शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

Naw yer spesal

 खुशियां देना अ जिंदगी नए साल में मगर मेरा पेट भरे इसे ज्यादा दौलत न देना दौलत से मुझे नफरत सी होगई है

खुशियां छीन लेती है दौलत ,जो दौलतमंद बने उनकी घमडियों जैसी फिदरत सी होगई है

बेसक आधा निवाला दे दे ना मेरी नसीब में मगर कोई भूखा न सोए इस जग में भूख से तड़फ ते मासूम देख मेरी आंखे नम नम सी होगई है

खुशियां देना अ जिंदगी नए साल में मगर मेरा पेट भरे इसे ज्यादा दौलत न देना दौलत से मुझे नफरत सी होगई है 

न देना मेरी नसीब में महल और शोहरत ,मगर सर पे बिन छत के जीवन किसी को नसीब न देना हर इंसान की नसीब में देना सरपे छत, फुटपाथ पर सोते मासूमों को देख मेरे सीने में चुभन सी होगई है

खुशियां देना अ जिंदगी नए साल में मगर मेरा पेट भरे इसे ज्यादा दौलत न देना दौलत से मुझे नफरत सी होगई है

हमे नहीं चाहिए सूट बूट वाली जिंदगी,

तेरी रहमतो के नीचे आधी दुनिया तन ढकने को कपड़े की खातिर भी बदनसीब सी होगई ह

जब देखा फटे कपड़ों में मासूमों को नज़रे शर्म से झुक सी गई है

खुशियां देना अ जिंदगी नए साल में मगर मेरा पेट भरे इसे ज्यादा दौलत न देना दौलत से मुझे नफरत सी होगई है

खुशियां छीन लेती है दौलत ,जो दौलतमंद बने उनकी घमडियों जैसी फिदरत सी होगई है

खुशियां देना अ जिंदगी नए साल में मगर मेरा पेट भरे इसे ज्यादा दौलत न देना दौलत से मुझे नफरत सी होगई है

              

                              लेखक:–रामरतन सुड्डा (Rk)

सोमवार, 6 दिसंबर 2021

Kisan lekhk

गुनगुनाता रहता था में दिनभर मगर कुछ लिख ना सका पेट की आग ने हाथो में कलम की जगह खेती के औजार थमा रखे थे भोर होते ही जाना खेतो में कमाने और सूरज ढलने पर घर लुटने की ड्यूटी लगा रखी थी गुनगुनाता रहता था में दिनभर मगर कुछ लिख ना सका पेट की आग ने हाथो में कलम की जगह खाती के औजार थमा रखे थे दिनभर सोचता रहता था में भी सामको घर जाकर सारे अरमान लिखूंगा अपने जीवन की हर दास्तान लिखूंगा मगर लिखता केसे मेरी देह में थकान समा रखी थी गुनगुनाता रहता था में दिनभर मगर कुछ लिख ना सका पेट की आग ने हाथो में कलम की जगह खेती के ओजर थमा रखे थे दिन भर खेतो में मेहनत करते करते थका हरा साम को घर जाकर कुछ लिख भी नही पता और सो भी नही पता था रात भर कही पकी पकाई फसल बर्बाद ना होजाए मेरी बस यही चिंता सताए रहती थी गुनगुनाता रहता था में दिनभर मगर कुछ लिख ना सका पेट की आग ने हाथो में कलम की जगह द्रांति थमा रखी थी नींद आने ही वाली थी मुझे थके हरे को की सपने में फसल कहने लगती सो मत मुझे सवार में तुम्हे कुछ देना चाहती हू अगर तू सोजाएगा तो तेरी आसाए फिर से धरती पे बिखर जायेंगी जिस दाने दाने को तरता रहता ह तू साल भर मुझे जल्दी जल्दी सवार और भरलेजा बोरियो में अगर तूने देर की तो तेरी अनाज की बोरी फिर दाना दाना होकर धरती में सिमट जाएगी तेरी आंखे फिर दाने दाने को तरस जायेंगी जिस कलम से तू लिखना चाहता ह अपने अरमान उसी उसी कलम से तेरे सर कर्ज की लकीरें लिखी जाएगी गुनगुनाता रहता था में दिनभर मगर कुछ लिख ना सका पेट की आग ने हाथो में कलम की जगह खेती के औजार थमा रखे थे ramratan sudda lekhak 

गुरुवार, 4 नवंबर 2021

पिता के आंसू pita ke ansu

 जब दो बेटे अलग अलग होते है तो पिता की अरदास

में भी ,खुशी,खुसी,से जी लेता अपनी  जिंदगी अगर हरदम तुम दोनो का रहना साथ साथ होता था
बीच भंवर में फश सा गया हु में, ना इस पार जा सकता और ना ही उसपार जा सकता था
बड़ी खुशी से इस भवर को चीर देता अगर तुम दोनो का एक दूजे में विश्वास होता
में भी ,खुशी,खुसी,से जी लेता अपनी  जिंदगी अगर हरदम तुम दोनो का रहना साथ साथ होता था
कितना खिला खिला सा लगता था तब वो आंगन जब पूरा परिवार साथ साथ होता था
आज दीवार खड़ी करदी तुमने एक ही आंगन में ,बस एक छोटी सी बात पर ,याद करो वो बचपना जब एक दूजे केबिना रह नही पाते थे मेरा भी तुम्हारे बिना रह पाना सजा ए मौत सा होता था,
लाख लड़ते झगड़ते रहते थे तुम मगर सामको खाना पीना साथ साथ होता था
में भी ,खुशी,खुसी, जी लेता  जिंदगी अगर हरदम तुम्हारा मेरा  साथ होता
आज दौलत और शोहरत के नसे में भुला दिया तुमने सब कुछ जब चोट लगती एक को और दर्द का एहसास दोनो को साथ साथ होता था
में भी ,खुशी,खुसी,से जी लेता अपनी  जिंदगी अगर हरदम तुम दोनो का रहना साथ साथ होता था

गुरुवार, 28 अक्तूबर 2021

Badl gaya h jamana sara

       बाला जमाना

बदल गया है जमाना सारा ,अब भाईचारा नाकाम रहा

उबर रहे अब अत्याचारी ,प्यार जो अब बदनाम हुआ

इंसाफ तो है मुश्किल, अब जो इंसाफ ही गुलाम हुआ

बदल गया है जमाना सारा, अब भाईचारा नाकाम रहा

बहन और बेटी को क्या समझे कोई, हवस जो सर पे सवार हुआ

कौन मिटाए अत्याचार ,खुद अत्याचारी हुकमाराम हुआ

बदल गया है जमाना सारा, अब भाईचारा नाकाम रहा

दुश्मनी हो गई अपने अपनों से, मां का दूध बदनाम हुआ

भूल गए सब खून के रिश्ते,अब रिश्ते सब शर्मसार हुए

कैसे मिले इंसाफ किसी को, ना इंसाफ हुक्मरान हुआ

 बदल गया है जमाना सारा ,अब भाईचारा नाकाम रहा


                          ,,रामरतन सुड्डा,,

गुरुवार, 16 सितंबर 2021

Baba Saheb ambedkar

 बाबा साहब डाँ अम्बेडकर का ऐतिहासिक भाषण आगरा 18 मार्च 1956


*#जनसमूह से -*

"पिछले तीस वर्षों से आप लोगों के राजनैतिक अधिकार के लिये मै संघर्ष कर रहा हूँ। मैने तुम्हें संसद और राज्यों की विधान सभाओं में सीटों का आरक्षण दिलवाया। मैंने तुम्हारे बच्चों की शिक्षा के लिये उचित प्रावधान करवाये। आज, हम प्रगित कर सकते है। अब यह तुम्हारा कर्त्तव्य है कि शैक्षणिक, आथिर्क और सामाजिक गैर बराबरी को दुर करने हेतु एक जुट होकर इस संघर्ष को जारी रखें। इस उद्देश्य हेतु तुम्हें हर प्रकार की कुर्बानियों के लिये तैयार रहना होगा, यहाँ तक कि खून बहाने के लिये भी।


*#नेताओ से-*

"यदि कोई तुम्हें अपने महल में बुलाता है तो स्वेच्छा से जाओ ।लेकिन अपनी झौपड़ी में आग लगाकर नहीं। यदि वह राजा किसी दिन आपसे झगडता है और आपको अपने महल से बाहर धकेल देता है ,उस समय तुम कहा जाओगे? यदि तुम अपने आपको बेचना चाहते हो तो बेचों लेकिन किसी भी तरह अपने संगठन को बरबाद करने की कीमत पर नहीं। मुझे दूसरों से कोई खतरा नहीं है, लेकिन मै अपने लोगों से ही खतरा महसूस कर रहा हूँ।


भूमिहीन_मजदूरों से 

"मै गाँव में रहने वाले भूमिहीन मजदूरों के लिये काफी चिंतित हूँ। मै उनके लिये ज्यादा कुछ नहीं कर पाया हूँ। मै उनकी दुख तकलीफों को सहन नहीं कर पा रहा हूँ। उनकी तबाहियों का मुख्य कारण यह है कि उनके पास जमीन नहीं है। इसलिए वे अत्याचार और अपमान के शिकार होते हें, वे अपना उत्थान नहीं कर पायेंगे। मै इसके लिये संघर्ष करूंगा। यदि सरकार इस कार्य में कोई बाधा उत्पत्र करती है तो मै इन लोगों का नेतृत्व करूंगा और इनकी वैधानिक लड़ाई लडूँगा ।लेकिन किसी भी हालात में भूमिहीन लोगों को जमीन दिलवाने का प्रयास करूंगा।"


अपने_समर्थकों से

"बहुत जल्दी ही मै तथागत बुद्ध के धर्म को अंगीकार कर लूंगा। यह प्रगतिवादी धर्म है। यह समानता, स्वतंत्रता एवं बंधुत्व पर आधारित है। मै इस धर्म को बहुत सालों के प्रयासों के बाद खोज पाया हूँ। अब मै जल्दी ही बुद्धिस्ट बन जाऊंगा। तब एक अछूत के रूप में मै आपके बीच नहीं रह पाऊँगा लेकिन एक सच्चे बुद्धिस्ट के रूप में तुम लोगों के कल्याण के लिये संघर्ष जारी रखूंगा। मै तुम्हें अपने साथ बुद्धिस्ट बनने के लिये नहीं कहूंगा क्योंकि मै अंधभक्त नहीं चाहता । केवल वे लोग ही जिन्हें इस महान धर्म की शरण में आने की तमत्रा है, बौद्ध धर्म अंगीकार कर सकते है, जिससे वे इस धर्म में दंद विशवास साथ रहे और इसके आचरण का अनुसरण करें।"


बौद्ध_भिक्षुओं से


" बौद्ध धम्म महान धर्म है। इस धर्म संस्थापक तथागत बुद्ध ने इस धर्म का प्रसार किया और अपनी अच्छाईयो के कारण यह धर्म भारत के दुर -दुर एक एवं गली कूचो तक पहूंच सका ।लेकिन महान उत्कर्ष के बाद यह धर्म 1213 ई.विलुप्त हो गया। इसके कई कारण है। एक कारण यह भी है की बौद्ध भिक्षु विलासतापूर्ण एवं आरमतंलब जिदंगी जीने के आदी हो गये। धर्म प्रचार हेतु स्थान-स्थान पर जाने की बजाय उन्होंने विहारों में आराम करना शुरू कर दिया तथा रजबाडो की प्रशंसा में पुस्तकें लिखना शुरू कर दिया ।अब इस धर्म पुनस्थापना हेतु उन्हें कड़ी मेहनत करनी पडेगी। उन्हें दरवाजे-दरवाजे जाना पडेगा। मुझे समाज में बहुत कम भिक्षु दिखाई देते है इसलिये जन साधारण में से अच्छे लोगों को भी इस धर्म प्रसार हेतु आगे आना चाहिये। और इनके संस्कारों को ग्रहण करना चाहिये।"


शासकीय_कर्मचारियों से

"हमारे समाज में शिक्षा में कुछ प्रगति हुई है। शिक्षा प्राप्त करके कुछ लोग उच्च पदों पर पहूँच गये है। परन्तु इन पढ़े लिखे लोगों ने मुझे धोखा दिया है। मै आशा कर रहा था कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे समाज की सेवा करेंगे। किन्तु मै क्या देख रहा हूँ कि छोटे और बडे क्लर्कों कि एक भीड़ एकत्रित हो गई है, जो अपनी तौदे (पेट)भरने में व्यस्त है। वे जो शासकीय सेवाओं में नियोजित है, उनका कर्तव्य है कि उन्हें अपने वेतन का 20 वां भाग (5 प्रतिशत )स्वेच्छा से समाज सेवा के कार्य हेतु देना चाहिये। तब ही समाज प्रगति करेगा अन्यथा केवल एक ही परिवार का सुधार होगा। एक वह बालक जो गांव में शिक्षा प्राप्त करने जाता है।,संपूर्ण समाज की आशाये उस पर टिक जाती है। एक शिक्षित सामाजिक कार्यकर्ता उनके लिये वरदान साबित हो सकता है।"


