों में कभी ना बुझते च्राग घरोके जो आज पड़े अंध्यारो में ,

तुम जो परवाह करते होते बेबस और लाचरो की सासन प्रशासन था हाथ तुम्हारे ना सुनती गूंज किलकारों की

साहेब जी मत ढोंग रचाओ ना करो एक्टिंग रोने की

तुम्हे नहीं है परवाह कोई बेबसों के मरने की

सब भारत वासी जान चुके है आदत तुम्हारी जुमलों की

छोड़ो गद्दी चुनलो फिल्मे है तलब लगी हैं साहेब तुमकोओवर एक्टिंग करने की

जारा भी अकल नहीं साहेब तुमको भारत में शासन करने की

देश को डाल कर गहरी खाई में तुम करगये चालाकी यारे प्यारे मित्रों के संग खुद तो बाहर निकलने की 

साहेब जी मत ढोंग रचाओ ना करो एक्टिंग रोने की

तुम्हे नहीं है परवाह कोई बेबसों के मरने की

दाना पानी और दवा पे तुमने टैक्स वसूल है फिर क्या ढोंग रचना साहेब क्यों कर रहे एक्टिंग अस्क बहाने की

साहेब जी मत ढोंग रचाओ ना करो एक्टिंग रोने की

तुम्हे नहीं है परवाह कोई बेबसों के मरने की



शनिवार, 22 मई 2021

बोद्धधम boddh dhham



 बौद्ध धम्म अपनाना है

गया दौर तलवारों का अब पाखंडी दौर मिटाना है

जाति धर्म के नारों से भारत को मुक्त कराना है

तिलक और चोटी का ना ढोंग चले ऐसा दौर अब लाना है 

मिल जुलकर सब रहे देश में आपस में प्यार बढ़ना है

पढ़ो लिखो सब भारत वासी अंधविश्वास मिटाना है 

तर्कशीलहो बुद्धि बलशाली आगे बढ़ते जाना है

गया दौर तलवारों का अब पाखंडी दौर मिटाना

गोबर मूत्र खाने वालों को गोबर भगत बतलाना है

झाड़ फूंक टोना टोटका,ना पिंड दान करवाना है

विक्षित दौर विज्ञान का है विज्ञान हमे अपनाना है

ओझा बोझा ढोंगी बाबा सबको दूर भगाना है

बनवाए अस्पताल देश में ना मंदिर मूरत बनवाना है

गया दौर तलवारों का अब पाखंडी दौर मिटाना

जाति धर्म के नारों से भारत को मुक्त कराना है

बौद्ध धम्म है बुद्धि का इसमें ना पूजा पाठ रचाना है

करुणा मैत्री भाई चारा बस यही सिद्धांत अपना है

करो तयारी बंधु नारी बुद्ध की ओर हमे जाना है

दया करुणा के मार्ग पर चलकर बोद्धधम अपनाना है

गया दौर तलवारों का अब पाखंडी दौर मिटाना

जाति धर्म के नारों से भारत को मुक्त कराना है


                         लेखक:–रामरतन सुड्डा






Dalali patrkaro ki

 