छात्र_एवं_युवाओं से

"मेरी छात्रों से अपील है की शिक्षा प्राप्त करने के बाद किसी प्रकार कि क्लर्की करने के बजाय उसे अपने गांव की अथवा आस-पास के लोगों की सेवा करना चाहिये। जिससे अज्ञानता से उत्पन्न शोषण एवं अन्याय को रोका जा सके। आपका उत्थान समाज के उत्थान में ही निहित है।"


*"आज मेरी स्थिति एक बड़े खंभे की तरह है, जो विशाल टेंटों को संभाल रही है। मै उस समय के लिये चिंतित हूँ कि जब यह खंभा अपनी जगह पर नहीं रहेगा। मेरा स्वास्थ ठीक नहीं रहता है। मै नहीं जानता, कि मै कब आप लोगों के बीच से चला जाऊँ। मै किसी एक ऐसे नवयुवक को नहीं ढूंढ पा रहा हूँ, जो इन करोड़ों असहाय और निराश लोगों के हितों की रक्षा करें। यदि कोई नौजवान इस जिम्मेदारी को लेने के लिये आगे आता है, तो मै चैन से मर सकूंगा।"*

   जयभीम, जयभारत

Mahobbat shayeri

आखिर किस से करे महोब्बत

 महोब्बत करना कोई गुनाह नहीं ये तो खुदा का दिया अनमोल तोहफा है 

मगरमहोब्बत करें तो आखिर करें किस्से आज के इस दौर में हुस्न वालो के लिए मोहब्बत तो बस जिस्म फिरौती का मोका है

कैसे खिले गुल महोब्बत में

कैसे खिले गुल महोब्बतों में महोब्बते भी तो दिलों से नहीं जिस्मों से होने लगीं हैं कोन देखता है दिल का 

अच्छा या बुरा अब जो महोब्बत हुस्न देखकर होने लगी है, 

कैसे खिले गुल महोब्बतों में महोब्बते भी तो दिलों से नहीं जिस्मों से होने लगीं हैं

मंगलवार, 7 सितंबर 2021

Majhhabi ladai

 मत जलाओ इस धरती को मजहबी आग में सबकुछ बर्बाद होजाए गा 

आज दिखता है तुम्हे जो जख्म छोटा सा वो एक ना एक दिन नासूर होजाएगा

आज तुम्हे जो उकसाते है मजहबी लड़ाई के लिए वो कलको

भाग जायेंगे विदेशों में और तुम्हारा यहां जीना दुबर और दुश्वार होजाएगा

मत जलाओ इस धरती को मजहबी आग में सबकुछ बर्बाद होजाए गा 


शनिवार, 4 सितंबर 2021

Gaon me rahne wala ko kya kehte hain

 हमने नहीं देखा समंदर हम तो बहती नदी और नालों में नहाने वाले है

हम क्या जाने तुम्हारे शहरों के चोचले हम तो शहरों से दूर गांवों में रहने वाले है

तुम्हें पसंद है छोटी कुर्ती वाले पहनावे हमें शर्म आती है इनसे, अरे हम तो धोती कुर्ता पहनावे वाले है

हमने नहीं देखा समंदर हम तो बहती नदी और नालों में नहाने वाले है

हम क्या जाने पिज्जा बर्गर हम तो खेतो में बैठकर लुखी सुखी खाने वाले है

तुम तो हो अन्न खरीद कर खाने वाले हम तो अन्न उगने वाले है

अरे हम क्या जाने महल और बंगलो की रौनक हम तो सिर्फ बनाने वाले है

तुम्हारे महल तुम्हे ही मुबारक हम तो प्यार से झुगी झोपड़ियों में रहने वाले है

हमने नहीं देखा समंदर हम तो बहती नदी और नालों में नहाने वाले है

तुम्हे लत है अकेले खाने की हम तो मिलबांट कर खाने वाले है

हमे तुम्हारे शहरों की चकाचौंध अच्छी नहीं लगती हम तो गांवों के रहने वाले है

हमने नहीं देखा समंदर हम तो बहती नदी और नालों में नहाने वाले है।                    

                              लेखक:–रामरतन सुड्डा

गुरुवार, 26 अगस्त 2021

Dard Bhari Shayari | 65+BEST दर्द भरी शायरी 2021

    दर्द मिला होता महोब्बत में हमे

        
दर्द मिला होता सच्ची महोब्बत में हमे तो कोई सिकाएत नहीं थी या खुदा तुम से ,
मगर झूठ के पासिंदों ने सताया है हमे, हमसे बेवफाई की हमने दिल लगाया था जिनसे, 
और उन्ही ने बेवफा कहकर ठुकराया है हमे

 दिल का दर्द क्या लिखुं

दिल का दर्द क्या लिखूं मेरे अल्फाज ये गवाही देने से इन्कार करते है

वो किसी और के होने जारहे है जिन्हे हम खुदसे ज्यादा प्यार करते है

   प्यार में दिलो जां लूटा देता

लूटा देता में अपना दिलो जां तुम पे अगर तुमने 

मेरे आई लव यू का जवाब यू लव मि से दिया होता 

तुम्हारी हर खुआइस पूरी करता ओ सनम 

अगर तुमने जरासा सब्र भी किया होता


हमने हर लम्हा इंतजार किया उनका

उनकी खुआईस ही नहीं थी मेरा इंतजार मिटाने की

मेरी चाहत थी उन्हें हर खुशी दू

मगर उनकी तो खुइस ही थी हमे तड़फाने की



शनिवार, 21 अगस्त 2021

Raksha Bandhan 2021: रक्षाबंधन

 क्या सच में बंधवाकर एक धागा रक्षा के नाम का बहिन से भाई द्वारा बहन की रक्षा का पर्ण निभाया जाता है

रक्षा बंधन राखी के धागे को सालों साल दोहराया जाता है

नजाने फिर भी क्यों इस देश में बेटी को कभी कोख में तो कभी बीच चौराहे लूटकर इज्जत आबरू मरवाया जाता है

क्या सच में बंधवाकर एक धागा रक्षा के नाम का बहिन से भाई द्वारा बहन की रक्षा का पर्ण निभाया जाता है

रक्षा मिलती है बहन बेटियों को सविधान से क्या कभी बहन बेटियों को संविधान भी सिखाया जाता है

या फिर राखी के धागे की आड़ में बहन बेटियों को किया जाता है गुमराह और उनके हक अधिकारों को इसी राखी की आड़ में छुपाया जाता है

क्या सच में बंधवाकर एक धागा रक्षा के नाम का बहिन से भाई द्वारा बहन की रक्षा का पर्ण निभाया जाता है

या फिर देकर कुछ पैसे बहन को रक्षा के फर्ज को बस चंद पैसों तक निभाया जाता है

क्या सच में बंधवाकर एक धागा रक्षा के नाम का बहिन से भाई द्वारा बहन की रक्षा का पर्ण निभाया जाता है

शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

बेटी और बेटे को शिक्षा में भेदभाव ने करें

 सविधान में स्वतंत्र बेटी जुबा में बेटी स्वतंत्र है, ये तो मैने भी हर बार सुना है ना बेटा बेटी में  अंतर है

पुरुष प्रधान इस भारत भूमि पे क्या सच में बेटी स्वतंत्र है। 

बेटे के जन्म पे खुशियां बेटी के जन्म पे फिर ये दुःख जैसा क्यों आलम है, 

बेटे का होता दसोठन छुछक फिर बेटी का क्यों नहीं, दसोठन होता है बेटा पढ़े विदेशों में फिर क्यों में बेटी का पढ़ना लिखना फिर क्यों बस गांव गुहांड तक होता है ,

बेटा होता है पिता की संपति का  उतराधिकारी पिता की संपत्ति में बेटी का हक क्यों नहीं होता है कहते तो हो बेटा बेटी एक समान फिर ये अंतर कैसा है 

पुरुष प्रधान इस भारत भूमि पे क्या सच में बेटी स्वतंत्र है। 

बेटा करे काम काज सब मनमर्जी से बेटी के सर फिर क्यों का काम घरों का थोपा जाता है 

बेटे के बियाह में बांटी खुशियां बेटी के बियाह में फिर क्यों ममता रोती है

पुरुष प्रधान इस भारत भूमि पे क्या सच में बेटी स्वतंत्र है। 

बेटा घूमे फिरे ओढ़े पहने मन मर्जी से फिर बहु के ऊपर सबपाबंदी होती है दिन भर घर में बहु देश में घुंघट ओढ़े रहती है

बेटा बेटी एक समान तो फिर ये रस्में क्या कैसी है, समाज ने सारी रस्मों रिवाजे बेटी के सर थोपी है,बेटा बेटी एक समान फिर ये विडंबना कैसी है

पिंजरे में बंद पंछी की तरह कैद क्यों बेटी रहती है सच तो ये है बेटी तो बस जुबा पे स्वतंत्र रहती है, बेटा बेटी में रखते हो फर्कबेटा बेटी एक समान झूठा सब ये मंत्र है

पुरुष प्रधान इस भारत भूमि पे क्या सच में बेटी स्वतंत्र है। 



सोमवार, 12 जुलाई 2021

Julmi जुल्मी

 जुल्मी बनो जुल्मी मिटाने को, याफिर कातिल बनो कातिल मिटाने को या फिर हुंकार भरो सोई सरकार जगाने को

पुलिस प्रशासन तो सोया है और सरकारें नहीं चाहती है जुल्मी और जुल्म मिटाने को

एक दूजे की आवाज बनो जुल्म और अत्याचार मिटाने को

या फिर रहो त्यार सब बारी बारी जुल्मी के हाथों खुदको बली चढ़ाने को

जुल्मी बनो जुल्मी मिटाने को, याफिर कातिल बनो कातिल मिटाने को फिर हुंकार भरो सोई सरकार जगाने को

आज हुआ है कत्ल गैर कोई कल को तुम ना होजाओ 

बनो ताकत एक दूजे की पीड़ित को इंसाफ दिलाने को

इन्सान है हम अब जाति धर्म की तोड़ो दीवारें फर्ज ए इन्सान निभाने को रहो त्यार सब मर मिटने को जुल्मों जात मिटाने को

जुल्मी बनो जुल्मी मिटाने को, याफिर कातिल बनो कातिल मिटाने को

जुल्मी की जाती जुल्म होती है होता है धर्म ए जुल्म बढ़ाने का 

फिर तुम गर्व कैसे करते हो हत्यारों को सेर सुरमा अपनी जाति का बतलाने को

जुल्मी बनो जुल्मी मिटाने को, याफिर कातिल बनो कातिल मिटाने को फिर हुंकार भरो सोई सरकार जगाने को

                             




बुधवार, 23 जून 2021

मुर्दा दिल इन्सान। Murda dill Insan

मुर्दों के घर में जिंदो का कोई काम नहीं होता

 मुर्दों के घर में जिंदो का कोई काम नहीं होता

सोए हुए समाज में जागे हुए लोगों का मान नहीं होता

अक्षर वही होते है किसी गैर के शोषण और धो:खे के सीकार 

जिनको गैरो पे ऐतबार और अपनो पे ऐतबार नहीं होता 

मुर्दों के घर में जिंदो का कोई काम नहीं होता

सोए हुए समाज में जागे हुए लोगों का मान नहीं होता

नोचे जाते है उन्ही के जिस्म प्यार मोहब्त की आड़ में जिन्हे अपनी कॉम और पूर्वजों पे स्वाभिमान नहीं होता 

अक्षर बलशाली भी समझने लगते हैं खुदको कमजोर जिनको अपने इतिहास का ज्ञान नहीं होता 

जीते हुए भी मुर्दों के समान होते हैं वोलोग जिनको अपने महापुरशो की कुर्बानी पे स्वाभिमान नहीं होता है

मुर्दों के घर में जिंदो का कोई काम नहीं होता

सोए हुए समाज में जागे हुए लोगों का मान नहीं होता

बेसख बटोरी हो दौलत करोड़ों में वो फिर भी सर उठा कर नहीं जी सकते जिनको अपने हक अधिकार और इतिहास का ज्ञान नहीं होता

वो लोग ही चाटा करते है गैरो के तलवे जिनको अपनी कॉम पे स्वाभिमान नहीं होता

मुर्दों के घर में जिंदो का कोई काम नहीं होता

सोए हुए समाज में जागे हुए लोगों का मान नहीं होता

अक्षर वही लोग करते है समाज की दलाली जिनकी नसों में बहुजन कॉम खून नहीं होता 

वो लोग बेचा करते है अपने वोट को कोड़ियो में जिन्हे अपनी कॉम को शासक बनाने का जुनून नहीं होता