भारत में खूब सौर मचाए, दलाली पत्रकारों की

भारत में खूब सौर मचाए, दलाली पत्रकारों की

पतल चाटे करे गुलामी, नेता और सरकारों की

पत्थर को हीरा ये बतलाते, देखो बेसर्मी गद्दारों की

झूट मुठ का विकाश दिखलाए, करें मजाक लाचारो की

सरकार नहीं कोई सवाल जवाब ये,विपक्ष से सब गुनगुनाते हैं

अंध भगति का चश्मा पहने,नेताओ के पीछे पीछे कुते सी दुम हिलाते है, 

गोबर मूत्र खाने पीने को ये विकाश बतलाते हैं

हिमत और कलाकारी देखो गधे को शेर बतलाते की

भारत में खूब सौर मचाए, दलाली पत्रकारों की

पतल चटे करे गुलामी, नेता और सरकारों की

प्यार बंटता दिखे ना कोई, झगड़े खूब दिखाते है

मजबूरी में रहे भूख के मारेको,ये उपवास बताते है

इन लोगो ने रिश्वत खाई धर्म की आग लगाने की

मंदिर मस्जिद के नारों से आपस में लड़वाने की

भारत में खूब सौर मचाए, दलाली पत्रकारों की

पतल चाटे करे गुलामी, नेता और सरकारों की

टूटी सड़के नहीं दिखे ये ,सड़के नई दिखलाते है

झोपड़ पाटियो को भी ये डिजिटल इंडिया बतलाते है

खुद की मेहनत से बनाए घर को भी  ये पीएम 

आवास बतलाते है 

इनकी नियत बची हुई बस घोर दलाली खाने की

भारत में खूब सौर मचाए, दलाली पत्रकारों की

पतल चाटे करे गुलामी, नेता और सरकारों की


                          लेखक:– रामरतन

शुक्रवार, 21 मई 2021

Modi lapta

 शाह मोदी लापता है

मोदी शाह के अब तो दर्शन के भी टोटे है

देश में हां हां कार मचा है कहा छुपके दोनो बठे है

बाहर निकल कर देखो साहेब आपके न्यूइंडिया में

तो गरबों के सांसों का भी टोटा है

लाश जालाना भी महंगा साहेब गरीब घरों के बेबसो ने

तो अपने अपनो को नदियों नलों में फेका है

आप के न्यूइंडिया में साहेब मर्त पड़ी कई लासो को कूते

बिलयो ने नोचा है

तुम तो दुबक कर बैठे महलों में यहां झोपड़ियों में आकर देखो

पेट भरने को दाने का भी टोटा है

ग्रह मंत्री और पीएम के अब तो दर्शन के भी टोटे है

देश में हां हां कार मचा है कहा छुपके दोनो बठे है

हॉस्पिटल में मिले बेड नहीं बाहर झांक कर देखो साहेब आपका न्यूइंडीया तो बिन दावा बिन सुविधा के सड़को ऊपर लेटा है

अंग तस्करी के चलते साहेब अपने अपनो के आखिर दर्शन को भी टोटा है 

गरीब घरों के मुर्दों को तो कफन का भी टोटा है लास जलाए भी तो कैसे रिश्वत का खर्चा मोटा है

बाहर निकल कर देखो साहेब आपके न्यूइंडिया में

तो गरबों के सांसों के भी टोटा है

मोदी शाह तेरे राज में जिंदा रहने से भी ज्यादा मुर्दे जलाना महंगा है नहीं डॉक्टर नहीं दवाएं हॉस्पिटलों का टोटा है

ग्रह मंत्री और पीएम के अब तो दर्शन के भी टोटे है

देश में हां हां कार मचा है कहा छुपके दोनो बठे है



Congerah ,bjp

 कांग्रेस बीजेपी चोर है

एक कांग्रेस एक बिजेप दोनो ही सताधरी है

दोनो ने गठ जोड़ किया कभी तुम्हारी कभी हमारी बारी है

अब तक जो ना समझी जनता,जनता ना समझ हमारी है

एक ने लुटा धीरे धीरे दूजे ने झट से लूट मचाई है

अच्छे दिनों के सपने में ओ सुन बीजेपी सता जो तुम्हे थमाई है, 

आम आवाम ने देखा अब जो असली रूप तुम्हारा है 

कहना कुछ और करना कुछ झूठा राज तुम्हारा है

हमने तुमपे किया भरोसा बस यही पछताव हमारा है

चोरों के हाथ में थी जो सता अभी झूठे मकारो और बेबस के हत्यारों को सता हमने थमाई है अब तो भूल पे जनता देश की भूत घनी पछताई है