मुर्दों के घर में जिंदो का कोई काम नहीं होता

सोए हुए समाज में जागे हुए लोगों का मान नहीं होता

                    

                                               लेखक:–रामरतन सुड्डा







रविवार, 20 जून 2021

Ambedkar vadi


 हम अम्बेडकर वादी हैं साहेब

हम अम्बेडकर वादी हैं साहेब

हम युद्ध की नहीं बुद्ध की बात करते हैं

खुशाल चमन हो हर प्राणी बस यहीं फरयाद करते हैं

जब बात हो शील करुणा मैत्री की तो बुद्ध को

बात हो हक अधिकार दिलाने की ओर शोषण अत्याचार मिटाने की तो बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर को याद करते हैं

हम अम्बेडकर वादी हैं साहेब

हम युद्ध की नहीं बुद्ध की बात करते हैं

हम नहीं चाहते हथियार उठान और ना ही हत्यारों की बात करते हैं हम हैं कलम की चाह रखने वाले और कलम से ही अपनी आवाज लिखते है

हम अम्बेडकर वादी हैं साहेब

हम युद्ध की नहीं बुद्ध की बात करते हैं

शांत चित्त बुद्धि से बलशाली प्यार और भाई चारे का मंत्र रखते हैं

जब बात हो हक अधिकारों की तो मरना मिटना है मंजूर हमे 

रण भूमि में कभी नहीं हम पीछे हटते हैं वीर योद्धा है कॉम हमारी हम कायरता को इनकार करते है

हम अम्बेडकर वादी हैं साहेब

हम युद्ध की नहीं बुद्ध की बात करते हैं

खुशाल चमन हो हर प्राणी बस यहीं फरयाद करते हैं



शुक्रवार, 4 जून 2021

Bhart ma ke chor

 नेता अफसर और मंत्री भारत में डेरा चोरों का खुद बाड़ खेत को खाए तो क्या करे भरोसा गैरो का

धन दौलत सब लूट पाट कर काम सफाई देने का ओछी सोच और बोल बड़े भारत में डेरा चोरों का

माइक थमा दो हाथो में फिर सुनो विकाश इन चोरों का 

हजारों योजनाएं तुम्हे गिनाय विकाश देश में जीरो का

सूट बूट और गाड़ी बंगला रोल रखेंगे हीरो का 

मीठी बोली बात खोखली, है हुनर जो इनको जुमलो का

कला धन लायेंगे कहकर भारत का कॉस उजाड़ दिया लाखों बेब्स मजबूरों को मौत के घाट उतार दिया

यारे प्यारे मित्रो का करोड़ो कर्जा माफ किया बेब्स और लाचारो से रोटी पानी और दवाई 

जिंदा रहने की एवज में लाखो लाख का टैक्स वसूल किया, 

सदियों तक ना भूलेंगे साहेब तुमको, तुम गुनहगार हो असंख्य नरसंघरो का

असंख्य जाने ली है तुमने तुम गुनहगार हो बेब्स और लचारो का

तुम्हे कातिल शब्द से नवाजें साहेब या फिर कहदे सरदार जुल्मी और गुनहगारों का 

याफिर तुमको कहे बादशाह मोत के सौदा गारो का

नेता अफसर और मंत्री भारत में डेरा चोरों का खुद बाड़ खेत को खाए तो क्या करे भरोसा गैरो का

खुद अपने ही रहे लूट वत्न को, फिर क्या कोसना गैरो का 

शेरों का वात्न था देश ये भारत और रहे वत्न ये शेरों का आवाज उठाओ करो खात्मा भारत भूमि से चारो का

नेता अफसर और मंत्री भारत में डेरा चोरों का खुद बाड़ खेत को खाए तो क्या करे भरोसा गैरो का

                                    


                                  लेखक:–रामरतन सुड्डा





बिकी गरिमा पत्रकारों की biki garima patrkaro ki

 बिकी हुई है मेरे देश में गरिमा पत्र करो की

झूठ दलाली से चलती रोजी टीवी और अखबारों की

कंकड़ को पहाड़ बताने में इन्हे कोई शर्म नहीं आती है

ईमान बेच लिया माइक कैमरा ये बेशर्मी बतलाती है

बेशर्मी की हद तो देखो सच पे पर्दा डाल, देश में झूठी 

न्यूज चलाते हैं शर्म लाज नहीं रही है इनको जूते चप्पल

खाने की

बिकी हुई है मेरे देश में गरिमा पत्र करो की

झूठ दलाली से चलती रोजी टीवी और अखबारों की

पत्ल चाटे करो गुलामी नेता और सरकारों की 

देश की जनता जाए भाड़ में रिश्वत खाए देश के गद्दारों की

बिकी हुई है मेरे देश में गरिमा पत्र करो की

झूठ दलाली से चलती रोजी टीवी और अखबारों की

कमी नहीं टीवी पे देखो न्यूजएंकर और चाटूकारों की

करें बड़ाई ढोंग रचाकर फुजदिल और मकारो की

सच छिपाए झूठ दिखाए, ये झूठ मूठ के विकाश गिनाते

हर बार छिपाते देखो लोगो नाकामी सरकारों की

बिकी हुई है मेरे देश में गरिमा पत्र करो की

झूठ दलाली से चलती रोजी टीवी और अखबारों की

Youtub और फेसबुक था जरिया सच दिखलाने का आम आदमी की आवाज को जान जन तक पहुंचाने का 

इस पे भी अब कब्जा करके चली हुकूमत दलालों की

बिकी हुई है मेरे देश में गरिमा पत्र करो की

झूठ दलाली से चलती रोजी टीवी और अखबारों की








रविवार, 23 मई 2021

राजस्थान में कोरॉना की 3 लहर ने रखे अपने कदम 21 जून तक बढ़ा लॉकडॉन

 राजस्थान में कोरॉना की दूसरी लहर थमने का नाम ही नही लेरही की होगया है तीसरी लहर का आगाज 



राजस्थान में कोरॉना महामारी की तीसरी लहर कदम रख चुकी हैं कोना की तीसरी लहर ने राजस्थान में कदम रखते ही डूंगरपुर में 512 बचो को अपनी चपेट में भी लेचुकी है 

दुगरपुर में मिले है 512 बच्चे कोरॉना पॉजिटिव और इस खतरे को नज़र अंदाज़ ना करते हुए सरकार ने लिए है कुछ अहम फैसले अब 24 तारीख को नहीं खुलेगा लॉकडॉन

कोरॉना महामारी के बढ़ते खतरे को देखते हुए राजस्थान सरकार ने लिया है लॉकडॉन बढ़ाने का फैसला 21 जून तक लॉकडॉन बड़ा दिया गया है

कोरॉना महामारी की तीसरी लहर बड़े बूढ़े जवानों के साथ ही बच्चो में भी बढ़ रहा संक्रमण 

सरकार की गाइड लाइन्स का पालन करे अपने घरों में रहे और सुरक्षित रहे ये पोस्ट आपको जरूरी लगे तो अपने परिचित लोगो में भी सहयेर करें

अपने और अपने परिवार का ध्यान रखें लॉकडॉन का पालन करे 

और कामना करे हम सब मिलकर कोरॉना महामारी को जल्द से जल्द से जल्द हरा सके 

                                      धन्यवाद

कोरॉना देवी की देश भर में होरही पूजा

भारत से जल्द होगा कोरॉना जड़ से खत्म देश भर में होरही कोरॉना देवी की पूजा



पाखंड और अंध विश्वास ने भारत में की हद पार कुछ दिनों पहले एक वीडियो वायरल होरहा था जिसमे कुछ साधु संत कोरॉना को खीर पूड़ी चढ़ा कर उसे सांत रहने की गुहार लगा रहे थे और अब अंध भगति का एक और वीडियो वायरल होरहा है जिसने तो अंध विश्वास की हद ही पार करदी अभी कॉरोना को देवीय रूप दे दिया गया है और मंदिर भी बनवाया गया है मंदिर बनवाने पूजा करने तक ही सीमित नहीं रही बात कोरॉना महामारी को ही दे दिया देवीय रूप कई महिलाओं ने वर्त भी रखे और कोरॉना की पूजा भी कीगई 

पूजा और वर्त इस लिए रखे गए की कोरॉना लोगो की जान ना ले बल्कि डॉक्टरों और सेंटिस्ट तो पहले ही कह चुके है कोरॉना से बचाव के लिए नियमित पोस्टिक आहार ले खुद को खाली पेट बिलकुल ना रखें


Corona देवी की पूजा की दूसरी फाइल फोटो

बल्कि यहां तो सबकुछ उल्टा होरहा है लोग कोरॉना महामारी को अपने देश से भगाने के लिए वर्त(उपवास) रख रहे है

जिसपर सरकार और प्रशासन की कोई ध्यान नहीं उल्टा मीडिया भी इसे सराहनीय काम बताकर बढ़ चढ़ कर अपने न्यूज चैनलों पर दिखा रहा है 

और मानो ऐसे चर्चा कर रहा है जसे देश में कोई बहुत ही बहादुरी का काम हिरहा हो

खुद मीडिया ही अपने और अपने देश के नागरिकों के मूर्खता के परमाण देरहे है

अभी भारत वासी कोरॉना को खत्म करने के लिए कोरॉना देवी की पूजा कर रहे है 

बिहार से आए है ज्यादा संख्या में वीडियो और फोटो क्लिप कोरॉना देवी की पूजा के कुछ कुछ वीडियो और फोटोज भारत के सभी हिस्सों से आने सुरु होगय है

Modi ji fir roye krona se hui moto par



 मोदी जी ने फिर की रोने की एक्टिंग

साहेब जी मत ढोंग रचाओ ना करो एक्टिंग रोने की

तुम्हे नहीं है परवाह कोई बेबसों के मरने की

तुम्हे सताए चिंता साहेब बस घोटाले करने की

अगर जरा भी तुम्हे परवाह होती गरीब मजदूर परिवारों की

ऑक्सीजन ना बिक रही होती दो दो लाख हजारों की

यो लासो के ढेर ना लगते ना सांसे थमती बेबस और लचारों की

मंदिर मूर्त से ध्यान हटाकर अगर जरासा ध्यान किया होता 

अस्पताल और चिकित्सा सेवा सुधारों पे, 

यों ना लासे बहती दिखती नदी और गंदे नालों में कभी ना बुझते च्राग घरोके जो आज पड़े अंध्यारो में ,

तुम जो परवाह करते होते बेबस और लाचरो की सासन प्रशासन था हाथ तुम्हारे ना सुनती गूंज किलकारों की

साहेब जी मत ढोंग रचाओ ना करो एक्टिंग रोने की

तुम्हे नहीं है परवाह कोई बेबसों के मरने की

सब भारत वासी जान चुके है आदत तुम्हारी जुमलों की

छोड़ो गद्दी चुनलो फिल्मे है तलब लगी हैं साहेब तुमकोओवर एक्टिंग करने की

जारा भी अकल नहीं साहेब तुमको भारत में शासन करने की

देश को डाल कर गहरी खाई में तुम करगये चालाकी यारे प्यारे मित्रों के संग खुद तो बाहर निकलने की 

साहेब जी मत ढोंग रचाओ ना करो एक्टिंग रोने की

तुम्हे नहीं है परवाह कोई बेबसों के मरने की

दाना पानी और दवा पे तुमने टैक्स वसूल है फिर क्या ढोंग रचना साहेब क्यों कर रहे एक्टिंग अस्क बहाने की

साहेब जी मत ढोंग रचाओ ना करो एक्टिंग रोने की

तुम्हे नहीं है परवाह कोई बेबसों के मरने की



शनिवार, 22 मई 2021

बोद्धधम boddh dhham



 बौद्ध धम्म अपनाना है

गया दौर तलवारों का अब पाखंडी दौर मिटाना है

जाति धर्म के नारों से भारत को मुक्त कराना है

तिलक और चोटी का ना ढोंग चले ऐसा दौर अब लाना है 

मिल जुलकर सब रहे देश में आपस में प्यार बढ़ना है

पढ़ो लिखो सब भारत वासी अंधविश्वास मिटाना है 

तर्कशीलहो बुद्धि बलशाली आगे बढ़ते जाना है

गया दौर तलवारों का अब पाखंडी दौर मिटाना

गोबर मूत्र खाने वालों को गोबर भगत बतलाना है

झाड़ फूंक टोना टोटका,ना पिंड दान करवाना है

विक्षित दौर विज्ञान का है विज्ञान हमे अपनाना है

ओझा बोझा ढोंगी बाबा सबको दूर भगाना है

बनवाए अस्पताल देश में ना मंदिर मूरत बनवाना है

गया दौर तलवारों का अब पाखंडी दौर मिटाना

जाति धर्म के नारों से भारत को मुक्त कराना है

बौद्ध धम्म है बुद्धि का इसमें ना पूजा पाठ रचाना है

करुणा मैत्री भाई चारा बस यही सिद्धांत अपना है

करो तयारी बंधु नारी बुद्ध की ओर हमे जाना है

दया करुणा के मार्ग पर चलकर बोद्धधम अपनाना है

गया दौर तलवारों का अब पाखंडी दौर मिटाना

जाति धर्म के नारों से भारत को मुक्त कराना है


                         लेखक:–रामरतन सुड्डा






Dalali patrkaro ki

 

भारत में खूब सौर मचाए, दलाली पत्रकारों की

भारत में खूब सौर मचाए, दलाली पत्रकारों की

पतल चाटे करे गुलामी, नेता और सरकारों की

पत्थर को हीरा ये बतलाते, देखो बेसर्मी गद्दारों की

झूट मुठ का विकाश दिखलाए, करें मजाक लाचारो की

सरकार नहीं कोई सवाल जवाब ये,विपक्ष से सब गुनगुनाते हैं

अंध भगति का चश्मा पहने,नेताओ के पीछे पीछे कुते सी दुम हिलाते है, 

गोबर मूत्र खाने पीने को ये विकाश बतलाते हैं

हिमत और कलाकारी देखो गधे को शेर बतलाते की

भारत में खूब सौर मचाए, दलाली पत्रकारों की

पतल चटे करे गुलामी, नेता और सरकारों की

प्यार बंटता दिखे ना कोई, झगड़े खूब दिखाते है

मजबूरी में रहे भूख के मारेको,ये उपवास बताते है

इन लोगो ने रिश्वत खाई धर्म की आग लगाने की

मंदिर मस्जिद के नारों से आपस में लड़वाने की

भारत में खूब सौर मचाए, दलाली पत्रकारों की

पतल चाटे करे गुलामी, नेता और सरकारों की

टूटी सड़के नहीं दिखे ये ,सड़के नई दिखलाते है

झोपड़ पाटियो को भी ये डिजिटल इंडिया बतलाते है

खुद की मेहनत से बनाए घर को भी  ये पीएम 

आवास बतलाते है 

इनकी नियत बची हुई बस घोर दलाली खाने की

भारत में खूब सौर मचाए, दलाली पत्रकारों की

पतल चाटे करे गुलामी, नेता और सरकारों की


                          लेखक:– रामरतन

शुक्रवार, 21 मई 2021

Modi lapta

 शाह मोदी लापता है

मोदी शाह के अब तो दर्शन के भी टोटे है

देश में हां हां कार मचा है कहा छुपके दोनो बठे है

बाहर निकल कर देखो साहेब आपके न्यूइंडिया में

तो गरबों के सांसों का भी टोटा है

लाश जालाना भी महंगा साहेब गरीब घरों के बेबसो ने

तो अपने अपनो को नदियों नलों में फेका है

आप के न्यूइंडिया में साहेब मर्त पड़ी कई लासो को कूते

बिलयो ने नोचा है

तुम तो दुबक कर बैठे महलों में यहां झोपड़ियों में आकर देखो

पेट भरने को दाने का भी टोटा है

ग्रह मंत्री और पीएम के अब तो दर्शन के भी टोटे है

देश में हां हां कार मचा है कहा छुपके दोनो बठे है

हॉस्पिटल में मिले बेड नहीं बाहर झांक कर देखो साहेब आपका न्यूइंडीया तो बिन दावा बिन सुविधा के सड़को ऊपर लेटा है

अंग तस्करी के चलते साहेब अपने अपनो के आखिर दर्शन को भी टोटा है 

गरीब घरों के मुर्दों को तो कफन का भी टोटा है लास जलाए भी तो कैसे रिश्वत का खर्चा मोटा है

बाहर निकल कर देखो साहेब आपके न्यूइंडिया में

तो गरबों के सांसों के भी टोटा है

मोदी शाह तेरे राज में जिंदा रहने से भी ज्यादा मुर्दे जलाना महंगा है नहीं डॉक्टर नहीं दवाएं हॉस्पिटलों का टोटा है

ग्रह मंत्री और पीएम के अब तो दर्शन के भी टोटे है

देश में हां हां कार मचा है कहा छुपके दोनो बठे है



Congerah ,bjp

 कांग्रेस बीजेपी चोर है

एक कांग्रेस एक बिजेप दोनो ही सताधरी है

दोनो ने गठ जोड़ किया कभी तुम्हारी कभी हमारी बारी है

अब तक जो ना समझी जनता,जनता ना समझ हमारी है

एक ने लुटा धीरे धीरे दूजे ने झट से लूट मचाई है

अच्छे दिनों के सपने में ओ सुन बीजेपी सता जो तुम्हे थमाई है, 

आम आवाम ने देखा अब जो असली रूप तुम्हारा है 

कहना कुछ और करना कुछ झूठा राज तुम्हारा है

हमने तुमपे किया भरोसा बस यही पछताव हमारा है

चोरों के हाथ में थी जो सता अभी झूठे मकारो और बेबस के हत्यारों को सता हमने थमाई है अब तो भूल पे जनता देश की भूत घनी पछताई है

सेर की खाल पहनकर देश में गधों ने लूट मचाई है 

कांग्रेस हो या हो बीजेपी दोनों भाई भाई है

छोड़ो दामन अब इनका अब करो तयारी बीएसपी को सता की डोर थमानी है

बहिन कुमारी माया को भारत की पीएम बनानि है

एक मुहिम सब मिलकर चलाओ चोरों से देश छुड़वाना है

गरीब मजलूम और बेबस लोगो के घरों में खुशियां लाने की

छोड़ के झगड़े धर्म जाति के मिलके हाथ बटाना है 

हिंदू मुस्लिम और सिख ईसाई आपस में प्यार बढ़ाना है

जो जाति धर्म की बात करे उस पाखंडी को ओधे मू धूल चटाना है

मिलकर अब मुहिम चलाओ

एक थाली ये चटे बटे इनकी साकार गिराने की आपस के मत भेद मिटा कर नई सरकार बनाने की 

बहुत खालिया धोखा हमने अब और ना धोखा खायेंगे हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई मिलकर कसम उठाएंगे कांग्रेस और बीजेपी को अबके धूल चटाना है

नई पार्टी नई दिशा नया ही भारत बनाएंगे भारत का है हक बने विश्वगुरु अबकी बार हमे बनाना है

कांग्रेस बीजेपी छोड़ देश में सता तीसरी लायेंगे अबकी बार तो बहिन मया को पीएम देश का बनाना है




बुधवार, 19 मई 2021

मुर्ख और विद्वान में अंतर

 मुर्ख इंसान पत्थर पूजे, पूजे पेड़ विद्वान

मुर्ख इंसान पत्थर पूजे, पूजे पेड़ विद्वान

ना खीर चढ़ाए पूड़ी चढ़ाए,चढ़ाए जल और खाद

धरती को सुंदर बनाए ,बचाए हर जीव के प्राण

ज्ञानी लोग विज्ञान पढ़े,और पढ़े अपना संविधान

मुर्ख लोग समय गवाएं,पड़ने में वेद पुराण


ढोंगी लोग पाखंड फैलाए,शिक्षित फैलाए ज्ञान

पाखंडी मंदिर बनवाए,ज्ञानी बनवाए अस्पताल

दु:खी बीमारी कास्ट निवारे,लाखो बचाए ज्यान

मुर्ख इंसान पत्थर पूजे, पूजे पेड़ विद्वान

ना खीर चढ़ाए पूड़ी चढ़ाए,चढ़ाए जल और खाद


संघर्ष शील संघर्ष करे,आलसी सहे पीड़ा अपमान

निर्बल लोग गुलाम बने,बने बल शाली हुक्मरान

सच्चे इन्सान ना पीठ तके, तके पीठ बेईमान

थाली में अपनी छेद करे,रखे बेचे अपना ईमान

मुर्ख इंसान पत्थर पूजे, पूजे पेड़ विद्वान

ना खीर चढ़ाए पूड़ी चढ़ाए,चढ़ाए जल और खाद



Hindi bewafa shayeri

अगर हूं में गुनहगार तेरा तो सजा का फरमान कर

अगर हूं में गुनहगार तेरा तो सजा का फरमान कर गालिबअगर मेरी मोत से तेरा हिसाब होता है चुकता तो में मरने को त्यार हूं एक रस्सी से फांसी के फंदे का इंतजाम कर गालिब


हजारों नदियां मिलती है समंदर में फिरभि समंदर की कड़वाहट काम कहा होती है

हजारों नदियां मिलती है समंदर में फिरभि समंदर की कड़वाहट कहा कम होती है हमें तो आदत है बेवजह ही मुस्कुराने की मुझे मुस्कुराता देख जमाना कहता है तुम कितने सुखी हो जमाना क्या जाने इस दिल में कितनी चोटे दफ्न रहती है


लहरों की ताकत का अंदाजा तालाबों को कहा होता है

लहरों की ताकत का अंदाजा तालाबों को कहा होता है एक दिन जिस्म तेरा भी स्वाह होगा और जिस्म मेरा भी स्वाह होना हैफालतू में परवाह मत रख दोस्त किसी को खोने और पाने की जो तेरा है वो तेरा ही रहेगा जो तेरा था ही नहीं उसे पाकर भी क्या करना है

जिंदा इन्सानों ने ना संवर्ग देखा ना नर्क, ना मुर्दों ने लोट कर व्याख्यान किया

जिंदा इन्सानों ने ना संवर्ग देखा ना नर्क, ना मुर्दों ने लोट कर व्याख्यान किया 

में समझ ना सका ओ जमाने फिर ये संवर्ग नर्क का दौरा किया किसने और किसने इसका निर्माण किया

अगर है ही नहीं कोई ठोस प्रमाण संवर्ग नर्क का तो फिर इन्सानों में ये भ्रम पैदा किसने किया 

किसका हुआ होगा फायदा इस अफवाह से और नुकसान किस किसका हुआ किसको मिली रोजी इस से और अपमान किसका हुआ 


रविवार, 16 मई 2021

5G से होरही मोते

 Corona मामले में बड़ा अपडेट Corona की आड़ में 5G टेस्टिंग corona से नही बल्कि 5G रेडियेशन से होरही मोते

सोशल मीडिया पर  एक मेसेज पिछले कुछ दिनों से बड़ी तेजी से वायरल होरहा है जिसमे भारत में होरही मोतों का जिमेवर कोरॉना महामारी नही बल्कि 5G टेस्टिंग को बताया जा रहा ह 
ऑडियो में दावा किया जा रहा है की कोरॉना की आड़ में भारत सरकार 5G टेस्टिंग करवा रही है
भारत सरकार जनता से कुछ छिपा रही है ऐसे भी कई आरोप लगाए जारहे है
लेकिन ऐसा कुछ नहीं है भारत में हो रही मोतों का जिमेवर 5G टेस्टिंग नहीं बल्कि कोरॉना महामारी ही है 
5G से किसी भी इंसान को कोई विपरीत परभाव नही पड़ता 2G,3G,4G की तरह ही 5G रेडियो विकिरणों पर काम करता है यह मानव शरीर पर कोई घातक नहीं ह अफवाहों से बचे अपना ध्यान रखे मास्क पहने बार बार अपने हाथों को साबुन सर्फ या सनेटाइजर से साफ करते रहे 
अपने आपको किसी अफवाहों के चलते जोखिम में ना डालें अपना और अपने परिवार का कोरॉना महामारी से बचाव रखें
1G,2G,3G,4G,5G का मतलब जनरेशन से है यानी 1t जानरेसन 1G सकिंड जनरेशन 2G  3d जनरेशन 3G इसी परकार 4G और 5G 

गंगा नदी में तेर रही असंख्य लासे

 


इंसानियत ना रही इंसानों में बस भयावह मंजर सा छाया है लोगो की नजरो में 

दफ्न भी ना हुई उनकी लासे जिनकी जाने लेली कोरॉना की किलकारो ने 

कफन में लिपटी असंख्य लासे बेतहासा नोची कुते बिल्ली और कौओं ने

कुछ लासे बहती दिखी नदियों में कुछ तो बहा दीगई गंदे नालों में

इंसानियत ना रही इंसानों में बस भयावह मंजर सा छाया है लोगो की नजरो में 

बेसर्मी की हदे तोड़ दी अंधी बहरी सरकारों ने तड़फ तड़फ कर सांसे छोड़ी लाखों गरीब मजलूम परिवारों ने

फिरभी चुपी क्यों ना तोड़ी जालिम इन सरकारों ने

इंसानियत ना रही इंसानों में बस भयावह मंजर सा छाया है लोगो की नजरो में 

रोटी पानी की तलब लगी अब तो दाना भी ना रहा गरीबों घर के आश्यानो में दूरी का आलम बढ़ता गया फर्क ना रहा इंसान और हेवानो में

इंसानियत ना रही इंसानों में बस भयावह मंजर सा छाया है लोगो की नजरो में 

सब इंसान अछूत हुए मौत का मंजर मिलने लगा छुने और बतलाने से डर सा लगने लगा है अब तो प्यासे को पानी तक पिलाने से