सेर की खाल पहनकर देश में गधों ने लूट मचाई है 

कांग्रेस हो या हो बीजेपी दोनों भाई भाई है

छोड़ो दामन अब इनका अब करो तयारी बीएसपी को सता की डोर थमानी है

बहिन कुमारी माया को भारत की पीएम बनानि है

एक मुहिम सब मिलकर चलाओ चोरों से देश छुड़वाना है

गरीब मजलूम और बेबस लोगो के घरों में खुशियां लाने की

छोड़ के झगड़े धर्म जाति के मिलके हाथ बटाना है 

हिंदू मुस्लिम और सिख ईसाई आपस में प्यार बढ़ाना है

जो जाति धर्म की बात करे उस पाखंडी को ओधे मू धूल चटाना है

मिलकर अब मुहिम चलाओ

एक थाली ये चटे बटे इनकी साकार गिराने की आपस के मत भेद मिटा कर नई सरकार बनाने की 

बहुत खालिया धोखा हमने अब और ना धोखा खायेंगे हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई मिलकर कसम उठाएंगे कांग्रेस और बीजेपी को अबके धूल चटाना है

नई पार्टी नई दिशा नया ही भारत बनाएंगे भारत का है हक बने विश्वगुरु अबकी बार हमे बनाना है

कांग्रेस बीजेपी छोड़ देश में सता तीसरी लायेंगे अबकी बार तो बहिन मया को पीएम देश का बनाना है




बुधवार, 19 मई 2021

मुर्ख और विद्वान में अंतर

 मुर्ख इंसान पत्थर पूजे, पूजे पेड़ विद्वान

मुर्ख इंसान पत्थर पूजे, पूजे पेड़ विद्वान

ना खीर चढ़ाए पूड़ी चढ़ाए,चढ़ाए जल और खाद

धरती को सुंदर बनाए ,बचाए हर जीव के प्राण

ज्ञानी लोग विज्ञान पढ़े,और पढ़े अपना संविधान

मुर्ख लोग समय गवाएं,पड़ने में वेद पुराण


ढोंगी लोग पाखंड फैलाए,शिक्षित फैलाए ज्ञान

पाखंडी मंदिर बनवाए,ज्ञानी बनवाए अस्पताल

दु:खी बीमारी कास्ट निवारे,लाखो बचाए ज्यान

मुर्ख इंसान पत्थर पूजे, पूजे पेड़ विद्वान

ना खीर चढ़ाए पूड़ी चढ़ाए,चढ़ाए जल और खाद


संघर्ष शील संघर्ष करे,आलसी सहे पीड़ा अपमान

निर्बल लोग गुलाम बने,बने बल शाली हुक्मरान

सच्चे इन्सान ना पीठ तके, तके पीठ बेईमान

थाली में अपनी छेद करे,रखे बेचे अपना ईमान

मुर्ख इंसान पत्थर पूजे, पूजे पेड़ विद्वान

ना खीर चढ़ाए पूड़ी चढ़ाए,चढ़ाए जल और खाद



Hindi bewafa shayeri

अगर हूं में गुनहगार तेरा तो सजा का फरमान कर

अगर हूं में गुनहगार तेरा तो सजा का फरमान कर गालिबअगर मेरी मोत से तेरा हिसाब होता है चुकता तो में मरने को त्यार हूं एक रस्सी से फांसी के फंदे का इंतजाम कर गालिब


हजारों नदियां मिलती है समंदर में फिरभि समंदर की कड़वाहट काम कहा होती है

हजारों नदियां मिलती है समंदर में फिरभि समंदर की कड़वाहट कहा कम होती है हमें तो आदत है बेवजह ही मुस्कुराने की मुझे मुस्कुराता देख जमाना कहता है तुम कितने सुखी हो जमाना क्या जाने इस दिल में कितनी चोटे दफ्न रहती है


लहरों की ताकत का अंदाजा तालाबों को कहा होता है

लहरों की ताकत का अंदाजा तालाबों को कहा होता है एक दिन जिस्म तेरा भी स्वाह होगा और जिस्म मेरा भी स्वाह होना हैफालतू में परवाह मत रख दोस्त किसी को खोने और पाने की जो तेरा है वो तेरा ही रहेगा जो तेरा था ही नहीं उसे पाकर भी क्या करना है

जिंदा इन्सानों ने ना संवर्ग देखा ना नर्क, ना मुर्दों ने लोट कर व्याख्यान किया

जिंदा इन्सानों ने ना संवर्ग देखा ना नर्क, ना मुर्दों ने लोट कर व्याख्यान किया 

में समझ ना सका ओ जमाने फिर ये संवर्ग नर्क का दौरा किया किसने और किसने इसका निर्माण किया