इंसानियत ना रही इंसानों में बस भयावह मंजर सा छाया है लोगो की नजरो में 

शुक्रवार, 14 मई 2021

Corona mahamari or bachav ke upaye

2020 की तुलना में 2021में corona महामारी में मृतुदर में वृद्धि की मुख्य वजह

पिछलीबर 2020 में corona महामारी में इस बार की अपेक्षा बहुत कम लोग संक्रमित हुए इसका मुख्य कारण था समय रहते लगाया गया लॉकडाउन
Corona के दूसरे फेज यानी 2021 में corona महामारी से होने वाली मौत 2020 से इतनी ज्यादा क्यों क्योंकि पिछलीबार लोगो में corona का भ्य ना के बराबर था लोग अपने घरों में खुदको सुरक्षित महसूस कर रहे थे वो खुश थे चिंतित नहीं थे अबकीबार देरी से लॉकडॉन लगने की वजह से और महाराष्ट्र में  चुनाव होने की वजह से रेलिया की गई और उन्ही रैलियों की corona संक्रमण तेजी से फलने की वजह से चिकित्सा संसाधनों में भारी कमी होगई इस वजह से पिछली बार की अपेक्षा इस बार corona महामारी से होने वाली मोतों में वृद्धि हुई है और ज्यादा कुछ नहीं अपने घरों में आप पिछलीबर की तरह सुरक्षित है घबराए नहीं कुछ समय बाद फिर से इस्थित सामान्य होजाएगी

Corona से होने वाली मोतो की मुख्य वजह

आज पूरे देश और विश्व में करना ने आहाकार मचाया हुआ है और लोग काफी भ्येवित भी है और भ्येवीत होना जायज भी है क्योंकि टीवी अखबार सोशल मीडिया फेसबुक वॉट्सएप youtub पर जब देखो corona से होने वाली मोते हॉस्पिटल में तड़फ तड़फ कर दम तोड़ती असंख्य जिंदगियों का कोहराम दिखाई देता है 

और भए भी कुछ हद तक असंख्य मोतो का कारण बनता है क्योंकि डर(भए) की वजह से बल्ड सर्कुलेशन परभावित होता है जिसकी वजह से बीपी की सिकाएत होती है बीपी का अचानक सब बढ़ना गिरना हार्ट अटैक जैसी घटनाएं डर की वजह से होना आम बात है 

डर की वजह से भूख कम लगती है पाचन तंत्र काफी प्रभावित होता है टाइम पे ना खाने पीने की वजह से शरीर में एनर्जी लेवल दिन प्रदीन गिरने लगता है और थकान होने लगती है और कई लोगो को बुखार भी होजाता है थकान और बुखार के चलते लोग और चिंतित होजते है और खुद को corona से संक्रमित समझने लगते है जिससे लोगों में डर और बढ़ जाता है और इसी डर की वजह से वे अपना मेडिकल टैस्ट भी नहीं करवाते की कहीं कोरॉना पॉजिटिव आया तो उसे कहीं बंद करके ना रख दिया जाए और वो अंदर ही अंदर मानसिक तनाव को पालते रहते है मानसिक तनाव की वजह से इंसान के अंदर इम्यूनिटी घट जाती है और वह रोगी होजाता है और अंत में मानसिक तनाव मौत का कारण बन जाता है

Corona से बचाव के लिए इन बातो का रखे ध्यान

Corona से बचाव के लिए मनमे कोई चिंता ना रखे corona जैसे लक्षण आपको नज़र आए तो corona टैस्ट करवाए और बिना डर, तनाव के दवाई ले खुद को घर परिवार या कोई अन्य व्यक्ति के संपर्क में आने से बचाए 

बिना वजह घर से बाहर निकलने से बचे corona संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए अपने घरों में रहना मास्क पहानना भी आपका देश हित में बहुत बड़ा योगदान है आप मास्क पहनकर चलते है तो खुदको और देश के अन्य नागरिकों को बचाने का काम कर रहें हैं बेवजह  घर से बाहर न निकले तो आप देश हित में बहुत कुछ कर रहे है कहीं बाहर जाकर आए तो साबुन  सर्फ या सनेटाइजर से अपने हाथों को अच्छे से धोएं खाना खाने से पहले पानी पीने से पहले अपने हाथों को अच्छे से साफ करे

अपने आस पड़ोस गांव गुहांड में किसी को आपकी मदद की जरूरत है तो उसकी मदद करे 

बेवजह डरना चिंतित होना covid महामारी से भी ज्यादा घातक है 

प्रकृति के अपने कुछ रसूल है हमने परकृति को बहुत नुकसान पहुंचाया है जिसका खम्याजा परक्रति हमसे वसूल रही है 

जीवन मरण खुद प्रकृति निर्धारित करती है परकृति ने हमे जन्म दिया है तो वो हमे जिंदा रखने और मरने का समय भी निर्धारित रखती है

आप मरने से डरे नहीं इस लिए में आपके बीच एक  कहानी पेश कर रहा हु इस कहानी को पूरा पढ़े जो आपको होंसला बढ़ने में मदद करेगी 

किसी गांव में एक शरीफ आदमी रहता था उसके एक लड़का था और परिवार में उसका कोई सहारा नहीं अकेला बेसहारा होने की वजह से परिवार के बाकी लोग उसकी संपत्ति हड़पने के लिए उसे यातनाएं देते रहते उस आदमी को ये चिंता हमेशा सताए जाति की उसके मरने के बाद ये लोग मेरे बेटे को भी मर देंगे और उसकी सारी संपत्ति हड़प लेंगे उसके वंश को खत्म कर देंगे ये बात वो अपने बेटे को कभी नहीं बता क्योंकि वह अभी बच्चा था कुछ समय बाद वह आदमी चिंता करते करते दम तोड गया अब उसका बेटा अकेला हो चुका था परकृति हर इंसान को हालातो के हिसाब से चला अपने आप सीखा देती है 

पिता की मौत केबाद उस लड़के को उसकी मां अपने पीहर अपने साथ लेकर वही रहने लगी उसकी मां अपना अकेलापन दूर करने और अपने बेटे को सभी हालातो के लिए तयार करने के लिए उसके पिता के साथ हुई ज्यादती की सारी घटनाएं उसे बताती रहती अब वह लड़का जवान होगया था और अच्छे बुरे को समझने लगा था अब उस लड़के के दिलो दिलो दिमाग में बस एक ही बात खटक रही थी की वो अपने गांव जाकर अपनी संपत्ति की रक्षा करे और अपने पिता के साथ हुई ज्यादती का बदला ले उसकी मां बुड्ढी होचूकी थी लेकिन वो उसे उसके गांव लोटने से रोकती रहती कुछ समय बाद उसकी मां का भी देहांत होगया और वो अपने गांव लोट आया गांव आते ही उसके परिवार के लोगो ने उसे यातनाएं देना सुरु कर दिया लेकिन वह ऐसे ही सराफत से अपने पिता की तरह यातनाएं सहना स्वीकार नही करता वह इट का जवाब पत्थर से देता 

इसी बात को लेकर परिवार के लोग समझ चुके थे की वो ऐसे उनकी यातनाओं से तंग आकर कही जाने वाला नहीं है उसे हमेशा हमेशा के लिए खत्म करना होगा एक दिन वह लड़का अपने खेतमे काम कर रहा था और उस परिवार के उन जालिम लोगों ने पूरी पालानिग के साथ उस पर गोलियों की बौछार कर दी उसपर हजारों गोलियां चली लेकिन उसे कहीं खरोंच भी नहीं आई थी अब वो समझ चुका था की जिसकी मौत परक्रति ने निर्धारित नहीं की है उसे कोई नहीं मिटा सकता और उसने जालिम परिवार का डटकर मुकाबला करना सुरु कर दिया अब उसका लालची परिवार समझ चुका था जाको राखे साइयां मार सके ना कोई ये सत्य ह और उन्होंने उसे सतना बंद कर दिया 

दोस्तो अगर आपको मेरा आर्टिकल अच्छा लगा हो तो शेयर करे हंसते रहे मुस्कुराते रहे 






गुरुवार, 13 मई 2021

सत्य और असत्य

 सोचने वाली बात !


एक समय पर दो तरह के इंसान कैसे हो सकते हैं?

एक पूंछ वाला और एक बिना पूंछ वाला दोनों मनुष्य की तरह बोलते हैं दोनों के पिता राजा हैं क्या ऐसा संभव है??


मेंढक से मंदोदरी कैसे बन सकती हैं/ पैदा हो सकती है?? 

लंगोटी का दाग छुड़ाने से अंगद कैसे पैदा हो सकता है?? 

पक्षी मनुष्य की तरह कैसे काम कर सकता है जैसे  गिद्धराज?? 

किसी मनुष्य के 10 सिर हो ही नहीं सकते इतिहास या पुरातत्व द्वारा आज तक ये सिद्ध नहीं हो पाया कि किसी इंसान के  10 सिर 20 भुजाओं वाला कोई संतान नहीं है.......


जिस लंका की आप बात कर रहे हो वह लंका 1972 में की लंका नाम पड़ा इसके पहले सिलोन से पहले सिहाली इत्यादि नाम थे तो असली लंका कहा है???


घडे से लड़की कैसे पैदा हो सकती है? 

एक माह में मकरध्वज कैसे पैदा हुए? 

मछली से कोई  मनुष्य कैसे पैदा हो सकता है?? 

एक माह में मकरध्वज पातालपुरी में नौकरी करने लगे क्या ये संभव है?? अगर संभव है तो साबित करो...


5000 साल पुरानी द्रविड़ भाषा को कोई पढ़ नहीं सकता

तो 70000 साल पहले अंगद किस लैंग्वेज भाषा में लिख रहा था??


सम्राट अशोक के काल में अयोध्या का नाम साकेत था

अयोध्या के बाद साकेत और साकेत के बाद अयोध्या नाम कैसे पड़ा?? 

पुरातत्व विभाग की तरफ से एक भी प्रमाण हो तो बताओ कि राम राज्य था??


सात घोड़ों से सूर्य कैसे चल रहा आप की पुस्तकें कह रही हैं जबकि विज्ञान कह रहा है कि सूर्य चलता ही नहीं है..... 

जब राम का राज्याभिषेक हो रहा था तब  सूर्य एक महीने के लिए रुक गया था

जबकि सूर्य चलता ही नहीं है अगर सूर्य चलता है तो सिद्ध करो /साबित करो.... 


सूर्य खाने गए हनुमान की स्पीड और कद क्या था??


बालमीक रामायण कहती है चैत अमावस्या को रावण का वध होता है

तुलसीकृत रामायण कहती है कुमार दशहरा को रावण का वध होता है तो सच क्या है??


सोने की खोज हुए 4000 साल हुए हैं तो 70000 साल पहले सोने की लंका कहां से आई थी?? 

 सोने का महल था या सोने की लंका 6000 साल पूर्व सभी चमड़े का परिधान पहनते थे

 तो 70000 साल पूर्व कपड़े राम कहां से पहनते थे??


जब ब्रह्मा के मुख से ब्राह्मण पैदा हुआ तो भारत में ही क्यों पैदा हुआ जबकि ब्रह्मा ने ब्रह्मांड रचाया तो चीन अमेरिका थाईलैंड जापान दक्षिण कोरिया वगैरह वगैरह दुनिया के बाकी देशों में ब्राह्मणों कयो पैदा नहीं हुआ 

कमेंट जबाब जरूर दे साथियो 

पोस्ट को शेयर जरूर करे जय भीम


शनिवार, 1 मई 2021

देश में कोरॉना के चलते ऑक्सीजन की कमी

 जिसे परवाह थी ऑक्सीजन की कमी में जाति हजारों बेकसूर जानो की उस ट्रक ड्राइवर ने भूख प्यास को भी नजर अंदाज कर दिया

और हिम्मत ना जुटा पाया दो मिनट समय निकाल कर कुछ खाने की

जिन्हे परवाह ना थी किसी के जीने किसी के तड़फ तड़फ कर मरजाने की 

जिन्होंने तीन घंटे गवा दिए बेवजह उनको जल्दी थी सर्फ तस्वीर खिंचवाने की

रोने लगा होगा फूट फूट कर वो जांबाज ड्राइवर जो दिन रात चला जिसने परवाह भी ना की खुद के मरजने की

शर्म नहीं आई उन बेसर्मो को जिन्होंने ठानी थी बेकसूर लासो का सौदा कर फोटो खिंचवा कर फेमस होजाने की

क्या सोचा था वाह वाह करेगी ये दुनिया तुमने हिमत जो दिखाई ऑक्सीजन से भरे टैंकर को गुबारो से सजाने की

अरे बेसर्मों जरूरत तो थी तड़फ तड़फ दम तोड रहे मासुमो तक जल्द से जल्द ऑक्सीजन पहुंचाने की

पर तुम्हे क्या तुमने तो ठानी ह समसानो से जलती चिताओ से वोट जुटाने की

अरे दलालों तुम किसी का दर्द क्या समझोगै तुम्हारी तो ख्वाइस ही बस इतनी है अकबारो में फोटो और टीवी पर आने की




बुधवार, 28 अप्रैल 2021

Hamsafar हमसफर

 हम निकले थे सफर के लिए अकेले ही

कुछ कदम चले ही थे की कुछ हमसफर मिलगये

सोचा दूर होगा अकेलापन एक ही मंजिल के दोस्त और हम सफर मिलगये खुशी से झूम उठा मन ऐसा लगा मोनो भरे रेगिस्तान में भी गुल ए चमन खिल गए

अकेले से चलना था मुश्किल दो कदम भी भीड़ में पता भी ना चला और हम कोसो पैदल चल गए

हंसी ठिठोली बातो ही बातो में पता भी ना चला कब उदय हुआ सूरज और कब उगा चांद हम चांदनी रात में तय लंबा सफर कर गये

भूल से गए एक पल के लिए भूख प्यास भी और दिल से दिल मिलते रहे 

भूल से गए थे उस पल सभी दुख दर्द जमाने भर के जब गैरो में भी नजर अपने आने लगे

आई मंजिल भी एक रोज हमारी सब अपनी अपनी पसंद के आस्याने चुनने लगे 

फिर अकेले से हिगये हम, जब बिखरने लगे सब यार पुराने और चंद दौलत पाने के लिए एक एक कर हमसे दूर जाने लगे

आंसू झलक आए आंखो से जब कहकर अलविदा हमसे हम पर दोस्ताना हक जमाने लगे

यही तक थी मंजिल एक हमारी ओर वो दूरी मंजिल की तलास हमे बतलाने लगे

हम निकले थे सफर के लिए अकेले ही

कुछ कदम चले ही थे की कुछ हमसफर मिलगये

मंगलवार, 27 अप्रैल 2021

Be vajha ki tarif



 हमारी तारीफ करो बेवजह ये हमारी खवाइस ही नहीं

तुम कहते हो तुम मिटा दोगे हमें, हमें इतनी आसानी से मिटा सको ये तुम्हारी ओकात ही नहीं 

हमारा खोफ खाए कोई ये खुआईस तो हमारी कभी थी ही नहीं

कोई हमे खोफ दिखाए और हम दुबक कर बैठ जाए ये हमारे खून में ही नही 

सच कहेंगे बेसकख अकेले हो या बड़ी महफिल हो कोई 

मरने से कोन डरता है डरकर जीने वाली तो हमारी नस्ल ही नही

तुम्हारी चाहत है तुम बुरा करो और हम देखते रहे तुम जुल्म पे जुल्म करो और हम सहते रहे, जुल्मी ना कहें जुल्मी को और तुम्हारी जाय जय कर करते रहे

हम विरोध करेंगे जुल्म का डटकर और हर जुल्म का हिसाब बियाज समेत लोटाएंगे किसी का कर्ज रखे अपने सर पे ये हमारे खून मे ही नही

तुम्हे मोका हमने दिया विश्वास किया तुमपे, कहते हो खुदको सुरमे

हरबार धोखों पे धोखे किए तुमने, कहते हो सीने पे वार करते हैं हम इतिहास गवाह है हरबार पीठ पे वार पे वार किए हैं तुमने

हम करेंगे सिनेपे वार याद रखना विश्वास दिलाकर पीठ पे वार करना हमारी आदत ही नहीं

तुमने अपना ही थूका चाटा है हरबार तुम्हें बतलाएंगे जरूर एक दिन ,जो थूका चटे अपना हमारी वो नस्ल ही नही


रविवार, 25 अप्रैल 2021

में नास्तिक क्यों हु

              ,,  में नास्तिक क्यों हु ,,

में नास्तिक हु मेरे नास्तिक होने से लोग मुझसे नफरत करने लगे

कई कहते पागल मुझे कई तो मुझे देख कर भी डरने लगे

किसी ने नही पूछना चाहा मुझसे की में नास्तिक क्यों हूं

बिन हकीकत जाने ही मुझे घंडी ओर काफिर कहने लगे

में दर्द लिए फिरता रहा अपने सीने में सबकुछ जानकर भी अनजान बनकर जीता रहा 

जिस भगवान के नाम से कलंकित हुए मेरे अपने और में भी अछूत बनकर जीता रहा 

दर दर खाता रहा ठोकरें उच्च जाति की ओर अंदर ही अंदर रोता रहा नफरत सी होने लगी मुझे उस ईश्वर के नाम सेही जो सब कुछ देखर भी जालिमों को हिमत देता रहा 

सुना था जब जब जुल्म हुए इस धरती पर उस जुल्म को मिटाने खुद ईश्वर ने अवतार लिए और इस धरती से खुद ईश्वर ही जुल्मों को मिटाता रहा

फिर होते रहे जुल्म मेरे अपने पे महज जाति के नाम से तब वो ईश्वर क्यों आंखे मूंदकर सोता रहा

नहीं आया वो अवतार लेकर मेरी अपनी बहिन बेटियो का नोचा जाता रहा जिस्म सदियों सदियों तक और सती के नाम से मेरी माताएं बहनों को ये जमाना जिंदा जलाता रहा

जाने ना दिया मंदिर मेरे अपनों को अपवित्रता का ढोंग रचा ये उच्च वर्ण सदियों तक ऊपर से पानी पिलाता रहा 

बेवजह हैं गरीब मजुलुमो को धर्म की आड़ में बेवजह कोई बलशाली कमजोर को सताता रहा देखता रहा सबकुछ तुम्हारा ईश्वर और अत्याचारी का लुप्त उठाता रहा

में नास्तिक हु मेरे नास्तिक होने से लोग मुझसे नफरत करने लगे

कई कहते पागल मुझे कई तो मुझे देख कर भी डरने लगे

किसी ने नही पूछना चाहा मुझसे की में नास्तिक क्यों हूं

बिन हकीकत जाने ही मुझे घंडी ओर काफिर कहने लगे

में दर्द लिए फिरता रहा अपने सीने में सबकुछ जानकर भी अनजान बनकर जीता रहा 

सीने में हजारों जख्म लिए फिरता रहा

शुक्रवार, 23 अप्रैल 2021

मानसिक गुलाम

 मानसिक स्वतंत्रता ही सच्ची आजादी है 

जिसका मन स्वतंत्र नहीं उसकी निश्चित ही बर्बादी होती है मानसिक गुलाम लोग गुलाम नस्ल को जन्म देते है उनके अंदर तर्क करने और गलत का विरोध करने की क्षमता नष्ट होजाती है और ऐसे लोगो के लिए सही और गलत का फैसला करना पहाड़ को चीरकर रास्ता निकालने जैसा मुस्किल होता है ऐसे लोगो को लाख कोसिसो के बाद भी गुलामी से आजाद नहीं किया जासकता इनके जीवन में आंख होते हुए भी सदेव सत्य की ओर अंधेरा होता है इन्हें सत्य कभी दिखाई नही देता और ये लोग सत्य को जानना भी नही चाहते    

पत्थर को भगवान के रूप में स्वीकार कर धन और समय को बर्बाद कर सुख समृद्धि की कामना करना मानसिक गुलामी का जीता जागता उदाहरण है

मानसिक गुलाम लोग अपने जन्मे बच्चे का नाम भी सवेछा से नहीं रखपाते अपनी संतान का नाम रखने के लिए भी इन्हे दूसरे इंसान की जरूरत होती है इनकी नज़र में बड़े पेट और लंबी चोटी वाले लोगों की सरण में जाने से जीवन सफल होसकता है बुद्धिमान लोग जिन्हें पाखंडी कहते है मानसिक गुलाम उन्हें ही भगवान के अवतार के रूप में स्वीकार करते है और उन्ही की पूजा करते है यहां तक कि अपनी मेहनत के कमाए पैसौ को अपनी स्वेच्छा से खर्चने की बजाए किसी ढोंगी से लाभ हानि जानकर खर्च करते है 

मानसिक गुलाम लोगो की नजर में लंबी चोटी माथे पर तीन लकीर वाला हर आदमी संपूर्ण भ्रमांण्ड का ज्ञाता होता है और वह उसे संवर्ग नर्क में भेजने का हुनर रखता है और उसके आशीर्वाद मात्र से उसे बहुत लाभ हासिल होसक्ता है

जिसका मन गुलाम होता है उसकी देह भी गुलाम होजती है मानसिक गुलाम लोग बिन सलाखों के भी सलाखों में बंद कैदी की तरह जीवन जीते है 

उनकी नज़र में देह को कास्ट देने से ईश्वर खुस होते है और ये लोग महज पत्थर की बनी मूर्त का दर्शन करने के लिए कोसो पैदल चलकर जाते है

जबकि ऐसी असंख्य मूर्तियों के दर्शन अपने आसपास ही किसी शिल्पकार की दुकान पर आसानी से कर सकते है

ये लोग अपने को मानसिक गुलाम कभी स्वीकार नही करते बल्कि खुद को अपने धर्म के प्रति सजग और अपने ईश्वर के सच्चे भगत बताते है 

वोभी ऐसे भगत जो खुद के रहने के लिए भवन निर्माण में भी साथन का चयन खुद नहीं करपाते इन्हे अपने रहने को साथान चुनने के लिए भी किसी ज्योतिषी की जरूरत होती है 

ऐसे लोग मानसिक गुलाम होते है खुदको तर्क सिल बनाओ मानसिक गुलाम नहीं




शनिवार, 17 अप्रैल 2021

देश की जनता मुर्ख है

 देश की जनता मुर्ख है ये कहना गलत नहीं होगा क्योंकि देश में हालत दिन प्रतिदिन बद से बतर होते जारहे है चाहे वो मामला देश की अर्थव्यवस्था का हो या जनमानस में आपसी भाईचारे का या फिर देश में फले शोषण अत्याचार बलात्कार रिश्वतखोरी या देश विदेश में फैली महामारी का किसी भी मामलों में कोई गिरावट नहीं आरही

और देश की सरकार बार बार जनता पे एक्सप्रिमेट करने में जुटी है की देश की जनता और कितनी मुर्ख रहगई है, देश की जनता जितनी मुर्ख होगी देश को लुटा जाना उतना ही संभव होगा

पिछले साल 2020 में कोरॉना महामारी ने देश में अपनी जड़े जमाना शुरू किया तब भी देश के हालातों को ने देखते हुए सरकार ने जनता पे अपना एक्सप्रिमेट जारी रखा और सरकार के प्रति वफादार जनता ने कोरॉना को भगाने के लिए ताली थाली बजाकर बखूबी अपने मुर्ख होने का प्रमाण देश की bjp सरकार को देदिया सरकार ने देश व्यापी लॉकडाउन लगाया देश के परवासी मजदूरों को बिना अवगत कराए बिना उन्हें अपने घर तक पहुंचने के इंतजाम के लॉकडाऊन लगाने की वजह से भूख प्यास से और कोसो पैदल चलने की वजह से लाखो लोगों की जाने गई जिनमे बच्चे बूढ़े जवान और पैरेग्नेट महिलाए भी सामिल थी सरकार ने एकबार फिर एक एक्सपेरिमेंट किया और जानना चाहा देश की डूबती अर्थवेवस्था लाखो प्रवासी मजदूरों की जान जाने का देश की जनता को कितना दुख है ये जानने के लिए मोदीजी ने एक और एक्सप्रिमेट के रूप में घोषणा की की आज रात 12 बजे से घरों की सभी लाइटें बंद कर 5 मिनट के लिए मोबाइल फोन की फलेश लाइटें अपनी घरों की छतों पर चढ़कर जगाएं जिससे कोरॉना खत्म होजाएगा देश की जनता ने इस बार भी अपने मुर्ख होने का प्रमाण बखूबी दिया और भारतीय जनता पार्टी में खुशी की एक और लहर सी दौड़ आई भारतीय जनता पार्टी ने अपना लूट केसोट का धंधा बिना किसी भाए के सुरु किया और अपने कार्यकर्ताओ को राम मंदिर का चंदा वसूलने के लिए गांव गांव भेज दिया ये भी कोई राममंदिर का कार्य करवाने के लिए धन जमा करवाने के उदश्य से नहीं करवाया गया बल्कि ये भी एक एक्सपेरिमेंट था सरकार जानना चाहती थी की देश की जनता इतनी भयावह स्थिति से गुजरने के बाद हिस्पिटलो की मांग करती है या मंदिरों से ही खुश हैं इस बार भी देश की जनता ने वाह मोदीजी वाह कहते हुए राम मंदिर के निर्माण के लिए चंदा देने में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और अपने मुर्ख होने का प्रमाण भारतीय जनता पार्टी को बखूबी दिया आज फिर कोरॉना महामारी का दूसरे फेज ने देश में अपनी जड़े जमाना सुरु करदिया देश में हाहाकार मचा है कई स्टेटो में हिस्पिटलों में मरीजों के लिए बेड मिला मुश्किल होगया है और लासे जलाने और रखने के लिए जगह नहीं मिलरही देश का मीडिया दिलों जान लगाकर कवरेज कर रहा है कोरॉना से पीड़ित मरीजों को और असंख्य बिखरी पड़ी लासे देश की बीजेपी सरकार से सवाल करने की किसी के पास भी हिमत नहीं है कोई सरकार से पूछने को त्यार नहीं की आपने कोरॉना से निपटने के लिए आपने पिछले बारह महीने में क्या क्या इंतजाम किए कुछ इंतजाम किए भी या यों ही देश की जनता को मौत के मुंह में धकेल कर छोड़ दिया मरने के लिए