अगर है ही नहीं कोई ठोस प्रमाण संवर्ग नर्क का तो फिर इन्सानों में ये भ्रम पैदा किसने किया 

किसका हुआ होगा फायदा इस अफवाह से और नुकसान किस किसका हुआ किसको मिली रोजी इस से और अपमान किसका हुआ 


रविवार, 16 मई 2021

5G से होरही मोते

 Corona मामले में बड़ा अपडेट Corona की आड़ में 5G टेस्टिंग corona से नही बल्कि 5G रेडियेशन से होरही मोते

सोशल मीडिया पर  एक मेसेज पिछले कुछ दिनों से बड़ी तेजी से वायरल होरहा है जिसमे भारत में होरही मोतों का जिमेवर कोरॉना महामारी नही बल्कि 5G टेस्टिंग को बताया जा रहा ह 
ऑडियो में दावा किया जा रहा है की कोरॉना की आड़ में भारत सरकार 5G टेस्टिंग करवा रही है
भारत सरकार जनता से कुछ छिपा रही है ऐसे भी कई आरोप लगाए जारहे है
लेकिन ऐसा कुछ नहीं है भारत में हो रही मोतों का जिमेवर 5G टेस्टिंग नहीं बल्कि कोरॉना महामारी ही है 
5G से किसी भी इंसान को कोई विपरीत परभाव नही पड़ता 2G,3G,4G की तरह ही 5G रेडियो विकिरणों पर काम करता है यह मानव शरीर पर कोई घातक नहीं ह अफवाहों से बचे अपना ध्यान रखे मास्क पहने बार बार अपने हाथों को साबुन सर्फ या सनेटाइजर से साफ करते रहे 
अपने आपको किसी अफवाहों के चलते जोखिम में ना डालें अपना और अपने परिवार का कोरॉना महामारी से बचाव रखें
1G,2G,3G,4G,5G का मतलब जनरेशन से है यानी 1t जानरेसन 1G सकिंड जनरेशन 2G  3d जनरेशन 3G इसी परकार 4G और 5G 

गंगा नदी में तेर रही असंख्य लासे

 


इंसानियत ना रही इंसानों में बस भयावह मंजर सा छाया है लोगो की नजरो में 

दफ्न भी ना हुई उनकी लासे जिनकी जाने लेली कोरॉना की किलकारो ने 

कफन में लिपटी असंख्य लासे बेतहासा नोची कुते बिल्ली और कौओं ने

कुछ लासे बहती दिखी नदियों में कुछ तो बहा दीगई गंदे नालों में

इंसानियत ना रही इंसानों में बस भयावह मंजर सा छाया है लोगो की नजरो में 

बेसर्मी की हदे तोड़ दी अंधी बहरी सरकारों ने तड़फ तड़फ कर सांसे छोड़ी लाखों गरीब मजलूम परिवारों ने

फिरभी चुपी क्यों ना तोड़ी जालिम इन सरकारों ने

इंसानियत ना रही इंसानों में बस भयावह मंजर सा छाया है लोगो की नजरो में 

रोटी पानी की तलब लगी अब तो दाना भी ना रहा गरीबों घर के आश्यानो में दूरी का आलम बढ़ता गया फर्क ना रहा इंसान और हेवानो में

इंसानियत ना रही इंसानों में बस भयावह मंजर सा छाया है लोगो की नजरो में 

सब इंसान अछूत हुए मौत का मंजर मिलने लगा छुने और बतलाने से डर सा लगने लगा है अब तो प्यासे को पानी तक पिलाने से