अभी भी साहेब चुनावी रैलियों में वेश्त है बिना मास्क के जुर्माना बढ़ा दिया गया है चुनाव आयोग को देश के हालात दिखाई नहीं देरहा स्कूल कॉलेजों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और साहेब रैलियों में भीड़ इकट्ठी केरवा केरवा कर अपना बहुमत दिखाने की कोशिश कररहे है उसपर कोई रोक टोक नहीं 

इसबार फिर साहिब देश की जनता की जान की परवाह ना करते हुए अपना एक्सप्रिमेट करने में जुटे है साहेब रैलियां करवाकर जानना चाहते है देश की जनता अपने स्वास्थ्य और देश पावर को लेकर कितनी जागरूक हैं इस बार भी रैलियों में भीड़ को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है देश की जनता अपने मुर्ख होने का प्रमाण देने केलिए अपनी जान की भी परवाह नहीं करती 

अभी भी समय है अपनी रक्षा खुद कर लो सता में बैठे भेड़ियों के ना ओलाद है ना परिवार और ना ही जमीर है जिससे इन्हे किसी की मौत से कोई फर्क पड़े 

शुक्रवार, 16 अप्रैल 2021

Corona sankat


 देश में कोरॉना वायरस के मामलों में दिनपर्ती दिन भारी उछाल आने वाले दिनों में देश पर भारी संकट आने के आसार

देश के कई हिस्सों में संपूर्ण लॉकडॉन लगाने की सरकार कर चुकी है पूरी तयारी आने वाले दिनों में लागसक्ता है देश व्यापी लॉकडाउन सरकार द्वारा नई सुरक्षा नीति लागू भीड़ भाड़ वाली जगहों पर मास्क और शोसल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखने के आदेश अगर कोरॉना के बढ़ते मामलों में कमी नहीं आई तो जल्द लागसकता है देश व्यापी लॉकडाउन महामारी के बढ़ते खतरे को देखते हुए परवासी मजदूरों का पालायेन होना शुरू परवसी मजदूरों की घर वापसी होना शुरू होचुकी है एक्सपर्ट की माने तो देश के हो सकते है पहले से बुरे हालात इस बार कोरॉना से संक्रमित लोगो में मरने वाले मरीजों की संख्या पहले की अपेक्षा ज्यादा बताई जारही है महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा कोरॉना पॉजिटिव मामले और कोरॉना से मरने वाले लोगो में भी देश के बाकी हिस्सों से महाराष्ट्र में ज्यादा संख्या होने के आंकड़े 

14 अप्रैल का मंजर


 जब देखा 14 अप्रैल का मंजर तो ऐसा लगा मानो बाबा साहेब की विचारधारा हर गांव शहर घर घर में पहुंच गई 

आज तो लगता है वो एक दिन की थी क्रांति और उसी साम पटाखे फुलझड़ीयो और केक के संग लि उस सेल्फी में सिमट गई

वो नारे वो जोश लगता है अब तो वो उमंग भी कहीं भटक गई

आज फिर डरा सहमा सा लगने लगा बहुजन मानो इसकी जान पौराणिक कथाओं में वर्णित पिंजरे में बंद किसी तोते में थी एक दिन पिजरे से आजाद हुआ तोता और फिर से उसकी डोर मनुवाद के हाथों में अटक गई

जब देखा 14 अप्रैल का मंजर तो ऐसा लगा मानो बाबा साहेब की विचारधारा हर गांव शहर घर घर में पहुंच गई 

दहल सा गया था मनु का वंश ऐसा लगा मानो बहुजन कॉम में तो अब शासक बनने की थी जो चिंगारी वो जंगल में लगी आग की तरह दहक गई 

आज फिर ऐसा लगा मानो एक दिन की थी वो गर्मी वो आग आज फिर वो चिंगारी में सिमट गई

कितनी पियारी थी वो एकता की तस्वीर लगता है आज फिर वो एकता की तस्वीर टुकड़े टुकड़ों में बदल गई

जब देखा 14 अप्रैल का मंजर तो ऐसा लगा मानो बाबा साहेब की विचारधारा हर गांव शहर घर घर में पहुंच गई 

एक है हम एक है लगे थे खूब नारे उस्दीन अब तो ऐसा लगता है वो एकता वाली विचार धारा भी कहीं भटक गई

फिर से खींच ने लगे टांगे एक दूजे की फिर वहीं जलन और नफरत सी पनप गई

आज तो लगता है वो एक दिन की थी क्रांति और उसी साम पटाखे फुलझड़ीयो और केक के संग लि उस सेल्फी में सिमट गई

जब देखा 14 अप्रैल का मंजर तो ऐसा लगा मानो बाबा साहेब की विचारधारा हर गांव शहर घर घर में पहुंच गई 





मंगलवार, 13 अप्रैल 2021

अजीब रस्मों रिवाज जमाने का

 क्या अजीब रस्मों रिवाज है इस जमाने का 

एक जिस्म एक लहू फिर भी हिंदू के जलाने और मुस्लिम के दफनाने का

क्या अजीब रस्मों रिवाज है इस जमाने का 

जीते जी पीला ना सके एक लोटा पानी जिसे, उसके मरने के बाद बाल्टी भर भर नहलाने का

जवान मरे तो मातम वृद्ध मरे तो खर्च के नाम ने मेवे मिठाई खाने का पहले मातम फिर खुसिया मानने का

क्या अजीब रस्मों रिवाज है इस जमाने का 

फिर ते फिरे जहारो बेब्स नंगे बदन जिन्हे मिला ना कपड़ा तन ढकने का

अनजान भी चादर सूट उढ़ाने लगे जब समय आया उसे दफनाने का

क्या अजीब रस्मों रिवाज है इस जमाने का 

जब जिंदा था वो तब था दुनिया की नजर में सबसे बुरा इंसान वो 

जब जान नारही जिस्म में तो बताने लगे अब तो चल बसा कितना भला इंसान था वो 

क्या अजीब रस्मों रिवाज है इस जमाने का 

कुछ करना चाहा उसने भी पर जमाना बाज नहीं आया जलन में उसकी टांग खींचने और सही को गलत ठहराने में

मरते ही उसके कहने लगे कितना ज्ञानी आदमी था कुछ दिन और जिंदा रहता तो बहुत कुछ कर जाता इस जमाने में

अरे आदमी नही वो तो कोहिनूर था इस जमाने का

क्या अजीब रस्मों रिवाज है इस जमाने का 

एक जिस्म एक लहू फिर भी हिंदू के जलाने और मुस्लिम के दफनाने का


शुक्रवार, 9 अप्रैल 2021

अंध भगत

 बूढ़े मां बाप लगते है बोझ जिन्हे जिनकी नजरो में तो पत्थरों में जान होती है

जीते जी भी मृत से होजाते है वो मात पिता जिनकी अंध भगत संतान होती है

बाहर बिठा दिए जाते है मात पिता घर में बड़े बड़े पत्थर संजोए जाते है 

मां बाप भूखे प्यासे हो चाहे उनसे क्या अंध भगति में तो पथरों को पकवान खिलाए जाते है

जीते जी भी मृत से होजाते है वो मात पिता जिनकी अंध भगत संतान होती है

जिंदगी भर न दिया सुख से एक निवाला जिन्हे मरने के बाद ढेरो पकवान होते है

जीते जी नहला ना सके एक दिन भी बूढ़े मां बाप को मरने के बाद उन्ही के गंगा स्नान होते है 

बूढ़े मां बाप लगते है बोझ जिन्हे जिनकी नजरो में तो पथरो में जान होती है

जीते जी भी मृत से होजाते है वो मात पिता जिनकी अंध भगत संतान होती है

तरस जाते है बुढ़ापे में मां बाप एक लोटा पानी के लिए 

उनके मरते ही पैदल यात्रा पांचों धाम होती है

अब तो भेजना है उन्हे संवर्ग कभी पिंड दान तो कभी हवन यज्ञ करवाने में बिजी उनकी संतान होती है

जीते जी भी मृत से होजाते है वो मात पिता जिनकी अंध भगत संतान होती है

गुरुवार, 8 अप्रैल 2021

Fir lota corona

 देश विदेश में कोरोना का हा हा कार होगया 

लोट कर नहीं आया अपने घर हर वो गरीब जो कोरॉना का सिकार होगया

मुस्किल होगया जीना गरीबों का देश के नेताओं और सरकार के संग कोरॉना का दोस्ताना व्यवहार होगया

आज फिर से लॉकडाउन  जैसा आसार होगया जहा भी होने है चुनाव अभी वहा से सरकार से डरा सहमा कोरॉना फरार बाकी स्टेटो में कोरॉना बेशुमार होगया

देश विदेश में कोरोना का हा हा कार होगया 

मुस्किल होगया जीना आम आदमी का सरकार के पास तो अपनी नाकामी छुपाने का हथ्यार होगया

पिसती गई मासूम जनता नेता और सरकार के संग कोरॉना का दोस्ताना व्यवहार होगया

सुना था फरी में बाटेगी सरकार कोरॉना की दवा जब गए दवा  लगवाने तो डॉक्टर साहेब बोले पंचसो रुपए की है दवा पांच सौ देने पड़ेंगे  हमे तो सरकार का आहवान होगया

देश विदेश में कोरोना का हा हा कार होगया 

मास्क लगाओ शोसल डिस्टेंसिंग रखना आम आदमी के लिए सख्त आदेश और अमीरों के लिए मनमर्जी का आह्वान होगया

देश विदेश में कोरोना का हा हा कार होगया 


बुधवार, 7 अप्रैल 2021

किसान

 कैसे उभरे किसान देश का इसके अनाज की कीमत तो मिल मालिकों द्वारा रद्दी के भाव आंकी जाती है

उसी अनाज से बनी पांच रुपए की वस्तु की कीमत 

,सो,रुपए वसूली जाती है

पशू पाले किसान ने दूध घी भी किसान उपाता है ,खरीदा नहीं जाता किसान से दूध तीस रुपए किलो और वही दुध

कंपनी के लेबल की थैलियों में पैक सो रुपए बेचा जाता है

कैसे उभरे किसान देशका इसके अनाज की कीमत तो मिल मालिकों द्वारा रद्दी के भाव आंकी जाती है

ले आती है सरकार किसान विरोधी कानून तो रातों रात

बेवजह के रेट वसूलती इन कंपनियों पे लगाम क्यों नही लगा पति है

शर्म नहीं आती इस सिस्टम को हम किसान के हितमे है बेसरमि से कसे कह जाते है

कैसे उभरे किसान देशका इसके अनाज की कीमत तो मिल मालिकों द्वारा रद्दी के भाव आंकी जाती है

दो रुपए से बनी दावा दो सो में बेची जाती है कुछ रिश्वत खाते डॉक्टर कुछ खादी खाती है छापे मारी के नामसे बड़ा कामिस्न खाकी भी लेआती है

महंगी दावा नहीं खरीद पाती गरीब जनता वो दर्द से मारी जाती है

कैसे उभरे किसान देशका इसके अनाज की कीमत तो मिल मालिकों द्वारा रद्दी के भाव आंकी जाती है

अच्छे दिन लाएंगे कहने वाले नेताओं को जरा भी शर्म नहीं आती है सरकार की उपलब्धि तो देखो बेसर्म ही होती जाति है

कैसे उभरे किसान देशका इसके अनाज की कीमत तो मिल मालिकों द्वारा रद्दी के भाव आंकी जाती है



मंगलवार, 6 अप्रैल 2021

हिंदू मुस्लिम भाई भाई

 कैसे कहदे मुसलमानों को खालिस्तानी वतन में इनका भी हिस्सा है

आजादी की लड़ाई में कुर्बानियों हुए क्रांति कारियो में 

इनका भी किस्सा है

तिरंगा दिया मुसलमानों ने इन्कलाब भी मुस्लिम ने लिखा है

कैसे कहदे मुसलमानों को खालिस्तानी वतन में इनका भी हिस्सा है

मादरे वतन भारत की जय का नारा अजीम उल्लाह खान ने दिया था 

छुपा दिया दुनिया की नजरो में शेर खान अफरीदी ने भी देश की खातिर अपना पूरा जीवन जंजीरों में जिया था

अंग्रेजो के सबसे बड़े अहोदेदार वायसराय का सरेआम कत्ल किया था क्यों गुमना उसका किस्सा है

कैसे कहदे मुसलमानों को खालिस्तानी वतन में इनका भी हिस्सा है

कसे भूल जाते हो दुनिया वालो सारे जहा से अच्छा हिंदुस्तान हमारा अलामा इकबाल ने लिखा था

भारत छोड़ो का नारा यूसुफ मेहर अली ने दिया था

वतन ए आजादी में लहू देकर आजादी लाने में इनका भी किस्सा है

कैसे कहदे मुसलमानों को खालिस्तानी वतन में इनका भी हिस्सा है

सोमवार, 5 अप्रैल 2021

खुफवाड़ा में आतंकी हमला

 छत्तीसगढ़ में नक्सली हमलों में शाहिद हुए वीरों को दिल की असीम गहराइयों से नमन और सलाम करता हूं

भारतिये सरकार निकम्मी और नाकाम लिखता हूं

उधर फोजी भाईयो की लासे दुखी मात पिता और भारतीय पूरी आवाम लिखता हूं

इस मिटी में पले बढ़े उस मिटी पे कुर्बान फोजी भाईयो भाईयो की जान लिखता हूं

इन शाहिद वीरों की जननी को अनगिनत सलाम लिखता हूं

तुम सुरमे थे सुरमे रहोगे लाखों दिलों की ये आवाज लिखता हूं 

शहिद फोजी भाईयो के चरणों में रामरतन सुड्डा का नतमस्तक प्रणाम लिखता हूं

छत्तीसगढ़ में नक्सली हमलों में शाहिद हुए वीरों को दिल की असीम गहराइयों से नमन और सलाम करता हूं

नेताओ के लिए अवसर बोट बटोरने का ओर उमड़ा जन सैलाब लिखता हूं 

बाकी हर भारतीयों की आंखों से निकले आसुओं का सैलाब लिखता हूं

मिटा दे हस्ती दुश्मन की हर भारतीए के शीनो में दहकती वो आग लिखता हूं

छत्तीसगढ़ में नक्सली हमलों में शाहिद हुए वीरों को दिल की असीम गहराइयों से नमन और सलाम करता हूं

भारतीयो सरकार निकम्मी और नाकाम लिखता हूं


आंदोलन

 जब जब जुल्म हुए समाज पे वो आंदोलनकारी कोन थे

इंसाफ दो हमे इंसाफ दो खून गर्म की देकर दुहाई स्टेजो 

बोले रहे बड़े बड़े जो बोल थे 

माला पहनकर नेतृत्व करने वाले वो नेतृत्व करी कोन थे

हर बार हुए समझौते वो क्यों समझोतो पर वो मॉन थे

जब जब जुल्म हुए समाज पे वो आंदोलन कारी कोन थे

लाठी चली पुलिस वालों की वो पीटने वाले कोन थे 

आगे बढ़ो आगे बढ़ो गाड़ी में बैठकर कहने वाले वो नेता और लीडर कोन थे

जब जब जुल्म हुए समाज पे वो आंदोलन कारी कोन थे

लाठी और गोली खाते खाते शाहिद हुए कई लाल छिप छिप कर भागने वाले वो फुजदिल कोन थे

कई बेबा हो गई बताए कई भाई खो दिये बहनों ने चंद पेसो में जमीर बेच कर वो चुपी साधे कोन थे

जब जब जुल्म हुए समाज पे वो आंदोलन कारी कोन थे

पेसो के बदले इंसाफ बेचा वो मॉल लगाने वाले कोन थे

हर बार हुए समझौते वो क्यों समझोतो पर वो मॉन थे

जमीर बेच कर चोला पहने वो चोलाधारी कोन थे

आगे बढ़ो आगे बढ़ो कहने वाले वो नेतृत्व करी कोन थे

जब जब जुल्म हुए समाज पर वो आंदोलनकारी कोन कोन थे

हर बार हुए समझौते वो क्यों समझोतो पर वो मॉन थे


रविवार, 4 अप्रैल 2021

गरीबों को इंसाफ क्यों नही मिलता?

 आज के इस दौर में गरीब मजलूम परिवारों को इन्साफ क्यों नहीं मिलता वो चाहे किसी धर्म जाति या वर्ग से हो क्यों प्रशासन गरीबों के साथ हुए अन्याय अत्याचारों पे मॉन रहता है क्यों कई कई दिनों तक धरना प्रदर्शन आंदोलन करने के बावजूद भी मुजरिम को गिरफदार करने में देरी होती है मुजरिम गिरफदार नहीं होपाते क्यों सिर्फ और सिर्फ गरीब दलित सोसित परिवारों की बहिन बेटियो का शोषण होता है क्यों गरीबों के मासूम बच्चे बीच चौराहे हेवानो द्वारा बेदर्दी बेसर्मी से पिटे जाते है क्यों  पुलिस द्वारा बर्बरता से आंदोलन कार्यों पर लाठी और सरिए चलाए जाते है आज के इस लेख में हम इसी विषय को गहनता से समझने की कोशिश करेंगे

दोस्तो अगर हम भविष्य को मजबूत बना चाहते है ऐसे असमिजिक कृत्यों से निजात पाना चाहते हैं तो हमे अपने अंदर सचाई को स्वीकारने और सच के साथ बिना किसी भए के डटकर विरोध करने की क्षमता को विकसित करना होगा हमे झूट और षड्यंत्र का खुलकर विरोध करना होगा इस विषय को बिना किसी जाति धर्म को देखे बिना किसी जाति धर्म का पक्ष किए सच्ची लगन से पूरा करना होगा

वो गडरिए और भेड़ये वाली कहानी तो आपने सुनी और पांचवी कक्षा में पढ़ी होगी 

मेरा जहा तक मानना ह आज पर्शासन और समाज के बीच वो भिड़ये और गडरिए वाली स्थिति पैदा करदी है 

जिससे सचाइ भी झूठ प्रतीत होती है 

समाज और प्रशासन के बीच ये स्थिति पैदा करने वाला कोई ओर नहीं ये समाज और इस समाज का नेतृत्व करने वाले दलाल चोला धारी नेता है

हमारे द्वारा चुने गए सताधारी दलाल नेता क्या करते है प्रशासन पर मिजरिमो को पड़ने गिरफ्दार करने के लिए प्रेसर नहीं बनाते बल्कि ये कहते है कुछ नहीं इस मुकदमे में हम राजीनामा करवा देंगे आप कुछ दिन इंतजार करो क्योंकि इन दलालों को वोट बटोरने केलिए ऐसे असामाजिक लोगोकी जरूरत होती है 

इसलिए लोग दिखावे के लिए पीड़ित पक्ष के साथ खड़े होते है और मुजरिम को बचाने केलिए प्रशासन के साथ अड़े होते है

ओर पुलिस और नागरिकों के बीच अविश्वास फैलने का काम करते है 

जो गरीब मजलूम परिवारों के इन्साफ की बोली लगाते है 

उनके इन्साफ और बहिन बेटियो के जिस्म को बेचकर खुद बड़ी बड़ी गाड़ियों में घूमकर शोषित परिवार में अपनी दहस्त कायम करते है ओर उसी शोषित सामाज से नॉट बटोरने वाले नोट और वोट  बटोरने वाले वोट ओर नॉट दोनो एक साथ बटोरते है  

मेरा जहा तक मानना ओर सोचना है इन दलाल चोला धारि नेताओ ने न सिर्फ समाज को बदनाम किया है बल्कि पुलिस और पूरे प्रशासन को समाज और समाज के लोगों के बीच बदनाम किया और पुलिस और नागरिकों के बीच अविश्वास फलाने का काम किया है और समाज में इन योद्धाओ की छवि को खराब किया है इन दलाल नेताओ ने समाज में पुलिस और कानून व्यवस्था को बिकाऊ साबित करने का काम किया है

जब तक समाज के लोग अपने बीच सराफ्त से दलाली करने वाले इन नकली झूठे पाखंडी स्वार्थी दलाल नेताओ  समाज का नेतृव करने वाले नेतृव करियों को नहीं समझे गा और अगर समझने के बाद भी इनका बहिस्कार नहीं करेगा इस समाज से ना ही अत्याचार रूके गा ओर ना ही इन्साफ मिले गा

आज हर दिन हर घंटे अकबार टीवी शोसल मीडिया में ऐसे शोषण और अत्याचार के केस हम सुनते और देखते है जिनपर कानूनी कार्यवाही भी होती है कुछ मामलों में प्रशासन पूर्ण शक्ति और निस्पक्षता से एक्शन लेता है लेकिन अंजाम क्या होता है आखिर में या तो गवाह  खरीद लिए जाते है या खुद शोषितो को खरीद लिए जाते है और राजीनाम करवा दिया जाता है 

अगर कोई अपने जमीर का मोल स्वीकार नहीं करता  तो शोषित के पास मुकदमों में खर्च करने के लिए धन नहीं होता और कुछ दिन मुकदमा चलने के बाद मुकदमा बंद कर दिया जाता है 

ये समाज और इस समाज के नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए दो चार दिन पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाने समाज को पुलिस और सरकार के खिलाफ भड़काने के सिवा पीड़ित की न ही आर्थिक मदद करते है और न ही राजनेतिक

कानून में उन्हें झूठे मुकदमे होने का करार देदिया जाता है

ओर यही वो वजह है जो प्रशासन को रोके रखती है 

ओर इन्ही दलालों की दलाली ने सामाज में कानून को धंधा बनाकर रख दिया है और इस धंधे में सबसे ज्यादा लाभ हासिल करने वाले जो होते है वो होते है अपने आपको समाज का लीडर कहने वाले चोला धारी नेता

हमारे देश में हर रोज हजारों मुकदमे होते है और हजारों 

मुकदमों में 10%मुकदमे भी अंजाम तक नहीं पहुंच पाते

ओर इस का कारण है हमारे समाज में रहते इन नेता और बड़ी बड़ी मूछो वाले चौधरी क्योंकि आज हमारे समाज में इन दलालों के सर पे बंधे कपड़े की कीमत किसी बहिन बेटी के तार तार हुए जिस्म किसी मां के लाल, किसी बहिन के भाई, किसी बाप के बाटे, की जान  से ज्यादा कीमत होती है

जब जब जुल्मी को उसके जुल्मों की सजा होने वाली होती है ये लोग पीड़ित परिवार के चरणो में अपने सर पे बंधे कपड़े को रखकर माफी मांग ते है गिड़गिड़ाते है और कहते है हमारा मान रखो और गांव गुहांड आस पड़ोस के दो चार दलाल और इकट्ठा होकर उस दलाल की दलाली में हां में हां भरते हैं ओर कहते है आपके चरणों में पगड़ी रखदी अब तो रहम करो वो पगड़ी जो किसी के खून से रंगी है उसपे रहम लेकिन इस समाज में किसी की जिंदगी से ज्यादा उस दलाल के सर पे बंधे कपड़े को महत्व दिया जाता है इस लिए इन्साफ इन्साफ नहीं धंधा है और ये वही दलाल नेता होते है जो किसी के खून से अपनी राजनीतिक रोटियां सकते है क्योंकि इन्हें पता होता है कुछ नहीं होगा दो चार महीने केश चलने के बाद पगड़ी गैर माफी मांग लेंगे ऐसा ही होता है

ओर बदनाम करते है पुलिस को मेरी नज़र में ना पुलिस बुरी है और नाही कानून बुरे है ये दलाल और खुद समाज जो बार बार इन दलालों की दलाली का सीकर होता है और होता रहता है

पुलिस प्रशासन में नोकरी करने वाले कोई आसमान से नहीं टपकते वो भी किसी बहिन के भाई है किसी मां के बेटे है किसी परिवार का हिस्सा है 

दर्द उन्हें भी होता है जब कोई समाज में अत्याचार शोषण होता है किसी बहिन का जिस्म नोचा जाता है और उन्हें बेवजह बदनाम किया जाता है

देश की न्यायपालिका पर भरोसा रख कर बिना समझोता किए जिस दिन 100 मे से अगर 90 मुकदमे भी दोसी को सजा दिलाने तक पहुंचने लग गए उस दिन से ही ना तो आपको धरने की जरूरत पड़ेगी और नहीं आंदोलन की प्रशासन खुमखुद निस्पक्ष कार्यवाही करने लगजाएगा


Love shayeri bewafa shayeri dard bhri shayeri lavitaye kahaniya motivsnal or samajik stori

Kisi ka jhukne n dena sis lachari me

किसी का झुकने न देना सीस लाचारी में बेमानी का सीस उठने न देना खून है तुम्हारी नसों में ईमान का  इसे बेमानो से मिटने न देना  बाहें तुम्हारी भ...