इंसानियत ना रही इंसानों में बस भयावह मंजर सा छाया है लोगो की नजरो में 

शुक्रवार, 14 मई 2021

Corona mahamari or bachav ke upaye

2020 की तुलना में 2021में corona महामारी में मृतुदर में वृद्धि की मुख्य वजह

पिछलीबर 2020 में corona महामारी में इस बार की अपेक्षा बहुत कम लोग संक्रमित हुए इसका मुख्य कारण था समय रहते लगाया गया लॉकडाउन
Corona के दूसरे फेज यानी 2021 में corona महामारी से होने वाली मौत 2020 से इतनी ज्यादा क्यों क्योंकि पिछलीबार लोगो में corona का भ्य ना के बराबर था लोग अपने घरों में खुदको सुरक्षित महसूस कर रहे थे वो खुश थे चिंतित नहीं थे अबकीबार देरी से लॉकडॉन लगने की वजह से और महाराष्ट्र में  चुनाव होने की वजह से रेलिया की गई और उन्ही रैलियों की corona संक्रमण तेजी से फलने की वजह से चिकित्सा संसाधनों में भारी कमी होगई इस वजह से पिछली बार की अपेक्षा इस बार corona महामारी से होने वाली मोतों में वृद्धि हुई है और ज्यादा कुछ नहीं अपने घरों में आप पिछलीबर की तरह सुरक्षित है घबराए नहीं कुछ समय बाद फिर से इस्थित सामान्य होजाएगी

Corona से होने वाली मोतो की मुख्य वजह

आज पूरे देश और विश्व में करना ने आहाकार मचाया हुआ है और लोग काफी भ्येवित भी है और भ्येवीत होना जायज भी है क्योंकि टीवी अखबार सोशल मीडिया फेसबुक वॉट्सएप youtub पर जब देखो corona से होने वाली मोते हॉस्पिटल में तड़फ तड़फ कर दम तोड़ती असंख्य जिंदगियों का कोहराम दिखाई देता है 

और भए भी कुछ हद तक असंख्य मोतो का कारण बनता है क्योंकि डर(भए) की वजह से बल्ड सर्कुलेशन परभावित होता है जिसकी वजह से बीपी की सिकाएत होती है बीपी का अचानक सब बढ़ना गिरना हार्ट अटैक जैसी घटनाएं डर की वजह से होना आम बात है 

डर की वजह से भूख कम लगती है पाचन तंत्र काफी प्रभावित होता है टाइम पे ना खाने पीने की वजह से शरीर में एनर्जी लेवल दिन प्रदीन गिरने लगता है और थकान होने लगती है और कई लोगो को बुखार भी होजाता है थकान और बुखार के चलते लोग और चिंतित होजते है और खुद को corona से संक्रमित समझने लगते है जिससे लोगों में डर और बढ़ जाता है और इसी डर की वजह से वे अपना मेडिकल टैस्ट भी नहीं करवाते की कहीं कोरॉना पॉजिटिव आया तो उसे कहीं बंद करके ना रख दिया जाए और वो अंदर ही अंदर मानसिक तनाव को पालते रहते है मानसिक तनाव की वजह से इंसान के अंदर इम्यूनिटी घट जाती है और वह रोगी होजाता है और अंत में मानसिक तनाव मौत का कारण बन जाता है

Corona से बचाव के लिए इन बातो का रखे ध्यान

Corona से बचाव के लिए मनमे कोई चिंता ना रखे corona जैसे लक्षण आपको नज़र आए तो corona टैस्ट करवाए और बिना डर, तनाव के दवाई ले खुद को घर परिवार या कोई अन्य व्यक्ति के संपर्क में आने से बचाए 

बिना वजह घर से बाहर निकलने से बचे corona संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए अपने घरों में रहना मास्क पहानना भी आपका देश हित में बहुत बड़ा योगदान है आप मास्क पहनकर चलते है तो खुदको और देश के अन्य नागरिकों को बचाने का काम कर रहें हैं बेवजह  घर से बाहर न निकले तो आप देश हित में बहुत कुछ कर रहे है कहीं बाहर जाकर आए तो साबुन  सर्फ या सनेटाइजर से अपने हाथों को अच्छे से धोएं खाना खाने से पहले पानी पीने से पहले अपने हाथों को अच्छे से साफ करे

अपने आस पड़ोस गांव गुहांड में किसी को आपकी मदद की जरूरत है तो उसकी मदद करे 

बेवजह डरना चिंतित होना covid महामारी से भी ज्यादा घातक है 

प्रकृति के अपने कुछ रसूल है हमने परकृति को बहुत नुकसान पहुंचाया है जिसका खम्याजा परक्रति हमसे वसूल रही है 

जीवन मरण खुद प्रकृति निर्धारित करती है परकृति ने हमे जन्म दिया है तो वो हमे जिंदा रखने और मरने का समय भी निर्धारित रखती है

आप मरने से डरे नहीं इस लिए में आपके बीच एक  कहानी पेश कर रहा हु इस कहानी को पूरा पढ़े जो आपको होंसला बढ़ने में मदद करेगी 

किसी गांव में एक शरीफ आदमी रहता था उसके एक लड़का था और परिवार में उसका कोई सहारा नहीं अकेला बेसहारा होने की वजह से परिवार के बाकी लोग उसकी संपत्ति हड़पने के लिए उसे यातनाएं देते रहते उस आदमी को ये चिंता हमेशा सताए जाति की उसके मरने के बाद ये लोग मेरे बेटे को भी मर देंगे और उसकी सारी संपत्ति हड़प लेंगे उसके वंश को खत्म कर देंगे ये बात वो अपने बेटे को कभी नहीं बता क्योंकि वह अभी बच्चा था कुछ समय बाद वह आदमी चिंता करते करते दम तोड गया अब उसका बेटा अकेला हो चुका था परकृति हर इंसान को हालातो के हिसाब से चला अपने आप सीखा देती है 

पिता की मौत केबाद उस लड़के को उसकी मां अपने पीहर अपने साथ लेकर वही रहने लगी उसकी मां अपना अकेलापन दूर करने और अपने बेटे को सभी हालातो के लिए तयार करने के लिए उसके पिता के साथ हुई ज्यादती की सारी घटनाएं उसे बताती रहती अब वह लड़का जवान होगया था और अच्छे बुरे को समझने लगा था अब उस लड़के के दिलो दिलो दिमाग में बस एक ही बात खटक रही थी की वो अपने गांव जाकर अपनी संपत्ति की रक्षा करे और अपने पिता के साथ हुई ज्यादती का बदला ले उसकी मां बुड्ढी होचूकी थी लेकिन वो उसे उसके गांव लोटने से रोकती रहती कुछ समय बाद उसकी मां का भी देहांत होगया और वो अपने गांव लोट आया गांव आते ही उसके परिवार के लोगो ने उसे यातनाएं देना सुरु कर दिया लेकिन वह ऐसे ही सराफत से अपने पिता की तरह यातनाएं सहना स्वीकार नही करता वह इट का जवाब पत्थर से देता 

इसी बात को लेकर परिवार के लोग समझ चुके थे की वो ऐसे उनकी यातनाओं से तंग आकर कही जाने वाला नहीं है उसे हमेशा हमेशा के लिए खत्म करना होगा एक दिन वह लड़का अपने खेतमे काम कर रहा था और उस परिवार के उन जालिम लोगों ने पूरी पालानिग के साथ उस पर गोलियों की बौछार कर दी उसपर हजारों गोलियां चली लेकिन उसे कहीं खरोंच भी नहीं आई थी अब वो समझ चुका था की जिसकी मौत परक्रति ने निर्धारित नहीं की है उसे कोई नहीं मिटा सकता और उसने जालिम परिवार का डटकर मुकाबला करना सुरु कर दिया अब उसका लालची परिवार समझ चुका था जाको राखे साइयां मार सके ना कोई ये सत्य ह और उन्होंने उसे सतना बंद कर दिया 

दोस्तो अगर आपको मेरा आर्टिकल अच्छा लगा हो तो शेयर करे हंसते रहे मुस्कुराते रहे 






Love shayeri bewafa shayeri dard bhri shayeri lavitaye kahaniya motivsnal or samajik stori

Kisi ka jhukne n dena sis lachari me

किसी का झुकने न देना सीस लाचारी में बेमानी का सीस उठने न देना खून है तुम्हारी नसों में ईमान का  इसे बेमानो से मिटने न देना  बाहें तुम्हारी भ...